देवर भाभी Xxx कहानी में एक भाभी अपने देवर को अपने जिस्म का लालच देकर उसे अपने घर बुलाया और अपने जिस्म के जरूरतों को उन्होंने पूरा करवाया। देवर ने भी भाभी की चूत का पानी निकाला।
दोस्तो,
मेरा नाम राज (बदला हुआ नाम) है और मैं अभी 27 साल का हूँ.
मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच की है और मैं बिहार से हूँ.
मुझे हॉट सेक्स स्टोरीज पिक्चर्स डॉट कॉम पर सेक्स स्टोरी पढ़ना बहुत अच्छा लगता है.
मैं प्रतिदिन कुछ समय निकाल कर सेक्स कहानी ज़रूर पढ़ता हूँ.
आज मैं बात करने जा रहा हूँ एक औरत की शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने की कि कैसे एक भाभी पूरे होशो-हवास में, अपने आपको अपने देवर की बांहों में सिर्फ़ इसलिए सौंप देती है क्योंकि उसका पति उसे समय नहीं दे पा रहा था.
कहानी में मीठा अहसास लाने के लिए मैं अपनी और भाभी के बीच बने मधुर संबंधों की एक-एक बात आपको बताऊंगा, जो 2011 से चलते आ रहे हैं.
इस Devar Bhabhi Xxx Kahani की शुरुआत मेरे चचेरे भाई की शादी से हुई थी.
मैं भैया के बारे में बता दूँ कि भैया मात्र 10वीं तक पढ़े हैं इसलिए वे बेंगलुरु में किसी फैक्ट्री में काम करते थे.
बात तब की है जब मैं परीक्षा की तैयारी कर रहा था.
तभी मुझे मालूम हुआ कि भैया की शादी तय हो गई है.
भाभी मेरी उम्र से 2 साल बड़ी थीं.
वे दिखने में ठीक-ठाक थीं लेकिन मैं शुरू से ही भाभी के इस ठीक-ठाक यौवन के पीछे पागल हो चुका था.
क्योंकि शादी के 1 महीने बाद ही मैंने उन्हें सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में देख लिया था.
उन दिनों, जब भाभी नई-नई आई थीं, मैं ज़्यादातर वक़्त उनके साथ ही बिताता था.
एक दिन भाभी से बात करते-करते मैं उनके रूम में ही सो गया.
उस वक़्त भाभी नहाकर अपने रूम में कपड़े पहनने आई थीं.
जैसे ही भाभी ने रूम का दरवाज़ा ज़ोर से खोला, मैं उन्हें सिर्फ़ तौलिये में देखकर पागल हो गया.
मेरी नींद खुल चुकी थी पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, इस डर से कि कहीं भाभी शोर न मचा दें.
मैं बस हल्के से आंखें खोलकर उस कामुक नज़ारे का मज़ा ले रहा था.
मैंने यह घटना बाद में भाभी को बताई, उस पर उन्होंने जो कहा, उसे सुनकर मेरे होश उड़ गए.
उन्होंने कहा- मैं तुम्हें अपनी शादी के वक़्त से ही पसंद करती थी. अगर तुम उसी दिन मुझे ये बता देते, तो मुझे इतना इंतज़ार नहीं करना पड़ता.
अब पॉइंट पर आते हैं.
जब भाभी तौलिया खोलकर पैंटी पहन रही थीं, तो मेरी नज़र सिर्फ़ उनकी गदीली गांड पर थी.
आह्ह्ह … क्या सेक्सी गांड थी. जो भी एक बार देख ले, बिना लंड हिलाए न माने.
जब उन्होंने पैंटी पहन ली, तो फिर एक उजली रंग की ब्रा पहनी.
धीरे-धीरे उन्होंने अपने सारे कपड़े पहन लिए और फिर आकर मुझे उठाया.
यहां पहली बार मैंने अपनी भाभी को नंगी देखा था.
अब मैं अपनी भाभी के बारे में बता दूँ. उनका नाम महक (बदला हुआ नाम) है.
वे एकदम गांव की लड़की हैं, रंग ज़्यादा साफ़ नहीं है, पर उनका फिगर बहुत मस्त है.
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है कि अगर कोई उन्हें एक बार नंगी देख ले, तो बिना लंड को हिलाए माने ही न!
भाभी का फिगर 34-30-36 है और वे दो बच्चों की मां भी बन गई हैं.
मुझे उनकी गांड बहुत प्यारी लगती है.
जब मैं भोपाल में इंजीनियरिंग के तीसरे साल में था.
तब एक रात भाभी का फोन आया.
उस रात हमने 6 घंटे बात की. फिर ऐसे ही रोज़-रोज़ फोन आने लगे.
एक दिन मैंने उनसे पूछ लिया- आपके रोज़-रोज़ फोन करने का क्या कारण है?
तो उन्होंने मेरी बात को हंसकर टाल दिया.
उसी साल दिसंबर के आख़िरी दिन उन्होंने मुझे कॉल किया.
मैंने भी उनसे हर तरह से बात की.
बात करते-करते वह खुलकर अपनी सेक्स लाइफ़ के बारे में बताने लगीं.
मुझे लगा कि वे मज़ाक कर रही हैं, पर मैं तब कन्फ़र्म हुआ, जब उन्होंने सिर्फ़ मुझे चिढ़ाने के लिए अपने ब्लाउज़ के ऊपर के 2 बटन खोलकर उसकी फोटो व्हाट्सएप पर भेजी.
यार कसम से … क्या मम्मे थे उनके.
एकदम रस से भरे … जी कर रहा था कि अभी पकड़कर इन्हें चूस लूँ.
ऐसे ही मस्ती-मज़ाक होते-होते उन्होंने मुझे 1 जनवरी को घर आने को कहा.
मैंने उनकी बात को हंसकर टाल दिया, पर वह बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रही थीं.
फिर उन्होंने कहा- अगर तुम 2 जनवरी तक घर आ जाते हो, तो तुम जो मांगोगे, मैं वह गिफ़्ट तुम्हें दूँगी.
ये सुनकर मैंने कहा- सोच लो, मैं कुछ भी मांग सकता हूँ!
तो उन्होंने हंसकर फोन काट दिया.
मैंने पहले से ही 14 जनवरी का टिकट कराया हुआ था लेकिन मैंने उसे कैंसिल करके 1 जनवरी की सुबह का टिकट ले लिया.
फिर 2 तारीख की दोपहर तक मैं अपने घर पहुँच गया.
अब सवाल था कि भाभी से कैसे मिलना है क्योंकि मेरे बड़े पापा दिनभर घर पर ही रहते थे.
मैं न्यू ईयर विश करने के बहाने उनके घर चला गया.
जैसे ही मैं भाभी के सामने गया, वे हैरान होकर मुझे घूरने लगीं.
मैंने उनके पास जाकर, उनके चेहरे के पास कान में धीरे से न्यू ईयर विश किया और उनका वादा याद दिलाया.
उस समय मैंने भाँप लिया था कि भाभी चाह तो रही हैं बोलना, पर शर्म के कारण मुकर रही थीं.
मैंने भी नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा- मैं कल पटना चला जाऊंगा.
तो वे मुझे देखकर मुस्कुरा दीं और मैं वहां से पैर पटकते हुए अपने घर आ गया.
मुझे देखकर मेरी मां बहुत खुश हुईं.
फिर मैं फ्रेश होकर खाना खाकर सोने जाने लगा.
तभी भाभी ने मुझे अपना ट्रंक खोलने के बहाने अपने घर बुलाया.
वहां उन्होंने मुझे अपना लिखा हुआ लव लेटर दिखाया जो उन्होंने भैया के लिए लिखा था, पर उन्हें दिया नहीं था.
मैं उनकी इस हरकत को समझ नहीं पाया.
लेटर पढ़कर मैंने उसे वापस लौटा दिया.
उनका काम करके मैं वहां से जाने लगा, तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे वहीं बैठने को कहा.
मुझे आज भी वह शाम याद है, जब बड़ी मां किसी काम से उसी कमरे में आईं और मुझे देखकर उन्होंने मुझे एक काम सौंपा और चली गईं.
मां के जाने के बाद मैंने भाभी की आंखों में एक अलग सी प्यास देखी.
वे मुझे अजीब तरीके से देख रही थीं, बार-बार मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थीं.
आह … उनका वह कामुक स्पर्श आज भी मुझे याद है.
वे बार-बार अपने जिस्म को मेरे शरीर से रगड़कर आ-जा रही थीं, पर जो कहना चाह रही थीं, वह शर्म के मारे कह नहीं पा रही थीं.
जब वे आखिरी बार मुझसे रगड़कर जाने लगीं, तब मैं दरवाजे पर खड़ा था.
उनके इस बार-बार के घर्षण से मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
उन्हें भी इसका अहसास हो चुका था और शायद वे खुद भी यही चाहती थीं.
अब मैं अपने बारे में बता दूँ.
उस वक्त मेरी उम्र 22 साल थी.
मेरा शरीर एक आम आदमी जैसा था और मेरा लंड ज्यादा बड़ा नहीं, सिर्फ 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है जो किसी भी चूत के लिए काफी है.
जब भाभी ने आखिरी बार अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ी, तो मैंने अपना आपा खो दिया.
मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनके कान के पास अपने होंठ ले जाकर धीरे से कहा- ऐसे मुझे क्यों पागल बना रही हो!
यह कह कर मैं उनके कान की लौ को चूसने लगा.
वे वासना भरी सिसकारियों के साथ झूठ-मूठ छूटने का नाटक करने लगीं.
मैंने उन्हें सामने से पकड़ा, उनका चेहरा अपने चेहरे के पास लाकर कहा- भाभी, मैं तो आपके पीछे पागल हो गया हूँ. आपको प्यार करने के लिए ही भोपाल से यहां आया हूँ!
इतना सुनकर वे मुझसे ऐसे लिपट गईं, जैसे चंदन के पेड़ पर साँप लिपटता है.
उनकी इस हरकत से मैं कुछ देर के लिए शॉक्ड हो गया और वहां से जाने लगा.
लेकिन भाभी ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा.
वे मुझसे लिपटकर धीरे से मेरे कान में बोलीं- देवर जी, मैं भी आपको प्यार करती हूँ, पर शर्म के मारे आज तक बोल नहीं पाई.
वे रोते हुए अपनी राम कहानी सुनाने लगीं.
उन्होंने बताया- तुम्हारे भैया साल में सिर्फ एक महीने के लिए आते हैं. उसी एक महीने में मैं अपना दांपत्य जीवन जीती हूँ और बाकी 11 महीने तड़पकर रह जाती हूँ.
इतना कहकर वे फूट-फूटकर रोने लगीं और मुझे दूर न जाने को कहकर जोर से गले लगा लिया.
उनके इस तरह गले लगाने से उनकी चूचियां मेरे सीने में गड़ने लगीं.
ऐसे ही आधा घंटा तक इमोशनल ड्रामा चला.
जब उनका होश खुला, तो वह मुझसे दूर होकर माफी मांगने लगीं और सब भूल जाने को कहा.
पर उनकी आंखें अभी भी मेरे जवाब की उम्मीद में मुझे प्यार से देख रही थीं.
मैंने उस वक्त कुछ नहीं कहा.
बस घर आ गया, खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगा.
तभी भाभी का फोन आया.
वे शाम की घटना के लिए माफी मांगने लगीं.
मैंने कहा- कल आकर मिलता हूँ.
मैंने फोन काट दिया.
अगली सुबह जब मैं उठा, तो देखा कि भाभी एकदम परी की तरह सजकर मेरे घर किसी काम के बहाने आई हुई थीं.
मैं उठा, तो उन्होंने मुझे गुड मॉर्निंग विश किया और जाते-जाते अपने घर आने को कह गईं.
मैं जल्दी फ्रेश होकर नाश्ता करके अपने दोस्तों से मिलने चला गया.
जब लौटा, तो देखा कि वे मेरी मम्मी से कुछ बात कर रही थीं.
मम्मी ने मुझे भाभी के साथ उनके घर जाकर बिजली का बोर्ड ठीक करने को कहा.
जिसे मैं मना नहीं कर पाया.
जब मैं भाभी के घर गया तो उन्होंने मेन गेट बंद कर दिया.
कल की तरह फिर मुझसे लिपटकर माफी मांगने लगीं.
मैंने हंसकर बात टाल दी.
पर वे मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं कि मैंने उन्हें माफ कर दिया है.
मैं रात को सोच चुका था कि ऐसा मौका नहीं छोड़ना.
मैंने उनकी कमर पकड़कर उन्हें अपने करीब खींचा और उनकी आंखों से निकलने वाली आंसुओं की बूंदों को चूमकर उनकी आंखों पर एक प्यारा सा किस किया.
वे पूरी तरह मेरी बांहों में ढीली पड़ गईं और मुझसे लिपटकर पागलों की तरह चूमने लगीं.
उनके इस वार से मैं चौंक गया.
मैंने उनसे किस करने को कहा तो उन्होंने खुद करने को कहकर अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैं पहली बार किसी लड़की को किस करने जा रहा था.
मैंने सिर्फ फिल्मों में देखा था कि किस कैसे करते हैं.
तो मैंने अपनी नाकाम कोशिश के साथ उनके होंठों को चूमना शुरू किया.
आह्ह … क्या गुलाब की पंखुड़ियों जैसे थे उनके होठ. लग रहा था जैसे मैं कोई जूस पी रहा हूँ.
करीब आधा घंटा तक हम दोनों एक-दूसरे को बांहों में भरकर किस करते रहे.
इस दौरान मेरे हाथ कभी उनके मम्मों को छूते, तो कभी उनकी गांड को सहलाते.
जब मैंने उनके ब्लाउज को खोलने की कोशिश की, तो उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि कोई आ जाएगा.
तो मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाना और सहलाना शुरू कर दिया.
देवर भाभी Xxx कारनामों से वे और गर्म होने लगीं. उनके मुँह से ‘आह … आह …’ की आवाज़ें आने लगीं जो बता रही थीं कि वे कई दिनों की प्यासी थीं.
मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उनके चूचों को मसलना शुरू किया.
उनकी सिसकारियां निकलने लगीं.
कभी मैं उनके बाएँ चूचे को मसलता, तो कभी दाएँ को.
उनके चूचे मस्त मौसमी से थोड़े बड़े थे.
फिर धीरे-धीरे मेरा एक हाथ उनकी साड़ी के अन्दर चला गया और उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा.
उनकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
मैंने भाभी से उनकी चूत दिखाने का आग्रह किया.
तब भाभी ने कहा- ऊपर-ऊपर से ही देख लो.
उन्होंने अपनी साड़ी को ऊपर उठा दिया.
उन्होंने नीली पैंटी पहनी थी, जो पूरी तरह भीग चुकी थी.
मैंने उनकी पैंटी को जबरदस्ती उतारकर साइड में फेंक दिया और उनकी नंगी चूत को सहलाने लगा.
वे ‘आह … आआह्ह … आह्ह्ह …’ करके मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में अन्दर तक डालकर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया.
उंगली अन्दर लेते ही वे इतनी जोर से चीखीं कि उनकी आवाज़ से नीचे से बड़ी मां ऊपर आ गईं.
जल्दी-जल्दी हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए.
मैंने भाभी की पैंटी जल्दी से उठाई और अपनी पैंट में छुपा ली.
चूत में उंगली डालने से मेरी उंगली पर भाभी के चूत का रस लगा था, जिसे मैं सूँघ रहा था.
सूंघते-सूंघते न जाने क्यों मैंने अपनी उंगली चाटना शुरू कर दिया.
यह देखकर भाभी और मदहोश हो गईं.
मां मुझे बोर्ड बनाते देख कर नीचे चली गईं.
तब भाभी ने झट से मुझे अपनी बांहों में समेट लिया और पागलों की तरह चूमने लगीं.
वे जोर-जोर से ‘आह्ह्ह’ भरती हुई मुझसे लिपटकर प्यार की भीख मांगने लगीं.
मैंने भी तरस खाकर उनकी साड़ी में अपना सिर डाल दिया.
वे मेरे सिर को अपनी चूत के पास ले गईं और आंखें बंद करके पागलों की तरह ‘आह आह्ह्ह आआ आह्ह’ करने लगीं.
मैंने फिर से उनकी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करना शुरू किया.
उनकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे ब्रेड की स्लाइस के बीच गुलाबी जन्नत हो.
मैंने उनकी चूत को किस किया और हल्के से जीभ फेरी.
भाभी ने जोर-जोर से सिसकारियां लेते हुए ‘आह आह आआह्ह’ करना शुरू कर दिया.
मैंने उनके मुँह पर हाथ रखकर उसे जोर से बंद कर दिया और उनकी चूत पर ऊपर-ऊपर जीभ फेरने लगा.
मैंने अपनी उंगलियों की मदद से उनकी चूत के फांकों को फैलाया और उनके दाने को चूसने लगा.
मां कसम. इतना मज़ा तो मुझे किसिंग में भी नहीं आया था.
मैं जोर-जोर से जीभ को दाने पर चला रहा था.
भाभी पागलों की तरह मचल रही थीं और मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश कर रही थीं.
वे इस कदर मदहोश हो गई थीं कि कभी मुझे गालियां देतीं, तो कभी प्यार से पुचकारने लगतीं.
वे जोर-जोर से सिसकारियां लेती हुई बार-बार कह रही थीं- राज, मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना. कभी छोड़कर मत जाना आह्ह्ह राज, प्लीज़ ऐसे ही चूसते रहो. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. आआह्ह. मेरी जान, अपनी भाभी को पूरी तरह चूस लो!
इस बार वे उछलकर अपने हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं.
करीब पंद्रह मिनट की इस चूत चुसाई में वे तीन बार झड़ चुकी थीं.
मैंने आखिरी बार के झड़ने वाले रस को पूरा पी लिया.
रस का स्वाद हल्का नमकीन और मीठा था.
जब मैं भाभी को किस करने के लिए उनके नज़दीक गया, तो वे दूर भागने लगीं.
मैंने जोर देकर किस करने को कहा.
वे बोलीं- तेरे होठों पर मेरा रस अभी भी लगा है.
मैंने उन्हें उस चाटने को कहा.
बहुत जोर देने पर वे मेरे होंठों से अपना रस ऐसे चाट रही थीं, जैसे कब की प्यासी थीं.
अब बारी उनकी थी मुझे ठंडा करने की!
मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला.
उसे देखकर भाभी बहुत खुश होती हुई बोलीं- एक अरसे के बाद मुझे लंड देखने को मिला.
वे तुरंत घुटनों पर बैठकर मेरे लंड को चूमने लगीं.
मैंने उन्हें इसे मुँह में लेने को कहा, तो वे ना-नुकुर करने लगीं.
फिर बोलीं- फ्यूचर में लूँगी.
अब वे मेरे लंड को हाथ से हिलाने लगीं.
मेरा लंड पहले से ही खड़ा था और काफी सख्त हो गया था.
भाभी जोर-जोर से मेरे लंड को हिलाने लगीं.
पहली बार कोई लड़की मेरे लंड को पकड़े हुए थी.
मैं आंखें बंद करके उन पलों को महसूस कर रहा था.
मैंने कई दिनों से हिलाया नहीं था इसलिए मेरा रस आने में वक्त लग गया.
भाभी मेरे लंड को इतने प्यार से और जोर देकर हिला रही थीं कि मैं किसी और ही दुनिया में पहुँच गया था.
करीब दस मिनट बाद मैं एक जोर की ‘आह्ह आआह्ह’ के साथ झड़ गया.
मेरे लंड की पिचकारी सीधे उनके मुँह पर गई.
भाभी ने अपने चेहरे को साफ किया.
मेरा ढेर सारा माल उनके हाथ में था.
उसे देखकर मैं उन्हें किस करने लगा, जिससे उन्हें मेरे माल का स्वाद भी समझ में आ गया.
आज भाभी के चेहरे पर एक अलग सा सुकून था जिसे सिर्फ मैं ही समझ सकता था.
मैंने फिर भाभी की साड़ी ऊपर करके उनकी चूत को चूमा.
वे सिहर उठीं और मेरे सिर को अपनी चूत पर भींच लिया.
वे ‘आह्ह्ह … आह्ह्ह …’ में खो गईं.
कुछ देर बाद भाभी झड़ गईं और तभी बड़ी मम्मी की आवाज आ गई.
मैं जल्दी से भाभी से अलग हुआ और अपने कपड़े सही करके नीचे आ गया.
उनके घर से लौटते वक्त मैं भाभी की उस पैंटी को अपने साथ ले आया.
रात में भाभी के नाम की चार बार मुठ मारी, जिससे उनकी पैंटी का रंग नीला से सफेद हो गया.
अगले दिन बड़ी मम्मी को किसी मंदिर जाना था और उन्हें उस दिन शाम को वापस आना था. उनके साथ बड़े पापा भी जा रहे थे.
उन्होंने भाभी से भी चलने को कहा, पर भाभी ने माहवारी आने का बहाना बना दिया और वे घर रुक गईं.
उस वक्त मैं उनके घर पर ही था.
भाभी ने आंख दबा दी और मैं समझ गया कि आज घपाघप होने का मौका है.
उन सभी के जाने के बाद मैंने दरवाजे बंद किए और भाभी पर टूट पड़ा.
जल्दी ही हम दोनों नंगे हो गए.
मैंने भाभी के दूध चूसते हुए उन्हें चित लिटाया और उनकी चुत में लंड पेल दिया.
भाभी की चुत की फांकें चिपक कर कुंवारी चुत का अहसास दे रही थीं.
मैं उन्हें आधा घंटा तक चोदता रहा और उनके पेट पर झड़ गया.
भाभी और मैंने उस दिन चार बार चुदाई का मजा लिया.
उसके बाद तो भाभी मेरे लिए मेरी बीवी के जैसी खुल गई थीं.
जब भी घर जाता था तो भाभी को पेलता रहता था.
यह थी मेरी देवर भाभी Xxx कहानी … आपको कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.