भाभी का पति खर्राटे और भी जोर जोर से ले रहा था. और राधा भाभी उतनी ही जोर से अपनी गांड को हिला के मेरे लंड को अन्दर ले रही थी.
वो मेरी छाती के ऊपर हाथ रख के बोली: अजित तुम्हे पता हे की मैंने आजतक पति से चुदाई का सुख नहीं लिया हे. वो शराब पिने के बाद चूत तो खोलता हे लेकिन अन्दर तो उसका वाएग्रा खाने के बाद भी नहीं गया.
मैंने उसके बूब्स मसलते हुए कहा, फिर इतने टाइम से आप कैसे चला रही हो इसे.
राधा भाभी ने आँख मार के कहा, इसके पास पैसे बहुत हे, इसे छोड़ के कहाँ जाउंगी. यहाँ से पहले एक हम लोग रहते थे वहां भी तुम्हारी उम्र का एक लड़का था!
मैंने भाभी की ये बात को दिल टूटने जैसी समझी! फिर एक ही पल में मैंने सोचा अरे इसे तो लंड से मतलब हे मुझसे मिले या मेरे बाप से.
मैंने कहा, फिर आप प्रेग्नेंट क्यूँ नहीं उस लड़के से.
अरे वो चोदता था मुझे लेकिन हमारा संगम कभी ऐसी डेट्स में नहीं हुआ की मैं प्रेग्नेंट हो सकूँ. लेकिन तुम्हारे बच्चे की माँ मैं जरुरु बनूँगी!
क्यूँ नहीं मेरी रानी, मेरी जान. ये कह के मैंने राधा भाभी को एक जोर का धक्का दिया. मेरा लंड अन्दर चूत की चमड़ी से मस्त घिसा.
और भाभी के मुहं से भी अह्ह्ह्ह निकल गया. वो भी मदहोश हुई हिरनी की तरह उछल रही थी और मेरा लंड जोर जोर से भोग रही थी.
मैंने कहा, भाभी आप की फेवरेट सेक्स पोज़ीशन कौन सी हे?
भाभी ने कहा, मुझे ऐसे लंड पर जम्प करना पसंद हे. और तुम्हे?
मैंने कहा, मैं तो आज पहली बार ही कर रहा हूँ लेकिन मुझे डॉग स्टाइल के वीडियो देखने का बहुत सौक हे. तो मैं वो पोजीशन ट्राय करना चाहता था.
तो ऐसे बोलो न. ये कह के भाभी ने निचे उतर के कहा, चलो घोड़ी बना दो मुझे.
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मैंने उसकी चिकनी जांघ को पकड़ लिया और उसे सही पोजीशन में बिठा के पीछे से उसकी गांड को ऊपर की तरफ कर दिया. भाभी की चूत से पानी निकला हुआ दिख रहा था. उसकी चूत पर हलके घुंघराले बाल थे उसके ऊपर चूत के पानी की बुँदे सुबह की शबनम की तरह चमक रही थी. मैंने निचे झुक के भाभी की चूत के सेंटर में थूंक दिया.
भाभी बोली, छी कितने गंदे हो तुम.
मैंने कहा, थूंक से अपनापन लगता हे तेल से नहीं!
वाह मेरे नवाब साहब, चूत मिली तो शायरी मारने लगे. अब चलो अपना औजार मेरे अन्दर डालो और खुश करो अपनी रानी को.
मैंने भाभी की गांड को पकड़ के चूत को खोला. भाभी का भोसड़ा लाल दरवाजे वाला था. मैंने चूत के उस दरवाजे के ऊपर अपने लंड को रख दिया. भाभी ने पीछे हो के मुझे देखा, मैंने आँख मारी. फिर मैं एक हाथ से अपने लंड को पकड़ के उसकी चूत पर घीसने लगा. भाभी ने कहा अब डाल भी दो इसे अन्दर मेरा राजा.
मैंने कहा, रुक तो छिनाल मेरी!
छिनाल शब्द राधा भाभी को उतना जचा नहीं क्यूंकि रानी वाला रिएक्शन नहीं आया था. मैंने सुपाडे को अन्दर किया और फिर और एक झटके में भाभी के बुर को खोल दिया. भाभी ने भी गांड को थोडा एडजस्ट सा किया. वैसे भी कुतिया वाली स्टाइल हार्ड होती हे और उसमे अगर लंड टेढ़ा मेढ़ा घुसे तो बहुत दर्द होता हे. इसलिए शायद भाभी ने मजे से अपनेआप को सेट किया. और वो अपनी गांड को अब हौले हौले से मटकाने लगी थी. मेरा लंड चूत में था और मैं अपनी एक ऊँगली से गांड के छेद को भी हिला रहा था.
फिर मैंने अपने दोनों हाथ आगे कर दिया और उन्हें भाभी के बूब्स पर ले गया. भाभी ने आह कर दिया जब मैंने उसके दोनों निपल्स को पिंच किया. और उसी वक्त उसने अपनी चूत की गिरफ्त मेरे लंड के ऊपर एकदम तेज सी कर दी. मजा आ गया सच में!
मैंने दोनों हाथो से उसके बड़े आम जैसे बूब्स को दबोच लिया और उन्हें दबाने लगा. भाभी भी पूरा सपोर्ट करते हुए अपनी गांड को हिला रही थी.
करीब 10 मिनिट तक मैंने ऐसे ही भाभी को कुतिया बना के चोदा. और फिर मेरा माल निकलने को था. मैंने भाभी को कहा मैं निकलने वाला हूँ. भाभी बोली, मेरे राजा माल अन्दर ही छोड़ना. मैं तुम्हारे बच्चे की माँ तभी बनूँगी.
और उसने आगे कहा, रुको ऐसे में माल अन्दर निकला तो मजा नहीं आएगा. मैंने सीधी लेट जाती हूँ. तुम मेरे ऊपर चढ़ के माल छोडो अन्दर.
और फिर वो सीधे लेट गई अपनी दोनों टांगो को खोल के. मैंने वापस अपना लोडा उसकी चूत में डाला और उसे पेलने लगा.
बस दो या तिन मिनिट में ही मैंने माल छोड़ा. मैंने उसे कस के पकड़ लिया और लंड को चूत की गहराई में ले जा के जैसे स्थगित कर दिया. और जब माल राधा भाभी के बुर में छुटा तो उसे भी बड़ा अच्छा लगा. वो आह कर के मेरे से लिपट गई…!
दोस्तों मेरी और राधा भाभी की चुदाई लीला अब तक चालु ही हे. आये दिनों वो मुझे अपने घर पर बुला के मेरा लंड लेती रहती थी. उसने मुझे सेमसंग गेलेक्सी भी ला के दिया था गिफ्ट में. और वो मुझे शिलाजीत, और कुछ और आयुर्वेदिक नुस्खे वाली दवाइयां भी देती थी. केसर खाने को भी कहती थी ताकि उसका बेटा गोरा हो.
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अभी उसका सातवाँ महिना हे प्रेग्नन्सी का. और वो अपने मइके गगयी हुई हे. वो मुझे कहती हे की मैं अपने बेटे का नाम भी अजित ही रखूंगी!
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