पांचों उंगलियां घी में थी

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दोस्तों यह बात मेरे जीवन की सबसे बड़ी ही रोचक घटनाओं में से है मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी मुलाकात इतने वर्षों के बाद कविता से हो जाएगी और ना ही कभी कविता ने यह सोचा था कि मैं उससे मिल पाऊंगा लेकिन यह इत्तेफाक भी बड़ा अजीब ही था, मैं तो अपने जीवन में बहुत बिजी था और ना ही मैंने कभी इस बारे में सोचा था। एक दिन अचानक कविता मुझसे मिली, शायद हम दोनों की किस्मत में एक दूसरे से मिलना ही लिखा था और यह भी बड़ी ही रोचक तरीके से हुआ, मुझे अपने किसी भी रिश्तेदार या अपने किसी सगे संबंधी के घर जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन कुछ दिनों से मुझे वह काफी फोन किए जा रहे थे,  मुझे भी उनके घर पर कुछ जरूरी काम था लेकिन मैं अपने रिश्तेदार के घर काफी समय से जा नहीं पाया था फिर एक दिन मुझे उनके घर जाने का मौका मिल गया और मेरा उनके घर जाना भी बहुत जरूरी था उसी दौरान जब मेरी मुलाकात कविता से हुई तो हम दोनों जैसे एक दूसरे को सिर्फ देखते ही रह गए और हम दोनों ने कुछ दिन काफी देर तक समय बिताया मुझे तो कभी उम्मीद ही नहीं थी कि मेरी मुलाकात कविता से हो पाएगी लेकिन कविता के साथ उस दिन समय बिताना मेरे लिए बहुत अच्छा था, हम दोनों ने अपने पिछले रिलेशन के बारे में बिल्कुल बात नहीं की परंतु अब वह पहले से ज्यादा समझदार और दिखने में भी अच्छी हो गई थी।

एक दिन मुझे अपने किसी रिश्तेदार के घर पर जाना था लेकिन मुझे उनका घर नहीं पता था मुझे उनसे कोई जरूरी काम था, मैंने उन्हें फोन किया तो वह कहने लगे कि मैं आपको एड्रेस भेज देता हूं। उन्होंने मुझे एड्रेस दिया तो मैं जब दरवाजे पर बैल बजा रहा था तो कोई दरवाजा खोल ही नहीं रहा था काफी देर बाद दरवाजा खुला तो अंदर से एक लड़की ने दरवाजा खोला, मैंने उससे पूछा कि क्या यह संजीव जी का घर है? वह कहने लगी नहीं यह संजीव जी का घर नहीं है। मैं उससे बात कर ही रहा था कि तभी मैंने देखा कि मेरी पुरानी गर्लफ्रेंड मुझे दिखाई दी, उसे देख कर मैं तो एकदम से हैरान रह गया मैं उसे 3 साल बाद मिला था उसकी शक्ल पहले जैसी ही थी, उसने जब मुझे देखा तो उसने मुझे पहचान लिया और वह कहने लगी कि रचित तुम यहां कहां जा रहे हो? मैंने उसे सारी बात बताई तो उसने कहा कि चलो कम से कम तुम हमारे घर इस बहाने आ तो आये उसने मुझे अंदर बुला लिया और उसने मुझे अपनी ननद से भी मिलवाया, उसकी ननद का नाम रूही है।

मैं उससे मिलकर भी खुश हुआ मैं कुछ देर उनके घर पर बैठा रहा और मैंने कविता से कहा कि मैं अब चलता हूं, कविता कहने लगी कि चलो अब तो तुमने हमारा घर देख ही लिया है कभी तुम हमारे घर पर भी आ जाना, मैंने उससे कहा क्यों नहीं। मैंने उसे कहा अब मैं चलता हूं, मैं उनके घर से अपने रिश्तेदार के घर पर चला गया मैं जब उनके घर पहुंचा तो वह कहने लगे तुमने आने में बहुत देर लगा दी, मैंने उन्हें कहा कि मुझे अपनी एक पुरानी दोस्त मिल गई थी इसलिए मैं उसके साथ बात करने लगा, वह कहने लगे चलो कोई बात नहीं। मैं कुछ देर उनके घर पर रहा और फिर थोड़ी देर बाद मैं वहां से चला गया, कुछ समय बाद मुझे रूही मिली मैं जब रुही से मिला तो उसने मुझे पहचान लिया, वह कहने लगी कि मुझे आपके बारे में भाभी ने सब कुछ बता दिया है मैंने उससे कहा कविता ने तुमसे क्या कहा तो वह कहने लगी क्या हम लोग चल कर किसी जगह कॉफी पी सकते हैं, मैंने उससे कहा क्यों नहीं।

हम लोग एक कैफे में चले गए रुही मुझे कहने लगी कि मुझे कविता भाभी ने तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया उन्होंने कहा कि किस प्रकार से उन्होंने तुम्हारे साथ गलत किया, मैंने रूही से पूछा कि कविता ने क्या कहा तो वह कहने लगी उन्होंने मुझे बताया कि पहले तुम दोनों के बीच रिलेशन था और उन्हीं की वजह से तुम दोनों का रिलेशन टूट गया क्योंकि उन्होंने मेरे भैया से शादी करने का फैसला कर लिया था। रूही ने मुझसे पूछा कि क्या तुमने कविता भाभी को इस फैसले से नहीं रोका, मैंने रुही से कहा मैं उस वक्त भला कविता को कैसे रोकता क्योंकी ना तो मैं किसी अच्छी जगह पर नौकरी कर रहा था और ना ही मेरे पास कुछ काम था जिससे कि मैं कविता से शादी कर पाता इसलिए मैंने भी उसके फैसले का सम्मान किया और मैंने उससे अपना संपर्क खत्म कर लिया था लेकिन उस दिन तो इत्तेफाक से मेरी मुलाकात कविता से हो गई, रुही कहने लगी कि कविता भाभी बहुत अच्छी हैं वह बड़े ही हेल्पफुल है उन्होंने भैया के जीवन को भी पूरी तरीके से बदल दिया है उनकी शादी जब से भैया से हुई है तब से भैया भी बहुत खुश हैं। मैंने उससे पूछा क्यों तुम्हारे भैया को भला ऐसी क्या तकलीफ हो गई थी, वह कहने लगी कि मेरे भैया का बिजनेस पहले बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन बीच में उनके पार्टनर की वजह से बिजनेस में लॉस हो गया जिसकी भरपाई भैया को करनी पड़ी और भैया उस वक्त बहुत ज्यादा टेंशन में थे तब कविता भाभी ने ही उनका साथ दिया और उन्होंने उनकी सारी मुसीबतों का हल ढूंढ लिया जिससे कि अब उनका काम भी अच्छा चलने लगा है अब वह बहुत ही खुश रहते हैं, मैं जब भी उनके चेहरे पर खुशी देखती हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है यह सब कविता भाभी की वजह से ही संभव हो पाया। हम दोनों ने बातों-बातों में ही कॉफी कब खत्म कर दी हमें पता ही नहीं चला, मैंने रुही से कहा भी तुम्हारे साथ आज समय बिता कर मुझे बहुत अच्छा लगा दोबारा हम लोग कभी और मुलाकात करते हैं।

मैंने उस दिन रुही का नंबर ले लिया, रुही कहने लगी चलो हम लोग दोबारा मिलेंगे और यह कहते हुए वह भी चली गई, मुझे उस दिन उसके साथ बात कर के अच्छा लगा मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे दिल में दोबारा से प्यार पनपने लगा है जब से कविता की शादी हुई उसके बाद मैंने कभी भी किसी लड़की की तरफ नहीं देखा लेकिन रुही से बात कर के मुझे अच्छा लगा और मैंने इस बारे में कविता से भी बात की, कविता कहने लगी कि हम लोग तो शादी नहीं कर पाए लेकिन तुम रूही के साथ शादी कर लो वह बहुत अच्छी लड़की है, वह तुम्हें बहुत खुश भी रखेगी और अब तुम भी तो अच्छा कमाने लगे हो इसलिए उसे भी शायद कोई दिक्कत नहीं होगी। मैंने कविता से कहा लेकिन मैं यह बात रूही के मुंह से सुनना चाहता हूं और मैं तब तक उसे कुछ नहीं कहूंगा, कविता कहने लगी ठीक है मैं इस बारे में रूही से बात करने की कोशिश करूंगी। कुछ ही दिनों बाद रुही और मेरे बीच रिलेशन बन गया और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिता कर बहुत खुश होते हैं, मुझे जब भी रुही से मिलना हो तो मैं रुही से मिलने के लिए उसके घर पर चला जाता इस बहाने मेरी मुलाकात कविता से भी हो जाती, हम दोनों के रिलेशन को भी काफी समय हो चुका था और यह सब कविता की वजह से ही संभव हो पाया था यदि कविता हम दोनों के इस रिलेशन को नहीं समझती तो शायद हम दोनों एक दूसरे के साथ कभी भी एक रिलेशन में नहीं रह पाते। मैं कविता का बहुत ज्यादा शुक्रगुजार था मैं इसके लिए उससे मिलने जाता ही रहता था।

मेरे और रूही के बीच में दिन-ब-दिन प्यार बढता जा रहा था एक दिन में कविता से मिलने के लिए चला गया। उस दिन रूही घर पर नहीं थी कविता और मैं साथ में बैठे हुए थे हम दोनों अपने पुराने दिन याद करने लगे बातों बातों में मैंने उसके बदन को निहारना शुरू कर दिया, जब मैंने उसकी गांड पर हाथ लगाया तो वह मचल उठी वह कहने लगी तुम्हें वह दिन याद है जब तुमने मुझे अपने घर पर बुलाकर चोदा था। उसने मुझसे  यह कहा तो मेरे अंदर उसे चोदने की इच्छा जाग गई मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू कर दिया। वह अपने मुंह से चिल्लाए जा रही थी उसकी चूत मारने में जो आनंद आ रहा था वह मुझे मेरे पुराने दिनो की याद दिला रहा था उसकी चूत का मैने भोसड़ा बना कर रख दिया। उसके बुरे हाल हो चुके थे लेकिन उसकी चूत बड़ी टाइट थी। उसने आपनी चूत को टाइट रखा हुआ था मुझे उसे चोदना में बड़ा मजा आया उसे भी अपनी चूत मरवाकर बहुत मजा आया। जब रूही घर आ गई तो मैं कुछ देर उसके साथ बैठा रहा। कुछ दिनों बाद मेरे और रूही के बीच में सेक्स हुआ, जब हम दोनों सेक्स कर रहे थे तो यह सब कविता देख रही थी हम दोनों बंद कमरे में सेक्स कर रहे थे मैं रूही को चोद रहा था। मै उसके ऊपर से लेटा हुआ था उसके दोनों पैरों को मैंने चौड़ा किया हुआ था उसकी चूत में मै लगातार तेजी से धक्के दिया जा रहा था मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी उसके मुंह की सिसकियां भी लगातार तेज होती जा रही थी। उसके मुंह की सिसकियां इतनी ज्यादा तेज हो गई कि कमरे से आवाज बाहर की तरफ साफ सुनाई दे रही थी कविता बाहर से यह सब सुन रही थी लेकिन उसे कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि वह तो मुझसे भी अपनी चूत मरवाकर खुश थी और उसके अंदर अब भी पहले के जितना ही सेक्स बचा हुआ था। मैंने रूही को बड़े अच्छे से चोदा मुझे उसे चोदने में बहुत मजा आया उसकी चूत मारकर मैं उस दिन बहुत खुश था जब मैं दरवाजा खोलकर बाहर आया तो कविता बाहर बैठी हुई थी वह हम दोनों के चेहरे पर देख रही थी लेकिन उसने हमसे कुछ नहीं कहा। बाद में उसने मुझे फोन करते हुए कहा तुमने तो आज रूही की भी सील तोड़ दी मैंने कविता से कहा मैने तो तुम्हारी सील भी तोड़ी थी। वह कहने लगी तुम तो बड़े मजे ले रहे हो तुम्हारी पांचों उंगलियां घी में है, मैंने उसे कहा बस ऐसा ही समझो।