मुलायम चूत की तलब लगी

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मेरा नाम विवेक है मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 30 वर्ष है। मेरे मम्मी पापा दोनों ही स्कूल में अध्यापक हैं और इसीलिए बचपन से मुझे अपना काम करने की खुद की आदत है। मैं किसी पर निर्भर नहीं रहता। हमारे ऑफिस में एक महिला है। उनका नाम कामिनी है। कामिनी मैडम अपना काम करने में सबसे आगे रहती हैं और वह बड़ी ही एक्टिव हैं। उनके अंदर काम करने की ललक बहुत ज्यादा है लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें फायदा नहीं मिल पाता। हमारे ऑफिस में उनके काम करने का फायदा कोई और ही उठा लेता है। हमारे ऑफिस में एक व्यक्ति हैं उनका नाम अमित है। वह बॉस के बड़े ही चहिते हैं और वह हमारे सीनियर भी हैं इसलिए जब भी कोई अच्छा काम करता है तो वह उसका श्रेया खुद को ही दिलवाना पसंद करते हैं और हमेशा कहते हैं कि वह काम तो मैंने ही किया है। इस वजह से कई बार मेरी उनसे बहस भी हो जाती है। मैंने उन्हें कई बार कहा कि आप लोगो की मेहनत का श्रेय खुद को देते हैं तो आपको कैसा लगता है? वह कहने लगे मैंने कभी ऐसा नहीं किया

मैन उन्हें कहा कि आप ऑफिस में किसी से भी पूछ लीजिए यदि कोई आप के बारे में अच्छा कहे तो आप मुझे बताना। एक दिन उनकी और मेरे बीच में बहुत ज्यादा तीखी नोकझोंक हो गई। उस दिन मैंने भी उन्हें काफी कुछ कह दिया। जब उन्होंने बॉस के कान में मेरे बारे में कहा तो बॉस ने मुझे बुलाया और कहा क्या तुम अमित जी के साथ आजकल झगड़ा कर रहे हो? मैंने उन्हें कहा सर ऐसी कोई बात नहीं है। वह हमेशा ही हर चीज का क्रेडिट अपने आप को ही देना चाहते हैं। हमारे ऑफिस में और भी लोग हैं और वह लोग पूरी मेहनत से काम करते हैं लेकिन वह हर बार कहते हैं कि वह काम मैंने हीं किया है। यदि वह ऑफिस का सारा काम कर सकते हैं तो वह खुद ही क्यों नहीं कर लेते। फिर हम लोगों की क्या जरूरत है। हमारे बॉस को भी उस दिन लगा कि वाकई में मैं सही कह रहा हूं। उन्होंने उस दिन मुझे कहा कि आज से तुम ही सारी रिपोर्ट मेरे पास पहुंचाओगे।

अब उन्होंने अमित जी को कहा कि आज से आप काम करेंगे। ऑफिस में हमारे सारे लोग खुश हो गए लेकिन अमित जी तो जैसे मुझ से जल कर बैठे हुए थे उन्हें तो मैं उसके बाद बिल्कुल भी नहीं भाता था। उसके बाद तो जैसे वह मेरी बुराई करने से भी नहीं चूकते और हमारे ऑफिस में जितने भी लोग हैं उन सब से वह मेरी बुराई करते थे लेकिन उन्हें यह बात नहीं पता थी कि ऑफिस के सारे लोग मुझे पसंद करते हैं। आफिस के लोग मुझे हमेशा कहते हैं कि अमित जी तुम्हारी बहुत ज्यादा बुराई करते हैं। वह तुम्हारे बारे में हमेशा गलत कहते हैं। मैं उन्हें कहता हूं तुम्हें तो पता ही है उनकी आदत कैसी है। वह बिल्कुल भी किसी का भला नहीं चाहते वह सिर्फ चाहते हैं कि मेरा ही भला हो जाए। अमित जी अपने दिमाग में बड़े षड्यंत्र रचते रहते थे। एक बार उन्होंने इतना गहरा षडयंत्र मेरे लिए किया कि मैं उस दिन बहुत ज्यादा गुस्से में हो गया। उन्होंने हमारे ऑफिस के एक व्यक्ति से कहा कि कामिनी मैडम और विवेक जी के बीच में तो चक्कर चल रहा है और वह लोग किसी को भी इस बारे में नहीं बताते। जब यह बात मेरे कानों तक गई तो मैंने भी अमित जी को उस दिन गुस्से में कह दिया कि यदि आप मुझसे उम्र में बड़े नहीं होते तो शायद मैं आपका ऐसा हस्र करता कि आप ऑफिस भी ना आते। वह कहने लगे अच्छा तो तुम मुझे ऐसी बात कहोगे। तुम मुझसे जूनियर हो और अपनी औकात में रहकर बात किया करो। जब उन्होंने मुझे यह बात कही तो मेरा पारा एकदम सातवें आसमान पर पहुंच गया था और मुझे इतना गुस्सा आ गया कि शायद उस दिन मेरा हाथ उन पर उठ जाता लेकिन तभी कामिनी मैडम आ गई और उन्होंने सारी बात को संभाल लिया। उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ते हुए कहा कि विवेक हम इस बारे में बाद में बात करेंगे, अभी तुम अपना काम करो। उन्होंने ही उस दिन मेरे गुस्से को शांत कराया नहीं तो उस दिन मेरा गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ चुका था।

जब हमारा लांच हुआ तो उस वक्त मैं और कामिनी मैडम लंच करने लगे। हम दोनों उस दिन साथ में बैठकर ही लंच कर रहे थे। वह मुझे कहने लगे कि तुम अमित जी की बातों का बुरा ना माना करो। तुम्हें तो उनकी आदत का पता ही है तो तुम ऐसा क्यों करते हो और उन से उलझने का भी कोई फायदा नहीं है। उन पर बिल्कुल भी इस चीज का फर्क नहीं पड़ता। मैंने उनसे कहा वह हम दोनों के बारे में कैसी बातें कर रहे हैं। क्या यह उचित है? कामिनी मैडम कहने लगी कि तुम्हें पता है कि हम दोनों गलत नहीं है तो तुम इस बारे में क्यों सोच रहे हो? मैंने कामिनी मैडम से कहा कि मुझे मालूम है कि हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन उन्हें भी यह शोभा नहीं देता कि वह हमारे बारे में किसी से कुछ गलत कहें और हम लोगों के बारे में अनाप-शनाप सब लोगों से कहते रहें। जिससे कि हम दोनों की बदनामी हो। उन्होंने मुझे समझाया और उस दिन मेरा गुस्सा उन्होंने शांत करवा दिया था। कामिनी मैडम को मेरे बारे में पता था मैं एक अच्छा लड़का हूं।

एक दिन उन्हें घर पर कुछ काम था। वह मुझे कहने लगी क्या तुम मुझे मेरे घर तक छोड़ दोगे आज मुझे जरूरी काम है। मेरे पति भी काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं। मैने उन्हे कहा ठीक है मैं आपको आपके घर तक छोड़ देता हूं। उनका रास्ते में कोई जरूरी काम था उन्हें किसी व्यक्ति से मिलना था। हम लोगों उनसे मिलते हुए उनके घर की तरफ चले गए। जब हम लोग उनके घर पहुंचे तो मैंने उन्हें कहा मैडम मैं चलता हूं अभी मुझे देर हो रही है लेकिन उन्होंने मुझे रोक लिया। वह कहने लगी तुम कुछ देर तो मेरे साथ बैठ सकते हो। मैं सोचा चलो उनके साथ ही बैठ लिया जाए। मैं जब उनके घर पर गया तो घर पर कोई नहीं था। जब वह मेरे बगल में बैठी थी तो जैसे ही उनका हाथ गलती से मेरे कंधे पर लगा तो मेरे दिमाग में उनके लिए गलत खयालात पैदा होने लगे। उन्हें देखकर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा। मुझे समझ नहीं आया मेरे ऊपर ऐसा क्या जादू हो गया है कि मेरा दिमाग में सिर्फ कामिनी मैडम के बारे में गलत ख्याल आने लगे हैं। मैंने उनके हाथ को पकड़ते हुए सहलाना शुरू कर दिया और जब मैंने उनकी योनि पर हाथ रखा तो वह पहले थोड़ा हिचकिचाने लगी लेकिन जब मैंने उनकी जांघ को सहलाना शुरू किया तो वह मचल उठी और उत्तेजित हो गई। मैं पूरे मूड में हो गया था मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो मैडम ने मेरे लंड ऐसे चूसा जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। वह मेरे लंड को अपने गले तक लेकर चूस रही थी। जब मैंने अपने वीर्य को उनके मुंह के अंदर डाला तो उन्होने मेरे वीर्य को अंदर समा लिया। मैंने जब उनके कपड़े उतारे तो उनके बदन को देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा मेरा लंड उनकी चूत में जाने के लिए तैयार हो गया। मैंने उनकी योनि के अंदर अपनी उंगली को डाला तो मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मैंने उन्हें सोफे में लेटा दिया और उनके पैर मैंने चौड़े कर लिए ताकि मेरा लंड आसानी से उनकी योनि के अंदर जा सके। जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह मादक आवाज मे सिसकिंया लेने लगी वह मुझे कहने लगी अमित जी सही कह रहे थे मेरे दिल में खोट है। मैंने उन्हें कहा मैडम ऐसा कुछ भी नहीं है। यह कहते हुए मैंने उन्हें बड़ी तेजी से चोदा। वह सिसकिंया ले रही थी। हम दोनों की सांसे बहुत ज्यादा फुल रही थी और मेरे दिल की धड़कन भी बहुत तेज हो गई थी। मैं उन्हें तेज गति से धक्के दे रहा था और उन्हें बड़ा ही मजा आ रहा था। मैंने काफी देर तक मैडम की चूत मारी। वह भी बहुत मजा ले रहा थी मैं भी बहुत मजे ले रहा था लेकिन जैसे ही मेरा वीर्य उनकी योनि के अंदर गिरा तो हम दोनों एक दूसरे को कसकर पकडने लगे। मैंने उन्हें अपनी बाहों में दबोच लिया। मुझे बहुत मजा आया जब मैंने कामिनी मैडम की चूत मारी। यह बात हम दोनों के बीच में ही थी हमने किसी को भी नहीं बताई लेकिन हम दोनों अब आपस में बहुत मजे लेने लगे। वह मेरे लिए तड़पने लगी थी और मुझे भी उनकी चूत की तलब हो गई थी।