जब मैं शुरुआत में दिल्ली आया तो मुझे दिल्ली के बारे में ज्यादा पता नहीं था क्योंकि मैं दिल्ली अपने जीवन में प्रथम बार ही आया था। मैं बिहार के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं मैं जब दिल्ली आया तो मैंने जिस जगह घर लिया वहां के मकान मालिक का नाम गुलाटी जी है, वह बडे ही सख्त मिजाज हैं। उनके घर में उनसे सब लोग बहुत डरते हैं परंतु उनकी बहू की नजरें कुछ ठीक नहीं थी उनका नाम पूनम है। एक दिन वह मेरे पास आ ही गई और उन्होंने मुझसे अपने दिल की बात कह दी। मैं उनकी दिल की बात समझ गया मैंने जब उनकी चूत मारी तो उस दिन उनकी प्यास क मैने बुझा दिया, लेकिन दिल्ली आना मेरे लिए इतना आसान नहीं था उससे पहले भी मेरे जीवन में काफी कुछ घटित हुआ।
मेरा नाम रतन है मैं एक छोटे से कस्बे का रहने वाला हूं मैं जिस कस्बे में रहता हूं वहां पर ठीक से कोई पढ़ा लिखा भी नहीं है और यदि अंग्रेजी की बात आ जाए तो सब लोग एक दूसरे का मुह ताकने लगते हैं और हमारे जितने भी टीचर हैं वह भी कुछ खास पढ़े लिखे नहीं हैं वह सिर्फ पढ़ाने का ढोंग करते हैं, उन्होंने जिस प्रकार से हमें पढ़ाया वह पढ़ाई हमारे काम कभी नहीं आई। जिस दिन मैंने अपने घर से दिल्ली जाने की सोची तो मेरी मां बड़ी दुखी थी वह कहने लगी तुम हमें छोड़कर अब दिल्ली जाओगे और हम लोग तुम्हारे बिना कैसे रहेंगे, तुम हमारे घर के एकलौते चिराग हो। मैंने उन्हें कहा चिराग तो मैं हूं लेकिन यदि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा तो मैं यहां रह कर क्या करने वाला हूं आप ही मुझे बताइए मेरे सारे दोस्त अब दिल्ली में काम करने लगे हैं और वह लोग अब अपनी कमाई से अपने घर का खर्चा चलाते हैं, मैं कब तक यहां छोटे-मोटे काम कर के अपना खर्चा उठाता रहूंगा, मुझे भी अपने जीवन में कुछ बड़ा करना है और इसीलिए आप मुझे दिल्ली जाने दीजिए।
उस दिन वह काफी दुखी थी लेकिन मेरी मां ने मुझे रोका नहीं और कहा की तुम जल्दी चले जाओ, मेरे पिताजी बही थोड़ा दुखी जरूर थे पर उन्होंने भी इस बात को स्वीकार कर लिया कि मेरी दिल्ली जाने में ही भलाई है और मैं दिल्ली चला गया। जब मैं दिल्ली पहुंचा तो मैं अपने एक मित्र से मिला उसने ही मेरा रहने का प्रबंध किया, मैंने उसे कहा था कि सिर्फ तुम मुझे रहने के लिए जगह दे दो उसके बाद मैं कहीं भी अपने लिए नौकरी देख लूंगा, मैं शुरुआत में उसी के साथ रहा और शुरुआत में मैंने एक छोटी सी फैक्ट्री में काम किया, वहां पर काफी मेहनत का काम था लेकिन फिर भी मैंने उस काम से जी नहीं चुराया और जब मुझे थोड़ा बहुत दिल्ली की जानकारी होने लगी तो उसके बाद मैंने सोचा मैं अब कहीं दूसरी जगह घर ले लेता हूं, मैंने अपने मित्र से इस बारे में बात की तो वह कहने लगा तुम अकेले रह कर क्या करोगे? मैंने उसे कहा देखो दोस्त तुमने मेरा जितना साथ देना था उतना तुमने दिया अब मैं नहीं चाहता कि मैं तुम पर बोझ बन कर रहूं, मैं अपना खर्चा खुद ही उठा सकता हूं और मैं खुद ही अपने जीवन को अपने तरीके से जीना चाहता हूं। उसने मुझे कहा ठीक है मैं भी तुम्हें अब कुछ नहीं कहूंगा। जब तुमने अपना पूरा मन बना ही लिया है, मैंने जाते वक्त अपने दोस्त से कहा लेकिन तुम्हारा एहसान मेरे ऊपर हमेशा रहेगा और मैं तुम्हारे इस एहसान को कभी नहीं भुला सकता, तुम्हें जब भी मुझसे कोई जरूरत हो तो तुम दिल खोल कर कह देना, मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ा रहूंगा, वह कहने लगा मैं तुम्हें पहले से ही जानता हूं तुम दिल के बड़े अच्छे लड़के हो इसलिए मैंने तुम्हें अपने साथ रहने के लिए कहा नहीं तो मैं किसी को भी अपने साथ रहने नहीं देता, उसने मुझे जाते हुए भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन यह मेरी मजबूरी थी और जब मैं दूसरी जगह गया तो वहां के जो मकान मालिक थे उनका नाम गुलाटी था, वह बडे ही सख्त मिजाज और बड़े ही गरम दिमाग के थे उनकी बड़ी बड़ी मूछें देख कर तो ऐसा लगता कि जैसे वह अभी अपनी बंदूक से गोली मार देंगे लेकिन जब मैंने उनसे बात की तो मुझे लगा कि वह इतने भी बुरे नहीं हैं परंतु उनके घर में उन्हें देखकर सब डरते थे हालांकि उनकी मूछों का रंग सफेद हो चुका है पर उसके बावजूद उनके घर में उनके बच्चे उन्हें देखकर बड़े डरते थे और उनका बड़ा लड़का तो उनके सामने बात भी नहीं कर पाता था।
उनकी पत्नी भी बहुत कम बात करती थी और मुझे भी ज्यादा उन से कुछ लेना-देना नहीं था मैं सिर्फ किराए के दिन ही उन्हें किराया देने उनके घर पर जाता था और बाकी मैं अपने काम पर ही रहता था, जब मैं शाम को लौटता तो चुपचाप अपने कमरे में लेटा रहता, बस यही मेरी दिनचर्या चल रही थी। काफी समय बाद मैंने अपने पिताजी को फोन किया तो मेरे पिताजी कहने लगे बेटा तुम कुछ दिनों के लिए घर तो आ जाओ काफी समय से तुम घर भी नहीं आए हो, मैंने उन्हें कहा बस पिताजी अब कुछ दिनों बाद मैं घर आ जाऊंगा, वह कहने लगे हमें तुम्हारी बड़ी याद आती है, जब उन्होंने मुझे यह बात कही तो मैं भी इमोशनल हो गया और मुझे घर वापस जाना पड़ा, मैं कुछ दिनों के लिए घर चला गया और मैं कुछ दिनों तक अपने माता पिता के पास ही रहा, मुझे उनके साथ रहना अच्छा भी लग रहा था और उनके साथ समय बिता कर मैं काफी खुश भी था क्योंकि इतने समय मुझे मौका मिल पाया था, मैं अपनी मां के लिए दिल्ली से साड़ी लेकर आया था, वह बहुत खुश हुई थी उनके चेहरे की मुस्कान देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने जब अपनी मां से जाने के लिए कहा तो वह कहने लगी तुम कुछ दिन और यहां रुक जाते तो हमें बहुत खुशी होती, मैंने उन्हें कहा लेकिन मेरे पास वक्त नहीं है, मैंने जितने दिनों की छुट्टी ली थी मेरी छुट्टी समाप्त होने वाली है इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मैं अब दिल्ली लौट आया था और उस दिन मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था। मैं अपने कमरे में ही लेटा हुआ था मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनाई दी। मैं जैसे ही दरवाजे के पास गया तो वहां लाल सूट मैं मैंने पूनम भाभी को देखा। पूनम भाभी गुलाटी जी की बहू है वह बड़ी टाइट माल है लेकिन उसे दिन ना जाने वह मेरे पास क्यों आई। मैंने दरवाजे खोलते हुए कहा हां भाभी जी कहिए क्या काम था। वह कहने लगी बस ऐसे ही आज घर पर कोई नहीं था सोचा तुम्हारे साथ बैठ जाती हूं। मैंने कहा हां बैठ जाइए वह भी अपनी बड़ी गांड को मेरे बिस्तर पर टिका कर बैठ गई। जब मैंने उनके बदन को निहारना शुरू किया तो वह भी मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा हो गया, मुझे ऐसा लगने लगा मै उनकी चूत मारू। मैंने तो अपने दिमाग में कल्पना भी कर ली थी कि मैं उन्हें घोड़ी बनाकर चोदूंगा लेकिन उस वक्त वह मेरे पास आकर बैठ गई। उन्होंने मेरे पैर पर हाथ रखना शुरू कर दिया जब उन्होंने मेरे पैर पर हाथ रखा तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया। जब मैंने भी उनकी कोमल जांघ पर अपने हाथ को रखा तो वह भी मेरे लिए तड़पने लगी और वह मेरी बाहों में आ गई। जब वह मेरी बाहों में आई तो मैंने भी उन्हें कसकर अपनी बाहों में लेते हुए मैने उन्हे कहां भाभी आपका बदन तो बड़ा सॉलिड है। वह कहने लगी तो फिर तुम देर क्यों कर रहे हो इसका मजा ले लो। मैंने जल्दी से उनके कपड़े उतार दिया उनके नंगे स्तनों को जब मैं अपने मुंह में लेकर चूसता तो मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मैंने काफी देर तक उनके बदन की गर्मी को फील किया। जब मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाला तो उनकी योनि गर्म पानी बाहर की तरफ छोड़ रही थी। मैंने बड़ी तेजी से उन्हें चोदना शुरू कर दिया, उन्हें बहुत मजा आ रहा था। मैंने उन्हें इतनी तेजी से धक्के मारे मेरा वीर्य 5 मिनट के बाद ही उनकी योनि में जा गिरा। भाभी बहुत खुश हो गई, वह कहने लगी तुम्हारे साथ तो आज मुझे मजा ही आ गया और ऐसा मजा तो यदि मुझे हमेशा मिलता रहे तो मैं अपने आपको बहुत अच्छा महसूस करूंगी। मैंने उन्हें कहा भाभी जी आज के बाद आपको कभी में सेक्स की कमी नहीं होने दूंगा आपका जब भी मन हो आप मेरे पास आ जाया कीजिए।