पापा ने अपनी बेटी की चूत चोदी

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(Papa Ne Apni Beti Ki Choot Chodi)बात कल ही रात की है. मेरी पत्नी हर शनिवार को दिल्ली जाती है और घर पर मैं और मेरी बेटी ही रहते हैं. मेरा और उसका कमरा साथ-साथ हैं और मैंने उसके कमरे में देखने के लिए बीच में एक मोरी भी कर ली.
एक दिन मैंने देखा कि रात को करीब 11 बजे उसके कमरे से आवाज़ आ रही है. मैंने छेद में से देखा तो मेरी बेटी आरज़ू अडल्ट फ़िल्म देख रही थी. उसका चेहरा दूसरी तरफ़ था और वो सिसकारियाँ ले रही थी.

मैं अपने आप को रोक न सका और मैंने उसके कमरे का दरवाजा खोल दिया. वो मुझे देख कर डर गई और रोने लगी.
मैंने उसके पास जाकर उससे पूछा- बेटी, ये सब क्या कर रही थी?
मगर वो घबरायी हुई थी और कुछ ना बोली.
मैं थोड़े ऊँचे स्वर में बोला तो डर के मारे मेरी बेटी बोल पड़ी- मेरी सहेलियों ने ये सब मुझे सिखाया है.
तो मैंने पूछा- फिर तेरा मन क्यूँ हुआ ये सब करने को?
तो वो बोली- मैंने तुम्हें और मॉम को ये सब करते कई बार देखा तो …

उसके बाद मैंने उसे पकड़ा.
वो मुझे कहने लगी- पापा, आप यह क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- वही जो एक मर्द और औरत आपस में करते हैं. वही जो तू अभी फोन में देख रही थी. वही जो तूने मुझे और तेरी मॉम को करते देखा है.
“पर पापा … मैं आपकी बेटी हूँ!” आरज़ू ने कहा.

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पर मैंने उसकी बात नहीं सुनी और उसकी नाईटी खींच कर उतार दी. उसने अंदर से कुछ नहीं पहना था. उसके गोरे-गोरे मम्मे … छोटी छोटी और टाइट चूची … अपनी नंगी बेटी को देखकर मैं होश खो बैठा और उसकी चूची चूसने लगा.
काफी देर तक चूसने के बाद मैं उसकी सेक्सी नाभि पर किस करने लगा.

और उसके बाद मेरी नज़र मेरी बेटी की कोमल चूत पड़ी जिस पर एक भी बाल नहीं था. मैं काफी देर तक उसकी चूत को घूरता रहा और सोचने लगा कि मेरी बेटी की इतनी मस्त चूत … मेरे सामने नंगी!
मैं तो जैसे पागल सा हो गया … मेरा लंड कड़क हो गया था. फिर मैं बिना सोचे उसकी चूत को चूसने लगा. अब तक मेरी बेटी आरज़ू भी गर्म हो गई थी वो भी मेरा साथ देने लगी.

मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया. पहली बार लंड मुह में लेने से उसे अजीब फील हुआ और उसने अपने पापा का लंड बाहर निकाल दिया. लेकिन मैंने फिर से अपना लंड बेटी के मुंह में डाला और इस बार उसने मेरा लंड लोलीपोप के जैसे चूसना शुरू कर दिया. वो बिल्कुल पोर्न स्टार जैसे चूस रही थी. उसने शायद पोर्न मूवीस देख देख कर लैंड चूसना सीख लिया था.

अपनी कुंवारी बेटी को अपना लंड चुसवा कर मुझे कितना मजा आ रहा था, मैं बयां नहीं कर सकता.

फिर मैं अपनी बिटिया आरज़ू को अपनी गोदी में उठा कर उसे चूमने लगा. गोदी में लेकर ही मैं उसकी छोटी छोटी मासूम सी चूचियां पीने लगा. क्या गजब की चूची हैं मेरी बिटिया की!
उसके बाद मैं अपनी बिटिया को बिस्तर पर लिटा के उसके पूरे नंगे और सेक्सी बदन को चूमने लगा.

अब मेरी बिटिया चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी. कामवासना से जलती मेरी बिटिया की नंगी टांगें फैलाकर मैंने उसकी कोमल और कुंवारी चूत में अपना लंड अन्दर घुसाना चाहा लेकिन उसकी चूत बड़ी टाईट थी इसलिए मेरा लंड फिसल गया.
वो बोली- पापा दर्द होगा ना?
मैंने उसे समझाया- बेटी, पहली बार जब कुंवारी चूत में लंड जाता है तो थोड़ा दर्द होता ही है. ये तो तुम्हें सहना ही पडेगा. सिर्फ एक बार की बात है, जब तुम्हारी चूत की सील टूट जायेगी, चूत का छेद खुल जाएगा तो फिर दोबारा दर्द नहीं होगा. फिर तो बाद में चूत चुदाई में मजा ही मजा है.

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फिर उसने खुद अपने पापा के लंड को पकड़ के अपनी बंद चूत पर लगाया और मैंने लंड से धक्का मारना चाहा पर नहीं घुसा. मुझे लगा कि मुझे अपनी बेटी की चूत पर थोड़ी चिकनायी लगानी पड़ेगी, तभी उसके बाप का लंड उसकी चूत में जा पायेगा.
फिर मैं नारियल का तेल लाया और बहुत सारा तेल अपने लंड और अपनी बेटी की चूत पर लगाया और आराम से लंड को अपनी बेटी की टाइट और कुंवारी चूत पर टिका कर अंदर ठेलने लगा धीरे धीरे!

मुश्किल से आधा इंच ही लंड मेरी बेटी की चूत में घुसा होगा, मेरी बेटी चिल्लाने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पापा इसे बाहर निकालो … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा. कुछ देर पर जब मेरी बेटी की चूत का दर्द कम हुआ तो मैंने आधा इंच लंड और ठेल दिया.

फिर मैं थोड़ा रुका और उसके बाद मैंने अपने ओंठ उसके ओंठों से लगा कर एक ही झटके में अपने 6 इंची लंड अपनी बिटिया की चूत में ठेल दिया. मेरी कमसिन बेटी की आँखों से आंसू बहने लगे, वो रोने की मुद्रा में थी. मैंने अपने ओंठ उसके ओंठों से नहीं हटाये और उसके ओंठ चूसने लगा. मैंने कुछ देर ऐसे ही लंड अपनी बेटी की चूत में रहने दिया. अभी वो रो रही थी क्योंकि उसकी सील जो टूटी थी.

पहले पहले मैंने अपनी बेटी को एकदम स्लो स्लो चोदा क्योंकि उसकी पहली बार चुदाई हो रही थी.
फिर मेरी स्पीड बढ़ गई. मेरी बेटी भी आह्ह्ह ह्हह्ह … आय्ह्ह… अय्य्य्ह ह्ह्ह करके हिल रही थी और अब मस्त चुदवा रही थी.

कुछ देर बाद हमने अपनी पोज़िशन को बदल लिया. मैं नीचे लेट गया, मैंने अब अपनी बेटी आरज़ू को उठाकर अपने लंड पर बैठा दिया और उसे चोदने लगा। वो मेरे लंड पर उछलते हुए बहुत सेक्सी लग रही थी और उसके उछलने की वजह से मेरा लंड उसकी चूत के आखरी हिस्से तक छू रहा था.

फिर मैंने कुछ देर बाद उसे मेरे ऊपर से उतरकर घोड़ी बनने को कहा और वो तुरंत मेरे सामने घोड़ी बन गई. मैंने ज्यादा देर ना करते हुए अपने लंड को पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के देने लगा. अब मेरी बेटी भी मेरे साथ अपनी चुदाई के पूरे पूरे मज़े ले रही थी.

कुछ देर की चुदाई के बाद अब हम दोनों बाप बेटी एक साथ ही झड़ गए. मैंने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से बाहर निकालकर पूरा वीर्य उसकी कमर पर डाल दिया और हम दोनों एक दूसरे चिपक गए.

दोस्तो, कुछ देर बाद एक बार फिर से उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया और जब मेरा लंड दोबारा चुदाई के लिए तैयार हो गया तो वो मुझसे बोली- पापा, इस बार धक्के थोड़ा ज़ोर से मारना. मुझे रंडी बना देना. मैं पोर्न मूवीस देख देख कर ठाक चुकी थी, मुझे असल में एक लंड की जरूरत थी जो आपने पूरी कर दी.
मैंने उससे कहा- ठीक है बेटी!
और हम एक बार फिर से चुदाई करने लगे.

इस बार मैं बहुत ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को धक्के मारकर चोदने लगा और वो बहुत उछल उछलकर मज़े लेकर मुझसे चुदवा रही थी और बोल रही थी- हाँ आज फाड़ दो मेरी चूत को! यह आपके लंड के लिए बहुत तरसी है! आज आप इसकी प्यास बुझा दो! आह्ह्ह ऊईईईई … हाँ थोड़ा और ज़ोर से चोदो!
मेरी बेटी मुझे जोर जोर से चुदाई करने को कहने लगी.

फिर कुछ देर की चुदाई के बाद हम दोनों एक बार फिर से एक एक करके झड़ गये और मैं वहीं पर थककर उसके पास लेट गया.
उसके दो घंटे बाद हम बाथरूम में गये, साथ साथ नंगे ही नहाये. मैंने एक बार फिर बाथरूम में भी अपनी बेटी की चूत बजाई.

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बाथरूम से बाहर आकर मेरी बिटिया ने कहा- पापा, आज मैं मम्मी की शादी की साड़ी पहनूंगी और आज रात हम सुहागरात मनाएंगे.

दोस्तो, कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी?
एक बात और पूछना चाहता हूँ दोस्तो … मेरे पास एक सच्ची कहानी और भी जिसमें मैंने होटल में जाकर एक लड़के से अपनी गांड मरवाई है. क्यूंकि मुझे शुरू से ही लड़की बनने का बहुत शौक था. आज भी अकेले में मैं लड़कियों के कपड़े पहनकर अपनी इच्छा पूरी करता हूँ. तो मुझे जरूर मेल कीजिये और बताइए कि मुझे यह कहानी लिखनी चाहिए या नहीं?