मेरा नाम रवि है मेरा जीवन बड़ा ही कष्ट से गुजरा है मुझे कभी भी अपने माता पिता का प्यार नहीं मिला और मैं जब भी किसी को देखता तो ऐसा लगता कि काश मेरे सर पर भी मेरे माता पिता का साया होता लेकिन यह तो मेरे नसीब में था ही नहीं। जब मैं छोटा था तो मैं स्टेशन में छूट गया था और उसके बाद से मुझे एक अनाथ आश्रम ने पाला पोशा, मैंने अपने बचपन की पढ़ाई वहीं से की और उन्होंने ही मेरी देखभाल की कई बार तो मुझे लगता कि काश मेरे मां-बाप मेरे साथ होते लेकिन अनाथ आश्रम में कुछ पता ही नहीं चला वहां पर मेरे दोस्तों और टीचरों से मुझे प्यार मिलने लगा और मैं यह सब चीजें कभी भी नहीं सोचता था वहां पर मुझे बहुत अच्छा लगता, धीरे धीरे मेरी पढ़ाई पूरी होने लगी जब मैं बड़ा हो गया तो मेरे सामने नौकरी का संकट था क्योंकि मुझे नौकरी तो करनी ही थी, मैंने हर जगह इंटरव्यू दिए लेकिन मेरा कहीं भी सिलेक्शन नहीं हुआ परंतु मुझे अपने आप पर पूरा भरोसा था।
कुछ समय बाद मेरा सिलेक्शन कंपनी में हो गया जब उस कंपनी में मेरा सिलेक्शन हुआ तो उन्होंने मुझे रहने के लिए भी एक घर दे दिया मैं बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि मैं अपने घर में रहने लगा था मेरे साथ में जितने भी बच्चे पढ़ेते थे उन सब से मेरा संपर्क था और जब भी किसी को मेरी जरूरत होती तो मैं हमेशा उनकी मदद के लिए हाजिर हो जाता। मैं जिस फ्लैट में रहता था वहां पर मैं किसी को भी नहीं जानता था क्योंकि मैं सुबह के वक्त अपना ऑफिस चला जाता और शाम के वक्त ऑफिस से लौटता मैं ज्यादातर किसी से भी मिलता नहीं था लेकिन जब भी मेरे बचपन के दोस्तों के मुझे फोन आते तो मैं उनसे मिलने की बात जरूर किया करता लेकिन अब सब लोग बिजी होने लगे थे और सब कहीं ना कहीं कुछ काम कर रहे थे मैं भी अपने काम में व्यस्त था और जैसे ही मेरा प्रमोशन हुआ तो मैंने एक दिन अनाथ आश्रम जाने की सोची क्योंकि मेरे लिए उन लोगों ने बहुत कुछ किया है शायद वह लोग नहीं होते तो मेरा बचपन ही पूरा खत्म हो जाता।
जब मैं वहां पर गया तो मैंने उस दिन अपनी तरफ से सब बच्चों को खाना खिलाया मैं जब भी अपने जैसे ही दूसरे बच्चों को देखता तो मुझे उन्हें देखकर ऐसा लगता कि मैं भी बचपन में ऐसा ही था लेकिन धीरे-धीरे मेरी किस्मत बदलने लगी थी और मेरा प्रमोशन भी हो चुका था जिससे कि मैं बहुत खुश था अब मैं अपने पैरों पर पूरी तरीके से खड़ा हो चुका था और अपनी जिंदगी में सेटल था। एक दिन मेरे पड़ोस में एक लड़की रहने के लिए आई मैं उस वक्त ऑफिस से लौट रहा था वह अपने घर का सामान शिफ्ट कर रही थी मैंने उस तरफ नहीं देखा और सीधा ही अपने घर में आ गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया क्योंकि मैं ज्यादा किसी से भी बात नहीं करता था इसलिए मैंने उससे भी बात करना ठीक नहीं समझा पर करीब 10 मिनट बाद मेरे फ्लैट की बेल बजी और मैं जब बाहर गया तो वह मुझे कहने लगी मेरा नाम कोमल है और मैंने आज ही यहां पर शिफ्ट किया है क्या आप मेरी सामान रखने में मदद कर सकते हैं, मैंने बड़े ही आश्चर्य चकित होकर उसकी तरफ देखा और सोचा कि क्या इसके साथ कोई भी नहीं है मैंने आखिरकार उसे पूछ लिया कि आपके साथ कोई भी नहीं है तो वह कहने लगी नहीं मैं अकेली हूं मुझे यह सुनकर थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन मैं उसके साथ चला गया और उसकी मदद करने लगा, मैंने उसके साथ उसके पूरे घर की शिफ्टिंग में मदद की वह मुझे कहने लगी आपने मेरी बहुत मदद की है मैं आपके लिए कुछ बना देती हूं मैंने उसे कहा नहीं आप रहने दीजिए मैं कुछ आर्डर कर देता हूं, मैंने फोन कर के फ्लैट के नीचे एक रेस्टोरेंट है वहां से खाना ऑर्डर करवा लिया और जब खाना आया तो हम दोनों आपस में बैठकर बात कर रहे थे और खाना भी खा रहे थे उसने मुझे बताया कि मेरी शादी 5 साल पहले हो चुकी थी लेकिन मेरे पति के साथ मेरी बिल्कुल भी नहीं बनी इसलिए मैंने डिवॉर्स ले लिया मैंने उनसे कहा लेकिन आपको डिवोर्स नहीं लेना चाहिए था आपको अपने पति से बात करनी चाहिए थी वह मुझे कहने लगी मेरे पति बहुत ही ज्यादा शराब पी कर आते थे और हर रोज मुझसे झगड़ा किया करते थे इसलिए मैं इस बात से बहुत परेशान हो चुकी थी, मैंने उसे पूछा क्या आप जॉब करती हैं तो वह कहने लगी हां मैं जॉब करती हूं।
उन्होंने मेरे बारे में भी पूछा और कहा कि तुम्हारे मम्मी-पापा कहां रहते हैं मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बता दिया जब मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बताया तो वह मुझसे कहने लगे तुम बड़े हिम्मतवाले हो और तुम्हारे अंदर बहुत हिम्मत है यदि तुम्हारी जगह मैं होती तो शायद मैं कबकी टूट चुकी होती लेकिन तुमने अपने बलबूते इतना कुछ हासिल किया है। कोमल मेरी बहुत तारीफ करने लगी और मैंने भी उसे कहा तुम्हें जब भी जरूरत हो तो तुम मुझे बोल देना और यह कहते हुए मैं अपने फ्लैट में चला आया, मैंने टीवी ऑन की और अपने बेड पर लेट कर टीवी देखने लगा लेकिन मेरे दिमाग में यही बात चल रही थी कि कोमल के पति ने उसके साथ बहुत गलत किया या फिर इसमें कोमल की भी गलती हुई होगी और मुझे लगा कि शायद इसमें कोमल के पति की ही गलती थी उसे कोमल को इस तरीके से अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था लेकिन कोमल भी बहुत ही शक्त है मुझे उससे बात करके जितना भी लगा वह दिल की तो बहुत साफ है परंतु उसके अंदर एक जज्बा भी है और इसीलिए वह इतना बड़ा कदम उठा पाई नहीं तो शायद उसकी जगह कोई और होता तो वह इस बारे में जरूर सोचता कि उसे क्या करना चाहिए परंतु कोमल ने अपने पति का साथ छोड़ने में ही सही समझा।
एक दिन मुझे कोमल मिली और कहने लगी रवि तुम तो घर के अंदर ही रहते हो तुम तो दिखाई भी नहीं देते मैंने उसे कहा मुझे ज्यादा किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता मैं अपने काम से ही मतलब रखता हूं कोमल कहने लगी हां मुझे यह तो पता है कि तुम अपने काम से मतलब रखते हो लेकिन कभी कबार आपस में मिल लिया भी करो इन सब चीजों से अच्छा लगता है, मैंने कोमल से कहा मैं तो सिर्फ अपने अनाथ आश्रम के बच्चों से मिलने जाता हूं कोमल मुझे कहने लगी क्या तुम मुझे अपने साथ ले चलोगे मैंने कोमल से कहा क्यों नहीं मैं जिस दिन जाऊंगा उस दिन मैं तुम्हें बता दूंगा कोमल कहने लगी ठीक है तुम जब भी जाओ तो मुझे जरूर बताना मैं भी चाहती हूं कि जिस जगह तुम पढ़ाई करते थे वहां पर मैं भी देखूं और बच्चों से मिलूँ, एक दिन मैंने अपने अनाथ आश्रम जाना था तो मैंने कोमल से भी कहा, कोमल कहने लगी मुझे तुम बस आधा घंटा दो मैं तैयार हो जाती हूं कोमल तैयार हो गई और हम दोनों साथ में चल पड़े जब हम लोग अनाथ आश्रम पहुंचे तो कोमल कहने लगी यार यहां का माहौल तो बहुत अच्छा है कोमल ने बच्चों के लिए ढेर सारे गिफ्ट लिए थे और उसने जब बच्चों को देखा तो उन्हें वह गिफ्ट देने लगी। मैंने कोमल से कहा क्या तुम्हें यह सब अच्छा लगता है कोमल कहने लगी हां मुझे बच्चों से बहुत प्यार है और उसके बाद मैंने कोमल को अपने टीचरों से भी मिलाया जिन्होंने मुझे पढ़ाया था कोमल उन सब से मिलकर बहुत खुश थी और जब हम दोनों वापस लौटे तो कोमल कहने लगी मुझे आज यहां आकर बहुत अच्छा लगा अब मैं तुम्हारे साथ हमेशा यहां आया करूंगी उसके बाद जब भी मैं अनाथ आश्रम जाता तो कोमल भी मेरे साथ आ जाया करती। जब भी कोमल मेरे साथ आती तो मुझे बहुत अच्छा लगता और मैं उसे हमेशा कहता कि तुम दिल की बहुत अच्छी हो लेकिन मुझे कहां पता था कोमला और मेरे बीच में प्यार हो जाएगा।
हम दोनों एक दूसरे की मदद हमेशा किया करते कोमल को जब भी मेरी जरूरत पड़ती तो वह मुझे ही याद किया करती क्योंकि वह किसी और पर कभी भरोसा ही नहीं करती थी और इस वजह से वह हमेशा ही मुझे मदद के लिए कहती, वह मुझे ही अपना सब कुछ मानती थी इसलिए मैं भी कोमल उसकी तरफ अपने आपको पाता और कोमल के बिना शायद मैं भी अधूरा ही था क्योंकि वह जब भी मुझे कहती कि मुझे तुमसे कुछ काम है तो मैं उसकी कही हुई बात को कभी टालता ही नहीं था। एक दिन कोमल और मैं साथ में बैठे हुए थे वह मेरे लिए खाना बना रहे थी। उस दिन कोमल ने मुझे कहा था कि आज मैं तुम्हारे लिए खाना बनाऊंगी वह मेरे लिए खाना बना रही थी तभी उसके हाथ से बर्तन गिर गया और उसके पैर पर चोट लग गई। मै कोमल के पास दौड़ता हुआ गया और उसे कहा तुम्हें चोट तो नहीं लगी। वह मेरी बाहों में आ गई और कहने लगी नहीं मुझे कुछ नहीं हुआ जब वह मेरी बाहों में आकर गिरी तो मै उसकी तरफ में पूरा खिंचा चला गया मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसके होठों को मै किस करने लगा। उसके होठों को किस करके मुझे बहुत अच्छा लगता उसने अपने शरीर से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए हम दोनों के अंदर गर्मी पैदा होने लगी मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा।
कोमल ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और सकिंग करने लगी उसके स्तनों को मैने बहुत देर तक सकिंग किया मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने जब कोमल की चूत मे अपने लंड को डाला तो वह चिल्ला कर मुझे कहने लगी आज तो मुझे मजा आ गया। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्का देता वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लेती ताकि मेरा लंड आसानी से उसकी योनि में जा सके। उसकी योनि मैं अपने लंड को डाल कर मुझे बहुत मजा आ रहा था मैं काफी देर तक उसके साथ संभोग करता रहा, जैसे ही मेरा वीर्य कोमल की योनि के अंदर गिर गया तो मुझे बहुत मजा आया और कोमल को भी अच्छा लगा उसके बाद हम दोनों एक साथ ही रहने लगे। हम दोनों ज्यादा समय एक साथ बिताया करते अब कोमल मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा थी मैं भी कोमल के लिए बहुत जरूरी था क्योंकि कोमल का मेरे सिवा इस दुनिया में कोई नहीं था और मेरा भी कोमल के सिवा इस दुनिया में कोई नहीं था।