खेल मैदान से चुदाई तक का सफ़र

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हॉट कॉलेज गर्ल फक़ कहानी में मैंने एक स्पोर्ट्स गर्ल को अपने कमरे पर लाकर चोदा. मैं उससे एक स्पोर्ट्स इवेंट में मिला था. मुझे वो भा गयी थी.

नमस्कार दोस्तो, मैं अक्की एक बार फिर से नयी और वास्तविक सेक्स कहानी के साथ हाज़िर हूँ.
मेरी पहली सेक्स कहानी
एक हसीना मुझ पर मरती थी, चुद गयी
पर कई पाठकों के मेल मुझे मिले. उन सभी का आभार.

यह Hot College Girl Fuck Kahani कॉलेज के समय की है. उन दिनों कॉलेज में स्पोर्ट्स के कार्यक्रम चल रहे थे.
इस बार कॉलेज का एक टूर्नामेंट वाराणसी से दूर एक गांव में हो रहा था.

वैसे तो मैं सांस्कृतिक क्षेत्र से ज़्यादा जुड़ा हुआ था लेकिन फिर भी खेल में रुचि बराबर रही है.

इस बार के इन इवेंट्स में कई कॉलेज ने हॉस्टल के खिलाड़ियों को भी बुलाया हुआ था.
कुछ राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी आए हुए थे.
मुख्य प्रतियोगिता रेस की थी.

प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी.

सबकी निगाहें दिव्या पर टिकी हुई थीं.
इसके दो कारण थे.

एक तो दिव्या एक बहुत ही अच्छी धाविका थी और उसके साथ साथ एक ख़ूबसूरत शरीर की मालकिन भी थी.
वो काफ़ी बोल्ड और एडवांस स्वभाव की भी थी. वो एक राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी थी.

गांव के ट्रैक पर जब वो ट्रैक सूट उतार कर शॉर्ट स्पोर्ट ड्रेस में आयी, तो क्या बुज़ुर्ग … और क्या जवान, सभी आहें भरने लगे.
मैं उस समय प्रतियोगिता के संचालन का कार्य कर रहा था.

सारी महिला खिलाड़ी ट्रैक पर अपना पोज़ीशन ले चुकी थीं.

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रेस के लिए फ़ाइनल कॉल हुई और रेस शुरू हो गई.
इस रेस में दिव्या ही विजेता रही.

जब वो मेडल लेने आयी तो मैं उसे देखता ही रह गया.
लगभग बीस वर्ष की उस सुंदर कामुक कन्या को देख कर तो मैं पूरी तरह उस पर लट्टू हो गया.

उसके उठे हुए हिप्स और भरे हुए बूब्स तो क़यामत बरपा रहे थे.
मैंने उसकी शान में दो चार कसीदे पढ़ दिए.

शायद उसने मेरे मन की बात को भांप लिया था.
मेडल लेने के बाद वो मंच की तरफ़ आयी और एक कुर्सी पर बैठ गयी.

शायद वो मेरे फ़्री होने का इंतज़ार कर रही थी.
उसे बैठा देख मुझे भी उसके साथ बैठने और बात करने का मन कर रहा था.

मैंने संचालन का काम दूसरे व्यक्ति को सौंपा और उसके पास आकर बैठ गया.

मैं मोबाइल पर व्यस्त होने का नाटक करने लगा.
पांच मिनट तक उसकी तरफ़ से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला तो मैं उठ कर चलने लगा.

उसने मुझे आवाज दी- हैलो, आप काफी अच्छा बोल लेते हो.
मैंने अभिवादन पूर्वक उसे धन्यवाद किया और फिर से उसके बाजू में बैठ गया.

अब मैं उसकी ख़ूबसूरती को निहारने लगा और मेरी निगाहें उसकी चौंतीस साइज के मम्मों पर टिकी हुई थीं जो ऊपर से दिख भी रहे थे.

उसने मेरी निगाहों को पकड़ लिया और अपने कपड़े ठीक करते हुए मुझे टोका- आपकी निगाहें कहां हैं?
मैं बुरी तरह झेंप गया और वहां से उठ कर चल दिया.

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वहां से जब बनारस अपने कमरे पर आया तो उसके ख़्यालों में ही खो गया.
पूरी रात उसी के बारे में सोचते सोचते जागता रहा.

सुबह फिर से मुझे गांव आना था लेकिन आज आने का मन नहीं कर रहा था क्योंकि दिव्या का इवेंट कल ही ख़त्म हो गया था.

फिर फोन आने पर भारी मन से बनारस से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा और वहां पहुंच कर मैंने देखा कि संचालक के पास वाली कुर्सी पर दिव्या बैठी हुई थी.
आज वो काले रंग के सेक्सी गाउन में और भी ज़्यादा बिजली गिरा रही थी.

उसे देख कर तो दिल अन्दर से एकदम झूम उठा.
लेकिन कल की घटना की वजह से मैं बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था इसलिए मैं आज उसके पास ना बैठ कर थोड़ी दूर पर बैठ गया.

फिर मुझे आयोजक के द्वारा संचालन के लिए बुलवाया गया और मैं मंच से इवेंट के संचालन में मशगूल हो गया.

आज लड़कों का इवेंट चल रहा था, प्रतिस्पर्धाएं भी बहुत ज़्यादा थीं.
सभी लोग अच्छे से इवेंट्स में अपनी अपनी टीमों का हौसला बढ़ा रहे थे.

कुछ समय बाद मेरी नजर जब दिव्या की तरफ़ गयी तो मैंने देखा कि उसका कोई इंटरेस्ट किसी इवेंट्स में नहीं था.
वो गुमसुम की तरह बैठी हुई थी.

मैं उसके पास गया और हिम्मत करके उससे पूछा- आप उदास क्यों हैं?
उसने कोई जवाब नहीं दिया.

मुझे लगा कि कल की घटना की वजह से वो मुझसे नाराज हो गयी होगी या मेरे लिए उसके मन नकारात्मक विचार आ गए होंगे.
मैंने भी कोई दबाव नहीं दिया और दूसरे संचालक से बोला- आप आज का संचालन देख लीजिएगा, मैं बनारस के लिए निकल रहा हूँ.

ये बात दिव्या ने भी सुनी, वो कुर्सी से उठ कर मेरे पास आयी और बोली- बनारस कैसे जाएंगे आप?
मैंने बोला- बाइक से.

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वो बोली- मुझे भी ले चलेंगे?
मैंने बोला- आप मेरे साथ क्यों चलेंगी? और जहां तक मुझे जानकारी है कि आप किसी और जगह की टीम से यहां आयी हुई हैं.

उसने थोड़ा ग़ुस्से में मुझसे कहा- ले चलेंगे या नहीं? हां या ना में ही जवाब दीजिए.
मैंने बोला- चलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं है. कहीं आपको दिक्कत ना हो. रास्ता काफी ऊबड़खाबड़ है.
मैंने उससे ये सब हंसते हुए कहा.

वो बोली- मैं वो सब देख लूंगी.

मैं कहा- ओके, चलिए.
उसने मुझे इंतज़ार करने के लिए कहा और अपना बैग लेने चली गयी.

कुछ ही समय में वो जींस टॉप पहन कर अपना एक छोटा सा बैग लेकर आयी और मुझसे चलने के लिए बोली.

उसके बैग को बाइक पर पीछे बांधकर हम दोनों बाइक पर सवार होकर बनारस के लिए निकल पड़े.

गांव का रास्ता बहुत अच्छा नहीं था, गड्डे ज़्यादा होने के कारण बार बार ब्रेक लगाना पड़ रहा था.
इस वजह से उस हुस्न की मल्लिका के चुचे बार बार मेरी पीठ से टकरा रहे थे.

उसकी मख़मली चूची के स्पर्श से शरीर में करेंट दौड़ने लगा.
इस बात को वो भी महसूस कर रही थी.

मेरे मोटे लंड में अब तनाव आने लगा था.

गांव का रास्ता जो कि काफ़ी सुनसान था, कई बार तो मन में सेक्स करने की इच्छा होने लगी.
इसी दौरान अचानक से एक बड़ा गड्डा सामने पड़ जाने के कारण मुझे ज़ोरदार ब्रेक लेना पड़ गया.

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दिव्या ने खुद को संभालते हुए कसके मुझे पकड़ा.
इसी पकड़ा पकड़ी में उसका हाथ मेरे लंड पर पड़ गया.

वो अपना हाथ अनजान बन कर वहीं रखे रही.
उसके हाथों के स्पर्श से लंड में और ज्यादा तनाव आने लगा था.

उसने मुझसे कहा- आपको कुछ दिक्कत तो नहीं है ना?
मैंने बोला- नहीं, क्यों?

वो लंड दाबती हुई बोली- आपका ये कुछ खड़ा हो गया है.
मैं झेंप गया.

उसने अभी भी हाथ नहीं हटाया था.
मैं भी अपने लंड को मजा दिला रहा था.

उसने कहा- कुछ पूछूँ, बुरा तो नहीं मानेंगे?
मैं बोला- पूछिए, बुरा क्यों मानना?

उसने बोला- कल आप मुझमें क्या देख रहे थे?
मैंने बोला कि आप सुंदर हो, बस आपकी सुंदरता को निहार रहा था.

उसने बोला- लेकिन आपकी निगाहें तो कहीं और थीं. सच सच बताइए क्या देख रहे थे?
मैंने बोला कि जब आपको पता ही है, तो क्यों पूछ रही हैं?

वो बोली- मैं आपके मुँह से सुनना चाहती हूँ.
मैंने भी बोल दिया- आपके बूब्स दिख रहे थे, तो मैं वही देख रहा था.

वो बोली- आपको शर्म नहीं आती?
मैं बोला- मैंने अपने हाथ से कपड़े उतार कर तो उसे देखने का प्रयास नहीं किया.

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इतने में वो खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- कभी किसी लड़की के कबूतर देखें हैं आपने?
मैंने कहा- नहीं.

वो बोली- आप एक प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ते हैं और आप अभी तक इतने शरीफ़ हो, ये मैं नहीं मान सकती.
मैं बोला- मत मानिए.

इतने में उसने मेरे लंड को ज़ोर से दबा दिया और बोली- आपका सांप तो पूरी तरह फुंफकार रहा है.
मैंने कहा- हां, लेकिन क्या कर सकता हूँ.

वो बोली- एक जवान लड़की आपके साथ है और आपका कुछ मन नहीं कर रहा है?
अब वो पूरी तरह खुलने लगी थी मगर मैं उसको और ज्यादा खोलना चाह रहा था.

इसीलिए मैंने बातों को बदलते हुए पूछा- आप बनारस क्यों जा रही हैं, आप तो किसी अन्य विद्यालय से आयी हुई थीं. आपकी लड़कियों की टीम तो कल ही वापस हो गयी थी और आप वापस भी नहीं गईं?
वो बोली- मैं हॉस्टल की खिलाड़ी हूँ. मेरा नाम सिर्फ़ उस कॉलेज में चलता है बाक़ी मैं हमेशा हॉस्टल की ही टीम के साथ प्रैक्टिस करती और खेलती हूँ.

मैंने कहा- अच्छा, तो ये बात है.
वो बोली- मैं वापस इसलिए नहीं गयी कि शाम को किसी से अकेले में मिलना चाह रही थी, वो मिले नहीं, इसलिए रात में वहीं रूक गयी.

उसकी किसी और के साथ मिलने की बात सुन कर मुझे लगा कि उसका कोई आशिक़ पहले से है.
मैं थोड़ा निराश हो गया.

फिर मैंने उससे पूछा- जिससे आप मिलना चाह रही थीं, उससे मुलाक़ात हुई या नहीं?
वह बोली- हां हुई.

मैंने पूछा- क्या वो भी स्पोर्ट्स इवेंट में प्रतिभाग कर रहा था?
वो बोली- नहीं.

‘तब?’
वो बोली- वह संचालन कर रहे थे.

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इतने में तो मेरा चेहरा ख़ुशी से दमक उठा. मैं सीधे बोला- तब कल क्यों नहीं बोली?

वो बोली- मैं कुछ कहती, तब तक तो आप चले गए.
अब तक हम लगभग सत्तर किलोमीटर की दूरी तय करते हुए शहरी इलाक़े में घुस चुके थे.

मैंने उससे कहा- आप सही से हो जाइए, हम शहर में प्रवेश कर रहे हैं. लोगों की नजर हम पर भी हो सकती है.
वो सही से हो गई.
मतलब उसने मेरा लंड छोड़ दिया.

मैंने पूछा- बनारस में आपको कहां छोड़ दूँ?
उसने मेरे रूम से कुछ दूरी का ही एक पता बताया जो कि उसके किसी रिश्तेदार का मकान था.

वो बोली- आज रात यहीं रुकूंगी, फिर मैं कल सुबह की फ़्लाइट से दिल्ली चली जाऊंगी.
अब मेरा मन निराश हो गया कि यह तो काफ़ी दूर रहती है.

तब तक उसने बोला कि आपको कोई दिक्कत ना हो, तो मैं आज की रात आपके ही कमरे पर रूक जाऊं?

मैंने बोला- क्या आप अकेले लड़के के साथ रह लेंगी?
इतने में वो मुस्कुरा कर बोली- हां क्यों नहीं.

मैं समझ गया कि आज इसका भी चुदने का इरादा है.

मैं बोला- ठीक है, चलिए.
हम दोनों रूम पर पहुंच गए.

सफ़र के कारण मुझे नहाने की इच्छा हो रही थी, तो मैंने उससे कहा- मैं तो नहाऊंगा, यदि आपको फ़्रेश होना हो, तो आप हो लें. नहीं तो मुझे टाइम लगेगा.
वो बोली- मुझे भी नहाना है इसलिए आप पहले नहा लीजिए.

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मैं बाथरूम में गया और बाथरूम का दरवाज़ा सिर्फ़ चिपका कर पूरी तरह नग्न होकर नहाने लगा.
अब तक दिव्या मेरे मन मस्तिष्क पर पूरी तरह हावी हो चुकी थी. मैं रात होने का इंतज़ार कर रहा था.

नहाते वक़्त मैं दिव्या के नाम की मुठ मारने लगा और ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगा.
वो मेरी आवाज सुनकर बाथरूम में पास आयी और देखा कि दरवाज़ा खुला है तो हल्के से दरवाज़े की ओट से मुझे देखने लगी.

जब मैंने तिरछी निगाहों से देखा कि वो दरवाज़े पर खड़ी है तो मैं और तेज आहें भरता हुआ उसके नाम की मुठ मारने लगा.
मेरे मुँह से अपने आप बहुत कुछ निकलने लगा.

“दिव्या मेरी जान … कल जबसे तुम्हें देखा है, तब से तुम्हें चोदने का मन कर रहा है. काश कि तुम एक बार मुझे अपनी बुर और चूचियों के दीदार करा देतीं. क़सम से तुम्हें इतना पेलता कि तुम हमेशा मुझसे चुदवातीं. आह … मेरी जान. तुम्हारे चूतड़ तो कमाल के हैं, तुम इतनी गोरी हो, तो तुम्हारे बूब्स और बुर कितने सुंदर होंगे … आह्ह्ह मेरी जान. देखो मेरा लंड, तुम्हें पूरी संतुष्टि देगा.”

यही सब बड़बड़ाते हुए मैं मुठ मारकर बस झड़ने वाला था.
शायद अब दिव्या के बदन में भी सेक्स की आग लग चुकी थी और वो चुपके से आकर रूम में लेट गयी.

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मुझे लगा कि वो अब जा चुकी है तो मैंने भी अपना लंड साफ़ किया और नहा कर अलग कमरे में चला गया.

थकान की वजह से शायद वो सो चुकी थी तो मैंने भी उसे जगाना उचित नहीं समझा और मैं भी दूसरे कमरे में आराम करने लगा.

शाम के सात बज चुके थे.

उसकी नींद खुली और वो मेरे कमरे में आयी.
मैंने उससे चाय के लिए पूछा तो उसने अपनी सहमति दी.

मैं चाय बनाने के लिए उठा और चाय बनाने लगा.
वो भी मेरे पास आ गयी और बोली- किसका दूध है?

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मैंने भी कह दिया- किसी लड़की का तो नहीं है … अरे मार्केट का दूध है.
वो कुछ नहीं बोली.

मैं चाय बनाने लगा और उससे पूछा- चाय के साथ क्या लोगी बिस्किट या नमकीन?
उसने बोला- बिस्किट मैं नहीं खाती और आप ख़ुद नमकीन हैं. आइए सिर्फ़ चाय पिएंगे.

हम साथ में चाय पीने लगे तो उसने मुझसे पूछा- मैं आपको कैसी लगती हूँ?
मैं बोला- अच्छी लगती हो.

वो बोली कि बाथरूम में आप क्या कर रहे थे?
मैं बोला कि नहा रहा था.

वो बोली- झूठ नहीं बोलिए, मैंने सब देखा है.
इतना कहते ही वो मुझसे लिपट गयी.
मैंने भी उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसे किस करने लगा.

जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि वो काफ़ी एडवांस लड़की थी, वो कई तरीक़े से मुझे किस करने लगी.
लिपलॉक तो एकदम झक्कास था.
मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी.

कोई पांच मिनट की किसिंग के बाद मैंने उससे कहा- सिर्फ़ किस ही होगा … या और कुछ भी होगा?
उसने कहा- किसी ने आपको रोका है क्या? जो करना है कीजिए, पूरी छूट है.

उसकी तरफ़ से ग्रीन सिग्नल पाते ही मैंने उसकी जींस और टॉप तुरंत उतार दिया.
अब वो सिर्फ़ लाल रंग की ब्रा और पैंटी में ही रह गयी.

उसने भी एक ही झटके में मेरा बरमूडा उतार फेंका.
मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना था.

अब मेरा लंड उसके सामने फुंफकरने लगा.
लंड को देखते ही वो बोली- ये बहुत मोटा और बड़ा है. आज मेरी चूत तृप्त हो जाएगी.

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हमने फ़ॉरप्ले शुरू कर दिया और उसके पूरे बदन को चूमते हुए अपने दांतों से उसकी ब्रा और पैंटी को निकाल फेंका.
अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे.

वो मेरे लंड से खेल रही थी और मुँह में लेने के लिए उतावली हो रही थी लेकिन मैं जल्दबाज़ी में नहीं था.

क्योंकि बहुत दिन बाद आज चूत मिली थी तो मैं ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेना चाहता था.

हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आ गए.
वो मेरे लंड को चूसने लगी और मैंने उसकी बुर को अपने मुँह में भर लिया.

दो मिनट की बुर चुसाई के बाद वो लंड लेने के लिए बेताब हो उठी.

मैंने उसकी बुर में अपनी जीभ को डाला तो वो चिहुंक उठी और लंड को बुर में डालने के लिए मिन्नतें करने लगी- मेरे राजा, जल्दी से मेरी मुनिया में अपना लंड डाल दो … आह्ह्ह मेरे राजा जल्दी से चोद डियर … आप बुर बहुत अच्छा चूसते हो … आह्ह पेल दो मेरे राजा.

इतना कहते कहते उसने झर झर करते हुए अपनी चूत से पानी छोड़ दिया.

लेकिन अभी वो शांत नहीं होना चाह रही थी.
उसने लंड पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली और तेज तेज से चूसने लगी.

वो गजब की लंड चुसाई कर रही थी. कुछ ही समय में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया.
वो सारा प्रोटीन खा गई.

दस मिनट लेटे रहने के बाद हम दोनों एक बार फिर एक दूसरे से लिपट गए और फिर से एक दूसरे को उत्तेजित करने लगे.

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लंड एक बार फिर एकदम कड़क हो गया.
इस बार उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे मोटे लंड को अपनी बुर में डालने का प्रयास करने लगी.

हालांकि ये हम दोनों का पहली बार वाला सेक्स नहीं था लेकिन उसकी बुर इतनी ज़्यादा टाइट थी कि ये साफ़ लग रहा था कि उसकी चुदाई या तो बहुत पहले हुई है या अच्छे से नहीं हुई है.

लंड को बुर में लेने में उसे तकलीफ़ हो रही थी लेकिन वो चुदना भी चाह रही थी.

उसकी इच्छा को देखते हुए उसके प्रयास के साथ मैंने नीचे से ताक़त लगा कर एक ज़ोरदार झटका दे मारा.
लंड उसके बुर को चीरते हुए उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

वो वासना के मीठे दर्द से चिल्लाने लगी- आह निकालो इसे … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
उसको इसका तनिक भी अन्दाज़ा नहीं हो पाया था कि मैं अचानक से लंड उसकी बुर की गहराई में उतार दूँगा.

मैंने तुरंत उसे पलट कर नीचे किया और उसके ऊपर आ गया. मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया और कुछ समय उसी तरह उसकी बुर में लंड को रहने दिया.

जब उसको दर्द से राहत मिली और लंड उसकी बुर में सैट हो गया तो वो ख़ुद ही नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर मुझे आमंत्रण देने लगी.

फिर हॉट कॉलेज गर्ल के संग चुदाई का आनन्ददायक खेल शुरू हो गया.
वो सिसकारी ले लेकर चुदवा रही थी और बड़बड़ा रही थी- गजब मेरे राजा जी … मस्त पेलते हो आप … आंह और तेज से पेलो … आह पेलो फाड़ दो मेरे राजा और ज़ोर से … उई मां … आज तो मुनिया का भोसड़ा बन जाएगा … आह्ह्ह ज़ोर से … और ज़ोर से!

बस यही सब चिल्लाते हुए उसने अपना पानी छोड़ दिया.

लेकिन मैं अभी ख़ाली नहीं हुआ था.
अब मैंने अपने धक्के तेज कर दिए थे और अगले पांच मिनट तक मैं उसकी बुर में घमासान मचाता रहा.

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पूरा कमरा फ़च फ़च की आवाज से गूँज रहा था.
उसने भी अपने पैरों को सिकोड़ लिया और मैं भी झड़ गया.

लगभग आधे घंटे से ज़्यादा चलने वाली इस चुदाई के बाद उसके चेहरे पर संतुष्टि का भाव था.
फिर हम दोनों एक साथ बाथरूम में नहाए और नहाते हुए एक बार फिर सेक्स किया.

रात के दस बजने वाले थे. हमने खाना बाहर से पहले ही ऑर्डर किया हुआ था.
खाना खाया और नंगे ही सो गए.

भोर में अचानक से मैंने अपने लंड के साथ हरकत होती महसूस की.
मैं उठा तो देखा कि दिव्या मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.

मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन नींद भी आ रही थी.
उसने कहा- अक्की एक बार और हो जाए, पता नहीं इसके बाद मैं कब इस लंड से चुद पाऊंगी?

मैंने उससे पूछा- क्या तुम इसके पहले भी चुद चुकी हो?
उसने हां में जवाब देते हुए कहा- मेरे जैसी लड़कियों को कै बार अपना मतलब निकालने के लिए कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं. मेरा किसी व्यक्ति के साथ कोई दिली सम्बंध नहीं है … और ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई कल के पहले था. अब जो हो, वो आप ही हो … मेरे राजा.

यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
हमने फिर से ख़ूब देर तक चुदाई की और दोनों एक साथ झड़ गए.

ग्यारह बजे की उसकी फ़्लाइट थी तो हम दोनों कुछ समय के लिए सो गए.
सुबह आठ बजे उठे.

वो अपने जाने की तैयारी करने लगी और कहने लगी- अब तो या आप मुझे चोदोगे या मेरा पति.
मैं हंस दिया.

उसने मुझे किस किया और बोला- दिल्ली बुलाऊंगी तो आप आ जाना.
मैं बोला- मेरे पास इतना पैसा नहीं कि दिल्ली आ जा पाऊं.

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वो बोली- आप इसकी चिंता ना करो. मैं सारी व्यवस्था कर दूँगी.
और वह टैक्सी लेकर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गयी.

उसके बाद कई बार उसने मुझे दिल्ली बुलाकर अपनी बुर की खुजली मिटवाई.
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