मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से आता हूं और मेरे जीवन में बहुत बुरा दौर चल रहा था। मैं जब तक पटना में रह रहा था उस वक्त मेरे साथ कोई भी नहीं था मेरी उम्र उस वक्त 20 वर्ष की थी। मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था और उसी दौरान मेरे माता-पिता की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। मैं घर पर अकेला ही रह गया क्योंकि मैं इकलौता था। मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि मुझे क्या करना चाहिए। उस वक्त मेरे किसी भी रिश्तेदार ने मेरा साथ नहीं दिया। मैं कई दिनों तक घर पर ही अकेला पड़ा रहा परंतु जो भी आता वह सिर्फ सांत्वना देकर चला जाता। उस वक्त मेरे दिल में क्या बीत रही थी यह तो मैं ही जानता हूं। मैं उस वक्त बहुत ही बुरे दौर से गुजरा मुझे अपने कॉलेज की पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी क्योंकि मेरे पास फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। मैंने पटना में ही एक दुकान में काम कर लिया उसके बदले वह मुझे काफी कम पैसे दिया करता था लेकिन वह मेरा खर्चा चलाने के लिए उस वक्त पर्याप्त थे।
मैं जब भी अकेले में बैठ कर इस बारे में सोचता हूं या फिर इस बारे में अर्चना से मैं चर्चा करता हूं तो वह भी हंस पड़ती है कि तुम इतने कम पैसों में कैसे काम किया करते थे परंतु आज मेरी एक अच्छी नौकरी है और मेरा घर भी आज अच्छा चल रहा है। मेरे जीवन में परिवर्तन उस वक्त आया जब मैंने पटना छोड़कर दिल्ली का रुख कर लिया। दिल्ली मेरे लिए बिल्कुल ही नया था क्योंकि मैं घर से पहली बार ही दिल्ली गया था और जब मैं दिल्ली पहुंचा तो मेरे लिए सारे कुछ संसाधन जोड़ पाना बहुत ही मुश्किल था इसलिए मैंने दिल्ली में छोटी-मोटी नौकरी कर के ही गुजारा चलाया फिर एक दिन मेरी मुलाकात अर्चना से हुई। अर्चना मेरे पड़ोस में ही रहती थी उसकी उम्र मुझ से 5 वर्ष बड़ी है और वह शादीशुदा भी थी। उस वक्त मेरी उम्र 30 वर्ष की थी मैं हमेशा ही अर्चना को देखता रहता उसके चेहरे पर एक मुस्कान रहती थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह अंदर से इतनी टूटी हुई है।उसका पति उसे बहुत ही मारा करता था और उसके साथ बड़ी बदतमीजी से पेश आता था। उसका साथ देने वाला कोई भी नहीं था।
एक दिन तो कुछ ज्यादा ही हद हो गई। उस दिन तो अर्चना के पति ने उसके साथ कुछ ज्यादा ही बत्तमीजी कर दी। उनके घर से काफी चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही थी लेकिन कोई भी उनके घर पर नहीं गया। मैं यह सब सुन रहा था और मेरा भी खून उस वक्त खौल उठा मैं भी तेजी से उनके घर चला गया और मैंने उसके पति का हाथ पकड़ते हुए उस पर दो-तीन जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिए वह मुझे देखता ही रह गया और अर्चना भी मुझे देख रही थी। मैंने उसके पति को कहा कि तुम इस प्रकार से अपनी पत्नी पर मर्दानगी दिखा रहे हो। क्या यह उचित है उसके बाद उसकी भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि वह उम्र में मुझसे ज्यादा है और मैं उस वक्त जवान भी था। जब मैं वहां से गया तो अर्चना ने मेरी तरफ देखा और उसके चेहरे पर एक अलग ही भाव आ गया जैसे वह मेरा शुक्रिया कहना चाहती हो। मैं भी वहां से चुपचाप निकल गया उसके कुछ ही दिनों बाद अर्चना जब मुझे मिली तो उसने मुझे शुक्रिया कहा और कहने लगी तुमने उस दिन मेरी जान बचा ली नहीं तो मेरा पति मुझे बहुत ज्यादा मारता। मैंने उससे कहा तुम एक पढ़ी लिखी महिला हो और अपने पति के अत्याचार सह रही हो? वह कहने लगी मैं कर भी क्या सकती हूं मेरे माता-पिता नहीं है और मैं अपने पति को छोड़कर कहां जाऊं। जब मैंने उसकी बात सुनी तो मुझे उससे लगाव सा होने लगा और उसकी पीड़ा भी मुझे अपनी पीड़ा लगने लगी। मैंने अर्चना से कहा मेरे भी माता-पिता नहीं है लेकिन मैंने भी जीवन भर संघर्ष किया है और अब भी मैं संघर्ष ही कर रहा हूं मैं एक छोटी सी नौकरी करता हूं और उससे ही अपना गुजारा कर रहा हूं। उसके बाद तो जैसे अर्चना के अंदर मैंने उसके पति के लिए बगावत भरदी हो और वह भी अपने पति के साथ झगड़ने लगी थी। वह भी अपने फैसले खुद ही लेने लगी थी। वह जब भी मुझे मिलती तो हमेशा मुझे कहती कि तुम्हारी वजह से ही मेरे अंदर परिवर्तन आया है।
उसके चेहरे की मासूमियत ने तो जैसे मुझ पर कोई जादू सा कर दिया था और मुझे नहीं पता था कि यह आग सिर्फ मेरी तरफ से ही जल रही है। यह तो अर्चना के दिल में भी जल रही थी और वह भी मुझसे अपने दिल की बात कहना चाहती थी। एक दिन उसने मुझसे अपने दिल की बात कहदी। उसने मेरे सामने प्रस्ताव रखा कि मैं अब तुम्हारे साथ ही जीवन बिताना चाहती हूं। मैंने उसे कहा हम थोड़ा वक्त ले लेते हैं। उसके बाद उसने मेरे जीवन में भी काफी परिवर्तन ला दिया। मैंने भी एक अच्छी कंपनी में इंटरव्यू दिया और वहां मेरा सिलेक्शन हो गया। जब वहां मेरा सिलेक्शन हो गया तो मेरी सैलरी भी इतनी आ जाती थी कि मैं अब अर्चना का भी खर्चा उठा सकता था। अर्चना मेरे साथ रहने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी थी और उसने अपना पूरा मन भी मेरे साथ रहने का बना लिया था इसीलिए एक दिन हम दोनों वहां से कहीं और चले गए। अर्चना भी अब मेरे साथ ही रहने लगी थी और जब से वह हमारे जीवन में आई उस वक्त से तो मेरे जीवन में पूर्ण रूप से परिवर्तन हीं आ गया। मैं अर्चना को ही अब अपना सब कुछ मानने लगा। हम लोगों के बीच जब पहली बार सेक्स हुआ तो वह काफी यादगार पल था क्योंकि मैंने उससे पहले कभी भी किसी के साथ संभोग नहीं किया था। उसन दिन बारिश का मौसम था हम दोनों साथ में बैठकर पकौड़े खा रहे थे मेरे दिल में अर्चना के लिए बडी इज्जतत है वह मेरे साथ आकर अपने आपको सुरक्षित महसूस करती है।
मैं उसे कभी भी कुछ नहीं कहता था उस दिन मौसम बड़ा ही सुहाना था हम दोनों ने सोचा हम दोनों बिस्तर के अंदर लेट जाते हैं हम दोनों बिस्तर के अंदर लेट गए। जब मैंने अपने हाथ को अर्चना की कमर पर रख तो वह जैसे मेरी ओर खींची चली आई हो। मेरा हाथ जब उसके बदन पर पड़ा तो उसके बदन की गर्मी से हम दोनों पसीना पसीना होने लगे। उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और हम दोनों चादर के अंदर एक दूसरे से लिपट कर लेटे हुए थे। जब अर्चना ने मेरे हाथ को अपनी योनि के अंदर डाला तो मैं समझ गया कि उसे भी मुझसे सेक्स की उम्मीद है मैंने भी उसके सलवार के नाड़े को खोलो और उसकी सलवार को नीचे कर दिया। जब मैंने उसकी सलवार को नीचे किया तो उसने अंदर से कुछ भी नहीं पहना हुआ था मैंने उसकी सलवार को उतार दिया था। उसका गांड का हिस्सा मेरे लंड की तरफ था मैंने भी अपने पजामे को थोड़ा नीचे किया। मैने उसकी गांड पर अपने लंड को रगडने लगा वह पूरे तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी। मैंने जब उसके सूट को खोला तो वह मेरे सामने पूरी नंगी थी। मैंने उसके बदन को देखा उसके गोरे बदन की चमक मेरी आंखों पर पड़ रही थी। मैंने अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाना शुरू किया जब मैं उसके स्तनों को दबाता तो वह उत्तेजित हो जाती। जैसे ही मैंने अपनी जीभ से उसके स्तनों पर स्पर्श किया तो वह अपने मुंह से हल्की आवाज में मुझे कहने लगी सुशील अब मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जा रहा। मैंने भी अपने लंड को उसकी योनि पर लगाया तो उसकी योनि से पानी बाहर की तरफ को निकल रहा था। मैंने भी उसकी योनि के अंदर जब अपने लंड को डाला तो यह मेरा पहला अनुभव था लेकिन मुझे बड़ा अच्छा अहसास हुआ जैसे ही मैं उसे तेज धक्के मारता वह अपने मुंह से सिसकियां ले लेती और उसकी सिसकियो से मेरा लंड और भी ज्यादा कड़क होने लगा। मैंने उसके साथ कुछ देर तक संभोग किया जब मैंने अपने वीर्य को उसके स्तनों पर गिराए तो उस दिन मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ। यह मेरा पहला ही सेक्स काम अनुभव था इसलिए मेरा लंड भी सूज कर मोटा हो चुका था। मैंने जब उसे बताया कि मैंने पहली बार तुम्हारे साथ ही सेक्स किया है तो वह बड़ी चौक गई और मुझे कहने लगे तुम तो बड़े ही शरीफ हो लेकिन उसके बाद तो उसे मै दिन रात चोदा करता। वह मेरी पत्नी भी है हम दोनों एक दूसरे का साथ बडे अच्छे से देते हैं हम दोनों को एक दूसरे के साथ रहना भी अच्छा लगता है।