लंड लेकर खुशी की अनुभूति हुई

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मैं जैसे ही अपने कमरे से बाहर निकली तो मेरे सामने मेरी सासू मां खड़ी थी मैंने अपने सासू मां से कहा मैं अपनी बेटी को नाश्ता करा रही थी तो मेरी सासू मां ने मेरी तरफ देखा और कहने लगे तुम मुझे चाय पिला सकती हो। उनके देखने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था वह काफी गुस्से में थी लेकिन उन्हें मेरी 5 वर्ष की बेटी पर भी दया ना आई और वह मुझे कहने लगे तुम मेरे लिए चाय बना लाओ। मैं अपनी बेटी को खाना खिला रही थी क्योंकि उसकी तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी मैं चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई और कुछ देर बाद रसोई से लौटी तो मेरी 5 वर्षीय बेटी बिस्तर पर लेट चुकी थी उसने खाने को हाथ तक नहीं लगाया था वह पेट दर्द से कराह रही थी। मैंने अपनी सासू मां को चाय दी और उसके बाद मैं अपनी बेटी को डॉक्टर के पास ले गई मेरी सासू मां ना जाने मुझसे क्यों इतना ज्यादा गुस्से में रहती हैं उन्होंने मुझे कभी भी अपना प्यार नहीं दिया।

मैं आशा को अस्पताल ले गई आशा के पेट में काफी ज्यादा दर्द हो रहा था और जब मैंने उसे डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा मैं कुछ दवाई लिख कर दे देता हूं आप यह दवाई बच्ची को दे दीजियेगा। मैंने डॉक्टर साहब से कहा ठीक है साहब आप दवाई लिख दीजिए डॉक्टर साहब ने परचे में दवाई लिख दी थी। मैंने वह दवाई ली और मैं आशा को लेकर घर चली आई मैं जब आशा को लेकर घर आई तो मेरी सासू मां ने मुझसे एक बार भी आशा के बारे में नहीं पूछा। मैं इस बात से बहुत दुखी थी और मुझे ऐसा लग रहा था कि ना जाने मैंने ऐसी क्या गलती कर दी है कि मेरी सासू मां को हमेशा मुझसे तकलीफ रहती है। उन्हें लगता है कि मेरी वजह से ही उनके बेटे अमित की मृत्यु हुई है वह मुझे हमेशा इस बात के लिए कोसती रहती थी और जब से अमित की मृत्यु हुई है तब से तो एक दिन भी कभी ऐसा नहीं रहा जब मैं खुश रही होंगी। मैं अमित की यादों को अपने दिल से नहीं भुला पा रही हूं, मेरी बेटी आशा को दवाइयों से नींद आने लगी थी तो मैंने उसे सुला दिया और कुछ देर मैं अपनी बेटी आशा के पास बैठकर सोचती रही।

मैं अमित के बारे में सोच रही थी कि अमित और मेरा रिश्ता कितना अच्छा था हम दोनों जब पहली बार एक दूसरे को कॉलेज में मिले थे तो कैसे हम दोनों ने एक दूसरे से बात की थी और उसके बाद धीरे-धीरे हमारा रिश्ता प्यार में बदलता चला गया। जब हम दोनों की शादी की बात मेरे पिताजी को पता चली तो मेरे पिताजी बहुत गुस्से में थे उन्होंने तो साफ तौर पर मना कर दिया था लेकिन अमित ने मेरे पिताजी को मना लिया और उसके बाद उन्होंने मेरी शादी अमित सही करवा दी। मुझे कहां पता था कि अमित की मृत्यु कार एक्सीडेंट में हो जाएगी और अमित की मृत्यु के बाद मुझे ही सब कुछ झेलना पड़ेगा। मेरी सासू मां ने मुझसे कभी भी अच्छे से बात नहीं की वह हमेशा ही मुझसे सिर्फ गुस्से में बात करती रहती हैं मैं उनके गुस्से को भी समझती हूँ उनका गुस्सा भी जायज है लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि वह अब तक मुझ पर उस चीज का दोष डालती रहेगी कि मेरी वजह से ही अमित की मृत्यु हुई है। मैं अपने कमरे में उदास बैठी हुई थी तभी मेरी जेठानी मेरे कमरे में आई और वह मुझसे कहने लगी मीना क्या हुआ तुम काफी उदास नजर आ रही हो। मैंने अपनी जेठानी से कहा दीदी बस क्या बताऊं आपको तो मालूम ही है ना कि अमित की मृत्यु के बाद जैसे मेरे ऊपर ही सारा दोष डाल दिया गया है मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हूं और अब मैं बिल्कुल भी बर्दाश नहीं कर पा रही हूं। मैंने जब उन्हें आशा के बारे में बताया तो वह कहने लगी सासू मां ने आज बहुत गलत किया माधुरी दीदी हमेशा मेरा साथ देती हैं वह मेरी जेठानी है लेकिन अमित के जाने के बाद उन्होंने ही मुझे बहुत संभाला वह हमसे बहुत प्यार करती हैं। वह चिंतित हो उठी और कहने लगी आशा को क्या हुआ मैंने बताया आशा के पेट में आज बहुत दर्द हो रहा था तो मुझे उसे अस्पताल लेकर जाना पड़ा। मेरी जिठानी को मैंने जब यह बात बताई तो वह कहने लगी तुमने मुझे फोन क्यों नहीं किया मैंने कहा दीदी मैं आपको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी बेवजह आप मेरी वजह से परेशान होती।

माधुरी दीदी स्कूल में टीचर हैं और उनके पति भी टीचर ही हैं उन दोनों को आज मेरी सासू मां की तरफ से वही प्यार मिलता है जो कभी अमित को मिलता था। मेरी सासू मां ने मुझे कभी स्वीकार नहीं किया वह हमेशा मुझे ताने मारती रहती है कि एक तो तुम्हारी वजह से अमित की मृत्यु हो गई और ऊपर से तुम्हारी लड़की भी है। उन्हें ना जाने औरत होने से क्या समस्या है मुझे कई बार लगता है कि उनकी सोच बड़ी ही संकीर्ण किस्म की है लेकिन उसके बावजूद भी मैंने हमेशा ही उनका आदर और सम्मान किया लेकिन मेरी सासू मां ने कभी भी मुझे स्वीकार नहीं किया। मैं काफी दिनों से अपने मायके नहीं गई थी तो सोच रही थी कि अपने मायके चली जाऊं मैंने अपनी मां को फोन किया तो मेरी मां मेरे हाल चाल पूछने लगी और कहने लगी बेटा तुम ठीक तो हो ना। मैंने अपनी मां को बताया हां मां मैं ठीक हूं वह मुझसे कहने लगी आशा कैसी है मैंने उन्हें कहा आशा भी ठीक है मैंने अपनी मां से कहा मैं सोच रही थी कि कुछ दिनों के लिए घर आ जाऊं। मेरी मां कहने लगी बेटा इसमें पूछने की क्या बात है तुम कल ही आ जाओ वैसे भी काफी समय हो चुका है जब तुमसे मुलाकात नहीं हुई है और तुम्हारी याद भी बहुत आती है। मेरी मां मेरे लिए हमेशा चिंतित रहती थी और उन्होंने मुझे कहा कि तुम घर आ जाओ तो मैं भी कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गई।

जब मैं अपने मायके गई तो माधुरी दीदी मुझे हर रोज फोन किया करती थी मुझे अपने मायके में आकर अच्छा लग रहा था और मेरे मम्मी पापा भी बहुत खुश थे। मेरी मां मुझे कहने लगी बेटा हमने तुम्हें कितने लाड़ प्यार से पाला था लेकिन जब से तुम्हारी शादी अमित के साथ हुई है तब से तुम्हारी जिंदगी पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी है अमित तो अब इस दुनिया में नहीं रहा लेकिन उसके जाने के बाद भी तुम कितने कष्ट झेल रहे हो। ना चाहते हुए भी मेरी मां के मुंह पर वही बात आ गई और वह कहने लगी तुम्हारे पिताजी तो पहले से ही नहीं चाहते थे कि तुम्हारा रिश्ता अमित के साथ हो लेकिन तुम्हारी जिद की वजह से उन्हें अमित के साथ तुम्हारा रिश्ता कराना पड़ा। मैंने अपनी मां से कहा मां मुझे अब वह बात बार याद ना दिलाओ मेरे मम्मी पापा मेरी बड़ी चिंता करते हैं और उन्होंने मुझे बड़े लाड़ प्यार से पाला है। जब मेरा चचेरा भाई  घर पर आया तो उसके साथ उसका एक दोस्त भी आया हुआ था उसका नाम विजय है। विजय पर मेरी नजर गई तो मुझे वह बहुत ही अच्छा लगा। विजय को भी शायद मैं अच्छी लगी उसने मेरी नज़रों को पढ़ लिया था एक दिन विजय ने मुझे फोन किया तो मैं भी उसकी तरफ खींची चली गई। उस दिन मै विजय से मिलने के लिए घर पर गई तो वहां पर मैंने विजय से काफी देर तक बात की और उससे बात कर के मुझे अच्छा लगा। मैं सब कुछ भूल गई थी मुझे सिर्फ विजय दिख रहा था उसने जैसे मुझ पर जादू कर दिया था। मैं काफी समय से अकेली थी इसलिए विजय मुझे बहुत अच्छा लगा उसकी बातें मुझे बहुत प्रभावित करने लगी। एक दिन जब विजय ने मुझे अपने घर पर बुलाया तो उस दिन मैं उसकी और कुछ ज्यादा ही मोहित होने लगी।

उस दिन जब उसने मेरी जांघ पर हाथ रखा तो मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे काफी समय बाद किसी ने मेरे होठों को चूमा था मैं अब बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी मैंने अपने बदन को विजय को सौंप दिया था। विजय ने भी मेरे पतले और नरम होठों को अपने होठों में लेकर चूमना शुरू किया तो मेरी योनि से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा। मेरी योनि पूरी तरीके से गिली हो चुकी थी जैसे ही विजय ने मेरी मुलायम चूत पर अपनी जीभ को टच किया तो मैं पूरी तरीके से जोश में आ गई और मेरे अंदर से करंट दौड़ने लगा। मैं उत्तेजित हो गई जैसे ही विजय ने अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो मेरी चूत से तरल पदार्थ बाहर की तरफ को निकालने लगा। मेरी चूत चिपचिपी हो गई मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी विजय ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। मैने विजय से कहा तुम मुझे छोड़ कर तो नही जाओगे।

 विजय ने मेरे कान में धीरे से कहा मैं तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा लेकिन उस वक्त मैं और विजय सिर्फ एक दूसरे से सेक्स के बारे में सोच रहे थे। वह मुझे काफी देर तक ऐसे ही धक्के देता रहा जैसे ही उसने मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर मुझे तेज गति से धक्के देने प्रारंभ किए तो मैं पूरी तरीके से तडपने लगी थी। विजय मुझे धक्के मारता तो मेरी चूत से बड़ी तेज आवाज निकलती मै पूरी तरीके से जोश में आ चुकी थी, कुछ क्षणों बाद में झढने वाली थी लेकिन विजय तो जैसे थकने का नाम ही नहीं ले रहा था। वह मुझे कहने लगा आप वाकई में कमाल की है आपका हुस्न कमाल का है अब भी पूरी तरीके से खिला हुआ है। यह कहते हुए उसने मेरे स्तनों को दोबारा से अपने मुंह में ले लिया वह मुझे बहुत ही तेजी से चोदने लगा। मैं ज्यादा देर तक उसके लंड की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाई और विजय मेरी योनि की गर्मी से पूरी तरीके से पसीना पसीना हो चुका था। विजय ने अपनी वीर्य की पिचकारी जब मेरे स्तनों पर गिराई तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ काफी समय बाद मुझे खुशी की अनुभूति हुई थी।