लॉकडाउन में नंगी भाभी का साथ- 2

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सेक्सी भाभी की गांड चुदाई कहानी में पढ़ें कि मुझे भाभी की कुंवारी गांड चोदने का चांस मिला। अब तक भाभी ने अपने पति से भी गांड चुदाई नहीं करवाई थी। फिर मैंने कैसे उसकी सील खोली?

दोस्तो, मैं सचिन आपको अपनी मोहिनी भाभी की चुदाई की कहानी बता रहा था।
इसके पहले भाग
लॉकडाउन में भाभी को नंगी रखा
में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैं और भाभी लॉकडाउन में अकेले घर में रह गए।
उसने मुझे अपने रूम में ही शिफ्ट कर लिया और मैंने एक बार जाते ही उसकी चुदाई कर डाली।
रात को फिर से मैंने उसको नंगी किया और बेड पर चुदाई के लिए पटक लिया।

अब उससे आगे की कहानी:

भाभी- हॉल में क्यों जा रहे हो मेरी जान मुझे नंगी छोड़कर?
मैं कुछ ना बोला और अपना बैग उठा कर लाया और उसमें से जैतून के तेल की शीशी निकाली। फिर बाजू में रखी हुई टेबल पर रखी वहीं से उसकी पायल उठाकर उसके पैरों में पहनाने लगा।

मैं- डार्लिंग पेट के बल लेट जाओ।
भाभी मेरी बात मान कर पेट के बल लेट गई।

मैंने जैतून की तेल की शीशी का ढक्कन खोल कर काफी सारा दिन भाभी की पीठ पर डाला, उनके चूतड़ों पर लगाया और पैरों पर लगाया।

मैं पैरों के पास आकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे उनकी पिंडली पर मसाज देने लगा।
फिर कुछ तेल मैंने उनके पैर के तलवों पर लगाया और दोनों हाथों से पकड़ कर अपने हाथ के दोनों अंगूठे धीरे-धीरे उनके तलवे पर ऊपर नीचे चलाने लगा।

इससे भाभी की उत्तेजना तेज होने लगी।
यही प्रक्रिया मैंने उनके दूसरे पैर पर दोहराई।

फिर मैं भाभी की पिंडलियों पर बैठकर जांघों पर मसाज देने लगा।

मैंने उठकर अपने दोनों चूतड़ उसके चूतड़ों पर रखे और बैठ गया।
जब मैं उसके चूतड़ों पर बैठा तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत ही मुलायम गद्दों पर बैठा हुआ हूं।

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मैं धीरे-धीरे उसकी कमर पर गोल गोल हाथ घुमाने लगा; कभी ऊपर नीचे मसाज करने लगा।

धीरे-धीरे मेरे हाथ उसकी पीठ पर बढ़ने लगे और भाभी की गर्म गर्म सांसें निकलने लगीं।

बहुत धीरे-धीरे मैं उनकी पीठ की मसाज कर रहा था और मेरे हाथ जब उनकी पीठ के बगल में होते तो उनके दूधों से टच कर जाते।
इससे भाभी को गुदगुदी होने लगती मगर वह चुपचाप आंखें बंद किए हुए मजे ले रही थी।

कुछ देर पीठ और कंधे की मसाज करने के बाद मैं वापस उसकी जांघों पर बैठा; उनके दोनों चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रख कर धीरे-धीरे गोल गोल घुमाने लगा जिससे भाभी की उत्तेजना और बढ़ गई।

अब वह अपने पैरों को पटकने लगी।
पैरों के पटकने से उनके पैरों में पहनी हुई पायलों से छम छम की आवाज आने लगी जो बहुत मादक लग रही थी।

मैंने कुछ तेल उसकी चूतड़ों की दरार में डाला जो बहते हुए उसकी गांड से उसकी चूत तक पहुंचा।
फिर मैं धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां उसकी चूतड़ों की नाली से करते हुए नीचे ले गया।

उन उंगलियों को फिर ऊपर लाता, कभी उसकी गांड के छेद पर अंगूठा रखकर धीरे धीरे गोल गोल घुमाता।

इससे भाभी की गांड की गर्मी बढ़ने लगी। उत्तेजना में उसके पैर हिलते और पायलों की छम छम आवाज होने लगती।

मैं- डार्लिंग, आज कुछ मांगू तो मना तो नहीं करोगी?
भाभी- अब क्या रह गया है देने को? सब कुछ तो दे दिया है … फिर भी जो बचा है अगर वह मेरे पास है तो मैं बेहिचक दे दूंगी।

फिर मैं बोला- मुझे आज आपकी गांड में लंड डालना है और अब मना नहीं करोगी आज!
भाभी- ठीक है, डाल देना।

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यह सुनते ही मैं तेल में भीगी हुई है अपनी उंगली धीरे-धीरे करके भाभी की गांड में डालने लगा।
गांड टाइट थी तो भाभी एकदम से बोली- यह सब बाद में करना, पहले जो कर रहे थे वह करो।

मैं- डार्लिंग पीछे की मसाज पूरी हो गई है, अब सीधी लेट जाओ।
दोस्तो, मसाज के बारे में मैं आपको यहां पर बता दूं कि हमेशा मसाज पैरों से ही शुरू की जाती है।

मैं वापस उसके पैरों पर आया और पैरों की मसाज देने लगा। फिर मैं उसकी चूत पर बैठा और काफी सारा तेल उसके बूब्स पर डाल दिया और धीरे-धीरे उन पर घड़ी की दिशा में दोनों हाथों से गोल गोल घुमाने लगा।

जहां मैं बैठा था वहां पर अपने दोनों हाथ रख कर ऊपर को ले जाता।
यही प्रक्रिया मैंने कई बार दोहराई जिससे भाभी पूरी तरीके से गर्म हो गई।

भाभी- भाड़ में गई मसाज, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो डार्लिंग … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मेरी चूत में ऐसा लग रहा है जैसे फट जाएगी।

मैं चुपचाप उसके पैरों के बीच में आया और एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया।
फिर कुछ तेल लेकर उसकी चूत में डाला और अपनी दो उंगलियों को वी-शेप में करके उसकी चूत के दाएं बाएं फिराने लगा।

फिर मैंने एक उंगली धीरे से भाभी की चूत में डाली और आगे पीछे करने लगा।
उंगली में तेल लगा होने की वजह से उंगली काफी जल्दी अंदर बाहर हो रही थी।

उसके बाद मैं अपनी दो उंगलियां भाभी की चूत में डालकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा।

5 मिनट तक अपनी दोनों उंगलियों को मैं उसकी चूत में अंदर बाहर तेजी से करता रहा।
भाभी की सांसें बहुत तेज होने लगीं, शायद वो झड़ने वाली थी।

मगर मैं नहीं रुका।

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भाभी अपने हाथ से मेरे हाथ को हटाने की कोशिश करती मगर नाकाम होती रही।

उन्होंने अपने दोनों पैर मेरी पीठ से हटाकर मेरी जांघों पर रखे और अपनी कमर हवा में उठा दी।
फिर भी मैंने अपनी उंगलियों को चलाना नहीं छोड़ा।

भाभी ने अपनी कमर जब तक हवा में उठाए रखी जब तक वो झड़ नहीं गई।
वो एकदम से पलंग पर गिर कर काफी लंबी लंबी सांसें ले रही थी।

उनकी चूत से निकला हुआ पानी और तेल मेरी हथेलियों को भिगो गया और मेरे हाथों में काफी रस लग गया।
मैंने उसकी चूत का पानी उसके पेट पर और उसके दूधों पर लगा दिया।

मैंने उसको देखा तो उसकी आंखें बंद थीं और वो काफी जोर जोर से सांसें ले रही थी।
मैं भी उसके बाजू में लेट गया।

जब भाभी सामान्य हो गई तो वह बिना कुछ बोले उठ कर बैठ गई और बाजू में रखी हुई जैतून के तेल की शीशी मेरे शरीर पर डाल कर बोली- मुझे मसाज करना तो नहीं आता लेकिन कोशिश करके देखती हूं।

यह कहकर वो मेरे लंड पर बैठ गई।
मगर वह इस तरीके से बैठी थी कि देखने से ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड उनकी चूत से बाहर निकल कर मुझे देख रहा हो।

उसने कुछ तेल मेरे शरीर पर लगाया और अपने दोनों हाथ ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर ले जाने लगी।
करते करते उसका बदन भी गर्म हो गया और वह अपने बदन को मेरे बदन पर घिसने लगी।

उसकी चूत बार बार मेरे लंड पर रगड़ खा रही थी या यूं कहें कि वो अपनी चूत को बार बार मेरे लंड पर रगड़ रही थी।
जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो थोड़ा ऊपर होकर उसने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद में सेट किया और एक ही झटके में बैठ गई।

चूत और लंड में तेल लगा होने के कारण लंड सीधा उनकी चूत में जड़ तक घुस गया।
इससे भाभी को बहुत तेज दर्द हुआ लेकिन पिछली बार की तरह उन्होंने अपने दोनों हाथों से मुंह को नहीं दबाया बल्कि जितना जोर से हो सके उतना जोर से चिल्लाई।

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उन्हें पता था कि बिल्डिंग में मेरे और उनके अलावा अब कोई नहीं बचा है।

वह मेरे लंड पर कूदने लगी।

मुझे मजा आने लगा और उसकी हालत तो देखने लायक थी।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को चूत में ही समा लेगी।

कूदते हुए जब वह थक गई तो मेरे लंड से उतर कर बाजू में बैठ गई और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींचने लगी।
मैंने आंखों से इशारा किया मुंह में लो तो वह मुस्कराते हुए लंड को साफ करने लगी।

मैंने उन्हें साफ करने से मना किया और बोला कि ऐसे ही मुंह में लो।
उसने बिना कुछ बोले ही हाथ से अपने बाल पीछे करते हुए जीभ बाहर निकाली और लंड की मुंड पर धीरे-धीरे जीभ फेरने लगी।

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वह मेरे लंड में लगे हुए अपनी चूत के पानी को जीभ से चाटने लगी।
काफी देर तक चाटने के बाद जब लंड उनकी चूत के पानी से साफ हो गया तो वह बोली- आज से पहले मैंने ऐसे इस तरीके से अपनी चूत का पानी मुंह में नहीं लिया है। बहुत ही मादक और टेस्टी है।

यह कहते हुए भाभी मेरे बाजू में लेट गई और अपने दोनों पैर फैलाकर मेरी आंखों में देखने लगी।
मैं देख कर समझ गया कि भाभी मुझसे क्या कहना चाहती हैं।

मैं उठ कर उनके पैरों के बीच में आया और गांड के नीचे तकिया रखकर अपनी जीभ उनकी चूत पर घुमा दी जिससे भाभी की मादक सिसकारी निकल गई।

फिर मैं अपनी जीभ को चूत के छेद में डालकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा।
ऐसा करने से भाभी ने अपनी कमर हवा में उठाई और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को खुद अपनी चूत पर दबाया और पानी छोड़ दिया।

भाभी की चूत का कुछ पानी मेरे मुंह में आया और मैं स्वाद लेने लगा।
चूत का कुछ पानी मेरे होंठों और ठोड़ी पर लग गया।

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फिर भाभी ने अपनी कमर एकदम से नीचे धड़ाम से बेड पर पटकी और जल्दी से उठ कर बैठ गई।

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ा और अपनी जीभ निकालकर जहां जहां अपनी चूत का पानी मेरे चेहरे पर लगा हुआ था, चाट कर साफ़ कर दिया।

मैं- चल मेरी डार्लिंग, कुतिया बन जा!
जब वह कुतिया बन गई तो मेरी नज़र उसकी चमकती हुई गांड के छेद पर पड़ी।
मेरा लंड उसकी चूत में न जाकर गांड में घुसने के लिए लालायित हो गया।

मैंने कुछ तेल अपने लंड पर लगाया और कुछ तेल उसकी गांड के ऊपर लगाया और उंगली करने लगा।
मेरा मकसद था कि जिससे तेल अंदर तक चला जाए।

मोहिनी भाभी- डार्लिंग क्या कर रहे हो … वहां पर नहीं करना है।
मैं- डार्लिंग, मैंने तुमसे अभी कुछ देर पहले गांड मांगी है और तुमने भी कहा है कि हां कर लेना … तो अब अपनी बात से क्यों पीछे हट रही हो?

भाभी- वह तो मैं उस समय होश में नहीं थी, आज तक मैंने अपनी गांड अपने पति को भी नहीं मारने दी। तुमको क्यों मारने दूंगी फिर?
मुझे उसकी बात सुनकर बहुत बुरा लगा और गुस्सा भी बहुत आया तो मैं बाजू में लेट गया।

मोहिनी भाभी- क्या हुआ तुमको? तुम पलंग पर क्यों लेट गए … मेरे साथ सेक्स नहीं करना क्या?
मैं- मैंने कब तुम्हें मना किया है सेक्स करने के लिए … यह मेरा लंड खड़ा हुआ है। मैं लेट गया हूं। इसे अपनी चूत में लो और झटके मार कर अपना पानी निकाल दो। तुम्हारा काम हो जाएगा तो मैं भी नहा धोकर अपने रूम पर चला जाऊंगा।

दोस्तो, मैं उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने लगा।

फिर भाभी मेरे ऊपर चढ़ाकर लेट गई और किस करते हुए बोली- लगता है तुम मेरी आज गांड मारकर ही रहोगे। नहीं मानोगे … मगर यार बाबू … गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है, ऐसा मैंने अपनी सहेलियों से सुना है।

मैं फिर भी कुछ ना बोला।
फिर भाभी बोली- मेरा बाबू नाराज है? नहीं मानेगा? अपना लंड मेरी गांड में ही डालेगा … तो ठीक है।

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वो बिना कुछ बोले फिर मेरे सामने कुतिया बन गई।
फिर बोली- लो डार्लिंग … मैंने अपनी गांड तुम्हारे हवाले कर दी है, अब प्यार से मारो या बेदर्दी से … चाहे चोदो या फाड़ो … यह गांड तुम्हारी है।

मैं चुपचाप उठा और उसके पीछे गया और प्यार से उसकी गांड को चूमा; धीरे-धीरे उसकी गांड में उंगली करने लगा।
फिर उसकी गांड को चाटा।

वह गर्म होने लगी और फिर धीरे-धीरे करके मैंने उसकी गांड में अंदर तक उंगली डाली।

जब वह गर्म हो गई तो मैंने अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और उसकी गांड से लंड टच करके धीरे-धीरे घिसने लगा।

दोस्तो, इसमें इतना मजा आ रहा था कि अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।
मैं अपना लंड उसकी गांड में धीरे-धीरे डालने लगा। एक बार उसे दर्द हुआ तो उसने अपनी गांड आगे खींच ली।

मैंने गुस्से में आकर जोर से एक चांटा उसके चूतड़ों पर जड़ दिया जिससे वो चिल्ला उठी।
फिर मैंने अपने लंड को उसकी गांड में डालना शुरू किया।

बड़ी मुश्किल से उसकी गांड में लंड का मुंड गया तो उसे दर्द होने लगा और वो आराम से करने के लिए कहने लगी।

मगर मेरे ऊपर अब हैवानियत सवार हो चुकी थी।

मैंने उसकी कमर को जोर से पकड़ा और एक झटका मारा।
मेरा आधा लंड उसकी गांड में चला गया और वह जोर से चिल्लाई- आआआ ईईई … ऊऊऊऊ ईईईई … मर गयी … आह्ह … मम्मी …
करते हुए वो रोने लगी।

मगर मैं भी कहां मानने वाला था; धीरे से लंड को पीछे खींचा और फिर झटका मार दिया।
मेरा पूरा लंड भाभी की गांड में समाहित हो चुका था।

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उसने जोर से अपना एक हाथ बेड पर पटका और बाजू में रखे हुए तकिया को उठाकर उसमें अपना मुंह दबा लिया।

उसको नॉर्मल करने के लिए मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा और उसकी चूचियों को दबाता रहा।

जब वह सामान्य हुई तो मैं लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा।

मगर उसे मजा नहीं आ रहा था, वह दर्द से तड़पती रही।

कुछ देर तक उसकी गांड मारने के बाद मुझे उस पर दया आ गई और मैंने लंड उसकी गांड से निकाल लिया।

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फिर लंड को मैं उसकी चूत में डाल कर उसे चोदने लगा।

कुछ देर में उसे मजा आने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी।

15 मिनट तक उसे ऐसी हालत में चोदते हुए मेरा लंड उसकी चूत में झड़ गया और वो भी साथ में झड़ गई।

फिर अगले दिन हम दोनों जब नंगे हॉल में बैठे हुए मूवी देख रहे थे तब मोहिनी के मोबाइल में उसके पति दिनशे का फोन आया।
मोहिनी भाभी ने अपने पति दिनेश से बात की और सिर्फ हां और ना में जवाब देती रही।

फोन रखने के बाद वह मुझसे चिपक कर रोने लगी।

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उसे इस तरह अचानक रोता देख मैं डर गया और सोचने लगा कि कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई!
मैं- क्या हुआ डार्लिंग … क्यों रो रही हो? कुछ बताओगी या नहीं?

भाभी ने बताया- पति का फोन था और उसे पास मिल गए हैं। कल यानि कि 30 अप्रैल को वह कार लेकर आ रहे हैं। आज ही तुम अपना सामान पैक कर लो, हम 1 घंटे बाद अलग हो जाएंगे। मुझे तुमसे दूर जाने पर बहुत रोना आ रहा है। पता नहीं कितने महीनों बाद हम वापस मिलेंगे।

ये कहते हुए वह मुझसे चिपक कर रोने लगी।

उस रात हमने तीन बार सेक्स किया और सुबह 5:00 बजे मैं अपना सामान लेकर अपने रूम में आ गया।

सुबह 9:00 बजे उठकर जब मैं दूध लेने के लिए जा रहा था तो देखा भाभी के रूम में ताला लगा हुआ था।
यह देख कर मुझे दुख हुआ।

सुबह 7:00 बजे दिनेश आ गए और 8:00 बजे वह लोग भोपाल से निकल गए।
यह बात भाभी ने मुझे घर पहुंचने के बाद फोन लगाकर बताई।

दोस्तो, 29 अप्रैल तक मैंने भाभी को और भाभी ने मुझे हर तरीके से चोदा, हर पोजीशन में चोदा।
घर का ऐसा कोई कोना नहीं बचा था जहां हम दोनों ने नंगी चुदाई का खेल ना खेला हो।
चुदाई में हमने किचन, बाथरूम, हॉल, बेडरूम हर जगह सेक्स किया।

24 मार्च से लेकर 29 अप्रैल तक हम दोनों साथ रहे। जब हम लोग चुदाई नहीं करते थे तब मैं जॉकी की अंडरवियर और बनियान में रहता और भाभी भी अपनी ब्रा और पैंटी में रहती थी।

कभी-कभी तो हम लोग नंगे ही रहते थे जब तक उसका बच्चा सो कर नहीं उठ जाता था।

उसके नंगे बदन से मैं इतना खेला कि उसकी याद कभी भी मेरे दिमाग से जाती ही नहीं।

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तो दोस्तो, ये थी मोहिनी भाभी की चुदाई कहानी। मैं कोई लेखक नहीं हूं इसलिए प्रार्थना है कि लिखने में जो गलतियां हुईं उसे नजरअंदाज कर देना।
बाकी आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल पर या कमेंट बॉक्स में जरूर बताना।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]

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