जवान कमसिन पड़ोसन का यौवन- 2

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टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा मुझे दिया मेरी पड़ोसन लड़की ने! वह अपनी चूत फड़वाने मेरे बिस्तर पर आई. उसको मैंने कैसे नंगी किया, उसकी चूत को चाट कर मैंने कैसे चोदा?

कहानी के पहले भाग
सील तुड़वाने को बेचैन कुंवारी कमसिन लड़की
में आपने पढ़ा कि मेरे किराए के घर की ऊपरी मंजिल में रहने वाली 20 साल की एक लड़की थी मुझमें रूचि ले रही थी. तो मैं क्यों पीछे रहता … एक रात वह लड़की मेरे कमरे में मेरे बिस्तर पर अपनी बुर का उदघाटन करवाने के लिए आ चुकी थी.

अब आगे Teenager Girl First Sex Story:

मैंने कहा- अच्छा।

और कहते हुये एक हल्का सा धक्का देकर उसे बेड पर लिटा दिया।

बेड पर लेटते ही उसने अपनी पीठ मेरी तरफ कर दी और सोने का नाटक करने लगी।
मैं उसके पीछे जाकर उसकी पीठ पर टॉप के ऊपर से ही चुम्बन करता हुआ नीचे आने लगा और कमर के पास पहुंचकर टॉप को थोड़ा ऊपर उठाकर पीठ को नंगी कर दिया।

उसकी नंगी पीठ पर जीभ और होंठों से का इस्तेमाल करके एक गीला चुम्बन दिया जिससे कीर्ति का पूरा शरीर सिकुड़ गया और उससे मुख से आनंद युक्त हल्की की सिसकी निकली।

मैं उसकी कमर से और नीचे जाकर घुटनों के पास चुम्बन करने लगा और उसकी स्कर्ट को उठाकर उसकी कमर तक कर दिया जिससे कीर्ति की चिकनी गोरी जांघें और उसके ऊपर लाल पैंटी सब कुछ मेरी आँखों के सामने आ गया।

कीर्ति ने तुरंत ही अपनी स्कर्ट को दोबारा घुटनो तक करके अपने जिस्म को ढक लिया।

मैंने कीर्ति के दोनों हाथों को उसकी कमर के दोनों तरफ करके अपने हाथों से दबा लिया और अपने घुटनों के बल होकर कीर्ति के ऊपर आ गया।
तब अपने दाँतों से मैंने उसकी स्कर्ट को पकड़कर ऊपर उठा दिया और उसकी झाँघों और पैंटी के आसपास चूमने लगा।

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कीर्ति की गुलाबी पैंटी में उसकी फूली हुई चूत और चूत के छेद के चारों ओर कामरस से भीगी हुई उसकी पैंटी बहुत ही सुंदर लग रही थी।
उसकी चूत की ख़ुशबू मेरी नाक में जाकर मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी।

मैंने उसकी पैंटी के गीले हिस्से को अपनी जीभ से चाटकर कीर्ति के चूत के पानी का स्वाद चखा।
चूत पर मेरी जीभ से स्पर्श मात्र से ही कीर्ति का शरीर जोरों से कांपने लगा।

अब मैंने कीर्ति की कमर को पकड़कर उसकी स्कर्ट को नीचे खींचकर अलग कर दिया और कमर से किस करता हुआ उसके सीने के पास आ गया।

एक बार फिर मैंने कीर्ति के रसीले होंठों के स्वाद लिया।

अब मैंने कीर्ति के टॉप के बटनों को खोलना शुरू किया और एक एक करके सारे बटन खोल दिए।

टॉप के नीचे उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो पैंटी के सेट का ही हिस्सा थी।

मैंने उसके टॉप को शरीर से अलग कर दिया।
अब वह केवल ब्रा पैंटी में ही थी।
इस सेट में कीर्ति किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी।

यह सेट शायद आज उसने पहली बार ही पहना था और क्यों न हो … आज कीर्ति के जीवन का सबसे अनमोल दिन जो था।

अब मैं कीर्ति के ऊपर आकर ब्रा में से ऊपर की ओर दिख रहे उसके स्तन को प्यार करने लगा।

अपने मुंह से उसके स्तन के ऊपरी भाग से खेलते हुए मैंने ब्रा की एक साइड की डोरी को कंधे से गिरा दिया और दांतों की सहायता से उसके एक स्तन को ब्रा से आजाद कर दिया।

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इस पूरे क्रियाकलाप में मैंने अपने एक भी हाथ का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि अपने दोनों हाथों से उसके दोनों हाथों को दबाये रहा ताकि यदि वो चाहे भी तो मुझे रोक न सके।

कीर्ति का एक स्तन उसके निप्पल सहित मेरी आँखों के सामने था।
एक कुंवारी लड़की का निप्पल कितना खूबसूरत होता है यह तो वही जानता है जिसने उसे देखा और प्यार किया हो।

किशमिश जैसा गुलाबी निप्पल और उसके आसपास छोटा सा गोल घेरा देखकर ऐसा लग रहा था कि आज स्वर्गलोक में बैठे देवता भी मेरी किस्मत से जल रहे होंगे।

कीर्ति के प्यारे निप्पल को मैंने अपनी जीभ के अग्र भाग से चाटना शुरु किया.
ऐसा करने से वो बहुत बेचैन होने लगी और अपने शरीर को हिलाने लगी।

तब मैंने कीर्ति के दोनों हाथों को अपनी गिरफ्त से आजाद कर दिया।

कीर्ति अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपने स्तन पर दबाकर उसके निप्पल को मुंह में लेने को बोलने लगी।
लेकिन में अपनी जीभ से ही उसके निप्पल को छेड़कर उसकी उत्तेजना के साथ खेलता रहा।

तब कीर्ति की ब्रा का हुक खोलकर ब्रा को अलग करके उसके दूसरे स्तन को भी आजाद कर दिया।

अब पहले स्तन को हाथ से मसलकर इस नये स्तन को अपनी जीभ से छेड़ने लगा।
हाथ से दबाने से पता चला कि कीर्ति का स्तन कितना मखमली है।
उस अहसास मात्र की कल्पना से आज भी मेरा पानी मेरी चड्डी को गीला करने लगता है।

बार बार इस तरह कीर्ति के निप्पलों से खेलने के कारण न तो वो स्खलित हो पा रही थी और उसकी उत्तेजना कम होने का नाम नहीं ले रही थी।
वह बस तड़प रही थी और यही मेरा उद्देश्य था।

लड़की की केवल चड्डी उतारकर लंड चूत में डालकर अंदर बाहर करने से लड़की को वह सुख कभी प्राप्त नहीं हो सकता जो उसके शरीर के साथ खेलने से मिलता है।
केवल इंसान ही धरती पर एकमात्र प्राणी है जिसको फोरप्ले देने और लेने का सुख प्राप्त है क्योंकि लंड चूत में डालकर अंदर बाहर करने का काम तो बाकी सारे जानवर भी कर ही लेते हैं।

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कीर्ति के शरीर पर अब लाल रंग की चड्डी के अलावा और कुछ भी नहीं था।
वह ऊपर से पूरी नंगी मेरे बेड पर लेटे हुए बेड को सुशोभित कर रही थी।

उसके यौवन को देखकर अब मेरा भी खुद पर नियंत्रण खत्म हो रहा था।
मैंने अपने कपड़े जल्दी जल्दी निकलना शुरू किये और केवल जॉकी की फ्रेंची चड्डी को छोड़कर बाकी सब उतार दिया।

कीर्ति मेरे सीने के घने बालों को देखकर बहुत खुश हुई।

मेरा लंड चड्डी में तंबू बना चुका था।

जैसा कि मुझे लगता था कि कीर्ति अब तक अक्षतयौवना थी तो उसने शायद लंड अब तक नहीं देखा था इसलिये चड्डी में फुंकार मार रहे विशाल लंड को देखकर उसे बहुत आश्चर्य हुआ।
वह अपना हाथ बढ़ाकर चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़कर इस तरह टटोलने लगी जैसे कोई बच्चा किसी अनजान चीज को देखकर करता है।

मैंने कीर्ति की जिज्ञासा का अंत करने के लिये एक झटके से अपनी चड्डी नीचे कर दी जिससे मेरा लंड उछलकर उसकी आँखों के सामने आ गया।

मेरे लंड को देखकर कीर्ति की आंखें फटी की फटी रह गई।
उसके मुँह से अनायास ही निकल पड़ा- यह क्या है?

ऐसा नहीं था कि कीर्ति नहीं जानती थी कि यह लंड है परंतु शायद उसने इतना बड़ा लंड पहले कभी नहीं देखा था।

मैंने कीर्ति का हाथ अपने लंड पर रखते हुए अपना लंड सहलाने का इशारा किया।

कीर्ति लंड को हल्के हाथ से पकड़कर ऊपर नीचे करके लंड का जायजा लेने लगी और दूसरे हाथ से मेरे बॉल्स को छूने लगी।

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कुछ देर बाद उसने लंड की स्किन को पीछे करके लंड के सुपारे को खोल दिया.
मेरा लाल टमाटर जैसा सुपारा देखकर उसकी आँखों में वासना की हिलौरें उठने लगी।

मैंने लंड को आगे बढ़ाकर उसके होंठों पर टच कर दिया और लंड को चूसने का इशारा किया।

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उसने मेरे लंड को दो तीन जगह किस किया और थोड़ा सा मुंह खोल कर लंड को अंदर लेने की कोशिश की.

लेकिन जैसा अक्सर होता है कि पहली बार लड़की को लंड का स्वाद अच्छा नहीं लगता, ठीक वैसा ही कीर्ति के साथ भी हुआ।
उसने लंड को तुरंत बाहर निकल दिया और केवल बाहर से ही लंड को चाटने और किस करने लगी।

थोड़ी देर मेरे लंड को प्यार करवाकर मैं कीर्ति के साथ ही बेड पर नंगा लेटकर उसे हग कर लिया।

जिससे मेरा लंड कीर्ति की चूत की दरार में उसकी पैंटी के ऊपर से ही टच होने लगा.
उसके दूध मेरी छाती से और उसके रसीले होंठ मेरे होंठों से जा मिले।

कीर्ति की सांसें तेज होने के कारण उसके दूध ऊपर नीचे हो रहे थे और मेरे सीने में दब रहे थे, शायद उस अद्भुत स्पर्श का सुखद अनुभव में शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाऊंगा।
उस कुंवारी कन्या के अनछुये बदन के साथ खेलते हुए काफी देर हो चुकी थी पर अब तक मैंने उस चीज के दर्शन नहीं किये थे जो किसी भी लडक़ी/औरत के शरीर का सबसे खास हिस्सा होता है।

इतनी देर के फोरप्ले के बाद कीर्ति की पैंटी उसके कामरस से लगभग पूरी भीग चुकी थी।
उसकी चूत के पानी की खुशबू के सामने मेरे स्प्रे किए हुए रूम फ्रेशनर की खुशबू भी कुछ नहीं थी जिससे पूरे रूम का माहौल ही बदल चुका था।

मैंने कीर्ति के ऊपर आकर उसकी पैंटी को अपने दांतों से पकड़कर नीचे की तरफ खींचना शुरु किया।

कीर्ति ने अपने चूतड़ थोड़े ऊपर उठाकर मेरा सहयोग किया।
चूत रस से भीगी होने के कारण पैंटी चूत से फेविकोल की तरह चिपक गई थी।

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मेरे खींचने पर चूत से ऐसे अलग हुई जैसे हाल ही में चिपकाए हुये दो कागज अलग होते है.
पैंटी और चूत के बीच चूत रस से बने हुए रेशों का एक जाल सा बन गया जो पैंटी को नीचे ले जाते हुये कमजोर होकर टूट गया।

कीर्ति के शरीर से उसके अंतिम वस्त्र को भी मैं अलग कर चुका था।

अब कीर्ति की कुंवारी चूत मेरी आँखों के सामने थी, उसकी सुनहरी झांटें कामरस से भीगकर चूत से चिपक गई थी।

कीर्ति की चूत पावरोटी जैसी फूली हुई थी.
चूत की फांकों के बीच गुलाब की पत्ती जैसी उसकी चूत की लाइन मेरे लंड को आकर्षित कर रही थी।

मैंने देर न करते हुए तुरंत अपनी जीभ उसकी चूत के छेद पर टिका दी, जिसको कीर्ति बर्दाश्त न कर सकी और उत्तेजनावश उसका पूरा शरीर ही हिल गया।

मैं अपनी जीभ को चूत के अंदर तक डालकर उसका पानी चाटने लगा।

कीर्ति मेरे सर को चूत पर दबाकर जोर जोर से आहें भरने लगी.

कुछ देर चाटने के बाद जब कीर्ति का खुद पर कंट्रोल खत्म होने लगा.
तब मुझसे चुदाई की भीख मांगते हुए वह बोली- प्लीज अब और मत तड़पाओ, फाड़ दो मेरी चूत को, चोद दो मुझे।

अब मैंने कीर्ति को बेड के किनारे पर लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया ताकि उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने और सही ऊंचाई पर आ जाये और चुदाई में कोई समस्या न हो।

चूंकि उसकी पहली चुदाई थी इसलिये मैंने अपने लंड पर बहुत सारी वैसलीन लगा ली और उतनी ही वैसलीन उंगली की सहायता से चूत के अंदर भर दी।

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अब मैंने अपने लंड को उसकी चूत की फांकों के बीच फंसा दिया और हल्का आगे-पीछे, ऊपर- नीचे करके चूत पर रगड़ने लगा।

कीर्ति उत्तेजित होकर अपना सर और गांड हिला रही थी।
वह बार बार गांड उठाकर लंड को अंदर लेने की कोशिश करते हुए मुझसे चोद देने की मिन्नते कर रही थी।

मैंने कीर्ति को आखिरी चेतावनी देते हुए कहा – देख लो काफी दर्द होगा, सह लोगी न तुम?
कीर्ति आंखें दिखाकर मुझ पर गुस्सा करते हुए बोली- तो क्या यहां तक आने के बाद आप मुझे बिना चोदे चले जाने दोगे।

मुझे उसकी बात बात पर हँसी आ गई.
कीर्ति भी मुस्करा दी.
मैंने उसके होंठ चूम लिये।

कीर्ति बोली- प्लीज अब और देर मत करो।
मैं बोला -ठीक है।

दो तीन बार और लंड रगड़ने के बाद मैंने लंड को बिल्कुल सही जगह सेट करके पूरी ताकत से एक झटका मारा.
और मेरा लंड चिकनाहट में फिसलते हुये चूत को फाड़ता हुआ सीधा उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।

कीर्ति के गले से एक जोरदार चीख निकल गयी जिसे मैंने उसका मुंह अपने हाथों से बन्द करके आधे में ही रोक लिया.
नहीं तो कीर्ति की मम्मी के साथ साथ पूरा मोहल्ला ही आ जाता।

कीर्ति की आँखें फट गई और उसके दोनों पैर और कमर दर्द के कारण कांपने लगे।

करीब 2 मिनट तक कीर्ति पानी से निकली मछली की तरह तड़पती रही और लंड को बाहर निकाल लेने की विनती करती रही.
लेकिन मैं उसके अन्दर अपना लंड डाले हुये उसके दर्द के कम होने का इन्तजार करता रहा।

दो मिनट के बाद उसका शरीर शांत पड़ गया; उसके चेहरे से दर्द के भाव खत्म हो गए.
तब मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला जिसके साथ ही कीर्ति की टूटी सील से निकला कुछ खून भी बाहर आ गया।

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मैंने अपने लंड पर थोड़ी सी वैसलीन और लगाई और कीर्ति की टाँगों को उठाकर अपने कंधे पर रख दिया।

लंड को चूत पर टिकाकर मैं ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.
कीर्ति भी हर धक्के के साथ आह भरके अपनी पहली चुदाई का पूरा मजा लेने लगी।

पूरा कमरा चूत और लंड के मिलन से हुई फच फच और कीर्ति की सिसकारियों की आवाज से गूँजने लगा।

10 मिनट चोदने के बाद मैं कीर्ति को घुटने के बल बिठाकर डॉगी स्टाइल में उसे कुतिया की तरह चोदने लगा।

इस पोजीशन में मजा ज्यादा आने के से कीर्ति की सिसकारियों की आवाज भी बढ़ गई और वह चुदाई के मजे लेती रही।

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10 मिनट तक कुतिया बनाकर चोदने के बाद अब मैं बेड पर सीधा लेट गया।
कीर्ति को मैंने अपने खड़े लंड पर बिठाया और नीचे से उसकी चूत पर वार करने लगा.

वह मेरे ऊपर उछल उछलकर चुदने लगी उसके साथ उसके दोनों स्तन भी ऊपर नीचे उछल रहे थे।
चरमोत्कर्ष पर पहुंचने के करीब आकर वह मेरे ऊपर गिर गई और मुझे जोर से जकड़ लिया।

उसके दोनों स्तन मेरे सीने पर टिक गए और मैं और जोर से उसको चोदता गया।
अंत में वो निढाल होकर गिर पड़ी और में भी कुछ देर में उसके अंदर ही झड़ गया।

टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स के बाद मेरे ऊपर लेटी हुई थी और उसकी चूत से मेरा लंड सिकुड़कर बाहर आ गया था।

उसकी चूत से मेरा वीर्य और उसका रज निकलकर मेरी झांटों को भिगो रहा था।
उसके चेहरे पर परम शान्ति व्याप्त हो गई थी।

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थोड़ी देर ऊपर लेटने के बाद कीर्ति मेरी बगल में हो गई और मुझसे चिपककर रोने लगी।

मैंने तुरंत उठकर उसको अपनी गोद में बैठाया और उससे पूछा- कि क्या हो गया, तुम रो क्यों रही हो?
उसने आंसू पौंछते हुये कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं. मैं आपके बिना नहीं रह सकती, आप कभी मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे?

मैंने उसको बहुत प्यार से गले लगाया और कहा- नहीं जाऊंगा!
और उसको होंठों को चूम लिया।

कीर्ति के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी।
उसका यह व्यवहार उसके पहले सेक्स के कारण था जिसके कारण उसका मुझसे बहुत गहरा भावात्मक रिश्ता बन गया था.

यही वह रिश्ता होता है जो एक पति और पत्नी के रिश्ते को भी मजबूत बनाने का काम करता है।

रात के 2 बज चुके थे।

कीर्ति ने यहां वहां बिखरे अपने कपड़े उठाकर पहन लिये और जाने के लिये मुड़ी.
मैंने उसका हाथ पकड़कर उसको अपनी तरफ खींच लिया और 2 मिनट तक उसको गले से लगा कर रखा।

मुझे भी उससे प्यार हो गया था।

उसको जाती हुई देखकर मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
कीर्ति बोली- बहुत देर हो गई है, मुझे अब जाना चाहिये।

मैंने बेमन से उसको जाने की अनुमति दी और दरवाजे से निकालकर दरवाजा बंद कर लिया ताकि कोई हमें साथ न देख ले।

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मैं अपने बिस्तर पर लेटकर कीर्ति के साथ बिताए हसीन लम्हों को याद करता हुआ कब नींद के आगोश में चला गया, पता ही नहीं चला।

सुबह 8 बजे किसी के द्वारा मेरे दरवाजे को नॉक करने से मेरी आँख खुली।
मैंने जल्दी से कपड़े पहनकर दरवाजा खोला तो सामने कीर्ति की मम्मी को खड़ा देखकर मैं अंदर से डर गया कि कहीं इनको कुछ पता तो नहीं चल गया।

मैंने हिम्मत करके उनसे पूछा- अरे भाभी, आप?
तो वे बोली- सॉरी भैया, मैंने आपको डिस्टर्ब किया। लेकिन कीर्ति की तबियत कुछ ठीक नहीं है। उसको शरीर में काफी दर्द हो रहा है। क्या आप उसके लिये कहीं से दवाई ला देंगे? पास वाला मेडिकल अभी खुला नहीं है और काफी देर से खुलेगा।
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं, अभी ले आता हूं।

तब मैंने मन में सोचा कि आखिर इस समस्या का कारण भी तो मैं ही हूँ।

मैंने अपनी बाइक निकाली और घर से काफी दूर वाले मेडिकल जो मुझे जानता नहीं हो, ऐसी जगह से एक दर्द निवारक और एक गर्भ रोधक गोली ले ली।
दोनों टेबलेट के ऊपर के रैपर अलग करके एक लिफाफे में रखकर कीर्ति की मम्मी को दे दिया और उनको बता दिया कि ये दोनों टेबलेट साथ में खिलाने से दर्द में जल्दी आराम मिलेगा।

उन्होंने मूझे थैंक्स बोला और दवा लेकर अपने घर चली गई।

मैं कीर्ति से उसके बाद भी कई बार मिला और सेक्स का मजा लिया।

लेकिन फिर कुछ महीनों बाद हमने दूसरा घर ले लिया और हम वहां से चले गये।

कीर्ति की पढ़ाई पूरी हो चुकी है और उसके माता पिता उसकी शादी के लिये लड़का ढूंढ रहे हैं।
उससे आज भी मेरी बात हो जाती है और वह मिलने के लिये बोलती है लेकिन अब मैं उससे दूर रहना ही ठीक समझता हूं।

तो दोस्तो, यह है मेरी सच्ची कहानी जिसे मैंने आपके लिए लिखा है।
इस टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स स्टोरी के संबंध में आपके जो भी सुझाव हों, मुझे जरूर बताये।
आपके मेल का मैं इन्तजार करूँगा।
मेरा ई मेल आई डी है
[email protected]

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