चुदास भाभी की सेक्स शिक्षा -पार्ट१

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नमस्कार मित्रों.. यह मेरी पहली कहानी है। यह सच है या झूठ.. यह फैसला आप लोग ही करेंगे.. क्योंकि लिखने वालों के शब्द ही कहानी की सच्चाई बता देते है और मैं अपने सामान के बारे मैं बताता हूँ जिसके बिना कहानी कभी भी पूरी नहीं हो सकती। मित्रों हमारा लंड जिसे हमने नापा तब मुझे पता चला कि हमारा लंड 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है और आपको इस कहानी को पढ़ने मैं तब मज़ा आएगा जब आप इसे पढ़ने के पहले पूरे नंगे हो जाए और अगर आपके पास चूत है तो बीच वाली उंगली को अपनी चूत के मुहं पर रख लें और अगर आपके पास लंड है तो एक हाथ से अपना लंड पकड़ लें। आप कब झड़ जायेंगे.. यह आपको पता भी नहीं चलेगा।

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तो मित्रों पहले मैं अपना परिचय दे दूँ.. हमारा नाम विकास है और मैं 20 साल का हूँ और हमारे घर मैं मैं मुझसे 3 साल बड़ा हमारा 23 साल का भाई सोहन है। हम दोनों भाई इस दुनिया मैं अकेले है। हमारा बड़ा भाई पढ़ाई के अलावा बच्चो को पढ़ता था जिससे हमारा काम चल जाता था। मुझे काम करने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। हमारा अपना घर गया मैं है इसलिए किसी प्रकार गुजारा हो जाता था। अब इन सब बातों को खत्म करते हुए मैं कहानी पर आता हूँ।

मित्रों यह कहानी आज से 1 साल पहले की है। भैया जब 22 साल के हुए तो उनकी नौकरी आर्मी मैं लग गयी और अब उनके जाने मैं 6 महीने बचे तो तभी 1 अंकल कहने लगे कि जब भैया चले जाएँगे तब हमारा और इस घर का ध्यान कौन रखेगा। इसी बात पर ध्यान देते हुए उन्होंने भैया से कहा कि तुम शादी कर लो और अब उन्होंने एक लड़की बताई। जब भैया ने हाँ कहा तब उन्होंने लड़की वालों को बुलाया और अब देखने-दिखाने का सिलसिला शुरू हुआ। अब बात आगे बढ़ी तभी एक दिन लड़की देखने का प्लान बनाकर हम दोनों भाई एक होटेल मैं लड़की देखने गयह। जहाँ उसके माता-पिता लड़की करिश्मा को लेकर आए थे। जब हमने और भैया ने लड़की को देखा जिसकी उम्र 19 साल थी। उसे देखकर भैया का तो पता नहीं लेकिन हमारा मुहं खुला का खुला रह गया।

अब जबकि मुझे उस वक़्त तक सेक्स या इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी। खैर लड़की पसंद आ गयी और शादी के लिए हाँ हो गई और भैया उसके ख़यालों मैं खोए रहने लगे। इसी बीच भैया का नौकरी का पेपर आ गया और उन्होंने कहा कि अब शादी ट्रैनिंग के बाद होगी और वो भाभी को ख़यालों मैं लेकर नौकरी पर चले गयह। अब 6 महीने बाद उनका फोन आया कि ट्रेनिंग खत्म हो गई है और मैं 1 महीने की छुट्टी पर आ रहा हूँ। तो यहाँ हमने उनके आने के 20 दिन बाद की तारीख पंडित जी को दिखाकर पक्की कर दी। भैया आए और हम दोनों भाई शादी की तैयारियों मैं लग गयह। चूँकि हम बहुत कम लोगों को जानते थे इसलिए शादी मंदिर मैं और कुछ नज़दीकी रिश्तेदारों को बुलाना तय हुआ। अब भैया की शादी सादे तरीके से मंदिर मैं हो गयी और अब अपने लोगो ने आशिर्वाद दिया और उसी शाम को भैया अपनी सुहागरात की तैयारी करने लगे और अब हमने शाम को छोटी सी पार्टी रखी। भैया ने अपनी सुहागरात की सेज़ खुद ही सजाई और अब शाम की पार्टी की तैयारी मैं लग गयह, करीब 30 लोगो को आना था।

अब करीब 5 बजे भैया का फोन आया और भैया कुछ परेशान से हो गयह। तभी हमने पूछा कि क्या हुआ? तो भैया ने कहा कि कुछ कारण होने से मेरी छुट्टी खत्म हो गयी है और मुझे ऑफीस मैं रिपोर्ट करने को कहा गया है और इसलिए मुझे रात 8 बजे की ट्रेन पकड़नी होगी। तभी भाभी यह सुनकर अंदर कमरे मैं रोने लगी और भैया उन्हे समझाने लगे। तभी गेस्ट आने लगे और हम सब उनके स्वागत मैं लग गयह। अब करीब 7 बजे सभी गेस्ट वापस चले गयह। तभी भैया बहुत बैचेन होकर भाभी के पास गयह। मैं अपने कमरे मैं जा रहा था। तभी मुझे भैया के कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दी जो कि हमारे कमरे के ठीक पास मैं था.. तो मैं देखने चला गया। तभी हमने देखा कि भैया भाभी को किस कर रहे थे और 1 हाथ से उनकी संतरे जैसी चूची दबाते तो कभी उनकी चूत को मसलते। मुझे यह सब देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था.. पता नहीं क्यों हमारा लंड अपना आकार बढ़ा रहा था। मुझे कुछ समझ मैं नहीं आया क्योंकि यह सब हमारे लिए एकदम नया था।

तभी भैया का मोबाईल बज उठा और रंग मैं भंग पड़ गई। अब भैया किसी से बातें करने लगे और उनके जाने का टाईम हो गया और उन्होंने भाभी को लास्ट किस किया और मुझे स्टेशन चलने को कहा और
भाभी से बोले कि मैं जल्दी ही छुट्टी लेकर आ जाऊंगा। अब मैं उन्हे कशमीर के लिए रेलवे स्टेशन पर छोड़ आया। अब जब मैं घर आया तो करिश्मा भाभी ने दरवाजा खोला और मैं उन्हे देखता ही रह गया। वो
अपनी शादी के जोड़े मैं इतनी खूबसूरत लग रही थी की क्या बताऊँ। उन्होंने पूरे गहने पहन रखे थे और जब वो चल रही थी तो उनके पायल मैं लगे घुंघरू छन-छन बज रहे थे.. जब वो मुस्कुराती थी तो जैसे उनके नाक की नथ उनकी मुस्कुराहट पर चार चाँद लगा रही थी। उनकी चूड़ियों की खनक जैसे उनके नाम करिश्मा को सार्थक बना रही थी। उनकी नेट की साड़ी उनके पेट और नाभि की और ऐसे आकर्षित कर रही थी जैसे मधुमक्खी फूल की और खींचा चला जाता है।

तभी भाभी ने मुझे हिलाते हुए कहा.. विकास कहाँ खो गयह। तब मैं होश मैं आया और कहा कि कुछ नहीं बस ऐसे ही। अब भाभी ने मुझसे खाने को पूछा तो हमने कहा कि हाँ मुझे तो भूख लगी है और भाभी ने भी नहीं खाया था। तभी हमने कहा कि मैं निकाल कर लाता हूँ भाभी वहीं सोफे पर बैठ गयी और हमने 1 ही प्लेट मैं दोनों का खाना निकाल कर ले आया। तभी भाभी ने कहा कि 1 ही प्लेट? अब हमने कहा कि मैं और भैया 1 ही प्लेट मैं खाते थे तभी भाभी ने कहा कि ठीक है। अब हम दोनों खाना खाने बैठ गय। तभी भाभी ने मुझे कहा कि तुम मुझसे छोटे हो और आज पहला दिन है इसलिए मैं तुम्हे खाना खिलाती हूँ और अब वो मुझे अपने हाथों से खिलाने लगी। तब हमने भी कहा कि आपका भी इस घर मैं पहला दिन है इसलिए मैं भी आपको खिलाऊंगा। अब वो मान गयी और हम 1 दूसरे को खाना खिलाने लगे। अब खाना खत्म होने के बाद हम दोनों अपने अपने कमरे मैं सोने चले गयह।

अब करीब 5 मिनट के बाद जब मैं अपने कपड़े बदल चुका था जिसमे ऊपर टी-शर्ट और नीचे हाफ पेंट बिना अंडरवियर था। क्योंकि गर्मी का दिन था और जून का महीना चल रहा था। तभी भाभी हमारे कमरे मैं आई और बोली कि आज हमारा पहला दिन है और अंजान जगह होने के कारण मुझे नींद नहीं आ रही है और थोड़ा डर भी लग रहा है। अब हमने कहा कि तो मैं क्या कर सकता हूँ? तभी भाभी बोली कि प्लीज विकास तुम भी हमारे कमरे मैं सो जाओ। तभी हमने कहा कि ठीक है और मैं उनके कमरे मैं गया और फूलों से सज़ी हुई सुहागरात की सेज़ पर सो गया और भाभी भी हमारे पास मैं लेट गयी।

अब हम दोनों बातें करने लगे। तभी कुछ देर बाद हमने कहा कि भाभी एक बात बोलूं.. आप बुरा तो नहीं मानोगी? तभी उन्होंने कहा कि कहो। अब हमने कहा कि भैया ने आज अपने बिस्तर को फूलों से क्यों सजाया है? तभी भाभी बोली कि मुझे क्या पता? तब हमने कहा कि तो अब भैया आज सुबह से इसे सजाने मैं क्यों लग रहे थे जैसे कि उन्हे कुछ मिलने वाला है? अब भाभी ने कहा कि हमारे स्वागत मैं। अब हमने कहा कि स्वागत मैं तो गेट पर फूल लगाए जाते है।

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अब भाभी ने कहा कि मैं नहीं जानती। अब कुछ देर इधर उधर की बातें करने के बाद हमने कहा कि 1 और बात कहूँ। अब भाभी ने कहा कि क्या? तभी हमने कहा कि भैया जाने से पहले आपके साथ क्या कर रहे थे? यह सुनकर भाभी उठकर बैठ गयी और बोली कि तुमने क्या देखा? तभी हमने कहा कि भैया का हाथ आपकी साड़ी के अंदर था और आपके मुहं से आवाज़ें निकल रही थी। अब भाभी ने कहा कि कुछ नहीं मुझे वहाँ पर दर्द हो रहा था तुम्हारे भैया उसे दबा रहे थे। यह सुनकर मैं सो गया।

अब हमने भाभी की इच्छा को जगा दिया था.. क्योंकि वो अपनी सुहागरात की सेज़ पर बिना पति के आहे भर रही थी। अब थोरी देर बाद भाभी ऐसे आवाज़ निकालने लगी जैसे उन्हे कहीं दर्द हो रहा हो। तभी हमने पूछा क्या हुआ भाभी? अब उन्होंने कहा कि वहीं पर दर्द हो रहा है। तभी हमने कहा कि मैं दबा दूँ क्या? अब भाभी शरमाते हुए बोली कि हाँ। तभी हमने कहा कि कहाँ दबाऊ?

अब भाभी बोली कि दो जगह दर्द है। तभी हमने कहा कि कहाँ..कहाँ पर? अब हमने कहा कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा है और हमने तुरंत उठकर लाईट चालू कर दी। अब भाभी ने अपनी आखें बंद कर ली तो हमने कहा कि आपने आँखे क्यों बंद कर ली? तो उन्होंने कहा कि बस यूँ ही मुझे शर्म आ रही है। अब हमने कहा कि मुझसे कैसी शर्म? तो उन्होंने बहुत कहने पर आँखे खोली। अब भाभी ने अपनी चूची की और इशारा करते हुए कहा कि यहाँ। अब हमने कहा कि मैं इसे दबा देता हूँ। तभी उन्होंने केवल हाँ कहा। अब मैं एक हाथ से उनकी एक संतरे जैसी चूची को दबाने लगा तो उन्होंने कहा कि दोनों मैं दर्द है। अब मैं दोनों हाथ से दोनों चूची ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा।

तभी चूची को हाथ लगते ही पता नहीं हमारा लंड क्यों खड़ा होने लगा और मैं उसे छुपाने की कोशिश करने लगा। लेकिन अंडरवियर नहीं होने के कारण भाभी ने हमारे खड़े लंड को देख लिया। थोड़ी देर बाद हमने पूछा अब दर्द कैसा है? तभी भाभी ने कहा कि अभी कुछ खास फ़ायदा नहीं है तुम एक काम करो की मेरी चूची को ब्लाउज से निकालकर उसे दबाओ। अब हमने कहा कि ठीक है और मैं भाभी के ब्लाउज खोलने लगा तब पता नहीं क्यों हमारा हाथ कापंने लगा.. खैर किसी तरह से हमने उनका ब्लाउज खोला अंदर उन्होंने ब्रा पहनी हुई थी। अब हमने देखा कि उनकी ब्रा गुलाबी कलर की थी जिस पर बहुत सारे अलग-अलग तरह के कंडोम के फोटो प्रिंट थे जिसे हमने बहुत बार टीवी पर देखा था। अब हमने पूछा कि यह क्या प्रिंट है? तभी भाभी ने कहा कि इसे कंडोम कहते है। अब हमने कहा कि वो मैं जानता हूँ लेकिन इसका काम क्या है? अब उन्होंने कहा कि इसका उपयोग मर्द अपनी वाईफ के साथ करते है। अब उन्होंने कहा कि अब आगे मत पूछना.. समय आने पर खुद ही समझ जाओगे।

अब मैं चुप हो गया और अब ब्रा के ऊपर से चूची दबाने लगा और थोड़ी देर बाद हमने कहा कि आपकी ब्रा से प्राब्लम हो रही है और यह कहकर हमने बिना पूछे ही ब्रा भी खोल दी। अब उनकी चूची आज़ाद थी। जैसे ही चूची आज़ाद हुई तो हमारा बुरा हाल होने लगा.. मुझे लगा कि कोई हमारे लंड के अंदर घुस गया है और उसे अंदर से फाड़ देगा। अब खैर जैसे तैसे हमारे दोनों हाथ उन्हे दबा रहे थे। उनकी चूची यही कोई 2-5 संतरे के बराबर होगी यानी कि दोनों मिलाकर कुल 5 संतरे और ऐसा लग रहा था जैसे उन्हे किसी ने मक्खन मैं डुबाकर रखा हो, जैसे पार्टी मैं रोटी को मक्खन से डुबाकर रखा जाता है और वो मुलायम हो जाती ठीक वैसे ही।

अब भाभी भी मेरी स्थिति समझ रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी और मैं अंजान भंवर मैं फंसने जा रहा था। अब थोड़ी देर बाद भाभी के मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी। अब हमने पूछा कि क्या हुआ? तभी उन्होंने कहा कि बस ऐसे ही दबाते रहो। अब हमने पूछा कि और कहाँ दर्द है? तो उन्होंने अपनी चूत की और इशारा करते हुए कहा कि वहाँ। अब हमने कहा कि आप अपने कपड़े उतारियह.. तभी तो वहां दबा पाऊँगा। अब भाभी ने कहा कि मैं लेटी हूँ तुम खुद ही उतार लो। तभी हमने उनकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया और अंदर उसी प्रिंट की गुलाबी कलर की पेंटी थी जिसे उतारने मैं मैं शरमा रहा था। तभी भाभी बोली कि शरमा क्यों रहे हो? तब हमने कापंते हाथों से पेंटी को उतार दिया। तभी भाभी हमारे सामने बिल्कुल नंगी लेटी थी और मैं उसे देखता ही रह गया। उनकी चूत के ऊपर ठीक वैसे ही मुलायम बाल थे जैसे कि किसी 15 साल के लड़के को दाढ़ी होती है। अब मैं बस उन्हे एकटक देख रहा था तो कुछ देर बाद भाभी ने पूछा कि क्या हुआ? तभी मैं सपने से बाहर आया और बोला की कुछ नहीं.. मैं आपके बाल देख रहा हूँ। अब उन्होंने कहा कि क्यों? तो हमने कहा कि आपके बाल ठीक वैसे ही है जैसे हमारे अंदर उगे है मैं समझता था कि अंदर बाल केवल लड़को के ही होते होंगे। तभी भाभी ने कहा कि नहीं लड़कियों को भी हर जगह बाल उगते है।

अब मेरी नज़र उनकी चूत पर पड़ी तब मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया.. क्योंकि उनकी चूत इतनी सटी थी कि पता ही नहीं चल रहा था। जैसे किसी कागज को फाड़ने के लिए ब्लेड मारना पड़ता है, ठीक ब्लेड मारे हुए निशान की तरह एक लाईन जैसी नज़र आ रही थी। अब हमने पूछा कि भाभी आपकी चूत कहाँ है? तभी उन्होंने कहा कि बाल के ठीक नीचे जो लाईन दिख रही है जब उसे दोनों तरफ से खोलोगे तो मेरी चूत नज़र आ जाएगी। अब हमने वैसा ही किया तो मुझे उसमे एक छेद दिखाई दिया जो कि एक पेन्सिल की मोटाई के बराबर था.. जो कि बहुत टाईट था और अंदर से नरम लग रहा था। क्योंकि जब हमने उसे फैलाक़र उंगली से उसे छुआ तो बिल्कुल मक्खन की तरह मुलायम और गीला था।

अब हमने जैसे ही उसे छुआ तो भाभी के मुहं से आहह निकल गया। अब हमने उनसे पूछा कि क्या हुआ?  तभी उन्होंने कहा कि कुछ नहीं बस ऐसे ही.. लेकिन मुझे तो कुछ समझ मैं ही नहीं आ रहा था। अब उसके बाद मैं उनके सामने बैठा और अब हमने कहा कि इसे कैसे दबाऊँ? तभी भाभी ने कहा कि इसे दो तरह से दबा सकते हो.. एक इसे दोनों हाथों से थोड़ा खोलो और अब इसे चूसो और जब इसमे से पानी निकल आए तब। दूसरा तरीका इसमे उंगली डाल कर आगे पीछे करो और बीच बीच मैं चाटते रहो।

अब हमने कहा कि ठीक है और हमने झिझकते हुए उनकी चूत को खोलकर उस पर अपनी जीभ रखी तो भाभी के मुहं से अब आहह ओह्ह्ह निकल गया.. इस बार हमने केवल उनकी और देखा और अब चाटना शुरू किया और जब हमारे मुहं मैं नमकीन सा स्वाद गया तो मुझे कुछ अजीब सा लगा, खैर धीरे धीरे मुझे उसका स्वाद ठीक लगने लगा और मज़ा आने लगा और अब करीब 10 मिनट चाटने के बाद हमने उसमे उंगली डाली तो उंगली उसमे जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी हमने बिना पूछे ही ज़ोर से उंगली को डाला तो आधी उंगली चूत के अंदर चली गयी और भाभी चीख उठी और अब चीख धीरे धीरे और सिसकियाँ तेज़ होत गयी। अब हमने पूछा कि क्या हुआ भाभी? तभी उन्होंने कहा कि कुछ नहीं बहुत आराम आ रहा है। अब कुछ देर बाद हमने उनसे कहा कि भाभी जब हमने आपको पहली बार देखा था.. अब जब भैया आपका दर्द दूर कर रहे थे और जब हमने आपकी चूची दबाई तीनो ही बार हमारे अंदर कुछ हलचल होती रही क्यों? अब भाभी बोली कि कहाँ होती है हलचल? तभी हमने कहा कि कमर के नीचे। अब भाभी बोली कि कमर के नीचे कहाँ? अब हमने कहा कि पेंट के अंदर। तभी वो बोली कि दिखाओ तो। मुझे उनकी बात से शरम आ रही थी तो उन्होंने मुझे कहा कि दीवार से सटकर खड़े हो जाओ। तभी मैं खड़ा हो गया अब भाभी ने मेरी पेंट उतारी और कहा कि यह तो खड़ा हो गया है इसे बैठना पड़ेगा।

अब हमने कहा कि वो कैसे? तो भाभी ने कहा कि इसे बैठने के लिए इसे चूसना पड़ता है खैर तुमने मेरी मदद की है तो मैं भी तुम्हारी मदद करूँगी यह कहकर उन्होंने हमारा लंड अपने मुहं मैं ले लिया।

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तभी हमारे मुहं से आहह निकल गयी.. भाभी ने कहा कि क्यों दर्द हो रहा है? अब हमने कहा कि हाँ। तभी
उन्होंने कहा कि अभी ठीक हो जाएगा और यह कहकर वो हमारा लंड चूसने लगी। अब दो मिनट के बाद उन्होंने मुझे उल्टा लेटाकर अपनी चूत चाटने को कहा हम 69 पोज़िशन मैं एक दूसरे का लंड और चूत चाटने लगे.. मैं तो 5 मिनट मैं ही भाभी के मुहं मैं झड़ गया लेकिन उन्होंने अब भी हमारा लंड चुसाई नहीं छोड़ा और मुझे लगा कि हमने उनके मुहं मैं ही पेशाब कर दिया और उस समय मुझे जन्नत जैसा मज़ा आया। तभी उन्होंने पूरा पीने के बाद मुझे अपनी चूत चाटते रहने को कहा और करीब 10 मिनट के बाद वो भी झड़ गयी और उन्होंने भी कहा कि तुम भी पूरा पी जाओ। अब हमने भी उनकी चूत से निकलते सफेद नमकीन पानी को पी लिया।

अब भाभी ने हमारा लंड अपने मुहं से बहर निकाला तो हमने देखा कि हमारा लंड अब से खड़ा हो गया है। तभी हमने भाभी से कहा कि भाभी प्लीज एक बार और चूसो ना देखो ना यह अब से खड़ा हो गया है। तभी भाभी हमारे लंड को अब से चूसने लगी। इस बार करीब 15 मिनट के बाद मैं उनके मुहं मैं झड़ा और वो अब उसे पी गयी और उन्होंने कहा कि इसे वीर्य कहते है और इससे ही बच्चा पैदा होता है। अब तो नाम की करिश्मा भाभी सचमुच मुझे किसी करिश्मा से कम नहीं लग रही थी। क्योंकि यह सब हमारे लिए एक सपने जैसा था और जिसे करिश्मा भाभी पूरा कर रही थी।

अब इसके बाद भाभी उठी और बाथरूम गयी और उन्होंने डोर बंद नहीं किया और पेशाब करने लगी। तभी पता नहीं मुझे क्या सूझा मैं भी उठकर बाथरूम मैं घुस गया और भाभी को मूतते हुए देखने लगा क्या हूर की करिश्मा लग रही थी भाभी। तभी भाभी उठी और उन्होंने कहा कि तुम्हे भी करना है? अब हमने कहा कि हाँ तो वो जाने लगी अब हमने उन्हे पकड़ लिया और कहा कि आपके मुहं मैं मूतना है। तभी उन्होंने कहा कि नहीं.. अब हमने कहा कि प्लीज़। अब उन्होंने कहा कि नहीं.. अब हमने कहा कि प्लीज.. भाभी प्लीज.. तब भी वो नहीं मानी और बाथरूम से जाने लगी। तभी हमने उन्हे पकड़ लिया और उनके बाल पकड़ कर उन्हे नीचे बैठा दिया। तभी वो बोलने लगी यह क्या कर रहे हो मुझे छोड़ो.. तब तक मैं अपना लंड जबरदस्ती उनके मुहं मैं डालकर पेशाब करने लगा और हमने अपना लंड अंदर तक घुसा रखा
था इस वजह से उन्हें पेशाब पीने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अब इस दौरान मुझे इतनी गर्मी लगी कि हमने पूरा पेशाब पिलाने के बाद शावर चला दिया और बाथरूम
के फ्लोर पर भाभी के ऊपर लेट गया और उनकी चूची दबाने लगा जिससे भाभी गरम होने लगी और अब थोड़ी देर बाद हम 69 पोज़िशन मैं होकर लंड और चूत चाटने लगे। करीब आधे घंटे के बाद दोनों एक एक करके मुहं मैं ही झड़ गयह। अब मैं शावर के नीचे ही करीब 10 मिनट भाभी के साथ लेटा रहा। तभी भाभी ने कहा कि सोना नहीं है क्या? अब मैं उन्हे गोद मैं उठाकर बेड पर ले आया और दोनों लिपटकर नंगे ही सोने लगे। तभी भाभी ने अपने होंठ हमारे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी। अब धीरे धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैं भी उनका साथ देने लगा। अब दोनों एक दूसरे की जीभ चूसने लगे और पता नहीं मुझे और भाभी को कब नींद आ गई।

अब सुबह करीब 9 बजे भाभी मुझे उठाने आई और मुझे किस दिया। तब हमने देखा कि वो नहा चुकी थी। अब हमने उन्हे पकड़ लिया और अपने ऊपर खींच लिया। तभी वो.. छोड़ो मुझे छोड़ो.. बोलने लगी। अब हमने कहा क्यों? तो उन्होंने कहा कि मुझे नाश्ता बनाना है। अब हमने कहा कि हमारे नाश्ते का क्या होगा? यह कहकर हमने उन्हे बेड पर खींच लिया और उनके ऊपर चढ़कर उनके ब्लाउज को खोलने लगा तो वो मना करने लगी लेकिन हमने खोलकर ही दम लिया और उनकी चूची को दबाने लगा और एक एक चूची को चूसने भी लगा। वो लगातार छोड़ने को कह रही थी.. लेकिन तभी मैं जबरदस्ती उनकी साड़ी और पेटीकोट भी खोलने लगा और अब 5 मिनट के बाद मैं सफल हुआ और मैं उनकी चूत चाटने लगा और थोड़ी देर बाद हमने उल्टा होकर उनके मुहं मैं अपना लंड डाल दिया। जिसे वो चूसना तो नहीं चाहती थी.. लेकिन उन्हे मजबूर होना पड़ा। अब हमने उन्हे लंड चूसने को कहा तो वो चूसना तो नहीं चाहती थी लेकिन जानती थी कि ना बोलने का कोई फायदा नहीं है इसलिए चूसने लगी।

अब करीब 10 मिनट के बाद मैं उनके मुहं मैं झड़ गया था.. लेकिन वो अभी भी नहीं झड़ी थी और अब करीब 10 मिनट के बाद वो हमारे मुहं मैं झड़ गई और जाने लगी। तब हमने कहा कि वो हमारा लंड धो दें.. तो उन्होंने ना चाहते हुए भी धो दिया और अब चली गयी। अब मैं मुहं को धोने लगा और अब मैं नहाने चला गया और भाभी नाश्ता बनाने किचन मैं गयी। अब मैं जब नहा रहा था.. तब मैं बिल्कुल
नंगा था और हमने भाभी को आवाज़ लगाई तो वो बोली कि अभी मैं नहीं आऊंगी.. अब मैं नंगा ही बाथरूम से किचन तक गया। भाभी आटा लगा रही थी और मेक्सी पहने हुई थी और मुझे वहाँ पर नंगा देखकर हैरान रह गयी।

अब हमने उन्हे उठाया और उनकी मेक्सी खोलने लगा और वो मना करने लगी। तब हमने खींचकर उनकी मेक्सी फाड़ दी और वो केवल काले कलर की ब्रा और पेंटी मैं रह गयी और ना चाहते हुए भी हमारे साथ बाथरूम मैं आ गयी। अब हम दोनों नहाने लगे और साथ नहाकर करीब आधे घंटे के बाद हम निकले तो वो दूसरी मेक्सी पहनकर नाश्ता बनाने चली गई।

अब मैं कपड़े पहनकर किचन मैं गया तो वो खड़ी होकर नाश्ता बना रही थी। तभी हमारा लंड खड़ा होने लगा तो मैं भाभी के पैरों के पास बैठकर उनकी मेक्सी को उठाने लगा। तभी भाभी बोली कि यह क्या कर रहे हो? अब हमने कहा कि कुछ नहीं वैसे वो जान गयी थी कि हमारा भी मन करेगा वो मैं करूँगा ज़रूर.. इसलिए वो कुछ नहीं बोली और मैं उनकी मेक्सी उठाकर उनकी चूत चाटने लगा और कुछ देर के बाद उनके मुहं से सिसकियाँ सुनाई देने लगी और करीब 20 मिनट के बाद उन्होंने अपना पानी हमारे मुहं मैं छोड़ दिया जिसे मैं पी गया और आधा उनके मुहं मैं डालकर उन्हे पिला दिया।

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अब धीरे धीरे हमे इसमे भी मज़ा आने लगा। इसके बाद हमने किस तरह अपनी करिश्मा भाभी को चोदा यह मैं अपनी अगली कहानी मैं बताउंगा ।