देसी गांड का पहला प्यार और एहसास[ भाग-1]

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उस दिन आरती अपनी बड़ी देसी गांड लिए सामने से गुजर गई तो हमने उसे देखकर अपने लंड को दिलासा दी की चल ये देसी गांड तेरी ही होनी है एक दिन।

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थोड़ी देर में वह नाश्ता लेकर आई और उसने मुझे प्लेट पकड़ा दी, मैने उसकी उंगलियों को हल्के से छू लिया और फ़िर वह मेरा इशारा समझ ही तो गई। इस बात पर हमने उसे आंख मार दी। उसने धीरे से कहा कि आज उस बगल वाली मड़ैया में मिलना है। मैं तो अपनी रानी के इशारे का इंतजार कर रहा था। जैसे ही शाम हुई हम दोनो वहा पहुचे। जनम जनम का प्यासा मेरा भोथरा लंड उसकी चूत की चिकनाहट और देसी गांड की गरमाहट का दीवाना था। जाते ही मैने उसके चूंचे दबोच लिए, वह मेरी बाहों मे आने के लिए बेकरार थी और फ़िर क्या मैने उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरु किए। पर यह क्या, ब्लाउज तो एक बट्न खोलते ही धड़ ध्ड़ाकर अपने आप खुलती चली गई और उसके चूंचे फ़ड़फ़ड़ाते हुए मेरे हाथों में थे। मैने उसके दोनो निप्पलो को चुटकियो मे दबा लिया और उसके गीले होट अपने होटो से लाक कर दिये। उसके पैर मेरे पैरो के उपर खड़े थे और वो उचक उचक के अपने चूचक मुझे थमा रही थी और उसके गीले होटो मे मेरी जीभ सरक रही थी। अब बारी थी उसकी पेटीकोट की, जिसकी गांठ खोलने का लम्बा अनुभव था मुझे और मैने उसकी पेटीकोट का नाड़ा सरका दिया। फ़िसलते हुए उसकी पेटीकोट उसके पैरो से नीचे आ गई और मैने उसके पेटीकोट को पैरो से मारके किनारे कर दिया। अब मेरे सामने उसकी दूधिया टांगों के बीच काली झांटो से घिरी हुई गुलाबी चूत चमक रही थी। कमाल की उस सीनरी के सामने मेरे आंखो ने धोखा खा लिया। मैने अपने लंड को अपने पैंट की पकड़ से आजाद किया और फ़िर उसे उस झांटो के झुरमुट के साथ खेलने दिया। उसकी चूत की जुल्फ़ें मेरे लंड के सुपाड़े पर गुदगुदी कर रही थी और मेरे हाथ उसके पीछे उसके चूतड़ो से फ़िसलते हुए उसकी देसी गांड के आसपास उगे हल्के रोयों पर चले गए।

मै अपना हाथ फ़िराकर उसके देसी गांड को सहलाने के अलावा, उसके मखमली देसी गांड पर उगे गिने चुने बालों मतलब गांड झांटों का जाएजा ले रहा था। मुझे आनंद आ रहा था और वह मेरे इस छुअन से ऐंठ जा रही थी, जैसे किसी ने उसके उपर करंट लगा दिया हो। मैने उसके होटो से अपने होट निकाले और नीचे की तरफ़ अपने होटो को बिछ्लाने लगा। उसके चूंचे की बीच की घाटी पर आके मैने एक गहरा चुम्मा लिया और वह आह! आह! कर उठी। ये कमाल की बात थी, क्युकि उसकी चूंचे एकदम नरम मक्खन की तरह थे और जब मैने चूसा तो उसके पसीने से मिलकर हल्के नमकीन लगे। कुल मिलाकर उसका स्वाद एकदम बटर और साल्ट मतलब नमक मक्खन जैसा लगा जो देसी गाय का ताजा ताजा होता है। ये खूश्बू मुझे बचपन के खाने की याद दिला गई। मैने उस नमकीन चूचक क्षेत्र को चाटना शुरु किया। और वह एकदम मेरी बाहों मे झूलती चली गई।

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यह खेल खड़े खड़े चल रहा था।