एक टक्कर से मुझे फ़्रेश माल मिल गई

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मेरा नाम रोहन है मैं पुणे का रहने वाला हूं, मैं पुणे की एक बड़ी कंपनी में जॉब कर रहा हूं, मुझे वहां पर जॉब करते हुए दो वर्ष हो चुके हैं, मैंने अपनी पढ़ाई के बाद ही वहां पर जॉब करना शुरू कर दिया था। मैं अपनी जॉब से संतुष्ट हूं और मेरी दोस्ती भी बहुत ही सीमित दायरे में है, मैं ज्यादा किसी के साथ भी दोस्ती नहीं करता और ना ही मेरे इतने ज्यादा दोस्त हैं। एक दिन मैं स्वीट शॉप में मिठाई ले रहा था, मैंने मिठाई पैक करवा ली और उसके बाद मैंने बिल पे किया, मैं जैसे ही पीछे की तरफ को पलटा तो मेरे ठीक पीछे ही एक लड़की खड़ी थी, मैं अपनी तेज गति से पलटा तो मेरे धक्के से वह लड़की गिर गई और जब वह गिरी तो उसकी कोहनी पर चोट लग गई थी। मैं बहुत ही शर्मिंदा हो गया और वहां पर स्वीट शॉप के सारे कर्मचारी आ गए, मुझे बहुत डर भी लग रहा था और मैं सोचने लगा कि कहीं यह सब लोग मुझे ही गलत ना ठहरा दें।

एक व्यक्ति ने जब उसे पानी दिया तो उस लड़की ने पानी पिया, उसके हाथ से थोड़ा बहुत खून निकलने लगा था इसलिए दुकान के ओनर ने उस लड़की को फर्स्ट एड बॉक्स से दवाई निकाल कर दी, दुकान के कर्मचारी ने उसके हाथ पर पट्टी की। मैं बहुत ज्यादा घबरा गया था मैंने उस लड़की को सॉरी बोला और कहा कि मेरी इसमें गलती है मैंने पीछे देखा नहीं और एकदम से पलट गया, उसने मुझसे कहा कोई बात नहीं ऐसा कभी हो जाता है। मैं अपनी गलती पर बहुत ही शर्मिंदा था, जब वहां का माहौल थोड़ा ठंडा हो गया उसके बाद मैं वहां से चला गया। जब मैं रास्ते में जा रहा था तो मुझे सिर्फ उस लड़की का चेहरा ही दिखाई दे रहा था। मैं उस दिन जब घर पहुंचा तो मैंने अपनी मम्मी को वह मिठाई का बॉक्स दिया और मैं अपने रूम में चला गया, मैं अपने रूम में बैठा हुआ था, मेरे दिमाग में सिर्फ उसी लड़की की तस्वीर चल रही थी और मैं सोचने लगा मेरी छोटी सी गलती भी आज बहुत ज्यादा बड़ी हो गई थी यदि उसे ज्यादा चोट आ जाती तो मैं ही उसके लिए जिम्मेदार होता लेकिन जैसे जैसे दिन बीतने लगे तो मैं अपने काम में बिजी हो चुका था और मुझे वह बात याद भी नहीं थी।

एक दिन मैं अपने ऑफिस के दोस्त के घर में गया हुआ था, वहां पर मेरी मुलाकात उसी लड़की से हो गई। यह किसी इतेफाक से कम नहीं था और मेरे लिए तो यह बहुत ही अच्छी बात थी क्योंकि मैं उस दिन उससे बात नहीं कर पाया था, मैं सोचने लगा आज मैं उससे बात कर लूंगा। मेरे दोस्त ने मुझे उससे मिलवाया तो मैंने उसका नाम पूछा, उसका नाम प्रतिभा है। मैंने प्रतिभा को कहा कि उस दिन मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी, तुम्हें मेरी वजह से चोट भी आई, प्रतिभा कहने लगी उस बात को तो काफी समय हो चुका है, अब तक तो मैं वह बात भूल भी चुकी हूं और तुम अब तक उस बात को लेकर बैठे हो। मैं बहुत ही ज्यादा शर्मिंदा था यदि मेरी वजह से कभी भी कुछ गलत हो जाता है तो मुझे बहुत ही बुरा लगता है इसीलिए मैं भी अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा था। उस दिन मैंने प्रतिभा से काफी देर तक बात की, मेरी और प्रतिभा की उस दिन काफी समय तक बात हुई, मुझे जितना प्रतिभा के बारे में पता चला मैंने उससे उसके व्यवहार और उसके नेचर का आंकड़ा लगा लिया था क्योंकि उसका नेचर भी बिल्कुल मेरी तरह ही है, वह भी किसी को बिल्कुल भी तकलीफ नहीं देना चाहती और उसका भी दिल बहुत ही मासूम है। मैं जिस प्रकार से अपने कुछ ही दोस्तों के साथ उठता बैठता हूं वह भी बिलकुल मेरे ही किस्म की लड़की है, मेरी और उसकी काफी सारी बातें एक जैसी मिलती भी हैं इसीलिए मैं प्रतिभा से बहुत ज्यादा प्रभावित हो गया। एक दिन जब मैं अपने ऑफिस के लिए निकल रहा था तो उस दिन मुझे प्रतिभा दिख गईं, मैंने उसे अपनी कार में बैठा लिया, वह भी मुझसे मिलकर बहुत खुश हो रही थी लेकिन वह अपनी खुशी को जाहिर नहीं कर पा रही थी। मैंने उसे कहा कि तुम कहां जा रही हो, वह कहने लगी मैं अपनी किसी सहेली के घर जा रही हूं, मैंने फिर उसे उसकी सहेली के घर छोड़ दिया। अब धीरे-धीरे हम दोनों की मुलाकात होने लगी थी, मैं भी काफी कुछ चीजें प्रतिभा के बारे में जानने लगा था और वह भी मेरे बारे में काफी कुछ चीजें जानने लगी थी इसीलिए हम दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक आ चुके थे।

हम दोनों की पसंद भी लगभग एक ही प्रकार की है लेकिन हम दोनों अपने रिश्ते को कोई नाम नहीं दे पा रहे थे, हम दोनों एक अच्छे दोस्त बन चुके थे। हम काफी सारी बातें एक-दूसरे के साथ शेयर किया करते थे और मुझे जब भी ऐसा लगता कि मेरे पास वक्त है तो मैं प्रतिभा को फोन कर दिया करता था। एक दिन वह मुझे कहने लगी कि मुझे अपने किसी रिलेटिव की शादी में जाना है तो क्या तुम मेरे साथ चलोगे, मैंने प्रतिभा को कहा ठीक है मैं शाम को ऑफिस से आ जाऊंगा, तुम मुझे एक बार याद दिला देना हम दोनों ही वहां पर चल पड़ेंगे। जब मैं ऑफिस से घर जा रहा था तो प्रतिभा ने मुझे फोन कर दिया और मैं भी जल्दी से घर गया, प्रतिभा को मैंने उसके घर से रिसीव कर लिया। जब हम दोनों फंक्शन में पहुंचे तो सब लोग हम दोनों को ही देख रहे थे क्योंकि हम दोनों बहुत ही अच्छे लग रहे थे और प्रतिभा को जितने भी लोग पहचानते हैं उन सब ने प्रतिभा और मेरी बहुत तारीफ की। जब हम दोनों वापस आ रहे थे, प्रतिभा मुझे कहने लगी मेरा आज घर जाने का मन नहीं है मैं आज तुम्हारे साथ ही रुकना चाहती हूं।

मुझे कुछ भी समझ नहीं आया क्योंकि यह तो मेरे लिए बिलकुल ही शॉक्ड कर देने वाली बात थी मैंने भी प्रतिभा को कहा ठीक है हम लोग कहीं और चलते हैं। मैं और प्रतिभा कार में बैठे हुए थे मैंने अपनी कार में बड़ी ही धीमी आवाज में गाने लगाए हुए थे क्योंकि रात का वक्त था। मैं धीरे धीरे कार को चला रहा था मैं पुणे से मुंबई की तरफ को चला गया। जब मैंने प्रतिभा का हाथ पकडा तो मैं अंदर से बहुत उत्तेजित हो गया प्रतीभा पूरे मूड में आ चुकी थी। मैंने एक जगह पर गाड़ी रोक ली, मैंने प्रतिभा को किस कर लिया। जब उसके पिंक होठों को मैं किस कर रहा था तो मेरा लंड भी खड़ा हो गया, मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए प्रतिभा को कहा कि तुम इसे सकिंग कर लो। पहले वह मना कर रही थी लेकिन जब उसने सकिंग करना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैंने प्रतिभा के कपड़े उतारे तो मैं उसकी चिकनी चूत की तरफ देखता ही रह गया। मैंने कुछ देर तक उसकी योनि को चाटा और कुछ देर तक मैंने उसके स्तनों का रसपान किया जब उसकी योनि ने पानी छोड़ दिया। मैने प्रतिभा को लेटा दिया मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह चिल्ला उठी थी। मैं बड़े जोश में आ गया मैंने प्रतिभा को इतनी तेज गति से झटके दिए की हम दोनों ही एक दूसरे को बिल्कुल भी नहीं झेल पा रहे थे लेकिन जिस प्रकार से मेरा लंड प्रतिभा की मुलायम योनि के अंदर बाहर हो रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे धक्के ही मारता रहूं। मैंने प्रतिभा को बड़ी तेज गति से चोदना शुरू कर दिया वह अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी और मुझे अपने ओर आकर्षित कर रही थी। उसके मादक आवाज इतनी तेज होती कि वह मेरे कानो तक जा रही थी और मैं बड़ी तेज गति से अपने लंड को प्रतिभा की योनि के अंदर प्रवेश करवा रहा था और बड़े आनंद से उसे चोद रहा था। उसकी योनि से बहुत ज्यादा खून की बूंदे निकल चुकी थी इसलिए हम दोनों ही पूरे मजे में आ गए थे, वह पूरे मजे मे थी। जैसे ही मेरे लंड से सफेद वीर्य की धार उसकी योनि के अंदर घुसी तो वह मुझे कहने लगी तुमने तो आज मुझे पहली बार मेरे यौवन का एहसास दिला दिया, मैं बहुत ही खुश हूं। हम दोनों सुबह मुंबई पहुंच चुके थे, अगले दिन भी हम लोग मुंबई में ही रुके और वहां पर मैंने जमकर प्रतिभा के साथ संभोग किया।