बड़े दिनों बाद मैं अपनी कोई स्टोरी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ.
मेरी मंजरी से मुलाकत टैम्पो में हुई थी. मैनपुरी में महात्मा गांधी रोड पर
उसका और मेरा दोनों का डिग्री कॉलेज था. मेरा शहीद भगत सिंह डिग्री कॉलेज
था, वही मंजरी का नारी ज्ञानस्थली डिग्री कॉलेज भी उसी रोड पर था. हर सुबह
साढ़े ९ बजे के निश्चित समय पर वो मुझको टैम्पो में मिलती थी. नौशेहरा
टैक्सी स्टैंड से महात्मा गांधी रोड जाने वाले टैम्पो में मिलती थी. हम
दोनों की जान पहचान पीछले २ ३ महीनों से थी पर बोलचाल ना थी. वो ठीक मेरे
सामने आकर बैठ जाती थी. मैं तो हमेशा उस पर मोहित रहा था. वो मुझे देख कर
हस्ती थी. मैं भी हस्ता था. बड़ी मस्त माल थी मंजरी. गजब का चोदने खाने वाला सामान थी वो. जबसे
मैंने उसको देखा था मन ही मन चोदता आया था. ना जाने कितनी बार मैंने मंजरी
को सोच के मुठ मारी थी. जब मंजरी को सोच के अपना लौड़ा फेटता था तो कुछ जादा
ही मजा मिलता था. सच में कोई भी मंजरी को एक नजर देख लेता तो तुरंत उसको
खूबसूरत लड़की की श्रेणी में डाल देता. उसकी दोनों आँखें बड़ी चमकीली चमकदार
थी और बिसलरी के पानी से धुली धुली लगती थी. दोनों आँखों पर पतली पलती काली
काली भौहें तो बड़ी आकर्षक थी. भौहें और आखें दोनों मिलकर एक जबरदस्त
कॉम्बीनेशन बनाती थी. जो लड़का एक बार मंजरी को देख लेता था वो पलट के उसे
दुबारा जरुर देखता था. वो माल ही ऐसी थी. उसके होंठ ही अच्छे खासे सुन्दर
थे. जहाँ जादातर लड़कियों के होंठ बहुत पतले पतले होते है, दिखते ही नही है,
वही मंजरी के होठ मोटे मोटे थे. उसके देख के ही जी करता था की उसके मुँह
में अपना लौड़ा डाल दूँ और उसके मुँह को खूब चोदू. उस दिन मैं हमेशा की तरह टैम्पो में बैठा. मेरे पैर में जरा चोट लग
गयी थी. दांये पैर पर पट्टी बंधी थी. मजरी आई तो बोली ‘ अशोक! ये पैर में
क्या हुआ?? थोड़ी चोट लग गयी है !! मैंने जवाब दिया. उस दिन हम दोनों में खूब बातचीत शुरू हो गयी. उसने अपना नम्बर भी
दे दिया. मैं उससे बात करने लगा. उसको आई लव यू भी बोल दिया. उसने भी जवाब
में मुझे भी आई लव यू बोल दिया. वो मुझसे पट गयी. २ दिन बाद जब हम दोनों का
कॉलेज ३ बजे छूटा तो मैं उसको पास के पार्क में ले गया. एक पेड़ के पीछे
नरम घास पर बैठ गए. मैंने उसको पकड़ लिया और उसके नरम नरम स्ट्राबेरी जैसे
होठों को पीने लगा. मंजरी भी पूरी तरह चुदासी थी. मैं जानता था. इधर मैं भी
पूरी तरह चुदासा था. मैं नरम नरम हरी हरी घास पर लेट गया और मंजरी को
मैंने अपने पर लिटा लिया. क्या गजब की माल थी वो. मैंने उसको अपने पर उसी
तरह लिटा लिया जैसे शरारती बच्चे आम की लता को पकड़ के झुका लेते है और आम
तोड़ लेते है. बिल्कुल उसी अंदाज में मैं उसके होठ पीने लगा. मुझे बड़ी मौज आई दोस्तों. मंजरी ने अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए.
मैं उसके मस्त मस्त होठ पीने लगा. उसकी आँखों और खूबसूरत पलकों में मैं डूब
गया. वो भी मुँह चला चलाकर मेरे होंठ पीने लगा. भाई जिंदगी का मजा आ गया
मुझे. सुख सागर मैं मैं डूब गया. उसने अपनी सिलेटी रंग का सूट और सफ़ेद रंग
की सलवार और सफ़ेद रंग का ही दुपट्टा पहन रखा था. येही उसकी कॉलेज की ड्रेस
थी. धीरे धीरे हम दोनों एक दूजे के होंठ पीते पीते गरमाने लगे. मेरे हाथ
उसके सिलेटी रंग के सूट पर उसके मम्मो पर चले गए. मैं दिन के उजाले में उस
पार्क में उसके गुप्तस्थलों को छूने लगा. इस पार्क में बहुत से जोड़े आकर
चुदाई करते थे, इसलिए मुझे कोई टेंशन नही थी. मंजरी की आँखें बंद थी, मेरी आँखें भी बंद थी, मैं उसके होठ पी रहा
था. मेरा हाथ उसके छोटे छोटे मम्मो को दाब रहें थे. ये खेल बड़ी देर चला.
घंटों हम दूसरे से लिपटा झपटी करते रहे. मैंने उसके सिलेटी सूट की कॉलेज
ड्रेस के उपर से ही उसके छोटे छोटे मम्मों को दबाता रहा. ऐठता रहा. वो
मस्ताती रही. मैं उसको लेकर एक झाडी में दुबक गया. काफी घनी झाडी थी ये.
मैंने उसका सूट निकाल दिया. उसने ब्रा पहन रखी थी. मैंने निकाल दी. मंजरी
का मस्त मस्त छरहरा बदन मेरे सापने आ गया. वो काम और चुदाई की बिल्कुल देवी
थी. इसके साथ ही वो दुबली पतली भी थी. उसके कंधे, कॉलर बोन, उसकी एक एक
पसली, उसके २ छोटे छोटे पर अति सुंदर मम्मे मैं देख सकता था. मैंने मंजरी को खुद से चिपका लीया. मुझे उसके रूप का नशा चढ़ गया
था. वो मेरे गले लग गयी. हम दोनों एक दूसरे की पीठ पर हाथ रख के सहलाने
लगी. हम दोनों पर चुदास हावी थी. मैंने अपनी कलाई घड़ी पर नजर डाली साढ़े ३
बजे थे. मंजरी मुझसे चुदवाना चाहती थी. मैं उसको पेलना, और चोदना चाहता था.
कुछ देर तक तो हम हीर रांझा की तरह गले लगे रहें, फिर मैंने उसको घास पर
लिटा था. उसमें दूध को मैंने मुँह में किसी लालची लोमड़ी की तरह भर लिया.
मैं मंजरी के दूध पीने लगा. उसने सरेंडर कर दिया और अपने जिस्म को ढीला छोड़
दिया. मैं मुँह से उसके दूध को पीता रहा, तो हाथ से उसके दूसरे मम्मो को
दबाता रहा. आज तो मुझे स्वर्ग मिल गया था. जिस लड़की को सोच सोचके मैं रोज
मुठ मारता था, आज सच में उसकी चूत मारने को मिल गयी थी. मैं जीभ से मंजरी के छाती और उनकी काली काली खड़ी हो चुकी निपल्स से
खेलता रहा. वो भी मजे लेती रही. उसके मम्मे खोये जैसे थे. बिल्कुल खोये
जैसे. मैंने उसके मम्मे का सारा रस पी लिया. फिर दूसरा मम्मा मुँह में भर
लिया. कुछ देर तक मैं उसके दूसरे मम्मे का दूध पीता रहा. फिर मैंने उसके
पतले सपाट पेट को अपने हाथ से सहलाया और चूम लिया. सच में मंजरी चुदास और
कामवासना की देवी थी. मैं नीचे बढ़ा और उसकी नाभि को चुम्मी ले ली. हम दोनों
घनी झाडी में थे, इसलिए हमे कोई नही देख सकता था. मैंने नीचे बढ़ा और मैंने
मंजरी की कमर को चूम लिया. उसके सफ़ेद सलवार का नारा मैंने खोल दिया और
उतार दिया. उसको पैंटी को भी मैंने निकाल दिया. मुझे लगा की मैंने आज सब
कुछ पा लिया हो. मंजरी की बुर के मैंने दर्शन किये. काली काली घुंघराली घुंघराली
झांटे मुझको दिखी. मैंने उसकी बुर को ऊँगली से खोला तो वो चुदी हुई थी. सील
टूटी थी. मैंने कोई हर्ज नही किया. इतनी मस्त सुंदर लौंडिया अगर चुदी हुई
ना हो तो क्या फायदा. मैंने मंजरी की बुर पर झुक गया और पीने लगा. नमकीन
नमकीन नमकीन स्वाद मेरी जीभ को मिला. मैं मस्ती से उसकी बुर पीता रहा.
मंजरी का चेहरा देखने लायक था. सायद् वो शर्म कर रही थी. उसका मुँह लाल लाल
हो गया था. मैंने उस घनी घनी झाड़ी में मंजरी के दोनों पैरों को खोल रखा
था. मैं उसकी घनी घनी झाटों को सुहरा सुहराकर उसकी चूत पी रहा था. मंजरी के
चेहरे को मैंने एक बार देखा. उसके गालों में डिम्पल पड़ गए थे. मैं जीभ से
उसकी सबसे कीमती अंग को चाट रहा था. ४० मिनट तक तो दोस्तों मैं सिर्फ उसकी
बुर पी. कुछ देर बाद मैंने अपनी पैंट की बेल्ट खोली और पैंट निकाल दी.
मैंने डिक्सी स्कॉट वाला अनडरविअर भी निकाल दिया. मेरा लौड़ा उत्त्जेना और
सनसनी से फूलकर दोगुना मोटा हो गया था. मैंने मंजरी के भोसड़े पर लौड़ा रखा
और जरा था धक्का दिया तो लौड़ा अंदर चला गया. मैं उसको उस पार्क की घनी घनी
झाटों में चोदने लगा. मैं मंजरी पर पूर्णरुपेड लेट गया. उसके नरम नरम होठ
पर मैंने अपना मुँह रख दिया. मैं उसके होठ पीते पीते उसको चोदने लगा. सच
में दोस्तों, इसे कहते है जन्नत मिलना. जिस लड़की को रोज टेपों में मिलता
था, आज मुझे उसकी चूत मरने को मिल रही थी. मैं हुमक हुमक के धक्के मार मार
कर चोदने लगा. मुझे बड़ा नशीला नशीला सा पुरे जिस्म मे लग रहा था. एक अजीब
सी सरसरी पुरे बदन में हो रही थी. मैं मंजरी के रूप को बार बार निहारता था.
उसकी वो बिसलरी के पानी से धुली धुली आँखें बहुत ही चमकदार लग रही थी.
उसकी आँखों की पलकें भी बड़ी शानदार थी और मोर के पंख जैसी खूबसूरत पलकें थी
उसकी. मैं मंजरी के रूप को निहार निहार के उसको पेल रहा था. वो मजे से
पेलवा रही थी. मेरे फट फट करके धक्के जो मैं मार रहा था, उससे मंजरी के बदन में
एक कम्पन पैदा हो रहा था. जिससे उसके दूध जल्दी जल्दी हिलते थे. ये समां
बड़ा यादगार और सुहाना सुहाना था. मैं उसको तेज तेज चोदने लगा तो उसके दूध
और जोर जोर से हिलने लगा. मेरे चोदन की आवाज उस झाड़ी में गूंजने लगी. कुछ
देर बाद मैं आउट हो गया. मैंने मंजरी को सीने से लगा लिया. जितनी चुदाई का
मजा मिला था ठीक उतना मजा उसे भी मिला था. कुछ देर हम प्रेमी प्रेमिका आराम
से उस घनी झाड़ी में लेते रहे. कुछ देर बाद फिर चुदाई माँ मौसम बन गया. मैं
जमीन पर लेट गया. मंजरी को मैंने अपने लौड़े पर बिठा लिया. वो जरा उपर उठी
तो मैंने हाथ से अपने डगमगाते लौड़े को उसकी बुर में डाल दिया. वो होले से मेरे लौड़े को अंदर ले कर मेरे उपर बैठ गयी. धीरे धीरे
वो मेरे लौड़े पर कूदने लगा. वो अहसास बड़ा मखमली मखमली था. मैंने मंजरी की
कमर पर दोनों तरह से अपने हाथ रख दिए. वो किसी घुड़सवार की तरह मेरे लौड़े की
सवारी करने लगी. मैं आनंद में डूब गया. मैं अपने दोनों हाथों से उसकी कमर
को सहलाने लगा. वो जोर जोर से मेरे लौड़े पर कूदने लगी. उसके छोटे आकार के
मम्मे जोर जोर से हिलने लगे. चुदवाने से उसकी छातियों में और रस भर रहा था.
उसकी छातियाँ और भी जादा बड़ी हो रही थी और भी जादा रस से भर रही थी. मंजरी
मेरे लौड़े की सवारी कर रही थी. वो मस्ती से चुदवा रही थी. मैं मजे से उसको
चोद रहा था. कुछ देर बाद वो शिथिल पड़ी. मैंने उसको सीने से लगा लिया और
उसके पुट्ठों को गोल गोल सहला सहलाकर मैं उसको चोदने लगा. वो मेरे उपर ही
थी. कुछ देर बाद वो फिर से मेरे लौड़े पर सीधा बैठ गयी और नीचे से जोर जोर
से उपर की ओर धक्के मारने लगा. बड़ा रंगीन दिन था वो. बड़ी रंगीन दोपहर थी
वो. मैंने मंजरी की बुर का खूब जीभरके भोग लगाया. कुछ देर बाद मैं फिर से
आउट हो गया. हम फिर से उस हरी हरी घनी घनी झाड़ी में विश्राम करने लगे. मैंने एक
नजर पार्क की तरफ देखा तो चारों कोनों पर पेड़ की झाडियों में प्रेमी
प्रेमिका का जोड़ा छुपा बैठा था. प्यार चल रहा था. चुदाई भी चल रही थी.
मैंने मंजरी को फिर से गले लगा लिया. मेरी घड़ी में अब ५ बजे थे. मंजरी, और चुदवाओगी?? मैंने पूछा मन है तो और चोद लो !! वो भोलेपन से बोली. मेरा उसको लेने का और मन था. अगर एक बार उसको और ले लूँ तो क्या
हर्ज है. ये सोच मैंने फिर से उसके होठ पीना शुरू कर लिया. फिर मैंने उसको
पार्क की नरम घास पर अपने बगल ही लिटा लिया. मैंने उसको अपने से सट कर ही
लिटा लिया. मैंने एक बार और उसके मस्त मस्त पुस्टांगों को फिर से सहलाया.
मैंने मंजरी की एक टांग को उपर उठा दिया. पीछे से मैं अपने लौड़े को ले गया
और उसकी बुर में मैंने डाल दिया और चोदने लगा. मैं और मंजरी पीठ के बल लेटे
हुए नही थी बल्कि हम दोनों पश्चिम की ओर करवट लिए हुए थे. मैं मंजरी को ले
रहा था. इस तरह एक नया पोज मिला और जादा गहरी पहुच मंजरी की बुर में मिलने
लगी. मैं उसको मजे से लेने लगा. मैंने इस बार भी शानदार प्रदर्शन किया और
जमकर मंजरी की चूत मारी. फिर मैं आउट हो गया.
मैं आगरा की रहने वाली हूँ। मैं बहुत गोरी और जवान लड़की हूँ।
मेरा बदन बहुत गोरा और सुडौल है। मेरा फिगर कमाल का है। छरहरा और बिलकुल
फिट। 36, 30, 34 का ...
देसी हॉट भाभी चुत चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे किरायेदार डॉक्टर रहता था. कोरोना ड्यूटी से अस्पताल में रहते थे. भाभी की चूत लंड मांगने लगी तो मैंने फाय...
बात उस समय की है, जब मैं लखनऊ गया था. वापस आते वक़्त मैं ट्रेन में सफ़र कर रहा था. मैंने ट्रेन एसी फर्स्ट में अपनी सीट बुक कराई थी, जिसमें मैंने मेरा पर...
नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी ? मैंने आशा करता हूँ कि आप सभी अच्छे
होंगे | मेरा नाम प्रवीण है और मैं बिलासपुर का रहने वाला हूँ | मेरी उम्र
23 साल...
हैल्लो दोस्तों मैं सारिका बांगड़ की रहने वाली हूँ, मैं ऍम.बी.ए की पढाई
कर रही हूँ और मैं यहाँ अकेले रह कर पढ़ रही हूँ | वैसे तो हमलोग मेन
दिल्ली के रह...