सील तोड़ डाली अपनी चाहत की

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 दूल्हा जब दोस्त हो तो बात ही कुछ और है मेरे दोस्त राजन की शादी में नाचने गाने का मजा भी दोगुना हो गया जब हमारे कुछ पुराने दोस्त मिले और वह लोग करीब चार-पांच वर्षों बाद मिल रहे थे और सब लोगों ने जमकर नाच गाना किया और जमकर मस्ती की। शराब भी बहुत ज्यादा हो चुकी थी लेकिन राजन की शादी का मजा बड़ा ही अच्छा रहा और उसी शादी के दौरान जब मैं मनीषा से टकराया तो वह मुझे कहने लगी क्या तुम देखकर नहीं चल सकते हो। उसके तेवर किसी रानी से कम नहीं थे मैं उसे देखता ही रह गया मेरी नजरों से एक पल के लिए भी वह नहीं हटी। मनीषा मेरे दिल को भा चुकी थी और मैंने उसके बारे में पता करवाया तो मुझे सिर्फ इतना पता चल पाया की मनीषा राजन की बहन की दोस्त है इससे अधिक मुझे कुछ भी मालूम नहीं चल पाया।

मैं मनीषा के बारे में सोचता रहा राजन की शादी तो हो चुकी थी और वह अपनी पत्नी के साथ घूमने के लिए भी दुबई जा चुका था लेकिन मेरे दिल में अभी भी मनीषा का ख्याल था। मैं मनीषा के ख्याल को अपने दिल से नहीं निकाल पा रहा था जब राजन वापस लौटा तो मैंने उसे कहा यार दोस्त मेरी मदद एक कर दो। मैंने उसे कहा कि तुम मेरी मदद करो उसने कहा लेकिन तुम्हारी मैं क्या मदद कर सकता हूं वह कहने लगा तुम अपनी बहन से कह कर मेरी बात मनीषा से करवा दो। उसने मुझे कहा देखो जितना तुम मनीषा को जानते हो उतना हीं मैं भी मनीषा को जानता हूं इससे अधिक मैं भी उसे नहीं जानता लेकिन तुम मुझे यह बात बताओ कि मैं उससे तुम्हारी बात कैसे करूंगा मैं तुम्हारे लिए इतना कर सकता हूं कि मैं अपनी बहन स्वाति से तुम्हारी बात करवा सकता हूं अब स्वाति ही तुम्हारी मदद कर सकेती है। मैंने राजेंद्र से कहा ठीक है तुम मेरी बात स्वाति से ही करवा दो राजन ने मेरी बात स्वाति से करवा दी जब राजन ने मेरी बात स्वाति से करवाई तो स्वाति मुझे कहने लगी राजेश भैया मनीषा को आप अपने दिमाग से निकाल दीजिए क्योंकि वह ऐसी लड़की बिल्कुल भी नहीं है वह पढ़ने में बहुत ही अच्छी है और अपनी पढ़ाई में वह ध्यान देती है मुझे नहीं लगता कि आप की दाल वहां गलने वाली है।

मैंने स्वाति से कहा लेकिन तुम ऐसा क्यों कह रही हो वह कहने लगी भैया मैं उसको अच्छे से जानती हूं वह कभी भी इन सब चीजों में नहीं पड़ने वाली और ना ही आपसे वह बात करने वाली है इसलिए आप भूल ही जाइए। मैंने स्वाति से कहा लेकिन मैं कैसे भूल जाऊं तुम ही बताओ वह कहने लगी भैया आपको उसे भूलना तो पड़ेगा ही क्योंकि मुझे किसी भी सूरत में नहीं  लगता की आपकी उससे बात होगी आप उसे भूल जाएं। स्वाति ने जब मुझसे यह बात कही तो मैंने स्वाति को कहा मैं किसी भी सूरत में उसे नहीं भूल सकता और तुम्हें क्या लगता है कि मैं मनीषा को भूल जाऊंगा स्वाति ने मुझे कहा कि भैया मैं आपकी सिर्फ इतनी मदद कर सकती हूं कि मैं आपको मनीषा का नंबर दे सकती हूं। स्वाति ने मुझे मनीषा का नंबर तो दे दिया था लेकिन उससे बात करना मुश्किल ही था क्योंकि मेरे अंदर भी शायद इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उससे बात कर सकूँ। मैंने मनीषा से बात नहीं की काफी समय बाद मुझे स्वाति मिली तो स्वाति ने मुझे कहा कि भैया मनीषा आजकल जॉब करने लगी है मैंने स्वाति से कहा क्या तुम मुझे बता सकती हो वह कहां जॉब करती है। स्वाति ने मुझे बता दिया मैं हर रोज मनीषा के ऑफिस के बाहर चला जाया करता था और जब मैं मनीषा के ऑफिस के बाहर जाता तो उसकी नजरें भी ना चाहते हुए मुझ पर पड़ी जाती थी। जब उसकी नजर मुझ पर पड़ती तो उसे लगने लगा कि शायद मैं उसका पीछा कर रहा हूं और एक दिन उसने मुझे कह दिया कि तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो। मैंने मनीषा से कहा मैं तुम्हारा कोई पीछा नहीं कर रहा हूं मैं तो सिर्फ तुम्हें देखता हूं मनीषा कहने लगी एक तो चोरी करो और ऊपर से सीना जोरी। मैंने मनीषा को कहा कि जिस दिन मैंने तुम्हें पहली बार देखा उसी दिन से मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं मनीषा कहने लगी लेकिन मैं तो तुमसे प्यार नहीं करती हूं। मैंने मनीषा से कहा देखो मनीषा हो सकता है कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो लेकिन मैं तो तुमसे प्यार करता हूं मैं तुमसे शादी करूंगा। वह मुझे कहने लगी ऐसा कभी भी नहीं हो सकता कि मैं तुमसे प्यार करूं तुम यह बात भूल जाओ और यह कहते हुए वह चली गई लेकिन मेरे सिर पर मेरी आशिकी का जुनून सवार था और मैं किसी भी सूरत में मनीषा को पाना चाहता था।

मैंने मनीषा को पाने की जिद इतनी ठान ली थी कि वह शायद मेरे लिए ही घातक होने वाली थी मैं मनीषा के चलते अपने परिवार से भी दूर होता चला जा रहा था। मेरे पापा और मम्मी मुझे कई बार कहते कि बेटा तुम तो घर पर होते हुए भी घर पर नहीं रहते हो क्या कोई समस्या है मैं उन्हें कहता नहीं पापा कोई बात नहीं है लेकिन मेरी मां को पता चल चुका था मेरी मां ने मेरी आंखों में पढ़ लिया था और वह चाहती थी कि मैं उन्हें सब कुछ बता दूं। मैंने अपनी मां को सब कुछ बता दिया मेरी मां कहने लगी देखो बेटा यदि मुझे मनीषा से बात करनी है तो मैं मनीषा से बात करती हूँ आखिरकार तुम में कमी ही क्या है हमारे पास सब कुछ तो है और हमारे बाद यह सब तुम्हारा ही तो होने वाला है। मैंने अपनी मां से कहा लेकिन मनीषा को पता नहीं क्या चाहिए मैंने मनीषा को पाने के लिए सब कुछ छोड़ दिया था और मैं अपने दोस्तों से भी दूर हो चुका था लेकिन मनीषा को मेरे प्यार का एहसास बाद में हुआ।

एक दिन मनीषा को कुछ लड़के छेड़ रहे थे और मैं वहां पर चला गया जब मैं वहां पर गया तो उन लड़कों से मेरी बहुत ज्यादा बहस हो गई उसके बाद वह लोग मुझ पर टूट पड़े और उन्होंने मुझे जख्मी भी कर दिया। हालांकि मैं घायल हो चुका था लेकिन उसके बावजूद भी मैंने मनीषा की रक्षा की जिससे कि वह खुश हो गई और मेरे गले लग कर मुझे कहने लगी राजेश मैं तो तुम्हारे बारे में ना जाने क्या-क्या सोचती रही लेकिन तुम तो बहुत ही अच्छे हो मुझे लगता है कि तुम्हारे साथ ही मुझे शादी करनी चाहिए और तुम्हारे साथ ही अपना जीवन बिताना चाहिए। हम दोनों एक दूसरे के हो चुके थे और मुझे बहुत खुशी थी कि मनीषा मेरी हो चुकी है और मैं मनीषा के साथ घंटों समय बिताया करता। जब यह बात स्वाति को पता चली तो स्वाति भी कहने लगी भाई आखिरकार आप अपने प्यार को पाने में कामयाबी रहे मैंने स्वाति से कहा देखो यदि दिल से किसी को चाहो तो जरूर वह जरूर मिलता है और मुझे भी मनीषा मिल चुकी थी। मनीषा अब मेरी हो चुकी थी और हम लोग एक दूसरे से घंटों बात किया करते थे मुझे मनीषा से बात करना बहुत अच्छा लगता और जिस प्रकार से मैं मनीषा से बात किया करता उससे वह भी बहुत खुश हो जाया करती थी। जब हम दोनों की कुछ ऐसी बातें होती तो मनीषा उससे हमेशा बचने की कोशिश करती लेकिन यह जीवन का एक हिस्सा था और आखिरकार मनीषा  कब तक मना कर पाती। मैने मनीषा से कहा मैं तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता हूं मनीषा मुझे कहने लगी लेकिन मैं अभी यह सब नहीं चाहती जब तक हम लोगों को शादी नहीं हो जाती तब तक मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती। मैंने मनीषा से कहा ठीक है बाबा जैसा तुम चाहती हो मैंने मनीषा के साथ सेक्स संबध के बारे मे सोचना छोड़ दिया था लेकिन मुझे क्या मालूम था मैं ज्यादा दिन तक अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा। जब मैंने मनीषा से मिलने का फैसला किया तो हम दोनों के बीच मे किस हो गया शायद यही सब हम दोनों के  शारीरिक संबंध बनाने की वजह बनी।

हम दोनों ही अपने बदन की गर्मी को ना झेल सके और जैसे ही मैंने मनीषा के स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया तो उसे भी अच्छा लगने लगा और वह बहुत ही ज्यादा मजे में आने लगी। मैंने मनीषा से कहा मैं तुम्हारी योनि के अंदर उंगली डाल रहा हूं मैंने मनीषा की योनि के अंदर उंगली डाल दी वह बिल्कुल भी रह नहीं पाई वह मेरे लंड को अपने हाथों से दबाने लगी मैंने उसे अपने नीचे दबा दिया था। जब मैंने उसके बदन से पूरे कपड़े उतारे तो उसने पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई थी और उसकी उत्तेजना बढ़ गई। जैसे ही मैंने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया तो वह मचलने लगी थी और उसके अंदर उत्तेजना जागने लगी थी। मैंने जब उसकी चूत की तरफ नजर मारी तो उसकी योनि से खून निकल रहा था उसकी योनि से इतना अधिक मात्रा में खून निकलने लगा कि वह भी अपने आपको ना रोक सकी। वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है मैंने मनीषा से कहा मनीषा तुम भी कैसी बात करती हो क्या तुम्हें मजा नहीं आ रहा है।

मनीषा मुस्कुराने लगी उसके चेहरे की मुस्कुराहट से मैंने अंदाजा लगा लिया था कि उसे कितना अच्छा लग रहा है। मैं उसे लगातार  धक्के दिए जा रहा था उसकी योनि से खून निकल रहा था और मुझे भी बड़ा अच्छा लगता। उसकी टाइट चूत की गर्मी को मैं बर्दाश्त ना कर सका जैसे ही वह झड गई तो उसने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया। मैं उसे अब भी लगातार तीव्रता से धक्के मार रहा लेकिन मैं उसे ज्यादा समय तक तक मजे ना ले सका जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर गिराया तो वह मुझसे चिपट कर कहने लगी राजेश आई लव यू। मैंने उसे कहा मनीषा मुझे मालूम है मैं कब से तुम्हारे साथ सेक्स करने के बारे में सोच रहा था लेकिन तुम्हारी शराफत आडे आ जाती थी। मैंने जब मनीषा से बात की तो मनीषा कहने लगी अब तो तुमने मेरी सील तोड़ दी है अब भला मैं कहां से शरीफ हो गई। हम दोनों एक दूसरे के चेहरे को देख कर मुस्कुराने लगे और मनीषा को भी खुश देख कर मुझे अच्छा लग रहा था।