मेरा नाम सुरजीत है मैं जालंधर का रहने वाला हूं, मैंने जालंधर काफी वर्षों पहले ही छोड़ दिया था और मैं विदेश में ही सेटल हो गया। मैंने उस वक्त अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी उसके बाद मुझे मेरे रिश्तेदार अपने साथ काम पर ले गए, तब से मैं विदेश में ही रहने लगा था और काफी वर्षों तक मैं वहां पर रहा। मैंने विदेश में ही शादी कर ली, मेरी पत्नी का नाम मार्टिनी था परन्तु उसके साथ मेरा रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और उससे मेरा डिवोर्स हो गया, उससे मेरी एक बच्ची भी हुई जो कि अब मार्टिनी के साथ ही रहती है, काफी समय तक हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से रह रहे थे लेकिन जब उसके जीवन में एक अंग्रेजी लड़का आया तो उसने उससे शादी कर ली और उसने मुझे कहा कि अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती, मैंने भी उसके इस फैसले का विरोध नही किया, मैन कहा कि तुम्हें जैसा उचित लगता है तुम वैसा करो, उसने जब उस लड़के से शादी कर ली तो हम दोनों के बीच डिवोर्स हो गया।
मैंने अपना एक रेस्टोरेंट भी खोल लिया था लेकिन मेरा काम में मन नहीं लग रहा था इसलिए मैंने सोचा कि मुझे वापस जालन्धर चले जाना चाहिए। मैंने अपने दोस्त से कहा कि मैं यह रेस्टोरेंट बेचना चाहता हूं और वापस जालंधर जाना चाहता हूं, वह मुझे कहने लगा तुम्हारा दिमाग तो सही है यहां पर तुमने इतने साल मेहनत की है और सब कुछ तुमने यहां हासिल किया है उसके बाद तुम जालंधर जाना चाहते हो, वहां जाकर तुम्हें दोबारा से शुरुआत करनी पड़ेगी, मैंने उसे कहा कि वह सब मैं देख लूंगा लेकिन अभी मेरा मन यहां काम करने का नहीं है और मैं वापस जालंधर जाना चाहता हूं, मुझे काफी अरसा हो चुका है जब से मैं घर नहीं गया हूं और अपने माता-पिता से भी नहीं मिल पाया हूं, वह लोग भी मुझसे मिलकर बहुत खुश होंगे। मैंने एक दिन अपने पापा को फोन किया, जब मैंने उन्हें अपने घर आने की बात बताई तो वह अंदर से बहुत खुश हो गये और कहने लगे क्या तुम वाकई में जालंधर आ रहे हो, मैंने उन्हें कहा हां मैं अब जालंधर वापस आ रहा हूं वहीं पर मैं अब कोई काम शुरू करने वाला हूं।
मेरे पापा और मम्मी बहुत खुश थे, जब यह बात मेरे भैया को पता चली तो उन्होंने भी मुझसे बात की और कहने लगे क्या तुम अब यहीं रहोगे, मैंने उन्हें कहा हां मैं अब वहीं रहने वाला हूं, वह कहने लगा अच्छा तो तुम आ जाओ। मेरे भैया मेरी वजह से ही कहीं बाहर नौकरी करने के लिए नहीं जा पाए क्योंकि वह मेरे माता-पिता की देखभाल करते हैं और मेरी भाभी भी बहुत अच्छी हैं, उन्होंने भी मेरे माता-पिता का बहुत अच्छे से ध्यान रखा है, मैंने भी अपना रेस्टोरेंट भेज दिया और उसके बाद मैं वापिस जालंधर आ गया। जब मैं जालंधर पहुंचा तो मेरे माता-पिता मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए वह लोग इतने खुश थे जैसे कि मैं पता नहीं क्या कर के लौट रहा हूं, उनके चेहरे की खुशी देखकर मैं अंदर से भावुक हो गया, मेरे पिताजी ने मुझे गले लगाया और मेरे भैया भी मुझे गले लगा कर बहुत खुश हो रहे थे, वह मुझे कहने लगे तुम्हे इतने लंबे अरसे बाद देख कर तो हम लोग बहुत खुश हुए और तुम तो पहले से भी ज्यादा बदल चुके हो। जब मैं घर पर गया तो वह मुझे पूछने लगे तुम अकेले ही आए हो तुम्हारी पत्नी और बच्चे कहां है, मैंने उन्हें बताया कि मेरा उससे डिवोर्स हो चुका है और मेरी बच्ची भी उसी के पास रहती हैं। यह सुनकर मेरी मां का चेहरा उतर गया और वह कहने लगी कि तूने हमें यह बात क्यों नहीं बताई, मैंने उन्हें कहा कि यदि मैं आपको यह बात बता देता तो आप लोग दुखी हो जाते इसीलिए मैंने आपको यह बात नहीं बताई। कुछ दिनों तक हमारे घर पर बड़ी चहल पहल थी, मेरी भाभी और उनके बच्चे तो मेरे साथ बहुत खेलते हैं, मैंने भी सोचा कि कुछ दिन काम ना करूं, मैं आराम से कुछ समय घर पर ही बिताना चाहता था, मैं अपने माता पिता के साथ कुछ समय घर पर ही बिताने लगा और जब काफी समय बीत गया तो एक दिन मेरे भैया मुझे कहने लगे तुमने अपने काम के बारे में कुछ सोचा है, मैंने भैया से कहा कि हां मैंने कुछ प्लानिंग तो की है लेकिन मुझे उसके लिए थोड़ा वक्त लगेगा, पहले तो मुझे यहां पर एक ऑफिस लेना पड़ेगा क्योंकि घर से काम होना संभव नहीं है, उन्होंने मुझे कहा ठीक है मैं तुम्हारे लिए कोई ऑफिस देख लेता हूं।
उन्होंने मेरे लिए एक ऑफिस देख लिया जहां पर मैं बैठने लगा और कभी मेरे भैया भी मेरे साथ बैठ जाते, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या काम करना चाहिए इसीलिए मैं कुछ समय तो खाली बैठा हुआ था, फिर मैंने सोचा कि मुझे यहां पर कुछ लोगों से बात करनी चाहिए उसके बाद ही मुझे अपने काम को खोलने का निर्णय करना चाहिए। मेरे भैया ने भी मुझे अपने कुछ दोस्तों से मिलवाया जो की अच्छे बिजनेसमैन थे, मैंने उनसे भी थोड़ा राय ली उन्होंने मुझे अपने आइडियाज भी बताएं, मुझे उनके कुछ विचार तो पसंद आये लेकिन मुझे लगा कि मुझे थोड़ा समय और रुकना चाहिए, मैं भी अपने कुछ पुराने मित्रों से मिला जो कि काफी वर्षो से मुझे मिले नहीं थे। मैं अपने एक दोस्त से मिला तो उसके साथ में काफी देर तक बैठा हुआ था। वह अब भी पहले जैसा ही था, उसने मुझे कहा तुमने तो विदेश में बड़ी लड़कियों को चोदा होगा। मैंने उसे कहा तुम ऐसी बातें मत करो लेकिन वह ऐसे ही बात कर रहा था। उसने मुझे एक लड़की की तस्वीर दिखाई, मैं उसे देख कर अपने अंदर के सेक्स के जानवर को नहीं रोक पाया। मैंने उसे कहा तुम मुझे उसका नंबर दे दो, उसने मुझे उसका नंबर दिया।
जब मैने उस लड़की को फोन किया तो उसकी सुरीली आवाज सुनकर में और भी ज्यादा मूड में आ गया। मैंने उसे अपने ऑफिस में बुला लिया, हम दोनों के बीच पैसों को लेकर बातें हो चुकी थी। वह मेरे ऑफिस में आई तो मैं उसके फिगर को देखकर बहुत खुश हो गया, उसकी लंबाई 5 फुट 9 इंच के आसपास थी, उसकी लंबाई ने मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर लिया और उसका फिगर और भी ज्यादा मजेदार था। वह मेरे पास आकर बैठी तो उसकी नीली आंखों ने जैसे मुझ पर जादू सा कर दिया, मैंने उसके बदन को छुआ तो वह एकदम से गर्म होने लगी। वह मुझे कहने लगी जल्दी से अपना काम कर लीजिए मैं ज्यादा देर तक आपके पास नहीं रुकने वाली क्योंकि मेरे और भी कस्टमर हैं। मैंने उसे और भी पैसे दिए जिससे कि वह खुश हो गई। उसने जब मेरी पैंट से मेरे लंड को बाहर निकाला तो जैसे ही मेरे लंड और उसके हाथ का स्पर्श हुआ तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया। वह मुझे कहने लगी आपका लंड तो बहुत मोटा है, मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अच्छे से सकिंग करो, मैं तुम्हें उसके बदले और भी पैसे दूंगा। उसने मेरे लंड को इतने अच्छे से सकिंग किया कि मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया, वह मेरे लंड को अपने गले तक ले रही थी, काफी देर तक उसने ऐसा ही किया। जब हम दोनों पूरी तरीके से उत्तेजित हो गए तो मैंने उसके बदन के सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए, उसके बड़े स्तन और उसकी गांड को देखकर मेरा पानी गिरने लगा। मैंने एक बार मुट्ठ मारकर उसके मुंह पर अपने वीर्य को गिरा दिया, उसने अपने मुंह को साफ किया। मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर सटाते हुए धक्का देना शुरू कर दिया। मैंने अपने जीवन में ऐसी जुगाड़ नहीं देखी थी। वह कहने लगी साहब आपके साथ सेक्स करके मजा आ गया, मैं उसकी योनि में लंड अंदर बाहर कर रहा था, वह पूरे जोश में मेरा साथ देने लगी। हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे के साथ सेक्स किया लेकिन मुझे उसे छोड़ने का बिल्कुल मन नहीं हो रही थी, परंतु उसका बदन इतना टाइट था, जब मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर गिरने वाला था तो मैंने उसे कहा तुम मेरे वीर्य को अपने मुंह में ले लो। उसने भी मेरी बात मान ली, जैसे ही उसने मेरे वीर्य को अपने मुंह के अंदर लिया तो वह मुझे कहने लगी आपने तो आज मुझे अपने वीर्य को पिला पिला कर घायल कर दिया, मुझे अजीब सा लग रहा है। मैंने उसे एक चॉकलेट खिलाई और कहा अब तुम खुश हो जाओ, उसके बाद से तो मैं उसे हमेशा ही अपने पास बुलाने लगा।