हाय रे मेरा गीला बदन

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मेरा नाम सरिता है, मैं जूनागढ़ की रहने वाली हूं। मेरी पति की मृत्यु के बाद मैं अहमदाबाद आ गई और हमारी जो भी जायदाद जूनागढ़ में थी वह मैंने सब बेच दी और उसके बाद मैं अहमदाबाद में ही आ गई। मुझे अहमदाबाद में आए हुए एक वर्ष हो चुका है। मेरी मुलाकात भी काफी लोगों से होने लगी और मेरे काफी दोस्त भी बन चुके हैं लेकिन मैं अब भी अपने पति की मृत्यु से उभर नहीं पाई हूं। मुझे मेरे पति की मृत्यु का बहुत सदमा लगा इसी वजह से मुझे कई बार नींद भी नहीं आती थी इसलिए मुझे कई बार नींद की गोलियां लेनी पड़ती थी, उसके बाद ही मैं सो पाती थी। मैं भी अपने जीवन से खुश नहीं थी क्योंकि मैं अकेली रहती हूं और मैं अब अपने माता पिता से भी ज्यादा बात नहीं करती। मेरा और मेरे किसी रिश्तेदार के साथ भी ज्यादा संपर्क नहीं है, मैं किसी के साथ भी बिल्कुल संपर्क में नहीं हूं इसलिए मैंने अब सब लोगों से बात करना बंद कर दिया है।

मेरे पास जितने भी पैसे थे वह सब मैंने अहमदाबाद में कुछ दुकानें खरीदने में लगा दिए और उन दुकानों से जो किराया आता है उसी से मेरे घर का खर्चा चलता है। मेरी एक छोटी बेटी भी है, वह मेरे साथ ही रहती है और हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा है, मेरा बाकी किसी के साथ भी ज्यादा कोई संपर्क नहीं है। मैं किराया लेने के लिए महीने में एक बार दुकान पर चली जाती हूं और मुझे समय पर सब लोग किराया दे देते हैं। मेरे घर का खर्चा भी उन पैसों से चल रहा है। एक दिन मेरी मां का फोन आया और वह मुझे पूछने लगी कि तुम कैसी हो, मैंने उन्हें बताया कि मैं अच्छी हूं। मेरी मां भी मुझसे ज्यादा बात नहीं करती।  मैंने उनसे पूछा कि आज आपने मुझे कैसे फोन कर दिया, वह कहने लगी कि मैं तो तुम्हें हमेशा ही फोन करना चाहती हूं लेकिन तुम कभी हम लोगों से अच्छे से बात नहीं करती हो इसी वजह से मैं तुम्हें फोन नहीं कर पाती। मेरी मां ने उस दिन मुझे समझाया, वह कहने लगी कि तुम्हारी बच्ची अभी छोटी है, तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेती। मैंने अपनी मां से कहा कि मेरे दिल मव आकाश अभी जिंदा है, मैं उसे बिल्कुल भी भुला नहीं पाई हूं, मैं किसी और के साथ शादी नहीं कर सकती क्योंकि मुझे अब अकेले रहने की आदत हो चुकी है और मैं अकेले ही अपने जीवन को बिताना चाहती हूं।

मेरी मां ने मुझे बहुत समझाया, मैंने उनसे कहा कि आप अभी इस बारे में ना ही बोले तो अच्छा रहेगा क्योंकि आप लोगों ने भी मेरा बिल्कुल साथ नहीं दिया था। मैंने उसके बाद अपनी मां का फोन काट दिया और मैं सोचने लगी कि जब मेरी सास और मेरे ससुर मुझ पर इतना अत्याचार कर रहे थे तो उस वक्त मेरे घर वालों ने मेरा बिल्कुल भी साथ नहीं दिया।  वह लोग मुझे ही आकाश की मृत्यु का जिम्मेदार ठहरा रहे थे और कह रहे थे कि तुम्हारी वजह से ही हमारे लड़के की मृत्यु हुई है। मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि मुझे उस वक्त क्या करना चाहिए इसलिए मैं उस वक्त बिल्कुल टूट चुकी थी लेकिन मैं धीरे-धीरे उन सब चीजों से उभर पाई और उसके बाद मैंने अपने हक के लिए लड़ाई की। मैंने अकेले ही अपने हक की लड़ाई लड़ी और उसके बाद ही आकाश की जितनी भी प्रॉपर्टी थी वह सब मेरे नाम हुई,  उसके बाद वह सब बेचकर मैंने अहमदाबाद में प्रॉपर्टी खरीद ली। पैसे होने के बावजूद भी मैं अपने जीवन से खुश नहीं हूं, अब मुझे सिर्फ अपनी बच्ची के जीवन को सुधारना है और मैं यही सोचती हूं कि वह अपने जीवन को अच्छे से जिये, आगे चलकर उसे कोई तकलीफ ना हो इसी वजह से मैंने अहमदाबाद में प्रॉपर्टी खरीदी। उनसे जो भी पैसा आ रहा है उसमें से मैं कुछ पैसे सेविंग भी कर देती हूं, ताकि वह आगे चलकर मेरे काम आ सके। मेरी एक दुकान खाली पड़ी थी तो मैंने सोचा कि उसे भी मैं किराए पर दे देती हूं क्योंकि पहले में उसमें कुछ काम शुरू करना चाहती थी लेकिन बाद में मेरा मन नहीं हुआ और मैंने सोचा कि अब मैं उसे किराए पर ही दे देती हूं इसीलिए मैंने अपने दुकानदारों से कह दिया था कि आपकी नजर में कोई दुकान लेने का इच्छुक हो तो आप मुझे बता देना। काफी समय तक वह दुकान खाली थी लेकिन एक दिन मेरे पास एक लड़का आया और वह कहने लगा कि क्या आपकी दुकान खाली है, मैंने उसे कहा की हां मेरी दुकान खाली है।

मैंने उससे पूछा कि तुम्हें वहां पर क्या काम करना है, वह कहने लगा कि मुझे वहां पर गाड़ियों का स्पेयर पार्ट्स का सामान रखना है। मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने मुझे अपना नाम बताया, उसका नाम मोहन है। मैंने उससे पूछा कि तुम कहां के रहने वाले हो, वह कहने लगा कि मैं अहमदाबाद का ही रहने वाला हूं और जिस जगह मेरी पहले दुकान थी वहां के मालिक ने वह दुकान बंद कर दी इसीलिए मुझे अब वहां से खाली करना पड़ रहा है। मैंने उसे किराया बता दिया और उसके बाद उसने मुझे कहा कि मैं कुछ दिनों में ही आपको किराया दे देता हूं और वहां पर मैं अपना काम शुरू कर लूंगा, मैंने उसे कहा ठीक है जबसे तुम अपना काम शुरू करोगे तो मुझे बता देना। जब मोहन वहां पर काम शुरू करने वाला था तो उसने मुझे फोन कर दिया और कहने लगा कि मैं कल आपकी दुकान में अपना सामान रखवा दूंगा। वह मुझे मिला और उसके बाद उसने मुझे कुछ पैसे एडवांस भी दे दिए। अब उसने दुकान में काम करना शुरू करवा दिया  और कुछ दिनों बाद ही उसने अपना सारा सामान दुकान में रख दिया। मैं जब भी उसकी दुकान में जाती तो वह हमेशा ही मुझे कहता कि यदि आपको कोई भी सामान की जरूरत हो तो आप मुझे बता दीजिएगा। एक बार मुझे अपनी स्कूटी के लिए कुछ सामान लेना था तो मैंने रोहन से कहा, वह कहने लगा कि मैं आपकी स्कूटी में वह सामान लगवा देता हूं।

उसने अपने लड़के से बोलकर मेरी स्कूटी में वह सामान लगवा दिया और जब मैंने उसे पैसे देने चाहे तो उसने पैसे नहीं पकड़े और कहने लगा कि आपने पहली बार ही मुझे कुछ कहा है इसलिए मैं आपसे पैसे नहीं पकड़ सकता। मैंने रोहन से कहा कि नहीं तुम्हे यह पैसे तो पकड़ने हीं पड़ेंगे, मैंने उसे बहुत जिद की लेकिन उसने बिल्कुल भी वह पैसे नहीं पकडे। रोहन मुझे समय पर किराया दे देता था इसलिए मुझे उससे कोई भी तकलीफ नहीं थी, जब भी मुझे कुछ काम होता तो वह तुरंत ही मेरा काम कर दिया करता था। कई बार वह मेरी बच्ची को स्कूल भी छोड़ देता था,  ऐसी वजह से मैं मोहन के साथ में अच्छे से बात करती थी, वह भी मुझसे काफी अच्छे से बात करता था। एक दिन मोहन मुझे कहने लगा कि आपके पति की मृत्यु कब हुई और कैसे हुई, मैंने उसे सारी जानकारी दी और वह कहने लगा कि मुझे यह सवाल आप से नहीं पूछना चाहिए था परंतु मुझे लगा कि मैं आपसे यह सवाल पूछ लू इसीलिए मैंने आपसे इस बारे में पूछा। मुझे उसकी बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा और उसके बाद मैं अपने घर चली गई। मुझे जब भी कोई काम होता तो मैं मोहन को बुला लेती थी। एक दिन मेरे घर में नल खराब हो गया तो मैंने मोहन को फोन किया और उसे कहा कि आज मेरे घर में नल खराब हो गया है क्या तुम मेरे घर का नल ठीक कर दोगे। वह करने लगा ठीक है मैं कुछ देर में आपके घर आ जाता हूं जब वह मेरे घर आया तो वह नल को देखने लगा और मैं भी उसके साथ ही खडी थी। नल का पानी बिल्कुल भी नहीं रुक रहा था और बड़ी तेजी से बाहर की तरफ निकल रहा था। जैसे ही वह पानी मेरे ऊपर गिरा तो मेरा सारा बदन गीला हो गया मोहन मुझे कहने लगा कि आप का तो पूरा बदन गीला हो चुका है आप अपने कपड़े चेंज कर लीजिए। मैंने उसे कहा नहीं मैं ठीक हूं उसने जैसे ही मेरे पेट पर हाथ लगाया तो मेरे अंदर कि उत्तेजना जागने लगी। वह कहने लगा आप अपने कपड़े चेंज कर लो मै जानबूझकर उसके साथ खड़ी थी। वह मेरे स्तनों को बार बार देख रहा था जैसे ही मेरे स्तनों पर पानी गिरता तो मुझे बड़ा अच्छा लगता। मेरा शरीर पूरा गिरा हो चुका था मैंने पतली सी कुर्ती पहनी हुई थी जिसके बाहर मेरे स्तनों के उभार साफ दिखाई दे रहे थे। मोहन भी मेरी तरफ  आकर्षित होने लगा।

उसने भी अपने हाथों से मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया हम दोनों ही पूरे मूड में आ चुके थे और मुझे बिल्कुल कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने मोहन से कहा कि मेरी इच्छा को पूरी कर दो। वह कहने लगा आज तो मैं आपकी इच्छा को बड़े अच्छे से पूरा करूंगा आप चिंता मत कीजिए। जब उसने मेरे नंगे बदन को देखा तो वह पूरे मूड में था। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे नर्म होठों को किस करने लगा उसने काफी देर तक मेरे होठों को किस किया। उसके बाद उसे बिल्कुल भी नहीं रहा गया उसने अपने लंड को बाहर निकालते हुए मेरे मुंह में डाल दिया और कहने लगा आप मेरे लंड को चूसकर उसका जूस निकाल दो। मैंने भी उसके लंड को बड़े अच्छे से चूसा काफी देर तक चूसने के बाद उसका पानी बाहर की तरह निकलने लगा और वह पूरे मूड में आ चुका था। उसने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा किया और धीरे धीरे मेरी योनि में अपने लंड को डाल दिया। उसका लंड मेरी योनि में घुसा तो मुझे भी बहुत अच्छा लगा मैं चिल्लाने लगी और वह मेरी तरफ आकर्षित हो रहा था। वह कहने लगा मुझे आपको चोदने मे बहुत ही मजा आ रहा है। उसने मुझे ऐसे ही धक्के मारे लेकिन जब उसने मुझे घोडी बनाया। उसने मेरी योनि में अपने लंड को घुसाया तो मुझे बहुत दर्द हुआ और वह बड़ी तेज गति से मुझे चोदने लगा। मैं ज्यादा समय तक उसकी गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाई और मै झड गई। उसके बाद में खड़ी थी और कुछ देर में ही मोहन का वीर्य भी बड़ी तेजी से मेरी योनि के अंदर गिर गया। वह कहने लगा कि मुझे आप को चोदकर आज मजा आ गया।