पड़ोसन भाभी की जवान बेटियाँ- 1 (Mujhe Chodo Sex Kahani)

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“मुझे चोदो!” भाभी की बड़ी बेटी ने कहा. इस सेक्स कहानी में पढ़ें कि पड़ोसन भाभी कैसे पहली बार अपने कजिन भाई से चुदी थी. उसके बाद भाभी की बड़ी बेटी को चोदा मैंने.

कहानी के पिछले भाग
दो जवान बेटियों की मम्मी की अन्तर्वासना
में आपने पढ़ा कि मेरे घर के पास रहने वाली भाभी अपनी जोरदार चुदाई के बाद मुझे अपनी पहली चुदाई की कहानी बता रही थी.

मैंने सौरभ से कहा कि मुझे चोदो. वो मुझे चोदने लगा, लेकिन वह 5 – 6 बार अंदर बाहर करके ही झड़ गया.
जब उसने अपना लण्ड निकाला तो उस पर मेरी चूत का खून लगा था. मुझे उस वक्त पता नहीं था कि पूरा मज़ा कितना होता है, परंतु मुझे बहुत मजा आया. वैसे राज, मुझे तुमसे मिलने के बाद ही पता चला है कि असली मज़ा क्या होता है.

मैं और सौरभ जब भी मौका मिलता, हम मजे लेने लगे. मैं जब भी उसे कहती कि मुझे चोदो, वो मुझे चोद देता. हालांकि वो हर बार जल्दी झड़ जाता था. पर मैं इतने में ही खुश थी.

अब आगे की कहानी:

लेकिन आखिर एक दिन मम्मी को इसका भी पता चल गया. और मेरी फिर पिटाई हुई.
मम्मी इस बात से इतनी परेशान हो गई कि एक रोज वो मुझे एक लेडी साईकोलोजिस्ट डॉक्टर के पास ले गई.

डॉक्टर ने मुझे बाहर बैठाया और पहले मम्मी की बातें सुनी. मम्मी ने मेरी लड़कों में दिलचस्पी वाली बातें बताईं.

फिर मम्मी को बाहर बैठाया और मेरी बातें सुनी.
मुझसे डॉक्टर ने कहा- बेटी, जो मैं पूछूं, वह सच सच बता देना.
डॉक्टर- तुम्हारी मम्मी बता रही थी कि तुम अभी से सेक्स करने लगी हो, क्या तुम्हें यह करना बहुत अच्छा लगता है?
मैं- जी, बहुत दिल करता है.

डॉक्टर ने पूछा- बेटी, सेक्स करने के बाद तुम्हें कैसा फील होता है?
मैं- सर, काफी हल्का और रिलैक्स फील करती हूँ.
डॉक्टर- क्या सेक्स करने के बाद तुम बैठकर पढ़ती हो, तो क्या तुम्हारा ध्यान भटकता है? दोबारा सेक्स की तरफ जाता है?
मैं- जी डॉक्टर, मैं सेक्स करने के बाद तो खूब दिल लगा कर पढ़ती हूँ और मेरा ध्यान इधर उधर नहीं भटकता है.

डॉक्टर- और यदि सौरभ को तुम से दूर कर दिया जाए, तुम्हारे घर से निकाल दिया जाए तो तुम क्या करोगी?
“मैं कोई और लड़का देख लूँगी. उसे कहूँगी मुझे चोदो!”
डॉक्टर- चलो, ठीक है तुम बाहर बैठो और अपनी मम्मी को भेजो.

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मैं बाहर आ गई और मम्मी को अंदर भेज दिया, लेकिन उन दोनों की बात सुनने के लिए मैं दरवाजे पर कान लगा कर सुनने लगी.

डॉक्टर- मैंने आपकी बेटी से बात की है, अब मेरी बात ध्यान से सुनो. हर औरत और मर्द में सेक्स जन्मजात होता है. जैसे हमें पेट में भूख लगती है वैसे ही सेक्स की भूख लगती है. आपकी लड़की जिस उम्र से गुज़र रही है उस उम्र के बच्चों में अपने शरीर में होने वाले बदलाव के प्रति बहुत ध्यान होता है. और इस उम्र में अपने विपरीत लिंगी की चाहत होती है. यह मनुष्यों में ही नहीं, हर जीव में होती है. यह इच्छा कभी खत्म नहीं होती. हाँ, परिस्थितियों के कारण कम ज्यादा होती रहती है. इस उम्र में कुछ लड़कियां बहक जाती हैं तो कुछ अपना टाइम ठीक ठाक निकाल लेती हैं. यह समस्या वंशानुगत भी होती है अर्थात यदि मां में सेक्स ज्यादा रहा है तो बेटी में भी होगा.

डॉक्टर ने मेरी मम्मी से पूछा- क्या आपका सेक्स के प्रति आकर्षण कम है या अधिक?
मम्मी सोचने लगी.
डॉक्टर- मुझे सही सही बताना?

मम्मी- डॉक्टर साहब मुझे सेक्स काफी पसंद है.
डॉक्टर- ठीक है, कोई बात नहीं, इसका अब यही इलाज है कि आप इस लड़की के साथ नर्मी से पेश आएं और सौरभ को अपने घर पर ही रखें. यदि आपने सौरभ को अपने यहाँ से निकाल दिया तो यह फिर किसी भी बाहर के आदमी से संबंध बना लेगी फिर वो चाहे कोई मजदूर ही क्यों न मिल जाये. अब तो आपको पता है कि यह सौरभ के साथ करती है फिर आपको पता ही नहीं होगा कि वह किसी को भी कहा देगी मुझे चोदो और अपने ऊपर चढ़ा लेगी. फिर वो इसको आगे से आगे अपने दोस्तों से मिलवाएगा, इसकी फ़ोटो भी ले सकते हैं, ब्लैकमेल भी कर सकते हैं और सबसे बुरी बात यह प्रेग्नेंट भी हो सकती है, आप चिंता मत करें, कुछ दिन बाद जब इसकी शादी होगी तो यह से अपने आप छोड़ देगी.

मम्मी- डॉक्टर साहिब, कई तो शादी के बाद भी नहीं छोड़ती हैं?
डॉक्टर- ये वो होती हैं जिनको पति का संसर्ग नहीं मिलता, वे औरतें बाहर अपनी इच्छा पूरी करती हैं.
अंत में डॉक्टर ने कहा- आप लड़की को केवल इतना समझ दें कि गर्भधारण से कैसे बचना है और यदि दूसरे लोगों के पास जाएगी तो इसके क्या क्या रिस्क हैं.
मम्मी- जी, समझ गई.

लौटते समय मम्मी सारे रास्ते कुछ नहीं बोली. रास्ते में मम्मी एक केमिस्ट की दुकान पर गई और एक लिफाफे में कुछ दवाइयां लेकर आईं.

घर पहुंचकर मम्मी ने दो कप चाय बनाई और मुझे अपने कमरे में बुलाया और बैठा कर बोली- देखो बेटी, आज मैं जो बता रही हूं ध्यान से सुनना. पहली बात ये है कि लड़की चाहे जितने भी मज़े कर ले यदि वह गैरमर्द से प्रेग्नेंट हो जाती है तो कहीं की नहीं रहती.
दूसरी बात यह कि यदि बाहर कोई ऐसा आदमी मिल गया जो ब्लैकमेल करे या कोई बीमारी लगा दे तो सारी जिंदगी बेकार हो जाएगी. इसलिए आज से मैं तुम्हें सौरभ के साथ नहीं रोकूंगी. बाकी अपना भला बुरा तू समझ लेना. और हाँ ध्यान रखना आदमी का जो मजा लेने के बाद छूटता है उससे लेडी प्रेग्नेंट हो जाती है. इसलिए अच्छा हो कि अंदर न छूटने पाए. और यदि कभी गड़बड़ हो जाये तो उसी दिन ये एक गोली खा लेना. प्रेगनेंसी नही होगी.

मम्मी के ऐसा कहने के बाद मैंने उनकी बातें मानने का फैसला किया.

उसके बाद मैंने बाहर के लड़के और आदमियों को देखना बंद कर दिया और केवल सौरभ से ही जब दिल करता, रंगरलियां मना लेती थी.
मैंने सौरभ से बोल दिया था कि चुदाई करते वक्त अंदर डिस्चार्ज नहीं करना है, नहीं तो मैं उसे हाथ नहीं लगाने दूंगी.

उसके बाद मम्मी ने भी टेंशन रखनी बंद कर दी क्योंकि मेरी कोई शिकायत ही नहीं आई.
फिर मेरी शादी हो गई. सुहागरात को मैंने दर्द होने का थोड़ा ड्रामा करके पति को बेवकूफ बना दिया था.

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इसके बाद सरोज बोली- ये थी मेरी कहानी! और इसको बताने का मकसद यह है कि औरत को हमेशा लण्ड और आदमी का साथ चाहिए और छोटी उम्र में तो जरूर चाहिए. मेरी गलती थी कि यदि मैं नेहा की शरीर की जरूरतों का प्रबंध कर देती तो आज ये रोहित हमारे लिए मुसीबत नहीं बनता. क्योंकि नेहा ने ही इस सड़कछाप को छोटी उम्र में पसन्द किया था.

भाभी आगे बोली- राज, मैं चाहती हूँ कि तुम इन दोनों लड़कियों का ध्यान रखो. नेहा रोहित के पास न जाने पाये और बिन्दू किसी भी बाहरी लड़के या आदमी से न मिले.
वैसे तो मैं समझ गया था लेकिन मैंने अनजान बनते हुए भाभी से पूछा- भाभी, मैं कैसे रोक सकता हूँ?

भाभी- राज, मैं इनकी माँ हूँ. मैं वह सब कुछ तुम्हें नहीं कह सकती जो मेरे मन में है. बस तुम समझ जाओ और इन लड़कियों को काबू में रखो. लेकिन घर की बात घर में ही रहनी चाहिए.
मैंने कहा- देख लो भाभी, कभी कोई बात न हो जाये?
भाभी- बस मुझे रोहित नहीं चाहिए.
मैं- भाभी, नेहा से अभी जा कर बात करूं?
भाभी- अभी तो मुझे चोदो.

तो भाभी की बात सुनकर मैंने भाभी को तुरन्त नए जोश के साथ बांहों में भर लिया और मन ही मन बिन्दू और नेहा की नई चूतों को चोदने का इशारा पाकर आनन्दित होने लगा.

उस रात मैंने फिर से तरह तरह के आसनों के साथ भाभी को जम कर चोदा और उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया.

भाभी बोली- राज, कल परसों में मेरी मेंसिज आने वाली हैं, अतः अब चार पांच दिन तुम बेशक अपने कमरे में ऊपर ही सो जाना.
मैं भाभी की तसल्ली की चुदाई करके अपने दीवान पर आ कर सो गया.

अगले रोज ब्रेकफास्ट खाकर लगभग 9:00 बजे के करीब में यूनिवर्सिटी जाने के लिए नीचे आया.
तो अपने रूम के बाहर मुझे नेहा अपने बच्चे के साथ खड़ी हुई दिखाई दी.

मुझे देख कर नेहा ने अपने बेटे बंटी से कहा- बंटी, आज 11.00 बजे मम्मी बैंक जायेंगी, फिर मार्केट जाएंगी, मार्केट से तुम्हारे लिए खिलौने लायेंगी, फिर तुम खेलना.

मैंने पलट कर नेहा की तरफ देखा और मैं मुस्कुरा दिया.
इसके बाद मैं बाहर आंगन में निकल आया तो नेहा अपने बेडरूम की खिड़की का थोड़ा सा पर्दा हटा कर मेरी तरफ देख रही थी.
मैंने उसकी तरफ देखा.

वह हैरान थी कि मैं उसकी बात या उसका इशारा समझ पाया या नहीं?

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दरअसल वह मुझे इशारा कर रही थी कि आज मम्मी बाहर जाएंगी और मैं अकेली हूँगी, तो तुम आ जाना. मैं यूनिवर्सिटी चला गया.

मैं यूनिवर्सिटी से दो पीरियड छोड़कर 10:30 बजे निकल लिया और ठीक 11:00 बजे घर पर पहुंच गया.
मैंने बैल की.
नेहा ने दरवाजा खोला.
मैंने नेहा से पूछा- मम्मी कहाँ है?
उसने गर्दन के इशारे से कहा- चली गई.

मैंने गैलरी में ही नेहा को गोदी में उठा लिया और उसको प्यार करने लगा.
नेहा बोली- पहले मेन गेट तो बंद कर लो?
मैंने गैलरी के मेन गेट की कुंडी लगाई और नेहा को दोबारा उठाकर उसके बेडरूम में ले गया.

नेहा ने उस वक्त बहुत ही सुंदर स्लीवलैस टॉप पहन रखा था और नीचे बहुत टाइट पैंट पहन रखी थी जिसमें से उसकी पकौड़ा सी चूत बाहर आई हुई थी. नेहा का टॉप उसकी बड़ी बड़ी छातियों के ऊपर से तना हुआ था जिसमें से उसका नंगा सुंदर चिकना पेट दिखाई दे रहा था.

नेहा ने बहुत सुंदर परफ्यूम लगाया था और नहाने के बाद बाल खुले छोड़ रखे थे. नेहा मुझसे बोली- मैंने सुबह इशारा किया था, पता नहीं तुम समझे या नहीं?
मैंने कहा- मैं इशारा समझ गया था.

मैं नेहा की सुंदर और पतली कमर में हाथ डालकर खड़ा हो गया और उसके नर्म और गुदाज़ सुंदर होंठों पर किस करने लगा.
नेहा ने प्यार से आंखें बंद कर ली और बोली- मैंने सोचा चलो अपने थैंक्यू को ‘गीला’ कर दूँ.
मैंने नेहा की सुंदरता की तारीफ की और पैंट के बाहर से उसकी चूत को सहलाने लगा.

दरअसल नेहा इतनी सुंदर और सेक्सी थी कि उसको हाथ लगाते ही आदमी के लंड से पानी निकलने का डर रहता था.

नेहा से मैंने कहा- नेहा, बहुत दिनों से इस वक्त का इंतजार था. मैं सोच रहा था कि कब तुम्हारे इन प्यासे होंठों को मैं अपना पानी पिलाऊँगा.

मैंने नेहा के टॉप के अंदर हाथ डाला और उसके मम्मों पर हाथ फिराया.
नेहा आंखें बंद करके मजा लेने लगी.
मैंने नेहा के कान के नीचे गर्दन पर एक किस किया.

नेहा एकदम सुबक गई और बोली- हाय कितना अच्छा प्यार करते हो?
मैंने नेहा से पूछा- क्या रोहित प्यार नहीं करता?
नेहा कहने लगी- राज, रोहित तो मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती है, उसकी बात करके मूड खराब मत करो.

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मैं नेहा को लेकर बेड पर लेट गया और नेहा को अपने ऊपर लिटा लिया. मैंने नेहा की कमर पर हाथ फिराया उसके होंठों को चूमा और पूछा- मम्मी कितनी देर में आएंगी और कामवाली बाई जा चुकी क्या?
नेहा ने मुझसे कहा- तुम चिंता मत करो, तुम मुझे चोदो. अपने पास पूरे 2 घंटे हैं, मम्मी बैंक के बाद बाजार में भी जाएंगी.

पहले नेहा मेरे ऊपर आधी लेटी हुई थी, थोड़ी देर में वह उत्तेजित हो गई और मेरे ऊपर पूरी तरह से चढ़ गई. उसने अपनी पकोड़ा सी चूत को मेरे पैंट में तने लंड के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगी.
नेहा ने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी. चूत रगड़ने से नेहा की पैंट गीली हो गई थी.

मैंने नेहा से कहा- ऐसे ही रगड़ती रहोगी या दिखाओगी कुछ?
नेहा बोली- मुझे शर्म आती है, आप खुद देख लो.

प्रिय पाठक, पाठिकाओ, मजा आ रहा है ना? कमेंट्स करके मुझे प्रोत्साहन दीजिये.

‘मुझे चोदो’ कहानी जारी रहेगी.