मेरे लिए पान ले आना

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मैं हमेशा अपनी नौकरी से लौटता तो मैं अपने मोहल्ले के पान वाले से पान खाया करता क्योंकि उसका पान बड़ा ही मजेदार होता और मुझे पान खाने का बहुत शौक था। एक दिन मैं अपने ऑफिस से लौटा तो मैंने पान वाले सोनू से कहा अरे सोनू मेरे लिए एक पार लगा देना, वह कहने लगा बस भाई साहब अभी मुझे कुछ मिनट दीजिए मैं आपके लिए आपका लगा देता हूं। उसने मुझे जैसे ही पान दिया तो मैंने वह पान अपने मुंह में रख लिया और अपने मुंह में पान रखते हुए मैंने सोनू से कहा अरे यार तुम्हारे पान का तो कोई जवाब ही नहीं है, मैं वह पान चबाने लगा और मैंने जैसे ही वह पान थूका तो वह एक महिला के पैर में जा गिरा, वह महिला मुझ पर भड़क गई और मुझे कहने लगी कि क्या आपको दिखाई नहीं देता एक तो आप पान खाकर रास्ते पर गंदगी कर रहे हैं और दूसरा आपने मेरे पैर पर पान थूक दिया। महिला को देखकर मैं भी डर गया क्योंकि आस पास सब लोग मुझे देखने लगे थे हालांकि वह मेरा मोहल्ला जरूर था लेकिन फिर भी मुझे इस बात का डर लग ही गया था।

मैंने उनसे माफी मांगी और उनसे कहा सोनू मुझे पानी देना सोनू ने मुझे पानी दिया और मैंने उनके पैर पर पानी डालते हुए उनके पैर को साफ किया और उनसे माफी मांगी, सोनू मुझे कहने लगा अरे भैया आप क्या करते हैं, इधर उधर तो आप देख लेते सोनू भी मुझे गलत ठहराने लगा था मैं वहां से चुपचाप अपने घर लौट आया मैं जब अपने घर लौटा तो मेरी पत्नी मुझे कहने लगी आज आप देर में आ रहे हैं, मैंने अपनी पत्नी को कोई भी जवाब नहीं दिया क्योंकि मेरी बेज्जती हो चुकी थी इसलिए मैंने उसे यह सब बताना उचित नहीं समझा, मैं अपने लैपटॉप को खोलकर उसका कुछ काम करने लगा तभी मेरी पत्नी कहने लगी कि मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी, मैंने अपनी पत्नी से कहा हां कहो तुम्हें क्या कहना है, वह मुझे कहने लगी मेरी एक सहेली है उसे यहां आस-पास रहने के लिए घर चाहिए, मैंने उसे कहा लेकिन वह लोग कहां के रहने वाले हैं, मेरी पत्नी कहने लगी कि वह मेरी स्कूल की सहेली है और उसका नाम सुरभि है।

मैंने अपनी पत्नी से कहा तो फिर तुम देख लो मोहल्ले में तुम्हें कहीं ना कहीं मिल ही जाएगा, वह कहने लगी कि आप मुस्कान भाभी को तो जानते हैं, मुस्कान भाभी के पति तो आपके बहुत अच्छे दोस्त हैं यदि आप भी एक बार उनसे बात कर लेते तो अच्छा होता, मैंने अपनी पत्नी से कहा ठीक है मैं अभी फोन पर बात कर लेता हूं। मैंने उन्हें फोन किया तो वह कहने लगे कि अरे यदि वह आपके परिचित हैं तो हमें उन्हें घर देने में कोई दिक्कत नहीं है, उन्होंने उसी वक्त हां कह दिया मैंने अपनी पत्नी से कहा कि तुम अपनी सहेली को कह देना कि उन लोगों ने रहने के लिए हां कर दिया है, मैंने अपनी पत्नी से पूछा लेकिन उसके पति क्या करते हैं वह कहने लगी कि उसके पति भी सरकारी जॉब में है और अभी कुछ दिन पहले उनका यहां ट्रांसफर हुआ है, मैंने अपनी पत्नी से कहा चलो ठीक है तुम उन्हें बता देना। खाने का समय भी हो चुका था हम लोगों ने खाना खाया और मुझे उस दिन बहुत गहरी नींद आ गई अगले दिन मैं जल्दी से उठ कर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा, मैं जब अपने ऑफिस से लौटा तो मैंने घर पर देखा की सुरभि तो वही है जिसके पैर पर मैंने पान थूक दिया था, मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी लेकिन मुझे घर तो जाना ही था मेरी पत्नी ने मुझे जब सुरभि से मिलवाया तो सुरभि मेरी तरफ ध्यान से देखने लगी और उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट भी थी, जब मेरी पत्नी किचन में गई तो सुरभि मुझे कहने लगी कि आप जरा सोच समझ कर खाया कीजिए, मैंने सुरभि से कहा अरे वह गलती से हो गया मुझे थोड़ी पता था कि जैसे ही मैं थुकूँगा तो कोई मेरे सामने आ जाएगा, सुरभि कहने लगी चलो यह सब बात छोड़ो मैं यह सब बात भूल चुकी हूं, तब तक मेरी पत्नी भी आ गई और वह सुरभि के बारे में मुझे बताने लगी, वह कहने लगी कि सुरभि और मेरी दोस्ती बहुत पुरानी है और अब तो सुरभि हमारे पड़ोस में रहने के लिए आ गई है अब मेरा समय भी अच्छा कटेगा। मैंने सुरभि से कहा क्या आप लोगों ने सामान शिफ्ट कर दिया है तो वह कहने लगी कि नहीं हम लोग इस रविवार को सामान शिफ्ट कर देंगे क्योंकि मेरे पति की भी छुट्टी नहीं रहती है इसलिए हम लोग इस रविवार को ही सामान शिफ्ट करेंगे, मैंने सुरभि से कहा कि चलो तुम्हें मेरी जरूरत हो तो तुम बता देना वैसे तो रविवार को मैं भी घर पर ही हूं।

मेरी पत्नी कहने लगी कि हां क्यों नहीं हम लोग भी तुम्हारा सामान शिफ्ट करने में मदद कर देंगे। सुरभि कुछ देर हमारे घर पर बैठी रही और फिर वह चली गई मैंने अपनी पत्नी से कहा कि सुरभि बात करने में बहुत ही अच्छी है और वह बहुत मिलनसार है, मेरी पत्नी कहने लगी कि हां सुरभि पहले से ही ऐसी है और वह दिल की भी बहुत अच्छी है। अगले रविवार को सुरभि और उसके पति हमारे घर पर आ गए और वह कहने लगे कि हम लोग अपना सामान ले आए हैं, उनके साथ कुछ काम करने वाले मजदूर भी थे जो कि सामान रखवाने में उनकी मदद करने वाले थे, मैंने उन्हें कहा आप लोग चाय पी लीजिए उसके बाद हम लोग सामान रखवा देते हैं, मेरी पत्नी ने जल्दी से उन लोगों के लिए चाय बनाई और उसके बाद हम लोग वहां पर चले गए हम लोगों ने सारा सामान अच्छे से रखवा दिया लेकिन उस दिन काफी समय लग गया था और जब सामान हम लोगों ने रखवा दिया तो मेरी पत्नी ने सुरभि और उसके पति से कहा कि आप लोग आज हमारे घर पर ही खाना खाने के लिए आ जाइए क्योंकि वह लोग बहुत थक चुके थे इसलिए उस दिन वह लोग हमारे घर पर खाना खाने के लिए आ गए।

मेरे पति ने उन लोगों के लिए काफी कुछ बना दिया था हम लोग खाना खाते खाते बहुत ही मजाक कर रहे थे उसके बाद वह लोग अपने नए घर में चले गए। मैंने अपनी पत्नी से कहा सुरभि के पति भी बात करने में बहुत अच्छे हैं और वह बड़े ही सज्जन व्यक्ति हैं, मैं जब भी अपने ऑफिस से आता तो हमेशा सोनू के पास ही पान खाया करता था एक दिन सुरभि मुझे पान की टपरी पर मिल गई और वह कहने लगी कि आपने आज अपना पान नहीं लिया, मैंने उसे देखते ही अपने मुंह में अपना पान दवा लिया और मैं उसे कुछ भी जवाब नहीं दे पा रहा था लेकिन सरभि को पता चल गया कि मेरे मुंह के अंदर पान है तो वह कहने लगी कि चलिए आज आप मुझे भी पान खिला दीजिए मैं भी देखूंगी आप हमेशा यहां पान खाते हैं तो भला इस पान में ऐसी क्या बात है, मैंने जब सुरभि को सोनू के हाथों का पान खिलाया तो वह खुश हो गई और कहने लगी कि यह पान तो बड़ा ही जबरदस्त है लगता है अब मुझे भी यहां से पान मंगवाना पड़ेगा, मैंने सुरभि से कहा तुम्हें जब भी पान मंगवाना हो तो तुम बता देना, सुरभि कहने लगी हां क्यों नहीं मैं जरूर बता दूंगी और सुरभि वहां से चली गई। मैं अपने घर लौट आया मैंने अपनी पत्नी को बताया कि मुझे अभी कुछ देर पहले सुरभि मिली थी, वह कहने लगी हां वह दोपहर में मेरे साथ ही बैठी हुई थी और शायद उसे कुछ सामान लेना था। एक दिन मैं अपने ऑफिस से लौट रहा था तब सुरभि का मुझे फोन आया और वह कहने लगी क्या आप मेरे लिए पान लेकर आ सकते हैं। मैंने सुरभि से कहा क्यों नहीं मैं तुम्हारे लिए अभी पान ले आता हूं।

मैंने सोनू से एक बढ़िया सा पान बनाया और मैं वह पान लेकर सुरभि से मिलने चला गया। मैं जब सुरभि के पास गया तो सुरभि ने नाइटी पहनी हुई थी उसने वाइट कलर की नाइटी पहनी हुई थी उसमें वह बड़ी गजब लग रही थी उसके बदन का हर हिस्सा मुझे दिखाई दे रहा था। मैंने सुरभि से कहा यह लो मैं तुम्हारे लिए पान ले आया हूं। वह कहने लगी आप मुझे अपने हाथ से ही पान खिला दीजिए। मैने सुरभि को अपने हाथ से पान खिलाया मैंने उसे पूछा आज तुम्हारे पति कहां है। वह कहने लगी वह तो अपने काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं मैं घर पर अकेली हूं। मैं सारी बात समझ चुका था मैने उसकी नाइटी को ऊपर उठाना शुरू किया तो मैंने देखा उसके स्तनों के पास एक तिल है। मैंने उसके होठों को पहले किस किया और फिर मैंने उसके स्तनों को भी चूसना शुरू किया, मैने उसके स्तनों का जूस निकाल कर रख दिया मैंने उसका बुरा हाल कर दिया था।

मैंने उसे अपने लंड को मुंह में लेने के लिए कहा तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया उसने मेरे लंड को अच्छे से संकिग किया। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा जब उसकी नमकीन चूत मे मैंने अपने लंड को डाला जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुस गया तो वह कहने लगी मजा आ रहा है। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और तेजी से उसे धक्के मारने लगा उसके मुंह से सिसकिया निकलने लगी। वह अपने मुंह से मादक आवाज निकालती वह कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। उसने मुझे कहा लेकिन आप मुझे घोड़ी बनाकर चोदो उसने मेरे लंड को अपनी चूत से बाहर निकालते हुए अपनी चूतडो को मेरी तरफ कर दिया मैंने अपने लंड को उसकी चूत में घुसा दिया। मेरा लंड जैसे ही उसकी चूत के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी आपने तो मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया। मैं उसे धक्के मारने लगा मैंने उसे कहा क्या तुम दूसरा पान भी खाओगी उसने कहा आप मेरे मुंह में पान डाल दीजिए। मैंने अपनी जेब से पान निकालते हुए सुरभि के मुंह में डाल दिया और उसकी चूत के मजे लेने लगा। उस दिन तो उसने मुझे अपनी चूत के मजे दिए जब भी वह मुझे अपने घर पर बुलाती तो वह मुझे कहती तुम मेरे लिए पान ले आना। मैं उसके लिए पान लेकर चला जाता और पान खाने के बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाते।