नमस्कार, मेरा नाम करन यादव है और मैं फिरोज़ाबाद का रहने वाला हूँ | दिखने में उतना अच्छा तो नहीं हूँ लेकिन हीरो आलोम से बेहतर हूँ इतना मुझे भरोसा है | अब मैं दिखने में अच्छा नहीं तो मुझसे लड़कियाँ दूर ही रहता हैं लेकिन ऐसा नहीं है की मैंने कोई लड़की नहीं पटाई, मेरी भी एक गर्लफ्रेंड हुई है भले ही उसने मुझपे रहम खाया हो या कुछ दिन के लिए उसको मैं पसंद आ गया हूँ | तो ये कहानी है मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड सरिता झारिया की, जो मेरे साथ कोचिंग में पढ़ती थी | तो हुआ कुछ ऐसा की ये थी सुन्दर मेरे हिसाब से, अब जैसा मैं दिखता हूँ उस हिसाब से वो कटरीना कैफ थी | मैं उसके पीछे ही बैठता था लेकिन कभी बात नहीं हुई हमारी क्यूंकि मैंने लो सेल्फ कॉन्फिडेंस की वजह से कभी की नहीं और वो मुझसे बात क्यों करे | बस कुछ हुआ ही नहीं लेकिन बिचारी मैथ्स में कमज़ोर थी और ऐसे मौकों पे लड़कों के अन्दर अल्बर्ट आइंस्टीन आ जाता है | तो एक दिन क्लास में सर ने एक सवाल दिया और सब करने लगे और हमारे सर की आदत थी वो सवाल देके चला जाता था और थोड़ी देर बाद आता था और देखता था जिससे नहीं बनता था उनकी ले लेता था |
इस बार सवाल काफी टफ था लेकिन मैं भी कम होशियार थोड़ी न था मैंने कर लिया और मेरे दोस्त ने मुझसे पूछा तो मैं उसको समझाने लगा | तभी सरिता के बाजू वाली पीछे पलटी और कहा तुमने कर लिया क्वेश्चन ? तो मैंने कहा हाँ, तभी सरिता भी पलट गई और उसने कहा यार हमें भी बता दो | बस फिर क्या था अपन ने भी उसको ढंग से समझा दिया और बस लड़की इम्प्रेस, ऐसा मुझे लगा लेकिन ऐसा हुआ भी था | अब अगले दिन उसके पीछे वाली सीट पे कोई और बैठ गया था, तो मैं कहीं और बैठने लगा तभी उसने मुझे आवाज़ लगाई और कहा अरे यहाँ आके बैठ जाओ | उसने मुझे अपने बाजू में बैठा लिया मतलब वो फिर उसकी दोस्त और उसके बाजू में मैं लेकिन ये भी मेरे लिए कोई सपने जैसा था | उस दिन भी मैंने उसको बहुत कुछ बताया और बंदी को और इम्प्रेस कर दिया | बस फिर क्या था साथ बैठना साथ घूमना और मेरा घर पहले पड़ता था और उसका थोड़ी आगे, तो कभी कभी वो मुझे अपनी स्कूटी पे घर भी छोड़ दिया करती थी | मुझमें तो बिलकुल हिम्मत नहीं थी उसको प्रोपोस करने की और उस समय जो चल रहा था कि जिस लड़की को प्रोपोस मारो वो यही कहती थी मेरा बॉयफ्रेंड है या मैं तुम्हें सिर्फ दोस्त मानती हूँ | यही सब सोचके मेरी गांड फटती थी और एक ऊपर से मैं दिखने में भी अच्छा नहीं था तो मैंने तो सोच लिया था कि मैं कुछ नहीं बोलूँगा लेकिन मेरे दोस्त थे न जो बहुत कमीने थे, उन्ही लोगों ने मुझे फोर्स किया और मैं भी ताव में आ गया और जाके उसको प्रोपोस लार दिया |
बस फिर होना क्या था ? वही जो मैंने सोचा था उसने कहा मैं तुम्हें अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ और मैंने तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं कभी और वगेरह वगेरह | तो मैंने कहा ठीक है लेकिन हमारी दोस्ती वैसे ही रहेगी, उसमें कुछ नहीं बदलेगा | तो उसने कहा हाँ बिलकुल और मैं वापस आ गया और अपने दोस्त दोस्तों को बहुत मारा, तो उन्होंने मुझे कुछ कुछ करने को कहा और मैंने फिर से उनकी बात मान ली | कुछ दिन तक मेरी और उसकी अच्छी बातें चलती रही और उस बीच मैंने उससे दो बार आई लव यू भी कहा लेकिन कोई जवाब नहीं माँगा | उसके बाद एक दिन हम साथ बैठे थे तभी एक मस्त आइटम सामने से निकली और मैं उसको देखता रह गया | पता नहीं उसको क्यों बुरा लग गया और वो मुझे सुनाने लगी, तो मैंने कहा तुम मुझे पसंद नहीं करती ठीक है लेकिन मुझे अपनी लाइफ एन्जॉय करने दो और तुम तो मुझे पसंद नहीं करती न तो तुम्हें बुरा क्यों लग रहा है ? तो उसने कहा मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ और रोते हुए बोली आई लव यू और मेरे गले लग गई | बस फिर क्या अब हाँथ में हाँथ डाल के घूमना, प्यार भरे गाने गाना जैसे बकवास कम हम नहीं करते थे क्यूंकि उसके घर वाले कुछ ज्यादा ही स्ट्रिक्ट थे इसलिए उसे ज्यादा बाहर निकलने नहीं मिलता था और कोचिंग से बंक हम मारते नहीं थे इसलिए कहानी ऐसे ही चल रही थी |
अब भाई मेरी गर्लफ्रेंड बन गई और मैंने कुछ किया भी नहीं, ये सुनकर दोस्तों को बहुत बुरा लगा और उन्होंने ने मुझे किस करने से लेकर चोदने तक का पूरा ज्ञान दे मारा | अब भाई दोस्त तो दोस्त वो तो मेरा अच्छा ही चाहेंगे लेकिन जैसे दोस्त मुझे मिले थे कसम से अच्छे दोस्त दुश्मन से कम नहीं हो होते | उन्होंने मुझे जगह बताई कब जाना है ये बताया और कहा चले जाना और मैंने भी उससे बात की और उस दिन हमने पहली बार बंक मारा और मैं उसको वहां ले गया | मैं उसको अन्दर लेकर गया और एक जगह पे टिकाके किस करने लगा | ये मेरी पहली किस थी और उसकी पता नहीं कौन सी ? तभी मेरे मुझे कोई आवाज़ सुनाई दी और मैं यहाँ वहां देखने लगा | तभी मुझे एक परछाई दिखी तो मैंने सरिता से कहा तुम यहीं रुको और मैं उस तरफ गया, तो मैंने देखा मेरे दोस्त ऊपर बैठे है और मोबाइल से वीडियो बना रहे है | मैंने नीचे से पत्थर उठाया और दिया खींच के, तब जाके साले सब भागे | तभी एक दोस्त आया और उसने मुझसे कहा भाई मारना नहीं मैं उनको रोकने आया था और चुपचाप से मेरे हाँथ में कंडोम दिया और भागते हुए बोला आल दा बेस्ट भाई | मैंने एक और पत्थर उठाया और उसको भी दे मारा लेकिन मेरा निशाना चूक गया और वो भाग गया |
फिर मैंने पूरी जगह की ठीक से तलाशी ली और मुझे कोई नहीं दिखा तब जाके मुझे कहीं तसल्ली हुई और मैंने सोचा ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता, मैं तो बस किस करने की सोचके आया था लेकिन मेरा मन हो गया कि आज इसको चोद ही देते है | तो मैं वापस उसके पास गया और वो वहीँ एक किनारे बैठी हुई थी, मैं उसके पास गया तो उसने मुझसे पूछा क्या करने गए थे ? तो मैंने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही और जाके उसके पास बैठ गया | मैंने फिर से उसको किस करने को किया तो उसने मुझे रोक दिया और कहा मुझे ये जगह कुछ ठीक नहीं लग रही, तो मैंने कहा मैं अभी सब कुछ चैक करके आ रहा हूँ डरने की कोई बात नहीं है और उसको किस करना शुरू कर दिया | वो भी अब बिना किसी हिचक के किस करे में मेरा साथ देने लगी और हम दोनों वहीँ बैठ के किस करते रहे | फिर मैंने उसके टॉप के ऊपर से उसके दूध दबाना शुरू किया और वो कहने लगी नहीं अब नहीं लेकिन मैं दबाता रहा | मैंने उसका टॉप उतारना चाहा लेकिन उसने उतारने नहीं दिया, तो मैंने उसको खड़ा किया और उसकी जीन्स खोलने लगा और मुझे मना करती रही लेकिन फिर भी मैंने खोल ही दी और उसके घुटनों तक नीचे कर दी और उसकी पैंटी भी | उसकी चूत पर हलके हलके बाल थे लेकिन मेरी हवस के आगे वो कुछ भी नहीं थे, मैंने पहली बार चूत देखी थी इसलिए मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैंने उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया और उसकी गांड पकड़ के दबाता रहा | थोड़ी देर बाद लड़की गरम हो गई और मज़े लेने लग गई उसने मेरा सिर अपनी चूत में दबाना शुरू कर दिया | मैंने भी हार नहीं मानी और उसकी चूत चाटता रहा और जीभ से उसकी चूत मारता रहा |
फिर मैं उठा और उसको घुमाया और झुकाके खड़ा कर दिया, फिर मैंने उसकी चूत में लंड डाला और गांड पकड़ के जो उसको झटके मार कर चोदना शुरू कर दिया और वो अहह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह्हह ह्ह्ह हह आआ आ ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह आआ ईस्सस इस्सस इस्सस स्स्स्स स्स्स्स करने लगी | मैं उसको चोदते चोदते उसके ऊपर ही टिक गया और उसके टॉप के अन्दर हाँथ डाल के उसके दूध दबाने लगा और अहह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह्हह ह्ह्ह हह आआ आ ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह आआ इस्सस इस्सस इस्सस स्स्स्स स्स्स्स ही करती रही | फिर मेरा मुट्ठ निकला और मैंने लंड बाहर निकाल के उसकी गांड के ऊपर ही पिचकारी चला दी | फिर उसने अपनी गांड साफ़ की और अपनी जीन्स पहनी और हम चले गए | उसके बाद हमने कई बार वहां जाके चुदाई की और एक बार तो मैंने उसकी गांड भी मारी लेकिन उसके कुछ दिन बाद हमारा ब्रेक उप हो गया | मगर आज भी जब उसकी चूत की याद आती है तो मुट्ठ मार लेता हूँ | तो दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी ?