चाचा को हॉस्टल में बुलाया और दिनदहाड़े चुदवाकर चूत में लौड़ा खाया

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मैं एक २३ साल की पूर्ण यौवना को प्राप्त लड़की हूँ. मैं इस समय बी एस सी कर रही हूँ. पहले मेरे काई बोयफ्रेंड थे. कईयों से चुदवाती थी. पर अब मैं अपने सगे रघु चाचा से फँसी हुई हूँ. मैं कॉलेज के हॉस्टल में रहकर पढ़ती हूँ. क्यूंकि मेरा घर मेरे कॉलेज से कोई ८० किमी दूर था इसलिए फैमिली वालों ने कहा की हॉस्टल में रहने से ही फायदा हो पाएगा. कम से कम आने जाने में वक़्त तो बर्बाद नही होगा और पढाई भी हो जाएगी. २ साल पहले ही मैंने अपने रघु चाचा से फस गयी थी.

उनकी एक एक आदत और हरकत मुझे बड़ी अच्छी लगती थी. जब भी मैंने उदास होती थी वो नई नई तरह की कॉमेडी करते थे और मुझे हंसा देते थे. धीरे धीरे मेरे चाचा मुझे अच्छे लगने लगे. एक दिन मैंने उनको आई लव यू बोल दिया. फिर क्या था दोस्तों. मेरे चाचा भी ३० साल के थे. वो मुझे आम के बगीचे में ले गया और वहीं बड़े बड़े आम के पेड़ो की आड़ में उन्होंने अपना गमछा नीचे घास पर बिछा दिया और खूब चूत मारी मेरी. मुझे उन्होंने बड़ा आनंद दिया.

उसके बाद मैंने रघु चाचा से हर दुसरे तीसरे दिन चोरी छुपकर चुदवाने लगी. धीरे धीरे उनके लम्बे लंड का ऐसा चस्का मुझे लग गया की उनका लंड खाये काम ही नही चलता था. मैंने रघु चाचा से किसी बेशर्म आवारा लड़की की तरह साफ़ साफ़ कह देती “चाचा !! चलो मुझे चोदो !! और अपना लौड़ा खिलायो! मुझे आपके लौड़े की बड़ी जोर की तलब लगी है!!’ ऐसा मैं चाचा से कह देती. मजबूरन उनको मुझे किसी छिपे हुए कमरे या जगह ले जाना पड़ता और चोदना पड़ता.

धीरे धीरे चाचा को भी मेरी चूत की ऐसी तलब लग गयी की उन्होंने शादी करने से भी मना कर दिया. जब घर वाले रघु चाचा की शादी की बात चलाते तो चाचा कहते की “अभी तो मैं पढ़ रहा हूँ. अभी शादी की क्या जल्दी है. शादी तो बाद में ही हो जाएगी!!’ रघु चाचा कहते. पर असली बाद वो किसी को नही बताते की उनको अपनी भतीजी की चूत बहुत पसंद आ गयी है. २ साल में उन्होंने मुझे पेला की मेरी चूत बिलकुल ढीली हो गयी.

अब तो मुझे चाचा के लौड़ा का ऐसा चस्का लग चूका था जैसे ड्रग्स और अफीम खाने वाले लोगों को लत लग जाती है ठीक उसी तरह मुझे रघु चाचा के मोटे, लम्बे लौड़े की बुरी लत लग गयी थी. दोस्तों कुछ दिन बाद मैंने गाँव के स्कुल से मैं १२वी पास कर गयी तो मुझे शहर बी एस सी करने आना पड़ा. मेरे पापा और ममी आये और यही शहर के भगवान शरण डिग्री कॉलेज में मेरा दाखिला करवा दिया. क्यूंकि मेरा गॉव और घर शहर से बहुत दूर था इसलिए मुझे यही हॉस्टल में रूम लेना पड़ा. पापा मम्मी तो घर लौट गये पर बार बार अपने रघु चाचा की याद आने लगी. १० दिन बीते तो लगा की १० साल हो गये चाचा से मिले. इधर मेरी चूत बार बार कहती ‘चाचा को बुलाओ …..और उनका लंड खाओ!!’ दोस्तों, यही मेरी चूत मुझसे गुजारिश कर रही थी.

दूसरी तरह पढाई से दिमाग ख़राब कर रखा था. ये कॉलेज बड़ा सही कॉलेज था. उस तरह का नही था जिसमे लड़कियां हाजिरी लगवाकर अपने आशिकों के साथ मोटर साइकिल पर घुमती है. और पार्कों में चोरी छिपे चुदवाती है. इस कॉलेज ने तो मेरी गांड में लंड दे रखा था. सुबह ९ बजे से शाम ५ बजे तक ना जाने क्या क्या होता रहता है. एक सेकंड की भी फुर्सत नही मिलती थी. उपर से दुनिया भर के नोट्स बनाने पड़ते थे.

कॉपी चेक करवानी पड़ती थी. उपर से कभी भी सरप्राइस टेस्ट हो जाता था. इसलिए अब चाचा से मिलने का और उसने चुदवाने का वक़्त कम मिलता था. कुछ बाद इलेक्शन होने वाले थे. इसलिए कॉलेज के सारे टीचेर किसी ना किसी पार्टी का प्रचार करने चले गये. ३ दिन की छुट्टी हो गयी. मैंने चाचा से चुदवाने के लिए उनको फोन कर दिया. वो तुरंत मेरे पास ३ दिन तक हॉस्टल में रहने को आ गए. जैसे ही वो मेरे कमरे में आये मैंने उनको गले लगा लिया. ‘ओह्हह्ह्ह्ह चाचा जी !!!!! बड़ी याद आई आपकी !!’ मैंने कहा और उनको गले से लगा लिया. मेरे बड़े बड़े चुच्चे उनके ताकतवर सीने से दबने लगे. ‘आई लव यू भतीजी जी !!! आप कैसी है??’

चाचा बोले और किसी सच्चे आशिक की तरह मेरे सर, माथे और आँखों को चूमने चाटने लगे. आखिर २ साल से मैं उनसे चुदवाती आ रही थी. मुझे भला रघु चाचा प्यार क्यूँ नही करते. ‘…आज कितने दिनों बाद तुमसे मिलने का मौका मिला है. तुमको बता नही सकता भतीजी !! तुम्हारे साथ बिताये वो रंगीन पल याद कर करके ही मैंने इतने दिन जिया हूँ !!” रघु चाचा बोले ‘चाचा !! मुझे भी आपके लौड़े ही बहुत याद आई. किस शानदार तरह से वो मेरी चूत में घुसकर मेरी चूत मारता था. आपके लौड़े ने मुझे २ सालों में कितना मजा दिया है ,

मैं आपको बता नही सकती’’ मैंने चाचा से कहा और उनके सीने पर चूमने लगी. ‘कोई बात नही भतीजी !! अब मैं आ गया हूँ. ३ दिन तक तुम्हारी चुदासी चूत को रोज दिनभर सुबह शाम रात भर फारूँगा और तुमको इतना मजा दूंगा की तुम सब पिछली टेंसन भूल जाओगी !!’ चाचा बोले और मेरे गुलाबी चमकदार होठो पर अपने होठ रखकर किसी आशिक की तरह लिप लॉक करने लगे. हम दोनों अपने अपने मुँह और जबड़े चलाकर एक दुसरे के होठ पीने लगे. बड़े देर तक हम दोनों खड़े खड़े रोमांस करते रहे और एक दुसरे को नही छोड़ा. छोड़ते ही क्यूँ आखिर ३ महीने बाद रघु चाचा से मुलाकात जो हुई थी. मेरे हॉस्टल की बिल्डिंग में कोई नही था.

इसलिए चाचा संग चुदने का परफेक्ट टाइम था. मैंने इस समय सलवार सूट पहन रखा था. क्यूंकि कॉलेज के हॉस्टल में जींस टॉप पहनना मना था. चाचा ने मेरा हरे रंग का दुपट्टा मेरे सीने से हटा दिया और दूर कर दिया. वो मुझे बिस्तर पर ले गये. दुपट्टा हटते ही मेरे ३४ साइज़ के आकर्षक मम्मे चाचा को दिखने लगे. वो ललचा गये. कभी एक ज़माने में मेरे दूध ० साइज़ के थे, पर रघु चाचा से मेरी छातियाँ इतनी दबाई और इनती मेरी चूत चोदी की मेरी छातियाँ किसी कद्दू की तरह रोज बढ़ने लगी और अब ३४ साइज़ की हो गयी थी. पर दोस्तों, मुझे पूरा विश्वास था की चाचा अगले २ साल में मुझे इतना चोद देंगे की मेरी चूत बिलकुल फट जाएगी और मम्मे ३६ साइज़ के तो आराम से हो जाएगें. इस बात का भी मुझे गहरा विस्वास था. मुझे मैंने अपने चाचा की प्यारी छिनाल बन चुकी थी. ‘

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मीनाक्षी !!! मेरी जान ,,मेरी प्यारी भतीजी !! तू बड़ी सुंदर है रे रे !!’ चाचा बोले और मेरे सूट के उपर से ही मेरे दूध पर अपने हाथ रख दिए और मेरी छातियों का नाप लेने लगे. ‘भतीजी !! सायद जादा पढ़ने और जादा दिमाग खर्च करने से तेरे बूब्स कुछ छोटे हो गये है’ चाचा बोले ‘’हाँ !! चाचा जी , अब मैं आपके हवाले हूँ. आज मुझे इतना चोद दीजिये की फिर से मेरे दूध परफेक्ट साइज़ में आ जाए!’ मैंने कहा. ये सुनकर रघु चाचा बेहद खुश हो गये.

वो मुस्कुराने लगे. उनकी हल्की दाढ़ी थी. वो जोर जोर से मेरी इज्जत मेरी मस्त मस्त गोल मटोल छातियाँ दाबने लगे. मैं भी पूरा मजा लेने लगी. फिर वो मेरी सलवार पर चले गये और चूत उपर से ही चेक करने लगे. फिर उन्होंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए. निर्वस्त्र हो गए. इधर मैंने भी जल्दी जल्दी अपना सलवार सूट निकाल दिया. क्यूंकि मैं जल्दी से रघु चाचा से चुदवाना चाहती थी और उनका लंड खाना चाहती थी. उन्होंने दरवाजे पर अंदर से सिटकनी लगा दी. इधर मैंने बी अपनी ब्रा और पेंटी हटा दी थी. रघु चाचा ने जैसे ही मेरे बला के खूबसूरत भरे भरे दूध देखे उनको अंगराई आ गयी. मेरे रूपवान चुच्चो का जादू उनपर चल चूका था. वो मेरे बगल ही आकर लेट गये और मेरे दूध मुँह में भरके पीने लगे.

मेरे दूध बहुत ही जादा खूबसूरत थे. बड़े बड़े, उजले उजले, गोल गोल और भारी भारी बिस्कुल देसी गाँव की लड़की की तरह छातियाँ थी. “ओह्ह भतीजी !! तू कितनी माल हो गयी है !!.कहीं किसी लकड़े से चुदवा तो नही ली???’ चाचा ने मजाक किया. ‘क्या चाचा ..क्या कभी आपके सिवा किसी से चुदवाया है मैंने???’ मैंने रूठ गयी. चाचा मेरे गाल चूम चूमकर किसी प्रेमी बॉयफ्रेंड की तरह मुझे रूठे से मनाने लगे. फिर हपर हपर करके मेरे दूध पीने लगे. वो जोर जोर से काली काली निपल्स को दांत से पकड़ कर उपर की ओर खींचते तो मेरी चुचि उपर की तरह उठ जाती. इस तरह से रघु चाचा मुझे प्यार से मेरे दूध खीच खीच कर पीने लगे. मुझे बहुत जोर की यौन उतेज्जना होने लगी.

मैं कामातुर हो गयी. रघु चाचा का लंड खाने को मैं तपड रही थी. पर अभी तो वो मेरे दूध पीने में बेहद व्यस्त थे. मेरी दोनों चुचि को निपल्स को दांत से काट रहे थे और खींच खींच कर किसी लीची की तरह चूस रहे थे. मैंने दावे से कह सकती थी की मेरे दोनों गोल गोल दूध बड़े मीठे होंगे. मैंने अपनी आँखों से देखा चाचा का लंड किसी बिजली के खम्भे की तरह खड़ा हो गया था. बड़ी देर कब वो मुझे अपनी घर की माल की तरह मेरे दोनों दूध अदल बदल कर पीते रहे. फिर मेरे मखमली पेट को चूमने चाटने लगे. मुझे छेड़ने लगे. फिर मेरी नाभि से होते हुए मेरी मस्त चूत पर आ गए.

अपनी चूत के सारे बाल मैंने कल ही साफ कर लिए थे. इसलिए मेरी चूत बड़ी चिकनी और बेहद खूबसूरत लग रही थी. चाचा मेरी चूत को छूने लगे तो मैं गांड उठाने लगी. फिर वो जीभ डालकर मेरी चूत पीने लगा. आज करीब ३ महीने बाद चाचा मेरी बुर पी रहे थे. वरना जबसे इस कॉलेज में आई हूँ रघु चाचा को एक बार भी चूत पिलाने का मौका नही मिला. चचा आधे घंटे तक मेरी बुर मजे से जीभ सुपड़ सुपड़ करके पीते रहे. फिर चाचा ने मेरी चूत खोलकर देखी. ‘अरी भतीजी !!! तेरी चूत का छेद तो बंद बड़ा है!!’ चाचा आश्चर्य ने बोले. ‘हाँ चाचा !! अब आप ही मेरी बुर मारते थे तब छेद खुला रहता था. जबसे गाँव छूटा तब से आपका लौड़ा भी छूट गया.

इसलिए आज मुझे जरा कसके चोदिये, जिससे मेरी बुर का छेद बंद ना हो’’ मैंने कहा. रघु चाचा ने आखिर मेरी चूत में लौड़ा दे दिया. मेरी दोनों भरी भरी गोल गोल जांघो को हाथ से पकड़ लिया और मुझे मजे से हर हर करके ठोकने लगे. ‘आह दोस्तों , आज कितने दिनों बाद चाचा का लौड़ा खाया था मैंने. मजा आ गया था आज तो!’ मैं इसी तरह जोर जोर से पेलवाने लगी. मैंने अपनी दोनों टाँगें और खोल दी जिससे चाचा जोर जोर से मेरी चूत में धक्क्का मार सके. मैंने मजे ले लेकर चुदवाने लगी. चाचा लग रहा था कोई साइकिल चला रहे है.

क्यूंकि उनकी कमर बिलकुल किसी साइकिल की तरह मेरी चूत के उपर काम कर रही थी और मुझे चोद रही थी. बड़ी देर तक चाचा ने मुझे चोदा फिर लंड निकालकर मेरे मुँह में सारा माल झाड़ दिया. मैंने उनका सारा गाढ़ा गाढ़ा माल पी गयी. अब मुझे मजा आने लगा. एक बार चुदकर थोडा सा संतोस मिला. पर मैं तो अभी कई अपने सगे रघु चाचा का लौड़ा खाना चाहती थी. चाचा ने मुझे अब कुतिया बना दिया और पीछे से मुझे चोदने लगे. मैं पीछे से नंगी बिलकुल पट्ठी लग रही थी. मेरे पुट्ठे बड़े मांसल और भरे भरे गोल आकार के थे. मैं पीछे से देखने पर बिलकुल पट्ठी लग रही थी. चाचा सट सट मेरे पुट्ठों पर जोर जोर से चमाट मारने लगे. जिससे मेरी लपलपाती गांड और भी उभरकर उपर आ गयी.

मेरे लपलपाते पुट्ठों के बीच में चाचा ने अपना मुँह डाल दिया और मेरे पुट्ठे और गांड का छेद पीने लगे. बड़े देर तक रघु चाचा मेरे हिलते लहराते पुट्ठे से खेलते रहे और मचलते रहे. फिर झुककर वो पीछे से मेरी चूत पीने लगे. पीछे से मेरी बुर लम्बी लम्बी भरी भरी किसी चासनी भरी गुझिया की तरह लग रही थी. मेरे प्यारे रघु चाचा मेरी चाशनी वाली गुझिया मुँह लगाकर पीते रहे. मैं किसी छिनाल आवारा रांड की तरह मचल रही थी जो लौड़े की बहुत प्यासी होती है. फिर रघु चाचा से मुझे कुतिया बनकर मेरी चाशनी वाली गुझिया में लौड़ा डाल दिया. और कमर को आगे खिसका खिसका कर मुझे चोदने लगा. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ !! क्या नशीले धक्के थे चाचा जी के. आज भी उनका लौड़ा किसी रॉक स्टार के लौड़े से कम नही था. वो कमर आगे पीछे करके बिस्तर पर कुतिया बनकर मेरा भोसड़ा फाड़ने लगे.

मैं हाय अम्मा !! हाय अम्मा !! मर गयी!!!…फट गयी रे मेरी चूतत्त्तत्त!!’करके चुदवाने लगी और जोर जोर से ये शब्द चिल्लाने लगी. चाचा मेरी सिस्कारियां सुनकर और भी जादा गर्म हो गये और किसी छिनाल रंडी की तरह मुझे चोदने लगे. मैं जोर जोर से उईईइ माँ …..उईईइ माँ!! करने लगी और चाचा गचा गच मेरी बुर चोदने लगे. आज वो ३ महीने पुरानी यादे फिरसे ताजा हो गयी जब मैं आम के बगीचे में चाचा से चुप छुपकर चुदवाया करती थी.

आज भी चाचा उसी तरह से घपा घप मुझे चोद रहे थे. फिर मैंने अपनी गांड को आगे पीछे करके खुद चुदवाने लगी. चाचा ने बड़ी देर तक पीछे से मेरी बुर मारी. फिर भी जब आउट नही हुए तो उन्होंने अपना लम्बा लौड़ा निकालकर मेरी गांड में दे दिया और मेरी गांड चोदने लग गये. ‘हाय हाय !! आज कितने दिनों बाद मैंने अपनी गांड मरवा रही थी. मुझे बहुत मजा आया दोस्तों. ‘चाचा जी !! और जोर जोर से मेरी गांड चोदिये!!’ मैं उनसे विनय करने लगी.

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वो जोश में आ गए और गपा गप मेरी गांड चोदने लगे. लगा की आज जमाने बाद गांड मरा रही हूँ. चाचा आज बड़े अच्छे से मेरी गांड चोद रहे थे. मेरी गांड का छेद बहुत टाइट था, बड़ी मुस्किल से चाचा आ लौड़ा अंदर बाहर हो रहा था. चाचा मेरी पीठ पर झुक गये और कामुकता से अपने दांत मेरी भरी मांसल पीठ पर गड़ाने लगे. इस तरह वो मुझे छेद छेड़ कर मेरी गांड मार रहे थे.

मेरे तन मन में आग लग चुकी थी. मैं और जादा चुदवाना चाहती थी. कास रघु चाचा मेरी इनती गांड मार दे की गांड पूरी तरह से फट जाए. दोस्तों, मैं ऐसा ही सोच रही थी. चाचा भी मुझे जैसी छिनार को अच्छे से कूट रहे थे. मेरी गांड मारते मारते उन्होंने पीछे से मेरी बुर में हाथ डाल दिया और ऊँगली करने लगे. मित्रो, मैं बता नही सकती हूँ मुझे कितना जादा मजा मिला. वो अपनी ऊँगली से मेरी बुर फेटने लगे और लौड़े से मेरी गांड. करीब १ घंटे के बाद रघु चाचा मेरी गांड के छेद में ही झड गए.