आखिर कब चोदोगे तुम मुझे?

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मेरा नाम संकेत है मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं मैंने अपने गांव से ही अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की है और उसके बाद मैं कुछ समय तक अपने गांव में ही अपने माता-पिता के साथ खेती का काम करता रहा। खेती में इतना मुनाफा नहीं था जिससे की मेरे माता पिता मुझे कहने लगे बेटा तुम अपने भैया के साथ ही चले जाओ मैंने उन्हें कहा लेकिन मैं भैया के साथ जाकर क्या करूंगा। वह कहने लगे तुम उनके साथ चले जाओगे तो कम से कम तुम कुछ काम तो करोगे जिससे तुम्हें दो पैसे मिल जाएंगे नही तो बेवजह ही तुम अपनी जिंदगी को यहां पर बर्बाद कर दोगे। खेती में भी हमारा ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था जिससे कि पिताजी बहुत ही निराश थे वह चाहते थे कि जल्द से जल्द मैं अपने भैया के पास चले जाऊं।

मेरे भैया का नाम आदर्श है और वह मेरे मामा के साथ दिल्ली में रहते थे लेकिन अब वह अलग रहने लगे हैं आदर्श भैया पढ़ने में पहले से ही अच्छे थे तो वह हमारे मामा जी के साथ दिल्ली चले गए। उसके बाद उन्होंने दिल्ली के एक अच्छे स्कूल में एडमिशन ले लिया मेरे मामाजी ने ही उनका सारा खर्चा अपने कंधों पर ले लिया था जिससे कि मेरे माता-पिता को कोई भी दिक्कत नहीं हुई। आदर्श भैया ने जब अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली तो उसके बाद वह एक अच्छे कॉलेज में पढ़ने लगे सब कुछ बड़ी तेजी से होता चला गया कुछ मालूम ही नहीं पड़ा। उसके बाद आदर्श भैया की जॉब भी लग गई और वह एक अच्छी कंपनी में जॉब करते हैं उनकी तनख्वाह भी बहुत अच्छी है जब वह घर आते तो वह मुझे पैसे जरूर दिया करते थे लेकिन अब मुझे भी लगने लगा था कि गांव में मेरा भविष्य नहीं है मुझे दिल्ली जाकर ही कुछ काम करना होगा। मैंने दिल्ली जाने का फैसला कर लिया था और मेरे पिताजी ने आदर्श भैया को भी बता दिया था कि संकेत दिल्ली काम करने के लिए आ रहा है तुम उसके लिए कहीं नौकरी का प्रबंध कर देना। आदर्श भैया कहने लगे हां क्यों नहीं संकेत मेरा छोटा भाई है और उसे रहने कि यहां पर कोई भी समस्या नहीं होगी वह यहां पर रहेगा तो उसे काम मिल ही जाएगा।

पिताजी हालांकि मुझे भेजना नहीं चाहते थे लेकिन उन्होंने अपने दिल पर पत्थर रखकर मुझे दिल्ली भेजने का फैसला किया उस रात वह बहुत भावुक हो गए थे। वह मुझे कहने लगे संकेत मैं तुम्हें कभी भी दिल्ली नहीं भेजना चाहता था मैं चाहता था कि तुम गांव में रहकर ही खेती बाड़ी का काम करो लेकिन तुम्हें तो मालूम ही है कि यहां पर कुछ भी करना अब संभव नहीं है और खेती में भी इतना ज्यादा मुनाफा नहीं रह गया है। हम लोग इतनी मेहनत करते लेकिन उसके बदले में कुछ भी नहीं मिलता इसीलिए तुम शहर ही चले जाओ वहां पर कम से कम तुम दो पैसे तो कमा सकोगे और तुम्हारी जिंदगी भी संवर जाएगी। मैं ज्यादा अपने गांव में ही रहा था इसलिए मुझे शहर बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन जब मैं दिल्ली गया तो मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था परंतु फिर भी मुझे अब दिल्ली में ही रहना था और वहीं पर मुझे काम करना था इसलिए मैं भैया के साथ ही ज्यादातर समय बिताया करता। जब वह ऑफिस से आते तो हम दोनों साथ में बैठ कर बात किया करते मैंने भी कंपनी में जॉब ज्वाइन कर ली थी और मैं सुबह के वक्त अपने ऑफिस निकल जाया करता और शाम को 6:00 बजे अपने ऑफिस से फ्री होकर घर आ जाता। मुझे घर आते 7:00 बज जाते थे क्योंकि रास्ते में बहुत ज्यादा ट्रैफिक होता था समय बड़ी तेजी से बीता जा रहा था मैं काफी समय बाद अपने गांव गया तो अपने माता पिता से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने अपने माता-पिता को जब पहली बार पैसे दिए तो मुझे बहुत खुशी हुई और वह कहने लगे कि बेटा हम तो चाहते हैं कि तुम तरक्की करो और तुम बहुत बड़े आदमी बनो। मैंने अपने पिताजी से कहा हां पिताजी मैं भी यही सोचता हूं और मेरे सपने भी बहुत बड़े हैं लेकिन उसके लिए मुझे और भी मेहनत करनी होगी वह मुझसे कहने लगे तुम्हारे भैया कैसे हैं। मैंने उन्हें कहा भैया तो अच्छे हैं और उनका काम भी अच्छा चल रहा है वह मुझे कहने लगे चलो हम लोग तो यही चाहते हैं कि तुम दोनों भाई अपने जीवन में खुश रहो।

मैं जब गांव में था तो मेरी बड़ी बहन का मुझे फोन आया और वह कहने लगी क्या तुम गांव आए हुए हो मैंने उन्हें कहा हां दीदी मैं गांव में हूं वह कहने लगी मैं तुम्हें मिलने के लिए आती हूं। मेरी दीदी की शादी भी हमारे पास के गांव में ही हुई थी और वह हमसे मिलने के लिए कम ही आया करती थी। जब वह मुझसे मिलने के लिए आई तो वह मुझे कहने लगी संकेत तुमने बहुत अच्छा किया जो तुम आदर्श के साथ चले गए नही तो गांव में तुम अपना जीवन बर्बाद कर लेते तुम्हें देख कर बहुत खुशी हो रही है। मेरी दीदी हम दोनों भाइयों से बड़ी है और मेरी दीदी की शादी को काफी वर्ष हो चुके हैं मैं कुछ दिनों तक गांव में ही था और उसके बाद मैं दिल्ली चला गया मैं जब दिल्ली गया तो मैंने आदर्श भैया से कहा भैया मैं सोच रहा था कि किसी दूसरी कंपनी में नौकरी कर लूँ यहां पर तनख्वाह बहुत कम मिल रही है। वह कहने लगे ठीक है मैं तुम्हारे लिए किसी और कंपनी में देखता हूं मैंने उन्हें कहा ठीक है भैया आप देखते रहिए और मैं भी ट्राई कर रहा हूं यदि मुझे कहीं और नौकरी मिल जाएगी तो मैं वहीं पर नौकरी कर लूंगा। मेरी कद काठी और मेरा शरीर बहुत अच्छा है जिससे कि सब लोग बहुत प्रभावित हो जाते हैं मैं नौकरी की तलाश में था उसी दौरान मेरी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई उनका नाम सुरेश है। सुरेश जी को जब मैंने पहली बार देखा तो उन्हें देखकर मुझे लगा कि वह कितने सज्जन व्यक्ति हैं लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि वह इतने ज्यादा पैसे वाले होंगे।

उनकी गाड़ी और उनका बंगला देख कर तो मैं सोचने लगा कि क्या कभी मेरे पास भी ऐसा बंगला और ऐसी गाड़ी होगी। उन्होंने मुझे कहा कि तुम मेरे साथ ही रहो और मेरे बॉडीगार्ड बन जाओ मैं तुम्हें उसके बदले अच्छे पैसे दूंगा। मुझे भी क्या चाहिए था मैंने भी तुरंत हां कह दिया और उनके साथ ही मैं काम करने लगा वह जहां भी जाते मैं उनके साथ ही रहता और ज्यादातर समय वह घर से बाहर ही रहते थे। एक दिन सुरेश जी मुझे कहने लगे कि मैं कुछ दिनों के लिए विदेश जा रहा हूं मैं वहां अकेले ही जाऊंगा तुम कुछ दिनों के लिए घर पर ही रहना और जब मैं वहां से लौट आऊंगा तो मैं तुम्हें फोन कर दूंगा। सुरेश जी ना जाने किस काम से विदेश जा रहे थे लेकिन मुझे भी अब छुट्टी मिल चुकी थी काफी समय बाद मुझे छुट्टी मिली थी इसलिए मैं घर पर ही आराम कर रहा था। मैंने जब आदर्श भैया को बताया कि मैं कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर ही हूं और अब घर पर ही रहूंगा तो वह कहने लगे तुम कुछ दिनों के लिए गांव क्यों नहीं हो आते। मैं कुछ दिनों के लिए गांव चला गया और जब मैं कुछ दिनों के लिए गांव गया तो मेरा गांव में मन नहीं लग रहा था इसलिए मैं वापस दिल्ली लौट आया। जब मैं दिल्ली लौट आया तो सुरेश जी का मुझे फोन आया वह कहने लगे मैं अगले हफ्ते तक आजाऊंगा मैंने उन्हें कहा जी सर और यह कहते हुए मैंने फोन रख दिया। मैं घर पर ही था कोई दरवाजा खटखटा रहा था मैंने जब दरवाजा खोल कर देखा तो हमारी मकान मालकिन थी।

मैंने उनसे कहा भाभी जी क्या कोई काम था तो वह कहने लगी क्या तुम्हारे भैया घर पर नहीं है। मैंने उन्हें कहा नहीं भैया तो घर पर नहीं है आप बताइए क्या कोई जरूरी काम था तो वह कहने लगी बस ऐसे ही आदर्श से कुछ काम था। मैने उन्हें कहा वह तो शाम को आएगे वह कहने लगी कोई बात नहीं मैं चली जाती हूं। मैंने उनको कहा आप बैठिए ना तो बैठ गई वह मेरी तरफ देखकर कहने लगी तुम्हारी  बॉडी तो बडी ही सॉलिड है मैंने कहा हां मैं कसरत करता हूं मैंने काफी मेहनत से अपना शरीर बनाया है। भाभी कहने लगी जरा मुझे अपनी बॉडी तो दिखाओ मैंने उन्हें अपनी शर्ट खोलकर अपनी बॉडी दिखाई तो वह मेरे पास आई और मेरी छाती को सहलाने लगी धीरे-धीरे उन्होंने मेरे लंड की तरफ अपने हाथ को बढ़ाया और जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो गया। मेरे लंड को जब भाभी ने अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे और भी मजा आने लगा वह अच्छे से मेरे लंड को सकिंग करने लगी जिससे कि मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लगी।

मैंने उनकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो मुझे उन्हे धक्के देने में बहुत मजा आने लगा मैं बड़ी तेज गति से धक्के दिए जा रहा था लेकिन मेरी इच्छा नहीं भर रही थी। जैसे ही मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उस पर तेल की मालिश की तो वह मुझे कहने लगी आप तो मेरी गांड में अपने लंड को डाल दो। मैंने अपने लंड को उनकी गांड के अंदर डाल दिया जैसे ही मेरा लंड भाभी की गांड में घुसा तो वह चिल्लाने लगी लेकिन मुझे उनको धक्के देने में बहुत मजा आता। काफी देर तक मैं उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के मारता रहा उनकी गांड से भी खून आने लगा था और मेरा लंड भी बुरी तरीके से छिल चुका था लेकिन मुझे उनको धक्के देने में बहुत मजा आता। जिस प्रकार से मैं उन्हें धक्के मार रहा था उससे हम दोनों के अंदर गर्मी बढ़ने लगी जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो मुझे बहुत ही मजा आया और भाभी को भी बड़ा आनंद आया। वह कहने लगी आज के बाद मैं तुम्हें मिलने के लिए आती रहूंगी मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं वह मेरा बड़ी बेसब्री से इंतजार करती है।