मन डोला तो तन डोला

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रविवार का दिन था उस दिन मेरी छुट्टी थी और मैं जल्दी उठ गया था मेरी पत्नी संजना भी उठ चुकी थी सूरज की किरने भी अब घर के बरामदे में आने लगी थी मैंने संजना से पूछा क्या अखबार आ गया है। संजना ने कहा हां अखबार तो आ चुका है मैंने संजना से कहा तो फिर मुझे अखबार दे दो मैं बाहर बैठ कर पढ़ लेता हूं। मैं बरामदे में कुर्सी लगाकर बैठ गया और अखबार पढ़ने लगा मैंने संजना से कहा शायद कोई घर की घंटी बजा रहा है जरा देखना कौन है। संजना उठकर गेट की तरफ गई तो बाहर मौसी खड़ी थी मौसी जी को देख कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा क्योंकि मौसी जी जब भी आती है तो हमेशा कोई ना कोई बुरी खबर ही लाती है लेकिन इस बार उनके चेहरे पर कुछ मुस्कान सी थी।

मैंने मौसी को देखते ही कहा मौसी आइये बैठिये ना, मौसी मेरे पास ही बैठ गई वह कहने लगी अरे कौशल बेटा आज तो तुम घर पर ही होंगे मैंने मौसी को जवाब देते हुए कहा हां मौसी आज तो मैं घर पर ही हूं। मैंने मौसी से उनके आने का उद्देश्य पूछा तो वह मुझे कहने लगी कि तुम्हें मैं खुशखबरी देने आई हूं मैंने मौसी से कहा आप किस बात की खुशखबरी देने आई है। मौसी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा तुम्हें मालूम है मोहन की नौकरी विदेश में लग चुकी है और उसे वहां उसे एक अच्छा सैलरी पैकेज मिल रहा है। मैंने मौसी से कहा क्या बात मौसी जी यह तो बड़ी खुशी की बात है मौसी ने मिठाई के डिब्बे को मेरे सामने खोला तो मैंने उसमें से एक मिठाई का टुकड़ा निकाल कर अपने मुंह में रख लिया मुझे भी खुशी हुई कि मोहन का सिलेक्शन विदेशी कंपनी में हो चुका है। हम लोग आपस में बात कर रहे थे तभी मेरी पत्नी संजना चाय बना कर लाई और कहने लगी लीजिये मौसी मैंने चाय बना दी है। मौसी भी चाय की चुस्कीयां लेकर मुझसे बात कर रही थी और मैं भी मौसी से बात कर रहा था तभी मौसी कहने लगी तुम्हारी मां कहां है। मैंने मौसी से कहा वह तो अंदर लेटी होंगी सुबह तो उठ गई थी लेकिन उनके पैर में थोड़ा दर्द था इसलिए वह शायद दोबारा से लेट गयी होंगे।

मौसी कहने लगी ठीक है मैं देख लेती हूं मौसी जी की बातें भी बड़ी अजीब रहती है वह बातों को हमेशा बढ़ा चढ़ाकर ही पेश किया करती हैं हालांकि मौसी बहुत ही अच्छे हैं और उन्होंने हमेशा ही मेरी मां को बहुत इज्जत दी है। जब मेरी मां सीढ़ियों से फिसल कर गिर गई थी तो उस वक्त भी मौसी ने हीं मां की देखभाल की थी मौसी हमारे घर पर करीब दो-तीन घंटे रहे उसके बाद वह चली गई। मौसी मुझे कहने लगी कि बेटा तुम घर पर जरूर आना हम लोग सोच रहे थे कि मोहन की जॉब लगने की खुशी में आस-पड़ोस के लोगों को एक छोटी सी पार्टी दे देते हैं। मैंने मौसी से कहा तो फिर आप मुझे बता दीजिएगा मौसी कहने लगे हां कौशल बेटा मैं तुम्हें जरूर बता दूंगी तुम दीदी को भी ले आना मैंने मौसी से कहा ठीक है मौसी मैं मम्मी को भी जरूर ले आऊंगा। मौसी अब जा चुकी थी और संजना घर के कामों में लग गई लेकिन संजना का काम तो जैसे खत्म ही नहीं हो रहा था क्योंकि रविवार के दिन संजना को बहुत काम रहता है। मेरी तो उस दिन छुट्टी होती है लेकिन संजना को बहुत ज्यादा काम था और अभी तक वह नाश्ता नहीं बना पाई थी मैंने घड़ी में समय देखा तो करीब 11:00 बज चुके थे और हम लोगों ने अभी तक नाश्ता नहीं किया था। मैंने संजना से कहा क्या तुमने अभी तक नाश्ता नहीं बनाया है तो संजना मुझे कहने लगी नहीं मैंने अभी तक नाश्ता नहीं बनाया है। मैंने संजना को कहा अब तुम नाश्ता बना दो क्योंकि मुझे भी काफी भूख लग रही है संजना कहने लगी बस थोड़ी देर में नाश्ता तैयार कर देती हूं और कुछ बार संजना ने नाश्ता बना दिया। हम लोगों ने नाश्ता किया और मैं थोड़ी देर आराम करने लगा लेकिन तभी संजना कहने लगी कौशल आज कहीं घूम आते हैं काफी दिन हो गए हैं हम लोग कहीं घूमने भी नहीं गए हैं। मैंने कहा ठीक है मुझे तुम थोड़ा समय दो मैं कुछ प्लान बना लेता हूं मैं अपने रूम में ही बैठा हुआ था गर्मी पड़ने लगी थी मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले दीपक को फोन किया दीपक हमारे पड़ोस में ही रहते हैं उनकी अभी कुछ समय पहले ही शादी हुई है।

दीपक मुझे कहने लगे हां कौशल कहिए आपने आज फोन कैसे किया मैंने दीपक से कहा आज आप क्या कर रहे हैं तो दीपक कहने लगे मैंने अभी तो ऐसा कुछ सोचा नहीं है लेकिन फिलहाल तो मैं घर पर ही हूं। मैंने दीपक से कहा आज तुम्हारी भाभी कह रही थी कि कहीं घूमने के लिए चलते हैं तो क्या तुम्हारे पास समय है वह मुझे कहने लगे कि मैं आपको अभी थोड़ी देर बाद फोन कर के बताता हूं। कुछ देर बाद दीपक का फोन मुझे आया तो वह कहने लगे ठीक है हम लोग भी आपके साथ आ जाते हैं। दीपक और उनकी पत्नी मधुलिका भी हमारे साथ आने को तैयार हो चुकी थी हम लोगो ने मूवी देखने का प्लान बना लिया मैंने मूवी की टिकट ली और हम सब लोगों ने साथ में मूवी का इंजॉय किया। काफी समय बाद थोड़ा सुकून मिला था क्योंकि अपने काम से बिलकुल भी फुर्सत नहीं मिल पाती थी रविवार का दिन हीं होता था जिस दिन छुट्टी रहती थी और संजना के कहने पर हम लोगों ने घूमने का प्लान बना लिया था। काफी अच्छा भी लग रहा था जैसे ही मूवी खत्म हुई तो सबके चेहरे पर रौनक थी और सब लोग खुश थे मैंने संजना से कहा चलें संजना कहने लगी नहीं अभी हम लोग कुछ शॉपिंग कर रहे हैं। मधुलिका ने भी हामी भरी और वह दोनों ही शॉपिंग करने लगे मैं और दीपक सोचने लगे आज तो अच्छा खासा बिल बनने वाला है और हम दोनों का ही ठीक-ठाक बन चुका था। हम दोनों को बिल तो देना ही था और हम लोग जब घर पहुंचे तो रात के 10:00 बज चुके थे।

मैंने संजना से कहा तुम जल्दी से कुछ बना दो संजना कहने लगी मैं तो सोच रही थी कि हम लोग कुछ बाहर ही खा लेते हैं। मैंने संजना से कहा हां मैं सोच तो रहा था कि बाहर ही खा लेंगे लेकिन देर काफी हो चुकी थी और तुम्हें मालूम है ना कि मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती। संजना कहने लगी ठीक है मैं अभी बना देती हूं उसके बाद संजना ने जल्दी से खाना बना दिया था लेकिन मां सो चुकी थी। जब मैंने मां को उठाया और कहा कि खाना खा लीजिए तो वह कहने लगी बेटा मेरा मन नहीं है तुम लोग खा लो मैंने मां से कहा तुम थोड़ा सा कुछ तो खालो। वह मेरी बात मान गई और हमारे साथ उन्होंने खाना खाया खाना खाने के बाद वह अपने रूम में चली गई और वह अब सो चुकी थी। मैं और संजना साथ में बैठ कर बात कर रहे थे तो संजना कहने लगी आज का दिन कितना अच्छा बीता और मुझे तो बहुत अच्छा लगा। संजना के चेहरे की खुशी देखकर मैंने उसे कहा मुझे भी आज बहुत ही अच्छा लगा काफी समय बाद तुम्हारे साथ घूमने के लिए कहीं जा पाया। संजना के चेहरे पर खुशी थी मुझे भी इस बात का सुकून था कि कम से कम मेरी वजह से संजना के चेहरे पर मुस्कुराहट आई। उसी के चलते मैंने संजना के साथ उस रात चुदाई शुरू कर दी मैंने जब संजना को पेट के बल लेटा कर उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह पूरी तरीके से मचलने लगी। मैं उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था हम दोनों उस दिन एक दूसरे को संतुष्ट करने में कामयाब रहे। मैंने संजना से कहा अब सो जाते हैं तो संजना भी सो गई और अगले ही दिन जब मधुलिका से मेरी मुलाकात हुई तो वह मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी।

मैंने भी मधुलिका की तरफ देखा तो वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगी लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक ना चल सका। मधुलिका के अंदर कुछ तो चल रहा था जिसकी वजह से वह मेरी तरफ देखा करती थी। एक दिन मैं दीपक से मिलने के लिए उसके घर पर चला गया मैं जब दीपक से मिलने उसके घर पर गया तो मैंने देखा वह घर पर नहीं था। मैं मधुलिकि को अपनी बाहों में लेना चाहता था। वह मेरी बाहों में आने के लिए जैसे लालायित थी और मधुलिका ने मुझे कहा मेरे होठों को चूम लीजिए। मैंने भी उसके होंठो को चूसना शुरू किया और मुझे बहुत अच्छा लगा। मधुलिका ने खुद ब खुद मेरे पैंट से मेरे लंड को बाहर निकाल लिया जिस प्रकार से वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर समा रही थी उससे मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने मधुलिका से कहा तुम मेरी इच्छा को पूरी कर दो और मधुलिका भी मान गई।

मधुलिका ने अपनी साड़ी को उतारकर मेरे सामने अपने बदन को पेश कर दिया। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लिया और उन्हें चूसना जारी रखा मुझे उसके स्तनों को चूसने में बड़ा मजा आता उसके टाइट स्तनो का रसपान मैंने काफी देर तक किया। मैंने जब मधुलिका की कोमल चूत पर अपने लंड को लगाया तो उसकी योनि से पानी बाहर टपक पकडता। जिस प्रकार से मैंने मधुलिका की योनि को चाटा तो वह उत्तेजित होने लगी और वह इतनी ज्यादा मचलने लगी कि उससे बिल्कुल भी रहा नहीं गया। उसने मुझे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है और मैंने भी उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही उसकी टाइट योनि के अंदर मेरा मोटा सा लंड घुसा तो वह खुश होने लगी। वह मुझसे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है आप ऐसे ही करते रहो उसने अपने दोनों पैरों को चौडा कर लिया तो मुझे भी उसके साथ सेक्स संबंध बनाने में बहुत मजा आया। करीब 10 मिनट बाद जैसे ही मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से मधुलिका को नहला दिया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज बड़ा शानदार दिन है और यह यादें मुझे हमेशा याद रहेगा।