प्यासी चूत और भूखे लंड की कहानी-1 (Pyasi Chut aur Bhukhe Lund ki Kahani- Part 1)

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आज के समय में जिन लोगों को लगता है कि सिर्फ भला इंसान होने से कुछ मिल सकता है, तो वह गलत है.

यह कहानी जिस्मों के खेल की है, कामवासना की है. सेक्स पाने के लिए बस एक अच्छा इंसान होना ही काफी नहीं है.

मेरी इस कहानी का हीरो रमन यानि मैं खुद हूँ. मैं करीब सवा 6 फीट हाइट का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ. देखने में औसत से बेहतर, जवान हूँ और मेरे इरादे उतने ही गंदे हैं. मैं किसी भी औरत को इज्जत की नजर से कम और हवस की नजर से ज्यादा देखता हूँ. अगर दुनिया में कोई मेरी नजर से बची है, तो शायद केवल मेरे घर की ही औरतें और दोस्तों की बीवी या बहनें ही अब तक बची हुई थीं.

मेरा मानना है कि किसी भी घर में मेरा पहला रिश्ता इस बात को तय करेगा कि मैं उस घर की औरतों को चोद पाऊंगा या नहीं. मतलब अगर मेरी दोस्ती उस घर के किसी मर्द से हुई, तो उस मर्द की इज्जत करते हुए वह खुद भी उस घर की औरतों को अपनी बहन बेटी जैसा समझेगा. मगर केवल तब तक … जब तक सामने से कोई इशारा ना हो. अगर कोई औरत सामने से मुझे इशारा दे दे, तो फिर मेरे अन्दर का मर्द जाग जाता है और मैं उसे चोद कर ही मानता हूँ.

मैं ऐसा इंसान हूँ, जो रिश्तों की इज्जत तो करता हूँ, मगर औरत के इरादे अगर वो भांप लूँ, तो उसे बिना पेले छोड़ता भी नहीं हूँ. मैं खुद से शुरूआत तो नहीं करता, मगर खत्म जरूर करता हूँ.

यह कहानी है उस वक्त की, जब मैं 22 साल का था. मुझे कभी भी कुंवारी लड़कियां पसंद नहीं आईं, क्योंकि वे नखरे बहुत करती हैं. मुझको नखरा करने वाली औरतें नहीं पसंद थीं. मुझे तो सीधी सीधी बात करने वाली औरत पसंद थीं. जो आमतौर पर शादीशुदा औरतें होती हैं.
मगर ऐसा नहीं कि मैंने कुंवारी लड़कियां नहीं चोदी थीं … मगर शादीशुदा औरतों के मुकाबले बहुत कम बार मुझको सील तोड़ने का मौका मिला था.

यह बात है शुक्रवार की सन 2011 की है. मैं अपने एक दोस्त से मिलकर छोटी बस से वापस आ रहा था. ये बस नहीं असल में वह एक टेंपो था, जिसमें 6 लोगों की सीट होती है. दोपहर का कुछ 2:00 बजे थे, गर्मी बहुत थी, उस वक्त आने जाने वाले लोग भी बहुत कम होते हैं.

जिस टाइम में उस टेम्पो में चढ़ा, उस समय उस टेंपो में तीन लोग और बैठे थे. दो मर्द और एक औरत, जो दरवाजे की तरफ बैठी थी.

उस औरत को देखते ही मेरे अन्दर का जानवर जाग गया और मैं ठीक उस औरत के सामने वाली सीट पर बैठ गया. सफर ज्यादा लंबा नहीं था, मुश्किल से 15 मिनट का था, इसलिए मुझको जो भी कोशिश करनी थी, वह तुरंत करनी थी.

उस औरत को मैंने ऊपर से नीचे तक देखा. उसकी उम्र कोई 26 या 25 साल की रही होगी. उसकी मांग में सिंदूर था, उसने साड़ी पहनी हुई थी. वो पतली ही थी, मगर गांड और चूची के ऊपर ठीक-ठाक मांस चढ़ा था. उसे देखकर लग रहा था कि साथ लेकर घूमने लायक तो नहीं, मगर ये बंद कमरे में चोदने लायक जरूर हो सकती है.

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बस फिर क्या था, जैसी उसकी शक्ल थी, उसी तरह से मैंने उस पर लाइन मारना शुरू कर दी. मैं उसको घूर कर देखने लगा. कुछ देर बाद उस औरत की नजरें मुझसे टकराईं और उसने महसूस किया कि मैं उसे घूर रहा हूँ.

ये देख कर मेरे चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई और मैंने उसे घूरते हुए एक बार नजरें उसके ब्लाउज के अन्दर कैद चुचियों पर डालीं. फिर वापस उसकी नजरों में जाते हुए एक गंदी सी मुस्कान दिखाई.
मानो मैं आंखों ही आंखों में कह रहा था अगर मौका दो तो मैं आज तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूं.

वह औरत मेरी आंखों की दरिंदगी समझ गई, उसने तुरंत अपना मुँह दूसरी तरफ से लिया. यह सिलसिला एक दो बार और चला और तीसरी बार तो उस औरत ने बड़ी ही गंदी शक्ल से मुझको देखा … मानो वह मुझे मार डालना ही चाहती हो. लेकिन उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ करके बात को खत्म करना चाहा.

मुझको भी समझ आ गया कि वह औरत शायद इस तरह की नहीं हो, इसलिए मैंने भी और कोशिश करना जरूरी नहीं समझा.

जैसा मैंने आपको पहले ही बताया मैं यानि मैं मादरचोद तो हूँ, मैं गंदे इशारे करता हूँ … मगर जबरदस्ती नहीं करता हूँ. मैं इशारा उतना ही करता हूँ कि बात भी आगे चली जाए और माहौल भी बना रहे.

खैर यह बात बन नहीं रही थी, तो मैं भी गाड़ी से बाहर देखने लगा.

अचानक एक बड़ा स्टॉप आया, जहां वह टेंपो सवारी उतारने के लिए रुका. उन बचे हुए 2 मर्दों में से एक मर्द वहां उतर गया. उसके उतरने के बाद टेंपो के ड्राइवर ने दरवाजा बंद करने के लिए उसमें जोर से खींच कर धक्का मारा, तो टेम्पो का दरवाजा करीब करीब मेरे पैरों के पास आकर टकराया. काफी करीब जोरदार झटका था, मगर मुझे मालूम था कि वह मुझे लगेगा नहीं.

लेकिन तभी कुछ हुआ, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी.
सामने से वह औरत बोली- अरे आपको लगी तो नहीं … बहुत जोर से दरवाजा बंद किया उसने.

मेरे दिमाग की घंटियां बज उठीं.
यह क्या … जिस औरत को मैं अभी अपनी आंखों से नंगा करके चोद रहा था. जिसने मुझे अभी गंदी नजरों से देख कर मुँह फेर लिया था. वह मुझसे मेरी खैरियत पूछ रही है. मुझको लगा मानो मैंने आधी जंग जीत ली हो. मैंने उस औरत की आंखों में उतनी ही गंदी मुस्कान के साथ देखा.

फिर मैंने भारी आवाज में उसको बोला- नहीं नहीं, यह सब तो चलता रहता है.
इस बार मेरी मुस्कान के जवाब में वह औरत भी इसी तरह से मुस्करा दी.
मैं समझ गया कि टांका भिड़ चुका है. अब देर करना उचित ना लगा, मगर तब भी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आगे बात कैसे बढ़ाई जाए.

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कुछ ही पलों में मेरे घर के पास का बस स्टैंड आने वाला था. मैं अपने घर के आस-पास इस औरत को लेकर नहीं घूम सकता था … क्योंकि सब मुझे पहचानते थे. मैंने एक तरकीब लगाई.

अगले ही बस स्टॉप आने तक मैं उस औरत को गंदी निगाहों से घूरता रहा. कभी उसकी चूचियां, तो कभी उसकी कमर को अपनी नजरों से पीता रहा. फिर उसकी आंखों में देख कर उसे बताता रहा कि मैं तेरे जिस्म का रसपान कर रहा हूं

वो भी खेल में घुस चुकी थी. अब वह अपने हीरो की यानि मेरी हर अदा पर सिर्फ शर्मा जाती थी.

मेरे अन्दर का जानवर तूफान पर था. यह रोज-रोज नहीं होता है कि कोई औरत 15 मिनट में अपनी चूत देने को तैयार हो जाए. आज का दिन शायद लकी था.

अगले बस स्टैंड पर ही मैं ऑटो से उतरने लगा. तभी उस औरत को देखकर मैंने बोला- तुम भी उतर जाओ.

यह मेरा एक जुआ था … अगर वह औरत ना उतरती, तो करीब 2 किलोमीटर मुझको पैदल अपने घर की तरफ जाना पड़ता. लेकिन एक गरमा गरम रसीली चूत के लिए इतना तो किया ही जा सकता था.

लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. मेरे उतरते ही पीछे से वह औरत भी उतर गई. मैंने जैसे ही यह देखा, उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा.

मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि केवल 15 मिनट में एक चलते टैंपू में एक चूत का जुगाड़ हो जाएगा. लेकिन अब ये चूत मेरी हो गई थी और मैं इसे चोदे बिना नहीं छोड़ने वाला था.

टेंपो से उतरते ही वो औरत बोली- तुमने मुझे टेंपो से उतरने को क्यों कहा?
मुझे अब तक अपने हरामीपन के अंदाज में आ चुका था. मुझे यकीन था कि वह औरत उसकी बोतल में उतर चुकी है. मैंने उसकी आंखों में घूरते हुए कहा- तुम्हें नहीं पता कि तुम टैंपो से क्यों उतरी हो?

उस औरत ने अपनी आंखें नीची कर लीं और बोली- नहीं पता.
मैं बोला- अरे यार इतनी शर्मा क्यों रही हो … तुम्हें चोदने के लिए उतारा है.
वह औरत मेरी तरफ देखकर बोलती है- हाय … कैसी गंदी बातें बोलते हो तुम?
मैं बोला- अच्छा जब चूत में लंड डालते हैं, तो उसको चोदना ही तो बोलते हैं.
वो फिर सर नीचे करके शरमा गई और बोली- तुम सच में बहुत गंदे हो.
मैंने बोला- तो तुम्हें यह बात टेंपो में पता नहीं चली? जब मैं अपनी आंखों से तुम्हारा ब्लाउज फाड़ कर तुम्हारी चुचियों को काट रहा था.

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उससे यह सब सुना नहीं जा रहा था मानो पहली बार सुन रही हो. वो आसपास वह देखने लगी कि शायद कोई उसकी बातों को ना सुन रहा हो. फिर वो मेरी तरफ देख कर बोली- तुम कितने बदतमीज हो, कैसे बोल लेते हो यह सब गंदा गंदा … छी … मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना.
मैं बोला- अब अब उतर गई हो, तो चुद कर ही जाओ, वरना तुम्हारी चुत पूरी रात कुलबुलाएगी.

इससे पहले कि वह कुछ बोलती, मैं बोला- चलो यहां से, किसी सही जगह चलते हैं … वरना खड़े खड़े लोग शक करेंगे.
वह भी बोली- हां चलो.

फिर वहां से उसे लेकर मैं एक बस में जा बैठा. बस में पीछे की खाली की सीट थी. उधर हम दोनों बैठ गए.
वह बोली- कहां लेकर जा रहे हो मुझे?
मैं बोला- वहीं … जहां तसल्ली से तुम्हें चोद सकूं.
वो एक बार फिर शरमा गई और बोली- तुम हमेशा गंदी भाषा में ही बोलते हो क्या?
मैंने कहा- क्यों तुम्हें सुन के मजा नहीं आता क्या?
इस पर वह कुछ ना बोल सकी.

उसने फिर पूछा- अब यह तो बताओ हम जा कहां रहे हैं?
मैंने कहा- थोड़ी ही दूर मेरे दोस्त का घर है, वह अकेला रह कर पढ़ाई करता है उसी के घर जा रहे हैं.
उसने मेरी तरफ देखा और बोला- तो तुम्हारा दोस्त भी वहां होगा?
मैंने कहा- हां, वह होगा तो सही.
वो बोली- नहीं जाना मुझे कहीं.
मैं उसकी बात समझ गया और कहा- डरती क्यों हो, उसे बाहर भेज दूंगा.
फिर उसकी जान में जान आई.

मेरे अन्दर का जानवर अब जागने लगा था. वह खिड़की की तरफ बैठी थी और मैं अब थोड़ा उससे और चिपक के बैठ गया. बस में हमारे पीछे कोई नहीं था और आगे वालों का ध्यान हम पर नहीं था. जैसे ही मैं उसे चिपका वह थोड़ा कसमसा गई.

वो बोली- क्या करते हो?
मैंने कहा- अभी किया कहां है?
उसने मेरी तरफ देख कर कहा- कुछ करना भी नहीं.

उसका बोलना ही था कि मेरे एक हाथ की दो उंगलियां धीरे-धीरे उसकी जांघों पर चलने लगी. उसका शरीर मचल गया. वो डरते हुए बोली- प्लीज यह सब मत करो.
मैं बोला- कमरे में तो तुम्हें नंगी करके चोद दूंगा.
वह बोली- नहीं, बस में प्लीज मत करो.
मैंने कहा- रानी डरो मत, कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता, जब तक मैं तुम्हारे साथ हूं.

मैं धीरे-धीरे उसकी जांघों पर अपनी उंगलियां फिर से चलाने लगा. मेरी उंगलियों की छुअन उसको परेशान करने लगी. वो कभी जांघ बंद कर लेती, तो कभी ढीली छोड़ देती.

अब मेरी उंगलियां धीरे-धीरे उसकी जांघों पर ऊपर की तरफ चल रही थीं. मुझे इस खेल में बहुत मजा आ रहा था. जैसे ही मेरी उंगलियां जरा भी ऊपर चढ़तीं, वह मेरे हाथ को पकड़ लेती. मानो कह रही हो कि और ऊपर मत जाओ. लेकिन उसकी मैं कहां सुनने वाला था. मैं हर बार अपनी उंगली थोड़ी सी और आगे ले जाता.

ऐसा करते करते ही उसकी सांसें अब ऊपर नीचे होने लगी थीं. मेरी उंगलियों का एहसास उसे मारे जा रहा था. वह मेरी इस खेल में पूरी तरह खो चुकी थी. तभी मैंने उसके कान में जाकर धीरे से कहा- क्यों अभी तक तेरी चूत गीली हुई कि नहीं?
उसने मेरी तरफ देखा और उसे देख कर मुझे ऐसा लगा मानो वह बहुत प्यासी हो.

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मेरी उंगलियों के खेलने उनके उसके अन्दर की पूरी आग को जगा दिया था. उसकी आग में मुझे वह वासना दिख रही थी. मैं समझ गया कि वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी है. इस वक्त उसकी चूत गीली नहीं … पानी छोड़ रही होगी.

इतनी ही देर में मेरा बस स्टॉप आ गया और मैं उसे लेकर मेरे दोस्त के घर आ पहुंचा. रास्ते में ही मैंने उसे फोन करके सब बता दिया और वह मेरे पहुंचने से पहले ही दरवाजा खुला छोड़ बाहर चला गया था.
अन्दर पहुंचकर मैंने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया.

अब वह वक्त आ गया था, जिसका मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था. मेरे सामने खड़ी औरत के जिस्म को नोंच नोंचकर चोदने का मजा लेने वाला था.

उस औरत का नाम रश्मि था. कमरे के अन्दर आने पर रश्मि थोड़ा डरी-डरी लग रही थी.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
वह बोली- मुझे डर लग रहा है.

मैं समझ गया अगर बात यहां ढीली छोड़ी, तो मामला खराब हो सकता है. मैंने वहीं बगल में उसको दीवार पर लगाया. अपने दोनों हाथों को उसके बाजू में रखा और अपना चेहरा उसके चेहरे के ठीक सामने ले आया.

हम इतने करीब थे कि मैं और वह एक दूसरे के साथ महसूस कर पा रहे थे. इतने करीब कि मेरे और उसके होंठों के बीच शायद एक या दो सूत का फर्क होगा.

मैं उसकी आंखों में घूर कर देख रहा था. वह भी मेरी आंखों में देख रही थी. मुझे तो उसकी आंखों में उसकी लपलपाती रसीली चूत नजर आ रही थी.

दोस्तो, रश्मि की आंखों में मेरे लंड की प्यास साफ़ दिख रही थी.

उसकी ये प्यास कैसे बुझी और चुदाई के पहले उसके साथ क्या क्या हुआ, ये सब मैं इस कहानी के अगले हिस्से में आपको कल लिखूंगा.
प्लीज़ मेरी इस सेक्स स्टोरी पर नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

कहानी का अगला भाग: प्यासी चूत और भूखे लंड की कहानी-2