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मैं अपने ही मायके में चुद गई
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जब घर में दो बर्तन होते हैं तो आपस में टकराते जरूर हैं और ऐसा ही कुछ मेरे और मेरी सासू मां के बीच में था लेकिन मैंने कभी भी उन्हें कुछ कहा नहीं था। मैं एक दिन देर से उठी तो मेरी सासू मां मुझे कहने लगी तुम बड़ी महारानी हो यदि इतना ही तुम्हें देर में उठने का शौक है तो तुम अपने साथ काम करने वाले को भी ले आती। मैं भी उनकी बात का जवाब देना तो चाहती थी लेकिन मैं कुछ कह ना सकी उसके बाद वह मुझे कहने लगी की घर का काम जल्दी से करो। मैंने भी काम जल्दी से निपटाया जब मैंने घड़ी में समय देखा तो उस वक्त 11:00 बज चुके थे मेरे पति भी ऑफिस के लिए निकल चुके थे और मेरे सास ससुर घर पर ही थे। ससुर जी ने अपने दफ्तर से छुट्टी ली थी क्योंकि उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी। दोपहर के वक्त मेरी सासू मां मुझे कहने लगी बहु तूम घर पर ही रहना मैं उन्हें डॉक्टर को दिखा लाती हूं।

मैंने अपनी सासू मां से कहा मां जी मैं घर पर ही हूं आप डॉक्टर के पास चले जाइए, वह लोग जब डॉक्टर के पास चले गए तो मैं अपने कमरे में बैठकर टीवी देख रही थी तभी दरवाजे की डोर बेल बजी मैं जब दरवाजा खोलने गई तो मैंने सामने देखा हमारे पड़ोस में रहने वाली सुमित्रा दीदी हैं। मैंने उन्हें कहा दीदी आज आप इतने समय बाद घर पर आई मैंने उन्हें अंदर आने के लिए कहा तो वह अंदर आ गई मैंने उन्हें कहा मैं आपके लिए अभी पानी ले आती हूं। मैंने सुमित्रा दीदी को पानी दिया और उन्हें कहा दीदी घर में तो सब कुछ ठीक है ना वह मुझसे कहने लगी हां अंजली घर में तो सब कुछ ठीक है तुम कैसी हो। मैंने सुमित्रा दीदी से कहा मैं भी ठीक हूं सुमित्रा दीदी और मेरे बीच में बहुत बनती थी क्योंकि सुमित्रा दीदी का मायका भी गोरखपुर में ही था और मेरा मायका भी गोरखपुर में ही था। हम दोनों के परिवार एक दूसरे को जानते थे इसलिए सुमित्रा दीदी मुझसे मिलने के लिए आ जाया करती थी। मैंने दीदी से कहा दीदी मैंने सुना है आपकी सासु मां आजकल अपने बड़े लड़के के पास दिल्ली गई हुई है सुमित्रा दीदी कहने लगी हां वह आजकल जेठ जी के पास दिल्ली गई हुई है। मैंने उनसे पूछा वह वहां से कब लौटने वाली है तो वह कहने लगी अभी कुछ दिनों पहले ही तो वह गई थी अब पता नहीं कब लौटेंगे।

सुमित्रा दीदी मुझसे पूछने लगी तुम्हारी सासू मां कैसी हैं मैंने उन्हें कहा वह भी ठीक है तो सुमित्रा दीदी मुझे कहने लगे वह तुम्हे कुछ कहती तो नहीं है। मैंने दीदी से कहा आपको तो मालूम ही है कि वह मुझे हर रोज ताने दिया करती हैं लेकिन मुझे अब उन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। दीदी मुझसे पूछने लगी कि मोहन तो अपने ऑफिस जा चुके होंगे मैंने दीदी से कहा दीदी वह तो सुबह ही निकल जाते हैं और शाम को ही लौटते हैं और शायद कुछ दिनों के लिए वह चंडीगढ़ जाने वाले हैं। मैंने जब दीदी को यह बात बताई तो दीदी कहने लगे मोहन क्या चंडीगढ़ कुछ काम से जाएंगे या किसी से मिलना है। मैंने उन्हें कहा चंडीगढ़ उनके ऑफिस का कुछ काम है इसलिए उन्हें वहां जाना पड़ रहा है। दीदी कहने लगी अच्छा यह बताओ तुम घर पर क्यों नहीं आती मैंने उन्हें कहा दीदी घर से फुर्सत ही नहीं मिल पाती है इसलिए आपसे मिलने भी नहीं आ पाती। सुमित्रा दीदी कहने लगी अभी तो मैं चलती हूं लगता है बच्चों के आने का टाइम भी हो गया है मैंने उन्हें कहा आप कुछ देर और बैठ जाइए। वह कहने लगी नहीं अंजलि अभी मैं चलती हूं जब तुम्हें समय मिलेगा तो तुम आना और यह कहते हुए सुमित्रा दीदी चली गई। जब वह चली गई तो उसके कुछ देर बाद ही मेरे सास और ससुर भी आ गए जब वह लोग आए तो मैंने दोपहर का भोजन भी बना दिया था हम लोगों ने खाना खाया और उसके कुछ देर बाद हम लोग आराम करने लगे। शाम के वक्त जब मोहन घर लौटे तो मैंने मोहन से कहा आप चंडीगढ़ कब जाएंगे वह कहने लगे मैं चंडीगढ़ अगले हफ्ते जाऊंगा। मैंने मोहन से कहा कि आप मुझे कुछ दिन के लिए मेरे मायके छोड़ देंगे वह कहने लगे ठीक है मैं कोशिश करूंगा लेकिन तुम एक बार मां से तो बात कर लो। मैंने मोहन से कहा मैं मां से बात कर लूंगी और अगले ही दिन मैंने मां से इस बारे में बात कर ली तो सासू मां कहने लगी ठीक है तुम कुछ दिनों के लिए चली जाओ।

मैं इस बात से बहुत खुश थी क्योंकि काफी दिनों से मैं अपने मायके भी नहीं जा पाई थी और जब मैंने मोहन से कहा कि माजी ने तो हां कह दिया है अब तुम मुझे वहां छोड़ देना। वह कहने लगे ठीक है बाबा मैं तुम्हें छोड़ दूंगा और मोहन मुझे गोरखपुर छोड़ने के लिए आ गए वह मुझे जब मेरे मायके में छोड़ने आये तो उस दिन मोहन भी वहीं रुक गए थे क्योंकि मोहन को काफी देर हो चुकी थी। अगले दिन वह चंडीगढ़ के लिए निकल चुके थे और जब वह चंडीगढ़ के लिए निकले तो मैंने उन्हें फोन किया वह कहने लगे की तुमने बहुत अच्छा किया जो मुझे फोन कर दिया क्योंकि मैं मां को फोन कर रहा था तो उनका नंबर लग नहीं रहा था मैंने सोचा मैं तुम्हें बता दूं तो तुम ही उन्हें फोन कर देना और यह बता देना कि मैं कुछ देर बाद चंडीगढ़ पहुंचने वाला हूं। मैंने मोहन से कहा ठीक है मैं बता दूंगी और जब मैंने अपनी सासु मां को फोन लगाया तो उनका फोन अभी तक नहीं लग रहा था लेकिन जब उनका फोन लगा तो मैंने उन्हें इस बारे में बता दिया था कि मोहन अब चंडीगढ़ पहुंचने वाले हैं। मेरी सासू मां कहने लगी कि पता नहीं किस कारण से हमारा फोन नहीं लग रहा था। मैं अपने मायके में ही थी क्योंकि मोहन ने मुझे कहा था कि एक हफ्ते बाद मैं तुम्हें लेने के लिए आऊंगा। इतने समय बाद अपने माता पिता से मिलकर मैं बहुत खुश थी मेरी छोटी बहन जो कि अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रही है वह भी बहुत खुश थी वह कहने लगी दीदी आप इतने समय बाद घर आई हैं तो कितना अच्छा लग रहा है।

घर में जैसे खुशी का माहौल था और मैं बहुत ज्यादा खुश थी तभी हमारे पड़ोस में रहने वाली मीना भी उस दिन हमारे घर पर आई तो वह मुझसे मिलकर खुश हो गई। वह कहने लगी इतने समय बाद तुम मुझे मिल रही हो लेकिन तुम बिल्कुल भी बदली नहीं मैंने मीना से कहा तुम भी तो वैसी की वैसी ही हो तुम भी कहां बदली हो। मीना मुझे कहने लगी अभी तो मैं मां के साथ जा रही हूं लेकिन मैं तुमसे शाम के वक्त मिलूंगी तो मैंने मीना से कहा ठीक है तुम मुझसे शाम के वक्त मिलना शाम को हम लोग साथ में बैठेंगे। मीना हमारे पड़ोस में ही रहती हैं और उसके साथ मेरी बहुत अच्छी बनती है जिस वजह से मीना मुझे कहने लगी कि हम लोग शाम को मिलेंगे। मीना तो चली गई थी और मैं घर पर ही थी लेकिन जब शाम को मीना आई तो मीना ने मुझे अपने बारे में बताया और कहने लगी मेरा चक्कर पड़ोस के गौरव के साथ चल रहा है। मैं यह बात सुनकर थोड़ा हैरान परेशान हो गई क्योंकि गौरव को तो मैं देखा करती थी और गौरव मुझे बहुत घुरा करता था लेकिन मैं मीना के साथ मै यह बातें शेयर नहीं कर सकती थी। मै गौरव से मिली तो मैंने उसे कहा अच्छा तो तुमने मीना को पसंद कर लिया? गौरव करने लगा तुमने तो शादी कर ली थी मेरे पास भी कोई नहीं था। मोहन के साथ शादी के बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध अच्छे से बना नहीं पाते थे और मोहन हमेशा ही बड़े ही जल्दी में करते और वह झड जाया करते थे लेकिन गौरव की तरफ मैंने देखा तो मेरा मन गौरव के साथ संभोग करने का होने लगा। मैंने उसे अपनी अदाओ से अपनी बातों के लिए मनवा लिया वह मेरी बात मान चुका था।

गौरव ने मुझे फोन कर के अपने घर पर बुलाया और कहां आज घर पर कोई नहीं है तुम आ जाओ। मैं जब घर पर गई तो गौरव अकेला अपने रूम मे बैठा हुआ था। जब मैं उसके पास बैठी तो उसने मुझसे कुछ भी बात नहीं की उसने मेरे होठों पर अपने होठों को मिला दिया। उसके बाद जैसे ही मेरे होठों से उसके होठ टकराने लगे तो हम दोनों ही अपने आपको ना रोक सके और मुझे भी बड़ा अच्छा लगने लगा। जब मैंने अपने कपड़े उतारकर गौरव से कहा तुम मेरे स्तनों को मुंह में ले लो। गौरव ने भी मेरे स्तनों को अपने मुंह के अंदर समा लिया वह बड़े ही अच्छे से मेरे स्तनों को अपने मुंह मे लेना लगा मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। काफी देर तक वह मेरे स्तनों का रसपान करता रहा जैसे ही मैंने गौरव के लंड को मुंह में लिया तो उसे अच्छा लग रहा था।

अब हम दोनों ही एक दूसरे की गर्मी को ना झेल सके मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा किया और गौरव ने भी अपने लंड को मेरी योनि के अंदर घुसा दिया। गौरव का लंड मेरी योनि में जाते ही मुझे ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरे पेट के अंदर तक घुस गया हो। उसने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और बड़ी तेज गति से वह मुझे धक्के मारने लगा वह जिस प्रकार से मुझे धक्के मार रहा था उससे मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था और मैं बहुत ज्यादा खुश थी। मैंने पहली बार ही किसी गैर मर्द के साथ अपने शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन गौरव के साथ मुझे इस बात से कोई भी दिक्क्त नहीं थी। गौरव ने मुझे घोडी बनाते हुए पूरी तेजी से धक्के देना शुरू कर दिए। उसने मेरी चूतडो को पकड़ रखा था और अपनी पूरी ताकत के साथ वह धक्के मार रहा था। जिस प्रकार से उसने मेरी चूतडो को लाल कर दिया था उससे मैं भी कुछ देर बाद झड़ गई और जैसे ही मैं झडी तो गौरव भी रह ना सका। गौरव ने कुछ ही देर बाद अपने वीर्य को मेरी चूत मे गिरा दिया।

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