जवानी की कली मेरे लण्ड से खिली

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हैल्लो दोस्तों, में दीनू और में एक सरकारी कर्मचारी हूँ और मेरा तबादला अक्सर कुछ महीनों के लिए हमारी दूसरी ब्रांच में होता रहता है, तो अब की बार मुझे 2 महीनों के लिए दिल्ली जाना पड़ा था। फिर मेरे दोस्त ने कहा कि दीनू मेरी मामी जी दिल्ली में रहती है, तुम उनसे मिलकर आना और कुछ सामान दूँगा वो उन्हें पहुँचा देना, तो मैंने कहा कि ठीक है और में शुक्रवार को दिल्ली चला आया।

अब यहाँ पर कोई मकान किराए पर ना मिलने के कारण में होटल में रुका था। अब दूसरे दिन शनिवार को मेरी छुट्टी थी इसलिए में होटल से करीब 11 बजे निकलकर मेरी दोस्त की मामी जी के घर पहुँचा। वो करीब 38 साल की, रंग गोरा और हट्टी-कट्टी महिला थी, उनके चूतड़, बूब्स और आँखें काफ़ी आकर्षित थे, उसके पति का करीब 6-7 साल पहले स्वर्गवास हो गया था। उनके पति ने मरने के उपरांत काफ़ी जायदाद, रकम और शेयर के कागजात छोड़े थे, जिससे उनको महीने में करीब 2 लाख रुपये मिलते थे, उनका इकलोता लड़का देहरादून में पढाई कर रहा था। फिर जब में उनके घर पहुँचा तो उन्होंने मेरा शानदार स्वागत किया। अब में समझ गया था कि मेरे दोस्त ने उन्हें मेरे आने की सूचना फोन पर दे दी होगी। अब जब वो मुझसे बातें करती तो काफ़ी खुले अंदाज़ में बातें करती थी जैसे हम काफ़ी पुराने पहचान वाले है, अब में समझ गया था कि मामी जी बहुत कामुक औरत है।

फिर बातों-बातों में मैंने कहा कि मामी जी यहाँ कोई आपके पहचान वाला है, जो मुझे किराएदार बना लेगा, क्योंकि फिलहाल में होटल में रुका हूँ और मुझे यहाँ कम से कम 2-3 महीने गुजारने पड़ेगे। तो वो हँसते हुए बोली कि अरे दीनू इतनी छोटी बात की क्यों चिंता करते हो? तुम ऐसा करो आज से ही मेरे घर रहने आ जाओ। तो में बहुत खुश हुआ और उनका सामान देकर कहा कि ठीक है मामी जी में आज शाम को ही यहाँ रहने आ जाऊंगा और वहाँ से होटल आकर चेक आउट किया और करीब 6 बजे में उनके घर पहुँच गया। उन्होंने उनके बगल का ही कमरा मुझे दिया था, फिर हम रात को खाना खाने के बाद थोड़ी देर बातचीत करके सो गये।

अब मुझे रविवार को दफ़्तर में काम था इसलिए में दफ़्तर चला आया और मामी जी से कहा कि मामी जी मुझे रात में आने में लेट हो जाएगा और में खाना खाकर आऊंगा। तो मामी जी बोली कि दीनू अगर ज़्यादा लेट हो जाओ तो यह ड्यूप्लिकेट चाबी अपने पास रखो, तो में ड्यूप्लिकेट चाबी लेकर दफ़्तर चला गया। फिर में रात को करीब 1 बजे घर पहुँचा और ड्यूप्लिकेट चाबी से दरवाजा खोलकर जब अपने कमरे में जाने लगा, तो मुझे मामी जी के कमरे में से कुछ आवाज़े सुनाई दी। फिर मैंने दरवाजे से अंदर झांककर देखा, तो अंदर उनके पड़ोसी अंकल उनकी जमकर चुदाई कर रहे थे। फिर में उनकी चुदाई का सीन देखकर सो गया। अब में सुबह नहा धोकर जब नाश्ता कर रहा था, तो मामी जी ने पूछा कि दीनू तुम रात को कब आए थे? तो में बोला कि मामी जी रात करीब 2 बज गये थे। तो वो बोली कि फिर तो आज तुम्हारी छुट्टी होगी, तो मैंने कहा कि हाँ मामी जी आज छुट्टी है। तो वो बोली कि चलो तैयार हो जाओ हमे बाजार से खरीदी करनी है और फिर हम लोग बाजार में चले गये।

फिर वहाँ से उन्होंने कुछ किचन का सामान खरीदा और फिर वो मुझे एक दुकान में ले गयी, उस दुकान में लेडीस गारमेंट्स मिलते थे, फिर उन्होंने वहाँ से ब्रा और पेंटी खरीदी। अब जब हम लौट रहे थे तो उन्होंने मुझसे कहा कि दीनू क्या तुम बियर पीओगे? तो मैंने हाँ कर दी और दुकान से 5 बोतल बियर ले ली और हम दोनों घर आकर बियर पीने लगे। अब बियर पीते वक्त वो मुझे सेक्सी अंदाज़ से देख रही थी। फिर मैंने कहा कि मामी जी आप अकेली महसूस नही करती हो क्या? तो वो बोली कि क्या करूँ कोई उपाय भी तो नही है? वैसे में खुले दिमाग़ की महिला हूँ मेरे विचार बहुत खुले है। तो मैंने कहा कि वो तो में समझ गया हूँ। फिर जब मामी जी ने 1 बोतल पी ली तो उन्हें नशा होने लगा। तो इतने में डोर बेल बजी तो मैंने जाकर दरवाजा खोला, तो बाहर उनकी एक सहेली आई थी और फिर मामी जी ने उसे भी बीयर दी। फिर में उठकर अपने कमरे में चला आया, अब मामी जी और उनकी सहेली बैठकर बियर पी रहे थे और बातें कर रही थी, अब में भी उनकी बातें सुन रहा था।

मामी जी : और रेखा क्या हालचाल है?

रेखा : सब ठीक है, अब तुम ही सुनाओ, आजकल तो घर में नौजवान आदमी है तो खूब जमती होगी रोज पकवान खाती होगी?

मामी जी : नही रे, वो तो मेरे भतीजे का दोस्त है अभी उसे आए 2 दिन हुए है और तुम तो जानती हो मेरे पति बहुत ही अमीर बिजनसमैन थे, उनका एक दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया था। में 32-33 साल की उम्र तक उनसे चुदवाकर खूब मज़ा लेती थी, लेकिन उसके बाद मुझे ना जाने क्या हुआ? कि वो मुझे चोदने के बाद जब 15-20 मिनट में झड़ने वाले होते तो तब कहीं जाकर मुझे थोड़ा-थोड़ा जोश आना शुरू होता था और में चुदाई का बिल्कुल मज़ा नहीं ले पाती थी।

मुझे 33 साल की उम्र के बाद से चुदवाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता था क्योंकि में झड़ नहीं पाती थी। उनके स्वर्गवास के बाद मेरा संबंध अपने पड़ोसी से हो गया मैंने उससे भी खूब चुदवाया, लेकिन मुझे उससे भी मज़ा नहीं मिला क्योंकि जब तक मुझे जोश आना शुरू होता, तो वो भी झड़ जाता था।

रेखा : तुम क्यों नहीं दीनू से और मेरे भाई से चुदवा लेती हो? अगर तुम कहो तो में मेरे भाई तो भेज देती हूँ, तब तक तुम दीनू को पटा लो और वो यह कहकर चली गयी।

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फिर मामी जी ने मुझे आवाज़ देकर कहा कि इधर आ जाओ दीनू, तो में आकर उनके सामने बैठ गया। अब वो मुझसे बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में बातें करने लगी और खुलकर बोली कि दीनू आज कर लो, मुझे करने का बहुत मन होता है, क्या करूँ? तो में बोला कि मामी जी क्या करने का मन होता है? तो वो बोली कि दीनू तुम तो जानते ही हो मुझे चुदाई की बहुत इच्छा होती है, क्या तुम मुझे चोदोगे? तो मैंने कहा कि ठीक है मामी जी और वो मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी। अब में उसके बूब्स दबाने लगा और साथ-साथ चूमने भी लगा था। तो इतने में डोर बेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला, तो बाहर रेखा का भाई आया था, वो मेरी ही उम्र का था। फिर उसने मुझे देखकर थोड़ा संकोच किया, लेकिन मामी जी ने कहा कि आओ राकेश आ जाओ, में जानती हूँ रेखा ने तुम्हें किस लिए भेजा है? फिर मामी जी मुस्कुराते हुए मुझे और राकेश को बेडरूम में ले गयी।

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फिर में बोला कि मामी जी बेड में चलोगी या यही कालीन पर, तो मामी जी ने कहा कि जहाँ तुम ठीक समझो। तो राकेश बोला कि कालीन पर ठीक रहेगा, कालीन पर धक्के ठीक से लगते है। तो मैंने मामी जी से पूछा कि आप अपने कपड़े खुद उतारेगी या में उतार दूँ? तो मामी जी ने कहा कि तुम ही उतार दो। तो मैंने मामी जी के सारे कपड़े उतार दिए और उनके कपड़े उतरने के बाद मैंने और राकेश ने भी अपने अपने कपड़े उतार दिए, मेरा लंड लगभग 9 इंच लंबा और बहुत ही मोटा था जबकि राकेश का लंड मुझसे थोड़ा छोटा था। फिर में बोला कि मामी जी हम दोनों का लंड कैसा लगा? तो उन्होंने कहा कि बहुत ही अच्छा है, लेकिन देखना यह है कि तुम दोनों मेरी चूत से कितनी बार पानी निकाल पाते हो? तो में बोला कि हम दोनों आपकी चूत से इतनी बार पानी निकाल देंगे की आपकी चूत एकदम ड्राइ हो जाएगी और इतना चोदेगें की आप खुद ही हम दोनों को मना कर दोगी। तो वो बोली कि वो तो ठीक है, लेकिन मैंने तो आज तक इतने बड़े लंड से कभी नहीं चुदवाया है, मुझे दर्द बहुत होगा। तो राकेश ने कहा कि हाँ कुछ दर्द ज़रूर होगा और उस दर्द को आपको ही सहना पड़ेगा। फिर उसके बाद हम दोनों ने अपना लंड मामी जी के मुँह के पास कर दिया, तो मामी जी बारी-बारी से हम दोनों का लंड चूसने लगी, अब 5 मिनट में ही हम दोनों का लंड एकदम लोहे जैसा हो सख्त गया था।

फिर मामी जी बोली कि मैंने आज तक इतने मोटे लंड से कभी नहीं चुदवाया था, मेरे पति का और मेरे पड़ोसी का लंड 5 इंच ही लंबा था। फिर राकेश ने अपना लंड खड़ा हो जाने के बाद मामी जी की चूत को चाटना शुरू कर दिया। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने मामी जी को डॉगी स्टाइल में हो जाने को कहा, तो मामी जी कालीन पर ही डॉगी स्टाइल में हो गयी और में मामी जी के पीछे आ गया और उनकी चूत के लिप्स को फैलाकर अपना लंड का सूपड़ा बीच में रख दिया। फिर राकेश मामी जी के मुँह के पास आ गया और उसने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और चूसने को कहा। तो मामी जी राकेश का लंड चूसने लगी, तो तभी मैंने मामी जी की कमर को पकड़कर थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। अब मामी जी को बहुत तेज़ दर्द होने लगा था और उनके मुँह से चीख निकल गयी और बोली कि दीनू अपना लंड बाहर निकालो, मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई गर्म-गर्म लोहा मेरी चूत में घुसेड रहा हो।

अब मामी जी के मुँह से चीख निकलते ही राकेश ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, तो मामी जी की चीख दबकर रह गयी। तो तभी मैंने उनकी कमर को ज़ोर से पकड़कर एक जोरदार धक्का मारा, तो इस बार मामी जी को बहुत तेज़ दर्द हुआ। लेकिन राकेश ने उनके मुँह में अपना लंड डाल रखा था इसलिए उनके मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकली। अब मामी जी दर्द से तड़पने लगी थी, अब मामी जी के चेहरे पर पसीना आ गया था और उनकी टागें तर-तर काँपने लगी थी। फिर में बोला कि अभी तो 2 इंच बाकी है कि अचानक से मैंने फिर से एक धक्का मारा इस बार मेरा धक्का बहुत ही ज़ोर का था, तो मामी जी अपने आपको संभाल नहीं पाई और राकेश को धकेलते हुए आगे गिर पड़ी और राकेश का लंड उनके मुँह से बाहर निकल गया और मामी जी दर्द के मारे चीखने लगी। तो तभी राकेश संभला और उसने फिर से अपना लंड मामी जी के मुँह में डाल दिया और बोला कि अब ज़्यादा चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, अब केवल 1 इंच ही बाकी है।

फिर मैंने धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया। अब थोड़ी देर में मामी जी का दर्द भी कुछ कम हो गया था। अभी 5 मिनट भी नहीं बीते थे की आज मामी जी ने झड़ना शुरू किया और जब उनकी चूत गीली हो गयी, तो मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया। अभी मेरा लंड उनकी चूत में आराम से अंदर बाहर नहीं हो रहा था, अभी 10 मिनट ही और बीते थे की मामी जी दूसरी बार झड़ गयी, अब उनका दर्द भी कुछ कम हो चुका था। अब 2 बार झाड़ जाने से उनकी चूत एकदम गीली हो गयी थी, अब मेरा लंड उनकी चूत में कुछ आराम से अंदर बाहर होने लगा था। अब मैंने अपनी स्पीड भी तेज़ कर दी थी, अब मामी जी को बहुत मज़ा आने लगा था। अब में बहुत ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाते हुए मामी जी को चोद रहा था। अब मामी जी भी अपने पूरे जोश के साथ राकेश का लंड चूस रही थी।

फिर 15 मिनट की चुदाई के बाद मामी जी तीसरी बार झड़ गयी, लेकिन मेरा लंड अभी तक थका नहीं था और उनकी कमर पकड़कर कस-कसकर चोद रहा था। अब मामी जी भी अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी। फिर मैंने मामी जी से पूछा कि अब आपको कैसा लग रहा है? तो उन्होंने कहा कि अब मुझे मज़ा आने लगा है, तुम इसी तरह मुझे चोदते रहो। फिर 10 मिनट तक और चोदने के बाद जब मैंने महसूस किया कि मेरे लंड का पानी निकलने वाला है तो मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया और अपने लंड का सारा पानी उनकी गांड पर निकाल दिया और उसके बाद में हट गया और उनके सिर की तरफ आकर बैठ गया। फिर राकेश मामी जी के पीछे आ गया और वो अपना लंड उनकी चूत में डालकर चोदने लगा, राकेश का लंड मेरे लंड से छोटा था और चूत भी 3 बार झड़कर गीली और चौड़ी हो गयी थी, तो राकेश का लंड आसानी से अंदर घुसता चला गया। अब राकेश ने भी बहुत तेज़ धक्के लगाते हुए मामी जी को चोदना शुरू कर दिया था।

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फिर में उनके सिर के पास 10 मिनट तक बैठा रहा और फिर मैंने अपना लंड मामी जी के मुँह में डाल दिया। अब मामी जी मेरा लंड चूसने लगी थी और उधर राकेश बहुत तेज़ी के साथ मामी जी को चोद रहा था। अब मामी जी भी खूब मज़े से चुदवा रही थी, अब राकेश को मामी जी को चोदते हुए 15-20 मिनट हो चुके थे। फिर मामी जी ने भी जोश में आकर मेरा लंड तेज़ी के साथ चूसना शुरू कर दिया, अब मेरा लंड भी फिर से खड़ा होकर एकदम टाईट हो चुका था। अब राकेश मामी जी को आँधी की तरह चोद रहा था, अब लगभग 10 मिनट और चोदने के बाद राकेश भी झड़ने वाला था तो उसने मामी जी की कमर को पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे। फिर 2 मिनट में ही उसने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला और सारा पानी उनकी गांड में ही निकाल दिया।

फिर में उठकर अपने कमरे में जाकर वैसलिन लाया और उनकी टागों के बीच में आकर ढेर सारी क्रीम उनकी गांड के छेद पर लगा दी। फिर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गांड के छेद पर रखा और अपना लंड उनकी गांड में डालने लगा, मेरा लंड इतना लंबा और मोटा था की आसानी से उनकी गांड में नहीं जा रहा था। फिर 10 मिनट की कोशिश के बाद में अपना पूरा लंड उनकी गांड में डाल पाया और मेरा पूरा लंड उनकी गांड में घुसाने के बाद मैंने बहुत तेज़ी के साथ उनकी गांड मारनी शुरू कर दी। अब पहले तो मामी जी को काफ़ी दर्द हुआ, लेकिन फिर बाद में वो भी मज़े के साथ अपनी गांड मरवाने लगी। इस तरह हम दोनों मामी जी को शाम तक चोदते रहे और जब राकेश जाने लगा, तो मैंने पूछा कैसी लगी चुदाई? तो मामी जी बोली कि तकलीफ़ तो बहुत हुई, लेकिन मज़ा भी खूब आया, तुम दोनों ने मुझे इतनी बुरी तरह से चोदा है कि में तो अब ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ। फिर उस दिन से लेकर में जितने दिन भी वहाँ रहा खूब जमकर चुदाई की, अब मामी जी मेरे लंड के कारण पड़ोस वाले अंकल को भी नहीं बुलाती थी।