भाभी का सेक्स करने का मन था - Part 2 (Bhabhi Ka Sex Karne Ka Mann Tha - Part 2)

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आपने मेरी अन्तर्वासना भाभी की चुदाई हिन्दी में सेक्स कहानी के पहले भाग
भाभी का सेक्स करने का मन था - Part 1
में अब तक पढ़ा कि भाभी की मस्ती ने मुझे उन्हें चोदने के लिए पागल कर दिया था. मैं भाभी को तसल्ली से चोदने के नजरिये से एक बार बाहर जाकर देख कर आया था कि हस्पताल की नर्स वगैरह की क्या पोजीशन है.

अब आगे:

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मैंने उनके बिस्तर के पास आकर उन्हें प्यार से देखा, तो भाभी ने आंख मार दी.

मैंने वहीं झुक कर भाभी के कम्बल में हाथ डालकर उनकी कमीज को ऊपर किया और ब्रा से मम्मों को निकालने लगा. लेकिन भाभी की ब्रा इतनी टाइट थी कि मम्मे बाहर निकल ही नहीं सके.

फिर भाभी ने एक साइड को करवट ली और बोलीं कि ब्रा का हुक खोल दो.

जब मैंने ब्रा का हुक खोलने के लिए भाभी की कमीज ऊपर की, तो देखा कि ब्रा काफी अच्छी और महंगी थी.

मैंने कहा कि अच्छा हुआ कि मैंने ब्रा फाड़ी नहीं. ये तो काफी महंगी वाली क्लोविया की ब्रा है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- तुमको कैसे मालूम कि ये महंगी है?
मैंने कहा- मुझे इसलिए पता है क्योंकि अपनी बीवी के लिए ब्रा और पेंटी मैं ही खरीदता हूँ.

भाभी हंस दीं और बोलीं- देखो, तुम कपिल के प्यार न करने का सबूत खुद ही दे रहे हो. मैं अपने लिए खुद ही अंडरगारमेंट्स खरीदती हूँ, जबकि तुम खुद सोनिया के लिए ब्रा पैंटी वगैरह लाते हो. मर्द को अपनी बीवी के लिए सेक्सी ब्रा पैंटी खरीदने की चाह होती है कि रात में उसकी बीवी उसकी लाइ हुई सेक्सी ब्रा पैंटी पहन कर उसके सामने आए. मगर कपिल ये सब समझता ही नहीं है.

भाभी की ब्रा क्लोविया की पैडेड ब्रा थी, जोकि बहुत ही सुंदर थी. मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और मनीषा भाभी को सीधा करके उनकी ब्रा हटा दी.

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आह क्या मस्त चूचे थे. मैंने देर नहीं की और भाभी का एक निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा. साथ ही दूसरे निप्पल को मसलने लगा. मनीषा भाभी के मम्मों का साईज 36 इंच का था.

उधर मनीषा भाभी ने भी अपने एक हाथ से लोअर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया.

मैं भाभी के पेट पर किस करने लगा. तो भाभी अपनी कमर को ऊपर उठाने लगीं और मेरे लंड को जोर से दबाने लगीं.

अगले ही पल मनीषा भाभी का हाथ मेरे अंडरवियर में घुस गया था. मैंने भी अपना एक हाथ भाभी के पजामी में डाल दिया और हाथ से महसूस किया कि भाभी की चूत से पानी निकल रहा था, जिससे भाभी की चूत गीली हो गयी थी.

मैंने धीरे से एक उंगली भाभी की चूत में डाल दी. भाभी ‘सी सी आह आह..’ करने लगीं और मेरे लंड को आगे पीछे करने लगीं.

मैंने मनीषा भाभी के ऊपर आते हुए अपनी जीभ की उनकी नाभि में डाल दी. वो पागलों की तरह मचलने लगीं.

अभी ये सब मैं झुककर कर ही रहा था कि भाभी ने अपनी दोनों टांगें खोल दीं. उनकी चुत खुल गई थी, तो मैंने अपनी दो उंगलियां भाभी की चूत में डाल दीं और मैं उनकी चुत को उंगली से ही चोदने लगा.

फिर मैं थोड़ा रुका … क्योंकि मुझे ये डर भी था कि कहीं कोई सिस्टर रूम में ना आ जाए.
इसलिए मैं बोला- भाभी मैं बाहर देख कर आता हूँ.

भाभी बोलीं- कुंडी लगा देना.
मैंने कहा- वही तो दिक्कत है … साली कुंडी है ही नहीं.

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भाभी मेरी बेकरारी देख कर हंस दीं.

मैं बाहर आ गया और देखा कि सभी सिस्टर्स अपनी कुर्सी पर बैठकर सो रही थीं. बस एक जाग रही थी.

मैं फिर से रूम में वापिस आ गया. मनीषा टॉयलेट में चली गई थीं.

पांच मिनट के बाद मनीषा भाभी बाहर आ गईं. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था.

मैंने कहा कि भाभी अब जल्दी से दे दो.
भाभी आंख दबा कर बोलीं- क्या दे दूं?
वो थोड़ा मजाक के मूड में आ गयी थीं.

मैंने फिर से कहा- दे दो यार … क्यों सता रही हो.
पर वो बोलीं- पहले ये बताओ कि क्या दे दूं? जब तक तुम बताओगे नहीं … मैं कुछ नहीं करने दूंगी.
मैंने भी बोलने में देर नहीं की और कहा- यार मनीषा, अपनी चूत दे दो.

हालांकि मुझे ये बोलने थोड़ा शर्म लगी. इस डायलॉग के बाद मैं और वो दोनों शर्मा गए.

वो बोलीं- कोई आ जाएगा!
मैंने कहा- अब कोई नहीं आएगा.

ये कहते हुए मैंने पकड़ कर उनको अटेंडेंट वाली बेंच पर बैठा दिया और मैं उनके सामने सीधा खड़ा हो गया. मैं अपने लंड को निकाल कर उसके मुँह में देने लगा.

पहले तो भाभी मना करने लगीं … लेकिन मैंने भी अपना लंड भाभी के होंठों पर लगा दिया. उन्होंने थोड़ा सा मुँह खोला, तो मैंने अपना आधा लंड मुँह में घुसा दिया.

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दोस्तो, आपको शब्दों में बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था. भाभी का लंड चूसने का तरीका बिल्कुल ब्लू फिल्मों की तरह था.

मैंने दोनों हाथों से भाभी का सर पकड़ लिया और अपने हाथों से उनके सर को आगे पीछे करने लगा.
आप जानते ही हो कि जब कोई लड़की लंड को चूसती है, तो कितना मजा आता है.

मैं अपनी सभी भाभियों और लड़कियों से कहना चाहता हूं कि जो इस समय मेरी कहानी पढ़ रही हैं, वो जानती होंगी कि एक आदमी को सबसे ज्यादा मजा अपना लंड चुसवाने में ही आता है.

कुछ फीमेल्स को लंड चूसने का सही तरीका नहीं पता होता है, उन्हें मैं बताना चाहता हूँ कि लंड को केवल होंठों से चूसना चाहिए. दांतों का दबाव बिल्कुल नहीं देना चाहिए. और मैं ये सब इसलिए लिख पा रहा हूं कि मैं अब तक कम से कम 20 या 22 फीमेल्स की चुदाई कर चुका हूँ. चलो ये सब बातें करूंगा, तो बातें बहुत लंबी हो जाएंगी. हम वापिस वहीं मनीषा भाभी के पास आते हैं.

अब मैं बिल्कुल जन्नत की सैर कर रहा था क्योंकि मनीषा भाभी लंड को बहुत ही मजे से चूस रही थीं.

मैंने दोनों हाथों से भाभी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उनके निप्पलों को उंगलियों से मसलने लगा. मनीषा भाभी भी एकदम रंडी के जैसे लंड चूस रही थीं. उन्होंने मेरे दोनों आंड मुँह में लेकर बारी बारी से चूसे. आह दोस्तों वो आनन्द शब्दों में मैं आपको नहीं लिख सकता. आप केवल महसूस कर सकते हैं.

कुछ ही देर में मेरा रस निकलने वाला था … लेकिन मैंने भाभी को बताया नहीं … क्योंकि अब तो मैं उनके मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ना चाहता था.

जैसे ही मेरा वीर्य मनीषा भाभी के मुँह में झड़ा, उन्होंने फट से मेरा लंड बाहर निकाल दिया. आधा वीर्य ही भाभी के मुँह में निकल सका था.

वो उठ कर टॉयलेट में चली गईं. जब वापिस आईं, तो थोड़ी नाराजगी दिखाने लगीं.

मैंने सॉरी बोला, तो वो कुछ नहीं बोल पाईं.

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मैंने कहा- भाभी आपके सर का दर्द कैसा है?
भाभी बोलीं- अब ठीक है … तुमको ऐसा नहीं करना चाहिए था.

मैंने कहा- भाभी आप चूसती ही इतने अच्छे से हो कि मुझे होश ही नहीं रहा. मुझे आज तक इतना मजा पहले कभी नहीं आया था. सोनिया ने कभी इतनी अच्छी तरह से मेरा लंड नहीं चूसा था. इसलिए मैं लंड निकाल ही नहीं सका.

भाभी हंस कर बोलीं- तुम मस्का लगा रहे हो.
मैंने कहा- नहीं भाभी कसम से आप पूरा मजा देती हो.
भाभी बोलीं- तुम मुझे नाम से ही बुलाओ … ये भाभी भाभी कहना अच्छा नहीं लग रहा है.

मैंने कहा- ठीक है जान. अब अन्दर भी करने दो.
भाभी बोलीं- नहीं … यहां अब कोई आ जाएगा … तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

मैंने टाईम देखा, तो 12.40 हो गए थे. मैं बोला- यार एक काम करते हैं … मैं ही सिस्टर को चैक करवाने के लिए बुला लाता हूँ. फिर उससे कह देंगे कि अब डिस्टर्ब नहीं करना.
मनीषा भाभी बोलीं- हां, ये ठीक रहेगा.

मैं बाहर आया और सिस्टर को सोते से उठा कर बोला- आप पेशेंट को एक बार चैक कर लो, कहीं फीवर वगैरह तो नहीं है.

सिस्टर कमरे में आ गयी और चैक करके बोली कि सब ठीक है, कोई फीवर नहीं है … अब आप सो जाओ. सुबह डॉक्टर आकर चैक करेंगे.

मैंने हां कह दिया तो सिस्टर चली गयी.

भाभी बोलीं- तुम बड़े चालाक हो.
मैंने कहा- क्यों … मैंने क्या चालाकी की?
भाभी बोलीं- कहीं सिस्टर आ ना जाए … इसलिए खुद ही उसे बुला लाए.
मैंने कहा- यार आज मौका मिला था, तो हाथ से कैसे जाने देता.

मैं मनीषा भाभी के होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा और वो भी मेरे मुँह में जीभ डालकर जीभ को घुमाने लगीं. मैं भी मनीषा भाभी की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मैं दोनों हाथों से मनीषा भाभी के सर को पकड़े हुए था और उनका एक हाथ मेरे लोअर में था.

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मेरे लंड को पकड़ कर भाभी उसको आगे पीछे करने लगीं. मेरा मुरझाया हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया. अब मैंने अपना मुँह भाभी के होंठों से हटा कर उनके पेट पर रखा और नाभि को किस करने लगा.

मनीषा भाभी गर्म सिसकारियां लेने लगीं.

मैंने उनके पजामे को नीचे कर दिया. भाभी ने काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी. मैंने भाभी की पेंटी में उंगली डालकर नीचे कर दी. भाभी ने भी अपनी गांड ऊपर उठा ली.

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मैंने किस करना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को भाभी के पेट और चूत के आस पास घुमाने लगा. इससे मनीषा भाभी अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगीं. अब मनीषा भाभी पूरी गर्म हो गयी थीं. उन्होंने मेरे लंड को छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर रख दिया.

मैंने भी मनीषा भाभी की पूरी चूत अपने मुँह में ले ली और मैं अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर घुमाने लगा.

इससे कुछ ही पलों में मनीषा भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी.

मैंने उनको बोला- अब जान तुम उठो और इधर आ जाओ.

मैंने वहां रखी एक कुर्सी को दीवार के पास रखा और उस पर बैठ गया. मैंने अपना लोअर और अंडरवियर एक पैर से निकाल लिया और मनीषा भाभी का भी लोअर और पेंटी एक साइड से निकाल कर लटका दी, ताकि जल्दी पहनने में कोई दिक्कत ना हो.

फिर मैंने मनीषा भाभी को बोला कि तुम मेरी ओर मुँह करके मेरे ऊपर बैठ जाओ और अपने दोनों हाथ दीवार पर रख लो.

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वो वैसी ही पोजीशन में मेरे ऊपर बैठ गईं. मैंने लंड पकड़ कर उनकी चूत में फिट किया, तो मनीषा भाभी धीरे धीरे लंड पर बैठती चली गईं. मेरा पूरा लंड मनीषा भाभी की चूत में चला गया. उनको थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन थोड़ी ही देर में भाभी को चुदाई में मजा आने लगा.

वो मस्ती से गांड उठाते हुए ऊपर नीचे होने लगीं. मैंने मनीषा भाभी का एक निप्पल अपने मुँह में ले लिया और अपने दोनों हाथों से उनके चूतड़ पकड़ कर उनको लंड पर ऊपर नीचे करने लगा. मनीषा भाभी मादक सिसकारियां लेने लगीं.

मेरा पूरा लंड चूत में जाने लगा था. लेकिन मनीषा भाभी को दिक्कत होने लगी. क्योंकि कुर्सी की हाइट कम थी.
मनीषा भाभी के पैर दर्द करने लगे थे. वो बोलीं- ऐसे नहीं हो पाएगा.

मैंने उनको हटाया और वहीं कुतिया बनाते हुए झुका दिया. मनीषा भाभी ने अपने दोनों हाथ अटेंडेट वाली सीट पर रख लिए और अपनी गांड पीछे कर ली.

मैंने अपने दोनों हाथों से उनके चूतड़ों को पकड़ कर एक ही झटके में लंड चूत में डाल दिया और भाभी की चुदाई शुरू कर दी.

मनीषा भाभी भी मस्ती से अपनी गांड को आगे पीछे करके चुदाई का पूरा मजा ले रही थीं.
भाभी बोलने लगीं- आह अब मजा आ रहा है … आह जोर से करो.

मैंने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. मुझे अपना पूरा लंड उसकी चूत में जाता हुआ महसूस हो रहा था. भाभी की चुदाई पूरे जोरों पर थी.

कुछ ही देर में मनीषा भाभी कहने लगीं- आह और जोर से करो … मेरा निकलने वाला है.
मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी.

अब मेरा लंड भी झड़ने वाला था. मनीषा भाभी भी मस्त सिसकारियां ले रही थीं. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

अब तक हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे. कुछ देर बाद भाभी उठ कर मेरी बांहों में समा गईं. मैं उन्हें सहलाता हुआ अपनी बांहों में थामे रहा.

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इसके बाद उस रात में भाभी ने मुझे दो बार और चुत चुदाई करने का मौका दिया.

दोस्तो, ये थी मेरी और भाभी की चुदाई कहानी हिन्दी में. इसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, हम दोनों चुदाई कर लेते थे.

अगली सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि मैंने मनीषा भाभी की गांड कैसे मारी थी.

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