भाभी का सेक्स करने का मन था - Part 1 (Bhabhi Ka Sex Karne Ka Mann Tha - Part 1)

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आप सभी चूत के पूजारी भाइयों व लंड की दीवानी भाभियों को आदित्य के खड़े लंड का नमस्कार.

सबसे पहले तो आप लोगों से माफी चाहता हूँ कि मैं किसी घरेलू कारण की वजह से अपनी कहानी लिखने में दो साल लेट हो गया.

वैसे आप सभी मुझे अच्छी तरह से जानते होंगे, लेकिन फिर भी मैं आपको अपना परिचय दे देता हूँ. मेरा नाम आदित्य है और मैं गुड़गांव में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.

साथियो, मेरी जो भी कहानी होती है, वो बिल्कुल सच्ची होती है. उसमें कोई झूठ या कल्पना नहीं होती है.

ये बात पिछले साल 2018 की है. मेरे दोस्त का नाम कपिल है (बदला हुआ) कपिल की बीवी मनीषा (बदला हुआ नाम) है.

हुआ ये कि मनीषा भाभी की तबियत खराब हो गयी थी.
डाक्टर ने बोला कि मनीषा को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा, क्योंकि टाइफाईड ने मरीज को कुछ ज्यादा ही बीमार कर दिया है.

कपिल ने डॉक्टर की सलाह मानते हुए मनीषा भाभी को गुड़गांव के ही एक हस्पताल में एडमिट करवा दिया.

मनीषा भाभी व कपिल का मेरे परिवार के साथ आना जाना है. मैंने कभी भी मनीषा भाभी को गलत नजरों से नहीं देखा था क्योंकि कपिल मेरा सबसे अच्छा दोस्त था.
परन्तु मुझे ये पता था कि मनीषा भाभी थोड़ा तेज आइटम हैं. क्योंकि भाभी की नजरों को मैंने कई बार नोट किया था.
वैसे भी भाभी काफी सेक्सी लगती थीं. भाभी की आंखें किसी को भी दीवाना बना सकती थीं.

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कपिल की और उसकी बीवी की ज्यादा बनती नहीं थी. मनीषा भाभी बहुत ही ज्यादा सुंदर थीं. उनको देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. हर कोई मनीषा भाभी की चूत का रस चखना चाहेगा. मन में तो मेरे भी, बहुत बार आया कि कोशिश करूं, लेकिन कपिल से पक्की दोस्ती होने के कारण मैंने कभी ऐसा नहीं कर पाया.

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खैर मैं और मेरी बीवी उसको देखने हॉस्पिटल गए. अब भाभी पहले से ठीक थीं.

जब हम वहां बैठे बात कर रहे थे, तो कपिल कुछ परेशान सा लगा.
मैंने पूछा कि क्या बात है?
उसने बताया कि दो दिनों से उसका भाई भी हॉस्पिटल में एडमिट है क्योंकि उसका रोड एक्सीडेंट हो गया है.

अब कपिल परेशान था कि उसे उसको देखने भी जाना था जो कि गुड़गांव से 200 किलोमीटर से ज्यादा दूर था.
कपिल बोला- मुझे जाना पड़ेगा, लेकिन मनीषा अकेले कैसे रहेगी.

जब मजबूरी हो गयी, तो मेरी बीवी बोली- भैया आप घर चले जाओ … यहां तुम्हारे भैया रुक जाएंगे.

कपिल ने कुछ सोचते हुए रजामंदी दे दी.

मैं कपिल को लेकर उसके घर गया और वहां से निकल कर वो राजीव चौक जाकर मेट्रो में बैठ गया. उधर से उसे नई दिल्ली स्टेशन जाना था, जिधर से वो अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ लेता.

कपिल को छोड़कर मैं सीधा अस्पताल आ गया और वहां से अपनी बीवी को छोड़ने घर आ गया. घर से खाना खाकर मैं वापिस अस्पताल आ गया. चूंकि सर्दी का मौसम था, तो मैं घर से एक कम्बल लेकर आ गया था.

मैं हस्पताल में बैठ कर भाभी के साथ बातें करने लगा. मनीषा भाभी कुछ इस तरह से लेटी हुई थीं कि उनके चूचे मुझे दिखाई देने लगे.
मेरी निगाहें भाभी के मम्मों पर टिक गईं.
भाभी के चूचे एकदम गोरे थे. मैंने एक छिपी नजरों से भाभी के चूचे देखकर अपनी नजरें इधर उधर कर लीं.

लेकिन भाभी ने अपनी चूचियों नहीं ढका. मेरी नजरें बार बार वहीं जा रही थीं. शायद भाभी ने मेरी नजरें देख ली थीं … मगर उन्होंने ये सब अनदेखा कर दिया.

कुछ देर बाद मैं अटेंडेट वाली सीट पर कम्बल ओढ़ कर बैठ गया और हम दोनों बातें करने लगे. पहले तो हम इधर उधर की बातें करने में लगे थे.

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फिर मैंने पूछ ही लिया कि भाभी आपकी और कपिल की बनती क्यों नहीं है!
भाभी बोलने लगीं- वो मेरा ध्यान नहीं रखता है.
मैंने कहा- नहीं … भाभी मुझे तो ऐसा नहीं लगता कि वो आपका ध्यान नहीं रखता है.

हम लोग अभी यही सब बातें कर ही रहे थे कि तभी रूम में सिस्टर आ गयी और उसने कहा कि अब रात को आप आराम करो … कोई दवाई देनी बाकी नहीं है. लेकिन आपको अगर किसी बात की जरूरत हो, तो घंटी बजा देना, मैं आ जाऊंगी.

ये कह कर नर्स कमरे से चली गयी.

मैंने फिर से अपनी बात शुरू की और भाभी से पूछा कि बताओ कि वो आपका क्या ध्यान नहीं रखता?

भाभी बोलीं- आप अपनी बीवी का जितना ध्यान रखते हो, वो इतना भी नहीं रखता है.
मैंने कहा- नहीं भाभी, कपिल आपका बहुत ध्यान रखता है.

इसी तरह हम दोनों घर परिवार की बातें करने लगे.

लगभग 10 मिनट के बाद मनीषा भाभी बोलीं- मेरे सर में दर्द हो रहा है.
मैंने कहा कि मैं सिस्टर को बुला लाता हूँ … वो कोई टेबलेट दे देगी.
भाभी बोलीं- अभी नहीं … थोड़ी देर देखती हूँ.
मैंने पूछा कि मैं आपके लिए चाय ले आता हूं.
वो बोलीं कि तुमको भी चाय पीनी है क्या?
मैंने भी हां कर दी, तो वे बोलीं कि एक ही लाना … उसी में से मैं भी थोड़ी सी पी लूंगी. वैसे मेरा मन कॉफ़ी पीने का था, अब वो इधर मिलेगी नहीं.

मैं चाय लेने ऊपर कैंटीन में चला गया. उधर संयोग से कॉफ़ी भी मिल रही थी, तो मैं एक अच्छी सी काफी बनवा कर ले आया.

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मैं भाभी से बोला- चाय की जगह कॉफ़ी मिल रही थी, मैं कॉफ़ी ही ले आया हूँ, लो पहले आप पी लो.
उन्होंने बोला- नहीं पहले आप पी लो, मेरे लिए थोड़ी सी बचा देना.
मैंने कहा- ठीक है मैं थोड़ी कॉफ़ी दूसरे कप में आपको दे देता हूँ.
भाभी बोलीं- नहीं … आप पी लो, मैं आपके बाद इसी कप से ले लूंगी.

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ये सुनकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा कि भाभी इसी कप में क्यों पियेंगी. खैर … मैंने थोड़ी कॉफ़ी पी और कप उनको दे दिया.

भाभी ने कॉफी पी ली.

अब मैंने पूछा- भाभी आपने मेरी झूठी कॉफी क्यों पी?
भाभी बोलीं- झूठा पीने से प्यार बढ़ता है.

ये सुनकर मुझे आश्चर्य सा हुआ कि भाभी ने ऐसा क्यों बोला. अब मुझे थोड़ी उत्सुकता होने लगी. क्या भाभी का सेक्स करने का दिल कर रहा है?

मैंने पूछा- अब सर का दर्द कैसा है आपका?
भाभी बोलीं कि अभी हो रहा है.

मैंने बाहर जाकर सिस्टर को बोला, तो उसने एक टेबलेट दे दी.

गोली लेने के बाद भाभी बोलीं- आप मेरा एक काम करोगे?
मैंने बोला- हां बताइये न भाभी … क्या काम है?
भाभी बोलीं कि क्या आप मेरा सर दबा दोगे?

मैं थोड़ा सोचने लगा. तभी अचानक से भाभी ने हल्के स्वर में कुछ बोला.

मैं समझ नहीं सका कि भाभी ने क्या कहा, तो मैंने पूछा कि आपने क्या कहा भाभी … मैं सुन नहीं पाया?
भाभी बोलीं- क्या आप जैसे भाभी का सर दबाते हो, वैसे ही मेरा भी दबा दोगे.

दोस्तो, जब कभी मेरी वाइफ की तबियत खराब हो जाती है तो मैं इसमें शर्म नहीं करता.

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मैंने पूछा कि भाभी आपको कैसे पता है?
भाभी बोलीं- मुझे भाभी ने सब कुछ बता रखा है.
मैंने कहा- ठीक है.

बस मैं उनके सर के पास जाकर खड़ा हो गया. जैसे ही मैंने सर पर हाथ रखा … मेरा लंड खड़ा हो गया.
आप लोग जानते ही हो कि जैसे ही कोई दूसरी लड़की या कोई भी दूसरी औरत का हाथ भी लग जाए … तो लंड महाराज एकदम खड़े हो जाते हैं.

भाभी का सर दबाते समय मैं कुछ ज्यादा ही बिंदास हो गया था. चूंकि मेरे हाथों पर भाभी ने अपने हाथ रख लिए थे और पूरे सर के साथ वो मेरे हाथ को कुछ अजीब से ढंग से दबाते हुए अपने सर की सेवा करवा रही थीं.

मैंने धीरे से मनीषा भाभी के गालों पर भी एक हाथ लगा दिया. जिसका उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.
बल्कि वो मेरे हाथ से अपने गाल सहलवा कर ये भी कहने लगीं- जरा ठीक से देखो क्या मेरा शरीर बुखार से गर्म लग रहा है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसा तो नहीं लगा रहा है.

भाभी कहने लगीं- लेकिन न जाने क्यों आज मुझे अपने शरीर में बड़ी थकान सी लग रही है. आपके हाथ से मुझे अपने सर में बड़ा आराम मिल रहा है. प्लीज़ आप मेरे कंधे भी दबा दो.

मैंने भाभी के दोनों कंधों पर हाथ रख दिए और उनके चिकने बदन को सहलाते हुए मजा लेने लगा. अब मेरा लंड कड़क हो चला था और एकदम साफ दिखने लगा था. क्योंकि मैंने लोअर पहन रखा था.

भाभी बोलीं- तुम बेड पर ही बैठ जाओ.

मैं भाभी के बेड पर बैठ गया और भाभी का सर दबाने लगा. उनका सर दबाते हुए कभी कभी मैं अपना हाथ भाभी के गालों पर भी लगा देता. भाभी के गाल बिल्कुल चिकने थे. भाभी के चूचे भी मुझे दिखाई देने लगे थे. मेरा मन करने लगा था कि अभी भाभी के मम्मों को दबा दूँ, लेकिन अभी मैं कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहता था.

मैंने बात शुरू करने के इरादे से पूछा- भाभी और बताओ कि कपिल आपका क्या क्या ध्यान नहीं रखता.

इस पर मनीषा भाभी बोलीं- कपिल हफ्ते में एक बार ही मेरा ध्यान रखता है.
अब मैं समझ तो गया था कि भाभी क्या बोल रही हैं.

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फिर भी अनजान सा बनकर मैंने बोला- भाभी मैं समझा नहीं कि हफ्ते में एक बार ही ध्यान रखता है … इसका क्या मतलब हुआ?
भाभी बोलीं- इतने अनजान मत बनो कि समझे नहीं … तुम सब समझते हो.
मैंने उनकी आंखों में झांका.

तो मनीषा भाभी बोलीं- मुझे सोनिया ने (मेरी बीवी का बदला हुआ नाम) सब कुछ बता रखा है कि तुम हफ्ते में पांच दिन उसको नहीं छोड़ते हो.

दोस्तो, मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं हर रोज सेक्स करता हूं. ये मेरी कमजोरी है. मेरी बीवी को पता है कि मुझे बिना चूत चोदे नींद नहीं आती है.

मैंने मनीषा भाभी को बोला- आप अपना सर मेरी गोद में रख लो.
भाभी ने अपना सर मेरी गोद में रख लिया और मैं उनका सर दबाने लगा.

अब तक मेरा लंड अंडरवियर फाड़ने को हो गया था. मैंने अपना एक हाथ भाभी के मम्मों पर रखा और उनके चूचे दबा दिए.

भाभी ने मेरे हाथ पर हाथ रख कर हाथ को दबा दिया.

भाभी की चूचियां एकदम ठोस थीं. उनकी एक औलाद होने के बाद भी चूचियों की कसावट पर कोई असर नहीं पड़ा था.

दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गया था कि भाभी के एक लड़का भी है, जो अभी अपने नाना के घर गया हुआ था. एक दस साल का लड़का होने के बाद भी मनीषा भाभी के चूचे एकदम टाइट थे क्योंकि भाभी अपनी फिगर का काफी ध्यान रखती थीं और जिम वगैरह भी जाती थीं.

मैंने भाभी की रजामंदी देखी तो झट से अपना एक हाथ भाभी के सूट के गले में से अन्दर डालकर उनका एक निप्पल पकड़ लिया. भाभी का निप्पल एकदम टाइट और खड़ा हुआ था.

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मैंने निप्पल को अपनी दो उंगलियों से मींजते हुए जोर से दबा दिया.

भाभी कराह उठीं- धीरे करो … क्या जान ही निकालोगे?
मैंने- जान निकाल लूंगा, तो बाकी की खुशियां कैसे ले दे सकूंगा.

भाभी हंस दीं भाभी की सेक्स करने की इच्छा थी और मुझे उनकी तरफ से खुली छूट मिल गई.

मैंने वहीं बैठे बैठे भाभी के होंठों पर एक किस कर दिया. भाभी ने भी मेरे होंठों को चूम लिया.

मैंने उनके निचले होंठों को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगा. एक पल बाद ही भाभी ने भी दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़कर नीचे कर लिया. वो भी मेरे होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मैं भाभी के सर को अपने गोद में लेकर बैठा था इसलिए अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. उनका एक हाथ मेरे लंड पर आ गया और भाभी लंड की तलाश करने लगीं. मैंने झट से भाभी का हाथ अपने लंड पर लगा दिया. वो मेरे लंड को दबाने लगीं.

मैंने भाभी के कुरते के गहरे गले में से एक चूचे को थोड़ा बाहर निकाला और अपने मुँह से काटने लगा.

मुझे बैठे हुए ये सब करने में काफी परेशानी हो रही थी और उनका दूध पूरा बाहर भी नहीं आ रहा था.

मैं उनके पलंग से उठा और मैंने बोला- मैं बाहर सिस्टर को देखकर आता हूं.

मैंने बाहर आकर देखा कि सिस्टर सहित सभी स्टाफ वहीं अपने कम्बल लेकर अपनी कुर्सियों पर बैठे थे. क्योंकि सर्दी का समय था और रात के 11 बज गए थे.

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ये सब देख कर मैं वापिस कमरे में आ गया और मैंने दरवाजा बंद कर दिया. लेकिन दरवाजे में कुंडी नहीं थी. पहले तो मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ न हो जाए, फिर मैंने सर को झटका दिया और भाभी का सेक्स का फिर से मूड बनाने लगा.

मुझे आज भाभी के चुत चुदाई की बेहद मस्ती चढ़ी थी. भाभी का सेक्स का मन था और मैं ये मौक़ा गंवाने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था.

भाभी की चुत की चुदाई की कहानी को अगले भाग में लिखूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलिएगा.

भाभी का सेक्स कहानी का अगला भाग: भाभी का सेक्स करने का मन था - Part 2

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