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मेरे पिताजी 20 वर्ष पहले शहर आ गए थे और शहर आकर उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया उन्हें अपने कारोबार में सफलता मिली और वह अपना एक अच्छा खासा कारोबार चंडीगढ़ में खड़ा कर चुके है। मैं उन्हें देखकर ही बड़ा हुआ हूं उन्होंने ही मुझे हमेशा प्रेरणा दी है कि बेटा हमेशा मेहनत से काम करो और लगन से काम करते रहो सब कुछ तुम्हें मिल जाएगा। मुझे भी ऐसा ही लगता था इसलिए मैं अपने पिताजी की तरह ही बिल्कुल बातें किया करता और दिखने में भी अपने पिताजी की तरह ही था मुझे हर कोई यही कहता था कि तुम बिल्कुल अपने पिताजी की तरह हो। मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं उनका कारोबार संभालूं और मैं भी यही चाहता था लेकिन मैं कुछ समय अपने आप को देना चाहता था और उससे मेरे पापा को कोई भी आपत्ति नहीं थी।

मैं जब एमबीए की पढ़ाई करने के लिए पुणे चला गया तो उस दौरान मेरे साथ कई घटनाएं हुई। जब मैं सबसे पहले पुणे गया तो मुझे अकेले रहने का अनुभव हुआ और मेरी मुलाकात जब मुस्कान के साथ हुई तो पहले तो हम लोगों के बीच बिल्कुल भी बातें नहीं होती थी हम दोनों एक कॉलेज में और एक ही क्लास में होने के कारण भी हम लोगों के बीच बात नहीं होती थी। मुझे कई बार लगता कि हम लोगों को बातें करनी चाहिए मैं मुस्कान को हमेशा देखा करता था लेकिन मुस्कान मुझे कभी देखती ही नहीं थी। एक दिन मैंने मुस्कान से बात कर ली, मुस्कान शरमाती थी लेकिन मेरी बात मुस्कान से हो चुकी और धीरे धीरे हम दोनों के बीच दोस्ती भी होने लगी। मुस्कान मुझे कहने लगी सार्थक तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि हमे प्यार हो जाएगा और फिर हम दोनों के बीच प्यार हो गया। हम लोग एक दूसरे को अच्छा समय देने लगे हम लोग एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताया करते थे और मुझे भी यह सब अच्छा लगता था।

एक दिन मैंने मुस्कान से कह दिया कि मुझे तुम्हारे पापा मम्मी से मिलना है मुस्कान ने मुझे कहा कि देखो सार्थक तुम अभी रहने दो यदि अभी हम लोग अपने घर में इस बारे में बताएंगे तो बड़ी समस्या हो जाएगी इसलिए तुम रहने ही दो। मैंने मुस्कान से कहा ठीक है अभी हम रहने देते हैं, हम लोग एक दूसरे के साथ समय बिताएं करते थे और अब मेरी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी उसके बाद मैं अपने शहर चंडीगढ़ लौट आया था। मुस्कान भी अपने घर दिल्ली चली गई हम दोनों की बातें अक्सर होती रहती थी हम दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते है मैं चाहता था कि मुस्कान से मैं मिलूं लेकिन मुस्कान से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पा रही थी। कुछ दिनों बाद मुस्कान ने मुझे बताया कि उसके परिवार वालों ने उसके लिए एक लड़का देख लिया है मुस्कान का परिवार दिल्ली का है वह बहुत ही  इज्जतदार परिवार है। मैं मुस्कान से मिलने के लिए दिल्ली चला गया मुस्कान ने जब मुझसे मुलाकात की तो वह रोने लगी और मेरे गले लग गयी। मैंने उसे कहा तुम क्यों घबरा रही हो तो मुस्कान कहने लगी देखो सार्थक तुम्हें मालूम है मैं तुमसे कितना प्यार करती हूं और तुम्हारे बिना मैं बिल्कुल भी नहीं रह सकती अब तुम ही मुझे बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए, पापा के आगे मैं इतना कह ना सकी क्योंकि जिसके साथ मेरी शादी तय हुई है उनका परिवार हमारे परिवार को कई सालों से जानता है और हम लोगों के बीच फैमिली रिलेशन है। मैंने मुस्कान से कहा तुम घबराओ मत मैंने उसका हाथ पकड़ा तो वह कहने लगी सार्थक मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जब इतने समय बाद मैं तुम से मिल रही हूं तुम मुझे अपने साथ ले चलो ना। मैंने मुस्कान से कहा देखो मुस्कान यह इतना आसान भी नहीं है जितना तुम समझ रही हो इसीलिए तो मैं तुम्हें कहता था कि तुम अपने परिवार वालों से मेरी बात कर लो लेकिन तुमने ही कहा कि अभी रहने देते हैं और देखो तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए पहले से ही लड़का देख कर रखा हुआ था अब तुम मुझे यह बताओ हमें क्या करना चाहिए। मुस्कान कहने लगी मेरे पास तो कोई भी जवाब नहीं है मैं पूरी तरीके से लाचार हो चुकी हूं और मैं अंदर से टूट चुकी हूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि अब आगे क्या करना चाहिए।

मुस्कान कहने लगी मेरा क्या हाल हो रहा होगा सोचो मैं तुम्हारे बारे में हीं सोचती रहती हूं और तुम्हारे लिए मैं कितना तड़पती हूं तुम मेरे दिल की धड़कन हो हम दोनों कहीं भाग चलते है। मैंने मुस्कान से कहा देखो मुस्कान भागने के बारे में कभी भी मत सोचना यह कोई हल नहीं है और ऐसी बचकानी हरकत मैं कभी भी नहीं कर सकता। मुस्कान ने मुझे कहा मुझे तो बहुत डर लग रहा है तुम ही बताओ क्या करें मैंने उसे कहा तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा तुम्हें कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं है तुम सब मुझ पर छोड़ दो। उस दिन मेरी मुस्कान से मुलाकात काफी देर तक हुई मैं फिर चंडीगढ़ आ चुका था पापा के कहने पर मैंने अपना बिजनेस भी संभाल लिया था मैं पापा के साथ ही काम सीख रहा था। पापा को अपनी जिम्मेदारी का एहसास था वह काम करने में बहुत ही आगे थे वह जो चीज ठान लेते वह हमेशा ही कर के दिखाते थे इसी बात से तो मुझे उनसे सीखने को बहुत कुछ मिलता था और पापा भी हमेशा मुझे कहते कि तुम बिल्कुल मेरी तरह ही बिजनेस करना। मैंने पापा से कहा हां पापा क्यों नहीं, हम लोग सब अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहते थे और हम लोग चंडीगढ़ के अंदर ही बिजनेस कर रहे थे लेकिन अब हम लोग पंजाब के अंदर भी काम करना चाहते थे। पापा ने मुझे कहा कि बेटा मैं तो अब इतनी भागदौड़ नहीं कर सकता अब तुम्हे ही यह देखना पड़ेगा मैंने पापा से कहा भरोसा रखिए मैं जल्दी ही  बिजनेस को शुरू कर दूंगा पापा कहने लगे कि हां बेटा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।

एक तरफ मैं अपने बिजनेस को बढ़ाने की ओर बढ़ रहा था और दूसरी तरफ मुस्कान की सगाई हो चुकी थी और उसकी शादी का दिन नजदीक आने वाला था मैं चारों तरफ से बेबस हो गया था और अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं निकाल पा रहा था। मुस्कान का मुझे फोन आता तो वह कहती तुम क्यों नहीं मुझे घर से ले जाते। मैंने मुस्कान से कहा यह इतना आसान भी नहीं है मुस्कान कहने लगी मैं कैसे किसी और के साथ शादी कर लूँ तुम ही मुझे बताओ कि मैं कैसे किसी और की हो सकती हूं। मैंने मुस्कान से कहा तुम मुझ पर भरोसा रखो लेकिन हम दोनों के पास अब कोई और रास्ता नहीं था इसलिए मैं मुस्कान को अपने घर ले आया। मैंने अपने पापा को सारी बात बता दी थी तो पाप कहने लगे कि बेटा तुम दोनों शादी के लिए तैयार हो जाओ हमें कोई भी आपत्ति नहीं है। पापा ने मेरा साथ दिया और मुस्कान के पिता जी को भी मेरे पिताजी ने हीं समझाया हालांकि वह नहीं समझ रहे थे लेकिन मुस्कान मेरे साथ खड़ी थी और मुस्कान ने मेरा साथ दिया। पापा की वजह से ही मुस्कान अब हमारे घर पर रहने लगी थी और पापा ने मुस्कान के पिताजी को भी मना लिया था। हम दोनों ने कभी भी आज तक एक दूसरे के साथ किस भी नहीं किया था लेकिन जब पहली बार मुझे मुस्कान ने अपने नजदीक आने दिया तो मैंने मुस्कान के होठों पर अपनी उंगलियों को लगाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है। मैं अपने होठों से मुस्कान के होठों को चूमने लगा मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी और मुस्कान की शरीर से भी गरमाहट बाहर निकलने लगी मुस्कान की गरमाहट इतनी ज्यादा बढ हो चुकी थी उसके बदन से पसीना निकलने लगा था। मुस्कान ने अपने कपड़ों को निकाल दिया जब उसने अपने कपड़ों को निकाला तो मैंने भी मुस्कान की ब्रा के बटन को खोलते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू किया।

जब मैं उसके स्तनों को दबाता तो मुझे एक अलग ही बेचैनी सी पैदा हो रही थी मैंने जैसे ही अपनी जीभ को मुस्कान के स्तनों पर लगाया तो वह मुझसे चिपक गई। वह कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मुस्कान अपने अंदाज में आने लगी थी वह बिस्तर पर लेट चुकी थी। कुछ ही देर बाद उसने अपने सलवार को भी खोल दिया उसकी पिंक रंग की पैंटी को देखकर मैं बेचैन होने लगा था। मैंने उसकी पैंटी को उतारकर उसकी योनि को चाटना शुरू किया उसकी योनि  इतनी ज्यादा कोमल थी कि उसकी योनि पर जैसे ही मेरी उंगली लगी तो उसके मुंह से आह की आवाज निकल आई। उस आवाज में मुझे बड़ी मादकता नजर आई मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसा दिया जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी वह चिल्लाने लगी। वह इतना ज्यादा जोर से चिल्ला रही थी कि मुझे उसे धक्के मारने में भी मजा आ रहा था और वह भी पूरी तरीके से मेरे मोटे लंड के मजे ले रही थी। वह मुझसे कहने लगी आपका लंड तो बड़ा ही मोटा है मैंने मुस्कान से कहा लेकिन मुझे भी तो तुम्हारी चूत बड़ी टाइट लग रही है।

मुस्कान के पैरों को मैंने कस कर पकड़ लिया और उसे मैंने 440 बोल्ट का झटका देना शुरू किया और उसकी योनि से अब खून निकलने लगा था। उसकी योनि से ज्यादा खून बाहर निकल आया था उसे मुस्कान बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और वह मुझे कहने लगी आपके लंड की गर्मी को में बिल्कुल भी झेल नहीं पा रही हू। मैंने मुस्कान से कहा कोई बात नहीं मुस्कान तुम्हे थोड़ी देर बाद अच्छा लगने लगेगा और मुस्कान को मजा आने लगा था। मुस्कान की सिसकियां मुझे और भी ज्यादा बेचैन कर रही थी उसकी सिसकीयो से मैं इतना ज्यादा बेचैन होने लगा कि मैंने कुछ क्षण बाद अपने लंड से अपने वीर्य को बाहर निकालते हुए मुस्कान के गोरे और सुडौल स्तनों पर गिरा दिया। मुस्कान के स्तन बड़े ही सुंदर लग रहे थे और मुझे उन्हें देखकर अच्छा लग रहा था और मुस्कान तो मेरी ही थी। हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया और अब हम दोनों ने शादी कर ली है।

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