प्यासी चूत और भूखे लंड की कहानी-2 (Pyasi Chut aur Bhukhe Lund ki Kahani- Part 2)

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इस नंगी कहानी के पहले भाग
प्यासी चूत और भूखे लंड की कहानी-1
में अब तक आपने पढ़ा कि मुझे टेम्पो में जाते समय एक रश्मि नाम की प्यासी औरत मिल गई थी और उसकी चूत का भोसड़ा बनाने की नियत से मैं उसे अपने दोस्त के कमरे पर ले गया और उसके साथ चूमाचाटी में लग गया था.
अब आगे:

मैं धीरे-धीरे अपना शरीर उसके शरीर पर लगाने लगा. मैं 6:15 फीट का इंसान और वह कुछ 5:15 फीट की एक नाजुक सी औरत … वो मेरे शरीर के नीचे धीरे-धीरे दब रही थी. मैं उसे अपने बड़े मर्दाना शरीर का एहसास दिलाना चाहता था कि आज वह इस शरीर के नीचे कुचली जाएगी, रगड़ रगड़ कर चोदी जाएगी. उसे मेरे इस भारी शरीर के हर एक धक्के को मजा लेते हुए सहना है.

वह वासना से लबरेज थी, इसलिए कुछ बोल नहीं रही थी. मैंने अपनी नाक उसकी नाक पर धीरे से लगाना शुरू किया और अपने दोनों हाथ उसे उसकी कमर को पकड़ लिया.

फिर मैंने उससे कहा- रश्मि.
उसने मेरी आंखों में देखकर आंखों में ही पूछा- क्या?
मैंने फिर कहा- रश्मि..!
इस बार उसके होंठ खुले और बोली- बोलो … क्या कहना चाहते हो.
मैंने कहा- तुम्हें पता है तुम अभी किसके साथ हो?
वो- तुम्हारे साथ.
मैं बोला- नहीं … तुम अपनी चूत की हवस मिटाने के लिए एक मर्द के साथ हो.

यह बात उसको अच्छी नहीं लगी, लेकिन मैं रूका नहीं.

मैं फिर बोला- तुम्हें पता है तुम्हारी चूत तुम्हें यहां तक ले आई है. अब यहां से बिना चुदे जाना मत. ऐसा मौका और समय बार बार नहीं आता है. एक बार तुम मेरे नीचे आ गई हो, तो फिर तुम मेरी रंडी बनोगी … मेरी रखैल बनोगी.

रश्मि यह सब बात सुन रही थी, कुछ बोल नहीं रही थी.

मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर ही घुमाने शुरू किए और धीरे-धीरे उसका शरीर मेरे हाथ की थिरकन पर नाचने लगा. वो फिर से गर्म हो रही थी. इस बार मैं हाथ ऊपर की तरफ ले कर आया और ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को थाम लिया. बहुत ही मुलायम चूचियां थीं उसकी, मुझसे रहा ना गया, मैंने जोर से उसका एक दूध दबा दिया.

उसकी आवाज निकली- आह … आउच.
मैंने बोला- क्या हुआ?
वो गुस्से में- जानवर हो क्या तुम ऐसे दबाता है कोई?
मैंने कहा- जानवर हूं या नहीं … यह तुम अब जाते वक्त बताना.
वह मेरी बात समझ गई और शरमा गई.

अब मैंने मौका ना गंवाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें बेदर्दी से चूसने लगा. जहां मेरा हाथ बहुत ही नाजुक तरीके से उसके शरीर पर घूम रहा था, वहीं मेरे होंठ उसको बेदर्दी से चूस रहे थे.

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उसका शरीर मानो कह रहा था कि मुझे मसल दो … लेकिन मेरे हाथ बड़े ही प्यार से उसकी चूचियों पर कमर पर घूम रहे थे.

उसका शरीर मेरे हाथ की पकड़ में दब जाने के लिए बेकरार था. उधर उसके होंठ मानो कह रहे थे कि मुझे छोड़ दो … इतना ना चूसो … अब इन में रस नहीं बचा.

कुछ पल यूं करने के बाद जैसे ही मैंने उसे छोड़ा रश्मि बहुत जोर से सांसें लेने लगी थी.

मैं वापस उसके पास हो गया. उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला- अभी वापस जाना है क्या?
उसने शर्म से आंखें नीचे कर लीं, मगर बोली कुछ नहीं.

मैंने उसको उठा बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया और धीरे-धीरे अपना शर्ट पैंट खोल कर बिस्तर में आ कर उसके ऊपर चढ़ गया. अब मैं कभी उसके होंठ चूमता था, कभी उसके गाल काट लेता, कभी उसकी गर्दन को चाटने लगता.

वह मेरे चौतरफा हमला से परेशान आंखें बंद किए बस इसका मजा ले रही थी.

अब तक मेरा लंड फटने को हो गया था. मुझे लगा पहला राउंड जल्दी से मार कर दूसरे राउंड में आराम से इसकी चुदाई करूंगा.

मैंने जल्दी से उसकी साड़ी ऊपर खींचना शुरू किया. उसके हाथ मुझे रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैंने उसकी तरफ देखा … और गुर्राते हुए उससे बोला- हाथ हटाओ अपने.
वह मेरी भारी आवाज से डर गई और उसने तुरंत अपने हाथ पीछे कर लिए.
मैंने उसकी साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी मखमली गोरी टांगें मेरी आंखों के सामने आ गईं. उसने अपनी आंखें बंद कर ली थीं. शायद वह मुझे अपनी नंगी टांगों कमर और चूत को घूरते हुए नहीं देख पा रही थी.

उसने एक काले रंग की नॉर्मल सी पैंटी पहनी हुई थी. मुझे उसके शरीर पर कोई भी कपड़ा बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. मैंने तुरंत हाथ डालकर उसकी पैंटी को निकाल दिया.

आह … क्या चूत थी. उसकी बहुत छोटे-छोटे बाल … मानो कुछ दिन पहले ही शेव किया हो.

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उसकी चूत के बीच एक लकीर … जो नीचे की तरफ जा रही थी. चूत के पास का हिस्सा बिल्कुल चमक रहा था … मानो उसकी पूरी चूत पानी से लबालब हो चुकी हो. मुझे यकीन हो चला था कि ये बहुत ही गर्म मिजाज की औरत है. इसको चोदने में बहुत मजा आएगा. मुझसे अब रहा ना गया और मैं वापस उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा.

मैं एक हाथ से धीरे-धीरे उसकी जांघ पर फिराने लगा. वह अपनी जांघ कभी बंद कर लेती, तो कभी खोल देती. मैं उसके साथ फिर वह खेल खेलने लगा, जिसमें मैं धीरे-धीरे उसकी चूत की तरफ हाथ लेकर जाता और फिर वापस आ जाता.

कुछ ही पलों में वह परेशान होने लगी थी. उसने अचानक मेरे जोर को पकड़ मुझ पर हावी हो गई. उसने मुझे नीचे गिरा दिया और लपक कर मेरे ऊपर चढ़ गई. वो मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी. एक पल के लिए तो मैं भी हैरान हो गया था कि अचानक से इस औरत को ऐसे क्या हो गया.

फिर मैं वापस उसके साथ किस करने में व्यस्त हो गया और मैं दोनों हाथों से उसकी गांड को मसलने लगा.

फिर मैंने एक हाथ नीचे डाल कर अपना अंडरवियर नीचे खिसका दिया, जिससे मेरा नंगा खड़ा लंड उसकी चूत के पास के एरिया में पहली बार टच हुआ.

उसको जैसे ही लंड का अहसास हुआ, उसका शरीर एक बार को मानो अकड़ गया. तभी मैंने अपना लंड पकड़ उसकी चूत पर दो तीन बार मार दिया. उसके मुँह से बहुत जोर की एक कामुक चीख निकल गई.

“अह उफ्फ … आई … बहुत गर्म है … क्या करते हो.”
मैं- मैं क्या करूं?
मेरी आंखों में देख मेरे गाल पर प्यार से थप्पड़ मार कर बोली- कुछ नहीं.

मैंने फिर से उसकी चूत पर अपने खड़े लंड से एक ठोकर मारी, वह फिर मचल उठी और इस बार वह पागलों की तरह मुझे फिर चूमने लगी. मुझे समझ आ गया कि ये औरत अब बहुत गर्म हो चुकी है और चूत में लंड घुसाने का वक्त आ चुका है.

मैंने उसे तुरंत वापस नीचे पलट दिया और फटाफट उसकी साड़ी खोल दी. अब वह खाली पेटीकोट और ब्लाउज में थी. समय खराब ना करते हुए मैंने उसके ब्लाउज और ब्रा को भी तुरंत निकाल दिया, लेकिन पेटीकोट नहीं निकाला.

ना जाने क्यों मुझे पहले से ही पेटीकोट में औरतें चोदना बहुत अच्छा लगता है. मैं फिर उसके ऊपर वापस चढ़ गया और उसे चूमने लगा. कभी उसकी नंगी चूचियां मसलता, तो कभी उसकी नंगी चूत पर हल्के से थपकी देने लगा.

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वह वासना में पगलाए जा रही थी. तभी उसने मुझे जोर से एक बार फिर पकड़ लिया और शायद वह बिना लंड घुसवाए ही पहली बार झड़ गई. वो मेरे साथ चिपक गई.

मैंने थोड़ा इंतजार किया और वापस हम एक दूसरे में खो गए. मुझे लगा अब ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए. मैं अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर रगड़ने लगा.

अगर किसी को ना पता हो तो मैं बता दूं कि वह हिस्सा क्लिट होता है … और वह औरतों का सबसे सम्वेदनशील यानि सेंसिटिव हिस्सा होता है. वहां स्पर्श मात्र से औरत जल्दी गर्म हो जाती है.

मैं लंड अपना उसकी क्लिट पर रगड़ने लगा, जिससे वह मचल उठी. कुछ ही पलों में वह फिर से अपनी गांड उठा-उठा मेरे लंड को छूने लगी.
मैंने उसकी आंखों में देखा और बोला- रश्मि, क्या मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल दूँ?
वह मेरी आंखों में देखते हुए मानो कह रही थी- तू चूतिया है क्या … तेरे साथ बिस्तर में नंगी लेटी हूं, तेरा नंगा लंड मेरी नंगी चूत के ऊपर रगड़ रहा है और तू अभी मुझसे यह पूछ रहा है?

मैं फिर भी नहीं माना. मैंने फिर कहा- रश्मि बोलो न … क्या मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल दूँ?
वह थोड़ा खीजती हुई बोली- जो भी करना है … जल्दी करो.
वो मेरी कमर को पकड़ अपने अन्दर खींचने की कोशिश करने लगी.
लेकिन मैं थोड़ा मस्ती के मूड में था. मैं फिर से बोला- बोलो न … क्या अपना लंड तुम्हारी इस पनियाई चूत में डाल दूं.
वह बोली- हां डाल दो.

मैं फिर बोला- लेकिन तुम तो शादीशुदा हो … इस पर तो तुम्हारे पति का हक है.
वह फिर से कुछ चिढ़ गई … शायद उसकी शादी शुदा होने की बात इस वक्त उसे नहीं सुननी थी.
मगर मैं तो हरामी हूं, मैं माना ही नहीं- बोलो ना रश्मि … तुम्हारी शादी शुदा चूत पर हक तो तुम्हारे पति के लंड का है. वह हिजड़ा है क्या जो तुम्हें चोद नहीं पाता … क्या तुम उससे खुश नहीं हो?
वह गुस्से में बोली- मेरे पति के बारे में बकवास मत करो … तुम अपना काम करो.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं. मैं एक पल यूं ही रुका रहा, जब उससे सब्र ना हुआ, तो उसने नीचे से अपनी गांड उठा कर मेरे लंड को अपनी चूत में निगलना चाहा. मैंने धीरे से अपने आप को पीछे कर लिया.

वह फिर मेरी तरफ देखकर गुस्से में बोली- करते क्यों नहीं हो?
मैं बोला- पहले बोलो … हां मेरा पति हिजड़ा है.
अब वह थोड़ी परेशान हो चुकी थी और उसने चुदाई शुरू करने के लिए जल्दी से बोल दिया- हां मेरा पति हिजड़ा है और मैं तुम्हारे लंड से चुदना चाहती हूं … अब जल्दी चोदो मुझे.

मैंने अपना लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में उतारना शुरू किया. उसकी चूत बहुत गर्म थी. जैसे ही मेरा लंड अन्दर गया, उसके चूत के पानी से वह एकदम मखमली हो गया और आराम से उसकी चूत में सरक गया.

कंडोम के बावजूद भी मुझे उसकी चूत की गर्मी बहुत अच्छे से महसूस हो रही थी. मैंने अपना आधा लंड ही उसकी चूत में डाल दिया. फिर आधे लंड को आगे पीछे करके चुदाई आरम्भ कर दी. वो कसमसाने लगी और चुदाई के माहौल में गर्म होने लगी.

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वह जैसे ही जरा गाफिल हुई, मैंने तभी खींच कर एक जोरदार झटका दे दिया और अपना पूरा लंड मैंने उसकी चूत में उतार दिया.

उसको लगा मेरा लंड आधा ही पूरा है मगर जब मैंने पूरा लंड उसको पेल दिया, तब उसके गले से एक चीख निकल गई. वह चीज दर्द की कम और हैरानी कि ज्यादा थी “आह उई मां … आह … मर गई..”

मैं बार-बार उसको ऐसे ही चोदने लगा. कभी कभी आधा लंड, तो कभी सिर्फ टोपा … तो कभी अचानक से पूरा लंड उसकी चूत में उतार देता.

अब उसको भी इस खेल में बहुत मजा आ रहा था. उसकी चूत भी पानी पर पानी छोड़े जा रही थी.
“आह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… माँ … आह..”

यह सब करते हुए करीब दस मिनट हो गया था और मेरी भी सांस फूलने लगी थी. मैंने रश्मि से कहा- मैं आने वाला हूं, तुम भी शुरू हो जाओ.
तो वह बोली- मुझे ऊपर आने दो ताकि मैं जल्दी से झड़ जाऊं.

वह तुरंत मुझे नीचे गिरा कर, मेरे ऊपर किसी घुड़सवार की तरह मेरी सवारी करने लगी. मैंने उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथ में पकड़ भींचना शुरू कर दिया.
अब रश्मि मेरे लंड को अपनी चूत में मनचाही जगह घुमाने लगी, जिससे उसको अलग मजा आने लगा.

जिसको नहीं पता वह मैं बता दूं कि यह पोजीशन लड़कियों का फेवरेट होता है, क्योंकि इसमें वह अपने मनचाहे तरीके से लंड का इस्तेमाल कर सकती हैं और अपने आपको चरम सीमा की तरफ जल्दी ले जा सकती हैं.

कुछ ही पलों में रश्मि तरह तरह की आवाज निकालने लगी और उसकी आवाज़ और रंडी जैसा व्यवहार देखकर मेरा लंड फटने को हो गया.

फिर अचानक ही रश्मि मेरे ऊपर ढह गई मानो उसका पानी निकल गया. उसकी कुछ बूंदें तो मेरे लंड पर बहती हुई बाहर भी आ गईं.

अब मुझे रुकना मुनासिब ना हुआ, मैंने उसको वापस नीचे पटक दिया. फिर दे दनादन उसकी चूत में लंड पेलने लगा. पूरे कमरे में फट फट की आवाज में गूंजने लगी. मेरी जान और उसकी जान एक हो गई थी. हमारे जिस्म जब भिड़ते थे, तो मानो लगता कि कोई युद्ध हो रहा हो. हमारी चुदाई की रफ्तार बढ़ रही थी. मेरा दिमाग भी फटने को हो रहा था.

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मैं चोदते चोदते हांफ रहा था.

एक मिनट की रफ्तार भरी चुदाई के बाद मेरा लंड झड़ने वाला था. जैसे ही मेरा लंड झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड बाहर निकाला, उसके ऊपर से कंडोम उतार कर सारा माल मैंने रश्मि के मुँह पर झाड़ दिया. एक दो बूंद तो शायद उसके मुँह के अन्दर भी चली गई थीं.

वह बहुत हैरान हो गई थी, उसे उम्मीद नहीं थी कि मैं उसके चेहरे पर अपना वीर्य छोड़ दूंगा.

मैं लंड झाड़ते ही लेट गया और वह तुरंत कपड़ा ढूंढ कर बाथरूम में घुस गई. मैं वहीं पड़े पड़े अपनी रंडी के वापस आने का इंतजार करने लगा.

इसके बाद उस दिन मैंने रश्मि को दो बार और चोदा … और उसको बार बार अपनी रखैल रंडी बोलने लगा … कभी कुतिया कहता, कभी कुछ.
शाम होते होते वो खुद को मेरी रखैल मानने लगी थी.

मुझे औरतों का आत्म सम्मान कुचल कर उन्हें चोदने में बहुत मजा आता है.

कुछ दिन बड़ी ही चालाकी से रश्मि मेरे दो दोस्तों से भी चुदी … और फिर हम तीनों ने एक साथ उसे कई बार चोदा. वो सच में रंडी बन चुकी थी. उसको बहुत बार हम नंगा नचाते भी थे.

वो सब कैसे … अगर जानना है तो नीचे कमेंट जरूर करें. मुझे बताएं कि आपको मेरी नंगी कहानी कैसी लगी?
आपका रमन
अगर आप में से कोई महिला या पति मुझसे बात करना चाहता है तो नीचे कमेंट कर सकता है.
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