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कृतिका के गुलाबी होठ
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मेरे कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही मेरी मुलाकात कृतिका से हुई थी हम दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे और हम दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती भी थी लेकिन जब हम दोनों का कॉलेज खत्म हो गया तो कृतिका की फैमिली चंडीगढ़ चली गई थी। कृतिका के पिताजी का ट्रांसफर चंडीगढ़ हो चुका था और वह लोग अब चंडीगढ़ में ही रहने लगे थे और मैं अभी भी बंगलौर में ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली थी और उसके बाद मैं बंगलौर में ही एक अच्छी कंपनी में जॉब करने लगा। जब मेरी जॉब बंगलौर में लग गई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हुआ मेरी फैमिली भी इस बात से बड़ी खुश थी कि मैं बंगलौर में ही जॉब कर रहा हूँ। सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था पापा भी अब जल्द ही रिटायर होने वाले थे। जब पापा रिटायर होने वाले थे तो वह चाहते थे कि उससे पहले हम लोग कहीं साथ में घूमने के लिए जाएं।

जब इस बारे में पापा ने बड़े भैया से बात की तो वह भी कहने लगे कि हां हम लोगों को कहीं जाना चाहिए। हम लोग जयपुर घूमने के लिए जाना चाहते थे पापा के रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही हम लोग जयपुर चले गए थे। जब हम लोग जयपुर गए तो जयपुर में हमने काफी अच्छा समय साथ में बिताया, हमारी पूरी फैमिली साथ में थी और सब लोग बड़े ही खुश थे। जयपुर में हम लोग करीब पांच दिनों तक रुके और पांच दिन बाद हम लोग वहां से बंगलौर वापस लौट आए थे। मुझे सबके साथ बहुत अच्छा लगा था सब लोग इस बात से खुश थे कि हमारी पूरी फैमिली साथ में घूमने गई थी। एक दिन मैं अपने ऑफिस के लिए जा रहा था तो मुझे उस दिन कृतिका का फोन आया और कृतिका से उस दिन मैंने थोड़ी देर बात की।

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मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे ऑफिस से फ्री हो जाने के बाद फोन पर बात करता हूं वह कहने लगी ठीक है जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझसे बात करना। जब मैं शाम के वक्त अपने ऑफिस से फ्री हुआ तो मैंने कृतिका को फोन किया और कृतिका ने मुझे बताया कि वह बंगलौर आई हुई थी इसी वजह से वह मुझे फोन कर रही थी। मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे कल मुलाकात करता हूं वह कहने लगी कि ठीक है हम लोग कल मिलते हैं और अगले दिन मैं कृतिका को मिलने वाला था। जब अगले दिन मैं कृतिका को मिलने के लिए गया तो कृतिका से काफी लंबे अरसे के बाद मेरी मुलाकात हो रही थी और मुझे बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम लोगों ने एक दूसरे से मुलाकात की थी। कृतिका के साथ मैंने काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था। कृतिका से मैं काफी लंबे सालों बाद मिला था तो उससे मेरी बात भी काफी देर तक हुई और उसके बाद हम दोनों की बात काफी समय तक नहीं हो पाई थी।

एक दिन मैंने कृतिका को फोन किया और उससे मैंने फोन पर बातें की। कृतिका और मैं एक दूसरे से फोन पर बातें कर रहे थे हम दोनों की बातें काफी लंबे समय के बाद हुई थी। कृतिका ने मुझे बताया कि वह कुछ समय बाद ही अपने एक रिलेटिव के यहां पर आने वाली है। मैंने उसे कहा कि ठीक है जब तुम बंगलौर आओ तो मुझसे जरुर मिल कर जाना तो वह कहने लगी ठीक है। जब वह बंगलौर आई तो उसने मुझे फोन किया और उस दिन हम लोगों की मुलाकात हुई। जब हम दोनों की मुलाकात हुई तो मुझे काफी अच्छा लगा कृतिका और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती है लेकिन अब यह दोस्ती कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ने लगी थी। मैंने कभी कृतिका के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन जब कृतिका और मैंने अपने रिलेशन को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा तो हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। हम एक दूसरे से मिलना भी चाहते थे परंतु हम दोनों की मुलाकात काफी लंबे समय तक हो नहीं पाई थी कृतिका और मेरी सिर्फ फोन पर ही बातें हो पाती थी। हम दोनों जब भी एक दूसरे से फोन पर बातें करते तो हम दोनों को अच्छा लगता था।

कृतिका भी अब किसी कंपनी में जॉब करने लगी थी और वह चंडीगढ़ में ही जॉब करती है इसलिए हम दोनों एक दूसरे से शाम के वक्त ही फोन पर बातें किया करते थे। जब भी हम दोनों की बातें होती तो हम दोनों को अच्छा लगता था और अब हमारे रिलेशन को भी काफी लंबा समय हो चुका था। मैं चाहता था कि हम दोनों एक दूसरे को मिले लेकिन हम दोनों की मुलाकात हो नहीं पाई थी ना तो मैं अभी तक कृतिका से मिल पाया था और ना ही कृतिका मुझसे मिल पाई थी। कृतिका अपने ऑफिस के काम के चलते बहुत ज्यादा बिजी थी इसलिए वह मुझसे मिल नहीं पाई थी। मुझे भी अपने ऑफिस में इस बीच काफी ज्यादा काम था इसलिए हम दोनों एक दूसरे को मिल नहीं पाए थे लेकिन अब हम दोनों ने सोच लिया था कि हम एक दूसरे से मुलाकात करेंगे और हम दोनों ने एक दूसरे से मुलाकात करने का फैसला कर लिया था। जब मैं कृतिका को मिलने के लिए चंडीगढ़ गया तो कृतिका से मिलकर मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा और उसे भी काफी अच्छा लगा। मैं चंडीगढ़ में कुछ दिनों तक रहने वाला था और कृतिका से मिलकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश था।

जिस तरीके से हम दोनों की मुलाकात हुई और इतने लंबे समय के बाद हम दोनों एक दूसरे से मिले उससे हम दोनों बड़े ही खुश थे। कृतिका और मैंने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम दोनों साथ में थे और एक दूसरे के साथ समय बिता रहे थे। मैं जिस होटल मे रूका था वहां पर मैंने कृतिका को बुला लिया था वह भी मुझसे मिलने आ गई थी। मौसम बडा ही खुशगवार था और हम दोनो साथ मे थे। मै और कृतिका साथ मे बैठे थे और बाते कर रहे थे लेकिन बात करते करते मेरा हाथ उसकी जांघ पर चला गया और मै उसे गरम करने लगा था। मैंने जब कृतिका की जांघो को सहलाया तो वह गरम हो गई थी। वह मचलने लगी थी मैंने कृतिका की जींस मे हाथ डाल दिया वह मजे में आ गई वह मुझे कहने लगी मुझे इतना ना तड़पाओ।

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मैंने कृतिका से कहा मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने अब कृतिका के गुलाबी होंठों को चूमना शुरू कर दिया था मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है कृतिका और मैं एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी झेल नहीं पा रहे थे ना तो मैं अपने आपको रोक पा रहा था और ना ही कृतिका अपने आपको रोक पाया। जब मैंने कृतिका से कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। कृतिका ने अपने बदन से कपड़ों को उतारा तो उसके बदन को देख कर मै खुश हो गया था। मै उसके स्तनों को चूसने लगा था। कृतिका के गोरे स्तनों को चूसकर मुझे मज़ा आ रहा था और वह भी गर्म होती जा रही थी। मैंने उसके निप्पल को बहुत देर तक चूसा। जब मैं उसके स्तनो को चूस रहा था मुझे मजा आ रहा था। उसको भी मजा आने लगा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। हम लोग बहुत ज्यादा गर्म होते जा रहे थे हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे। मैंने कृतिका की चूत को चाटना शुरू कर दिया था। कृतिका की चूत पर मैं अपनी जीभ को लगा रहा था। मै उसकी चूत को चाट रहा था तो उसकी गर्मी बढ रही थी। उसकी योनि से बहुत ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा था वह पूरी तरीके से गर्म होती जा रही थी उसकी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी।

मैंने कृतिका से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है़ कृतिका और मैं एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। मैंने जैसे ही कृतिका की चूय पर लंड को टच किया तो उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ निकलने लगा था वह गर्म होने लगी थी। वह मुझे कहने लगी अब तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दो। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था जब मैंने कृतिका के दोनों पैरों को चौड़ा किया था तो उसके बाद मैंने उसकी योनि के अंदर लंड को घुसा दिया। मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा चुका था वह जोर से चिल्लाने लगी वह मुझे कहने लगी मेरी योनि में दर्द होने लगा है।

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कृतिका की चूत में बहुत ज्यादा दर्द होने लगा था। मुझे मजा आ रहा था जिस तरीके से मे उसकी चूत मार रहा था वह मेरा साथ दे रहे थी। हम दोनो एक दूसरे का साथ देने लगे थे। हम दोनो ने एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से बढा कर दिया था। हम दोनो अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे। ना ही कृतिका अपने आप को रोक पा रही थी। मैं कृतिका के साथ में सेक्स के मजे लेकर खुश था। कृतिका भी बहुत ज्यादा खुश हो गई जिस तरीके से मैं उसकी चूत मार रहा था वह बहुत जोर से सिसकारियां ले रही थी। मैंने अपने वीर्य को कृतिका की चूत के अंदर गिरा दिया। मैं उसकी चूत की गर्मी बर्दाश्त ना कर सका।

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