बच्चों की स्कूल की छुट्टी होती है लेकिन मुझे कुछ पता ही नहीं चलता क्योंकि मैं अपने काम में इतना व्यस्त रहता हूं कि मुझे शायद ही अपने परिवार के बारे में कुछ पता होता है। मेरी पत्नी कई बार मुझे कहती है कि आप इतने व्यस्त रहते हैं कि आप तो हम लोगों के बारे में भी सोचते नहीं हैं लेकिन मैं शायद उन लोगों के लिए ही यह सब कर रहा था। मैंने उन्हें कभी भी कोई दुख तकलीफ नहीं होने दी मैंने हमेशा ही उनकी खुशियों का पूरा ख्याल रखा। एक बार मेरी तबीयत ठीक नहीं थी तो मैंने सोचा आज मैं घर पर ही रहता हूं उस दिन मैं घर पर ही था मैंने अपनी पत्नी कल्पना से पूछा आज बच्चे क्या स्कूल नहीं गए। मेरी पत्नी कल्पना मुझे कहने लगी कि आपको तो घर से शायद कोई लेना देना ही नहीं है आज रविवार है और आपको मालूम ही नहीं होता कि बच्चे कब स्कूल जाते हैं और कब नहीं।
मैंने कल्पना से कहा हां यार तुम बिल्कुल सही कह रही हो मैं वाकई में बिल्कुल भूलने लगा हूं मुझे कुछ याद ही नहीं रहता। मैं अपने काम के चलते कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगा था जिस वजह से मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था और यह मैं अपनी पत्नी और बच्चों के लिए ही कर रहा था लेकिन उस दिन मुझे लगा की मुझे अपनी पत्नी कल्पना और बच्चों को कहीं लेकर जाना चाहिए। मैंने उसी वक्त अपने चचेरे भाई को फोन किया और उसे कहा क्या तुम कुछ दिनों बाद मेरे साथ घूमने के लिए चल सकते हो वह कहने लगा भैया लेकिन मुझे ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ेगी आपको तो मालूम ही है कि ऑफिस से छुट्टी लेने में कितनी दिक्कत होती है। मैंने उसे कहा लेकिन तुम कोशिश तो करो हम लोग कहीं घूमने के लिए चलते हैं वह कहने लगा ठीक है मैं कोशिश करूंगा। मैंने अपनी पत्नी को यह बता दी थी कि हम लोग कुछ दिनों के लिए घूमने के लिए चलेंगे कल्पना कहने लगी वह तो आप ना जाने कब से कह रहे हो लेकिन आपके पास तो समय ही नहीं होता है।
मैंने कल्पना से कहा मैंने रौनक से कहा है कि हम लोग घूमने का प्लान बना रहे हैं मेरी पत्नी कल्पना कहने लगी कि क्या आप सच कह रहे हैं। मैंने उसे कहा हां मैं सच कह रहा हूं हम लोग घूमने के लिए चलेंगे बस मैं रौनक के फोन का इंतजार कर रहा हूं कि कब उसे छुट्टी मिले और हम लोग घूमने का प्लान बनाएं लेकिन रौनक का फोन मुझे आया नहीं तो मैंने ही उसे फोन किया और उसे याद दिलाया। मैंने रौनक को फोन किया तो रौनक ने फोन उठाया और कहने लगा हां भैया कहिए मैंने रोनक से कहा क्या तुमने अपने ऑफिस में छुट्टी की बात नहीं की। रौनक मुझे कहने लगा भैया मैंने ऑफिस में छुट्टी के लिए एप्लीकेशन तो दे दी है शायद कल मुझे इस बारे में पता चल जाएगा मैंने रौनक से कहा तुमने अपनी पत्नी और बच्चों को क्या इस बारे में बताया। रौनक कहने लगा नहीं भैया मैंने अभी कुछ नहीं बताया है जब तक छुट्टी नहीं मिल जाती तब तक घर में बता कर कोई फायदा नहीं है, रौनक मुझे कहने लगा भैया मैं कल आपको बता दूंगा कि मुझे छुट्टी मिल रही है या नहीं। मैंने रौनक से कहा तुम कल मुझे पक्का बता देना और अगले ही दिन मुझे रौनक ने फोन किया और कहने लगा भैया मुझे छुट्टी मिल चुकी है अब आप बताइए कि हम लोग घूमने के लिए कहां जाएं। मैंने रौनक से पूछा कि हमें घूमने के लिए कहां जाना चाहिए रौनक कहने लगा कि भैया मुझे इस बारे में तो नहीं पता लेकिन फिर भी मैं सोचकर आपको बताता हूं कि हमें घूमने के लिए कहा जाना चाहिए। रौनक ने मुझे फोन किया तो वह कहने लगा कि भैया हम लोग केरल घूमने के लिए जा सकते हैं अभी कुछ समय पहले ही मेरा एक दोस्त वहां गया था तो वह वहां की बड़ी तारीफ कर रहा था। मैंने रौनक से कहा ठीक है हम लोग वहीं घूमने के लिए चलते हैं तो क्या मैं वहां की टिकट बुक करवा दूं रौनक कहने लगा हां भैया आप वहां की टिकट बुक करवा लीजिए। मैंने केरल की टिकट बुक करवा दी हम लोग फ्लाइट से जाने वाले थे क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि हम लोगों का समय बर्बाद हो इसलिए मैंने फ्लाइट से ही सब की टिकट बुक करवा दी। हम लोग कुछ समय बाद ही केरल घूमने के लिए जाने वाले थे जिस दिन हम लोगों को जाना था उस दिन हम दोनों को एयरपोर्ट पहुंचने में देरी हो गई थी मैंने रौनक को फोन किया तो वह मुझे कहने लगा बस भैया अभी पहुंच रहे हैं।
वह तो शुक्र है कि वह समय पर पहुंच ही गया था और उसके साथ उसकी पत्नी और बच्चे भी थे उसकी पत्नी का नाम सुधा है। हम लोग केरल पहुंच गए जब हम लोग केरल पहुंचे तो मैंने जिस होटल में रूम बुक किए थे हम लोग वहां पर चले गए हमारा सामान वहां पर काम करने वाले स्टाफ ने हमारे रूम तक पहुंचा दिया। हम लोग अब कुछ देर आराम करने वाले थे और उसके बाद हम लोग घूमने के लिए जाने वाले थे क्योंकि सब कुछ मैंने पहले से ही करवा दिया था मैंने जिस ट्रैवल एजेंसी से हमारे घुमाने की बात की थी मैंने उसे फोन किया और उसे मैंने होटल में बुला लिया। हम सब लोग तैयार हो चुके थे और टैक्सी ड्राइवर भी पहुंच गया जब टैक्सी ड्राइवर होटल पहुंचा तो उसने मुझे फोन किया मैंने उसे कहा बस हम लोग 5 मिनट में आ रहे हैं तुम पार्किंग में ही रहना। वह पार्किंग में ही हमारा इंतजार कर रहा था और हम लोग कुछ देर बाद वहां पर चले गए हम लोग कार में बैठे और उसके बाद हम लोग वहां से घूमने के लिए निकल पड़े। मुझे भी काफी अच्छा लग रहा था क्योंकि इतने समय बाद हम लोग साथ में कहीं घूम रहे थे मेरे साथ मेरी पत्नी और बच्चे भी थे जो कि बहुत खुश थे रौनक और सुधा भी खुश थे और उनके बच्चे भी बहुत खुश थे।
हम लोग जब बीच के किनारे बैठे हुए थे तो वहां पर बच्चे खूब मस्ती कर रहे थे और वह लोग बहुत इंजॉय कर रहे थे मुझे उनके चेहरे की खुशी देखकर अपना बचपन याद आ रहा था। मैंने रौनक से कहा तुम्हें याद है जब हम लोग बचपन में ऐसे ही खेला करते थे और हमें कोई फिक्र ही नहीं होती थी। रौनक कहने लगा हां भैया आप बिल्कुल सही कह रहे हैं मुझे भी याद है जब हम लोग बचपन में मिट्टी में खेला करते थे। जब हम घर जाते थे तो मम्मी हमें कितना मारती थी लेकिन उसके बाद भी हम लोग कभी सुधारते नहीं थे और हमेशा ही हम लोग अपने कपड़े गंदे किया करते थे और जब भी घर आते थे तो हमेशा हम लोग पिटते थे। मैंने रौनक से कहा बचपन के दिन तो कुछ और ही थे उस वक्त काफी अच्छा लगता था। हम लोग जब होटल में पहुंचे तो वहां पर हमें काफी देर हो चुकी थी और हम लोगों ने होटल में ही डिनर किया उस दिन का टूर हमारा बड़ा ही अच्छा रहा। मैंने ड्राइवर से कहा कि तुम कल सुबह 10:00 बजे तक आ जाना हम लोग सुबह तैयार हो जाएंगे। ड्राइवर ने कहा सर ठीक है मैं यहां पर 10:00 बजे तक पहुंच जाऊंगा और उसके बाद वह वहां से चला गया था। अगले दिन वह 10:00 बजे वहां पहुंच गया था और हम लोग भी बिल्कुल 10:00 बजे तैयार हो चुके थे हम लोगों को उसने अगले दिन भी घुमाया और उस दिन हम लोगों ने काफी एंजॉय किया। हम लोग एक दिन पैदल पैदल ही घूमने चले गए लेकिन कल्पना और रौनक बच्चों के देखते हुए पीछे ही रह गए थे और सुधा और मैं होटल में आ चुके थे। मैं सुधा से बात कर रहा था, जब उसके स्तनों पर मेरी नजर पड़ी तो मैं उसे देखने लगा।
वह भी समझ चुकी थी कि मेरी नजर उसके स्तनों पर है वह अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने पहली बार इतनी नजदीक से सुधा के स्तनों को देखा था तो भला मैं अपने आप पर कैसे काबू कर पाता। मैं उसके स्तनों को दबाने की कोशिश करने लगा लेकिन वह पीछे की तरफ लेट गई। मैं उसके ऊपर लेटा तो मैंने उसके स्तनों को दबाया और उसके होठों को भी चूमना शुरू किया वह मुझे कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं जेठ जी। मैंने उसे कहा क्यों इसमें कोई बुराई है क्या तुम्हें किसी और अन्य पुरुष के साथ सेक्स करना अच्छा नहीं लगता। उसने मुझसे कुछ नहीं कहा मैंने सुधा के होंठो को चूमना शुरू किया और उसके गोरे और नरम स्तनों को मैंने जब अच्छे से अपने मुंह के अंदर लिया तो वह भी उत्तेजित हो गई। मैंने उसके पेट पर जब अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो उसकी उत्तेजना में दोगुनी बढोतरी हो गई। मैंने उसकी सलवार को उतारा और उसकी चिकनी चूत को मैंने काफी देर तक चाटा जिससे कि उसकी योनि के अंदर हलचल पैदा होने लगी और मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर सटा दिया। जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया तो वह चिल्ला रही थी लेकिन मुझे उसे धक्के देने में बड़ा मजा आता।
मैं उसे लगातार तेजी से धक्के दिए जा रहा था जिससे कि उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर होता जिससे कि हम दोनों की उत्तेजना में बढ़ोतरी हो जाती और मैं ज्यादा देर तक सुधा की योनि की गर्मी को बर्दाश्त नही कर पाया। उसने अपनी योनि को टाइट कर लिया, मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को किया तो मेरा वीर्य उसकी चूत मे गिर गया। जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हुआ जैसे मेरे अंदर से पूरी ताकत बाहर निकल चुकी हो। सुधा ने कपड़े पहन लिए और वह मेरी तरफ देखने लगी मैंने उसे कहा क्या तुम्हें मजा नहीं आया तो उसने कुछ नहीं कहा लेकिन उसे भी बड़ा मजा आया था। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे कुछ ही देर बाद रौनक और मेरी पत्नी कल्पना भी आ गए वह कहने लगे आप लोग कहां चले गए थे। मैंने रौनक से कहा हम लोग आगे ही आ चुके थे, मेरा सफर बड़ा ही अच्छा रहा क्योंकि मुझे सुधा की चूत मिल चुकी थी।