| मेरा नाम योगेश है। मैं और रजत बचपन के दोस्त हैं। बचपन में हम लोग पास-पास ही रहते थे, हम साथ-साथ खेलते और हम पढ़ते भी साथ थे। हमेशा हमलोग पढ़ाई में आगे रहते थे। हम सब दोस्त बचपन में मस्ती करते हुए चुनिआ से चुनिआ मिलाते थे और बड़े होने पर हम अपने लंड की लंबाई और मोटाई नापने लगे। मेरा लंड सबसे लम्बा और मोटा था। रजत के लंड की लंबाई छ: इंच और मेरे लंड की लंबाई आठ इंच थी। हम इन मस्ती के साथ बड़े हुए। हम दोनों ने बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद एक ही इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद हम दोनों को अलग-अलग कम्पनी में नौकरी लग गयी। यह 1995 की बात है! मैंने दिल्ली की एक एम.एन.सी में जॉयन किया और रजत ने मुम्बई में। रजत ने बाद में अपना खुद का बिज़नेस शुरू किया। उसे खूब सफ़लता मिली और अब वोह लाखों-करोड़ों में खेलने लगा था। उसने एक अलिशान फ़्लैट जूहू में खरीद लिया था। उसके पास इम्पॉर्टेड कार, नौकर इत्यादि सब कुछ था। उसकी देखा देखी मैंने भी दिल्ली में अपना बिज़नेस शुरू किया और भगवान की कृपा से मेरा भी बिज़नेस ज़ोरों से चल पड़ा।
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| धीरे-धीरे मेरे पास भी आधुनिक जीवन की आवश्यक हर चीज़ हो गयी। हम अपने-अपने काम में काफ़ी मशगूल हो गये और हम एक दूसरे से नहीं मिल पाये लेकिन फोन और पत्रों के ज़रिये हमारा संबंध हमेशा बना रहा। एक दिन रजत का फोन आया कि वो संजना नाम की लड़की से शादी कर रहा है। उसने बताया कि संजना बेहद खूबसूरत है। रजत ने मुझे शादी पर आने का निमंत्रण दिया। लेकिन बिज़नेस के सिलसिले में मैं उस समय विदेश जा रहा था। मैंने अपनी मजबूरी बतायी और वादा किया कि विदेश से लौटने के बाद मैं उन लोगों के पास मिलने जरूर आऊँगा। दिन बीतते गये। मैं अपने काम में मशगूल होता गया और रजत के पास जाने का मौका नहीं मिला। लेकिन हम एक दूसरे के साथ सम्पर्क में रहे। रजत अक्सर मुझे अपने घर बुलाता रहा। एक दिन रजत का फोन आया और शिकायत करने लगा कि उसके बार-बार बुलाने पर भी मैं क्यों नहीं आ रहा हूँ। सौभाग्य से मैं एक हफ़्ते के बाद कुछ दिनों के लिए खाली रहने वालाथा। मैंने उससे कहा कि मैं अगले हफ़्ते में कुछ दिनों के लिए आ रहा हूँ। |
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| मैं मुम्बई पहुँचा और वहाँ एयरपोर्ट पे रजत और संजना मुझे लेने आये हुए थे। रजत ने अपनी बीवी से परिचय कराया। रजत की बीवी, संजना भाभी, वाकय में बेहद खूबसूरत औरत थीं। उनकी लंबाई करीब पाँच फुट चार इंच थी और उनके फिगर के तो क्या कहने। उनकी चूचियाँ काफी बड़ी बड़ी (छत्तीस इंच) थी, उनकी कमर तो बहुत ही पतली सी (छब्बीस इंच) थी और उनके चूत्तड़ बहुत भरे-भरे हुए थे। मेरे अंदाज़ में संजना भाभी कि गाँड कम से कम अढ़तीस इंच थी। वो हँसती थी तो उनके गाल पर डिम्पल पड़ रहे थे जिससे कि वो बहुत सैक्सी लग रही थीं। मैंने उनसे कहा कि, “संजना भाभी आप बहुत ही खूबसूरत हैं।”
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| अपनी तारीफ़ सुन कर संजना भाभी बहुत ही खुश हो गयीं। उस दिन हम लोग इधर-उधर दो-चार जगह घूमे और एक अच्छे से होटल में खाना खाया। दूसरे दिन भी हम लोग मुम्बई घूमने निकले और बाहर डीनर ले कर घर वापस आये। उस दिन रजत ने व्हिस्की की बोतल खोली और कहने लगा कि आज हम बहुत दिनों के बाद एक साथ बैठ कर साथ-साथ पियेंगे। रजत ने संजना भाभी से ग्लास, सोडा और कुछ खाने के लिए लाने को कहा। मैंने संजना भाभी से कहा, “भाभी आप को भी हमारा साथ देना होगा। अपने लिए भी एक ग्लास लाइयेगा।” रजत ने भी हाँ में हाँ मिलाई। संजना भाभी तीन ग्लास, सोडा और भुने हुए काजू ले आयीं। हम तीन लोगों का पीने का दौर शुरू हुआ। |
| धीरे-धीरे हम सब पर व्हिस्की का नशा छाने लगा। कुछ पुरानी बात खुल गयी और फिर एक के बाद एक पुरानी बातें खुलती गयी। बात पुराने दिनों की मस्ती की आयी तो रजत ने कहा, “संजना तुम्हें एक बात बताते हैं, हमारे सभी दोस्तों में योगेश का लंड सबसे बड़ा और मोटा है।”
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| फिर रजत बात आगे बढ़ाते हुए वो सुब कुछ कहने लगा जो हम बचपन में करते थे। संजना भाभी ने पूछा, “क्या तुम लोगों ने एक दूसरे की गाँड मारी है, क्योंकि मैंने किताबों में पढ़ा है कि अक्सर होस्टल में रहने वाले लड़के एक दूसरे की गाँड मारते हैं।” |
| रजत ने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं है,किताब वाले अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए इस तरह की उल्टी-सीधी बात छाप देते हैं।” रजत कहने लगा, “हम जिगरी दोस्त हैं, होमो सेक्ज़ुअल थोड़ा ना हैं! वैसे भी मैंने ज़िंदगी में अब तक सिर्फ़ तुम्हारी ही गाँड मारी है।” |
| रजत की बात सुन कर मैंने संजना भाभी से पूछा, “भाभी आपको कैसा लगा जब रजत ने आपकी गाँड मारी?” |
| संजना भाभी ने पहले आनाकानी की फिर मुस्कुरा के बोली, “पहले तो बेहद दर्द हुआ था, बाद में मज़ा आने लगा और अब तो माशाल्लाह बेहद मज़ा आता है।”
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| फिर मैं उनकी होस्टल की लाईफ के बारे में पूछने लगा। उस पर वो बोलीं, “हम खास सहेलियाँ आपस में काफी मज़े किया करती थीं। हम एक दूसरे की चूंची मसलतीं और चुसतीं, एक दूसरे की चूत में अँगुली करतीं और अपनी जीभ से एक दूसरे की चूत चाटा करती थीं। कभी-कभी हम एक दूसरे की चूत की घुँडी मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसतीं और कभी-कभी हम एक दूसरे से आपस में चूत रगड़ा करती थें। इसमे हम लोगों को बेहद मज़ा आता था।” |
| संजना भाभी फिर शराब के झोँके में बोलने लगीं, “हमारे होस्टल में कुछ लड़कियाँ ऐसी भी थीं जो कि पैसे और मस्ती के लिए रात-रात भर होस्टल से बाहर रहतीं और जब वो सुबह आतीं तो साफ मालूम पड़ता था कि वो रात भर सोयी नहीं हैं और खूब रगड़-रगड़ कर उनकी चूत की चुदाई हुई है।” |
| मैंने फिर संजना भाभी से पूछा, “आप लोगों को कैसे पता लगता था कि वो लड़कियाँ रात भर अपनी चूत चुदा कर आयी हैं?”
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| संजना भाभी बोलीं, “अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है? जब वो लड़कियाँ आती थीं तो उनकी चाल कुछ अटपटी होती थी। उनके चेहरे पर दाँत के निशान पड़े होते थे और उनकी कमर कुछ झुकी रहती थी।”
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| मैंने फिर पूछा, “क्या कमर झुकने का मतलब चुदाई से है?” |
| उन्होंने कहा, “और नहीं तो क्या? जब कोई लड़की या औरत रात भर अपनी टाँगों को उठाये अपनी चूत में लंड पिलवाती है तो उसके बाद दो-तीन घंटों तक उनकी टाँगें सीधी नहीं हो पाती और वो झुक कर चलती हैं। लड़कियाँ चुदाई के बाद अपनी टाँगों को फैला कर ही चलती हैं।” |
| “क्यों,” |
| “अरे इसलिये कि लड़कियों की चूत पैर फैला कर ही चुदती है और चुदाई के बाद उनकी चूतसे निकल कर मर्द का पानी उनकी जाँघों पर बहता रहता है, जो कि काफी चिप-चिपा होता है और इसलिये लड़कियाँ चुदाई के बाद अपनी टाँगें फैला कर चलती हैं।” |
| संजना भाभी से मैंने फिर पूछा, “क्यों भाभी आपने कभी इन लड़कियों से उनकी चुदाई के बारे में पूछा था?”
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| संजना भाभी बोलीं, “हाँ उन लड़कियों में से एक मेरे बगल वाले कमरे में रहती थी। एक दिन मैने उससे पूछा कि रात भर कहाँ थी। पहले तो उसने आनाकानी की मगर बाद में बोली कि रात भर वो और उसका बॉय फ़्रैंड, दोनों एक ऑर्गी-पार्टी में गये हुए थे। उस पार्टी में और भी लड़के और लड़कियाँ थी। रात को करीब बारह बजे उन सब ने ड्रिंक करने के बाद खाना खाया और एक बड़े से हाल में आ कर बैठ गये। कमरे में हल्की सी रोशनी थी और धीमे-धीमे म्युज़िक बज रहा था। फिर एक लड़का सब से बोला कि अब काफी रात हो गयी है और हम लोगों को पार्टी की आगे की कारवाही शुरू कर देनी चाहिए। इस पर सब ने हामी भरी और सब अपने अपने कपड़े उतारने लगे। लड़कियाँ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी और लड़के सिर्फ़ अपने अंडरवियर पहने हुए थे। फिर सब लड़कों ने अपनी-अपनी गाड़ी की चाबी निकाल कर बीच की मेज पर रख दी और लाईट ऑफ कर दी गयी। अब लड़कियों ने उठ कर अन्धेरे में एक-एक चाबी उठा ली और उसके बाद लाईट ऑन कर दी गयी। जिस लड़की के पास जिस लड़के की चाबी थी वो लड़का उस लड़की को अपनी बाहों में उठा कर डाँस करने लगा। वो सब डाँस तो क्या, एक दूसरे के बाकी कपड़े उतार कर लिपट रहे थे। लड़के उन लड़कियों की चूंची मसल रहे थे और कभी-कभी झुक कर लड़कियों की चूंची मुँह में भर कर चूस रहे थे। कुछ लड़कियाँ भी कभी-कभी झुक कर लड़कों के लंड चूस रही थी। फिर इसके बाद सबने एक-एक करके उसी कमरे में, जहाँ जगह मिली, चुदाई शुरू की। चुदाई का दौर खतम होते ही लड़के अपनी-अपनी पार्टनर बदल कर फिर चुदाई करने लगे। यह पार्टनर बदल-बदल कर चुदाई का दौर रात भर चलता रहा।” |