गदराए बदन के जलवे

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यह बात आज से 6 महीने पहले की है जब मेरी मुलाकात शीतल के साथ हुई थी। मैं हरियाणा का रहने वाला हूं मेरा एक इंटरव्यू था और मैं मेट्रो से उस दिन अपना इंटरव्यू देने के लिए निकला। सुबह के वक्त काफी ज्यादा भीड़ थी और उस भीड़ में मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि मैं कहीं खो गया हूं। मैं जैसे ही अपने स्टेशन पर पहुंचा तो मैं मेट्रो से जल्दी से उतरा। पीछे से काफी तेजी से धक्का लगा और मैं सीधा ही बाहर निकल गया। जब मैं वहां सीढ़ियों से उतर रहा था तो उस वक्त मेरा पैर स्लिप हो गया और मैं सीढ़ियों से बड़ी तेजी से नीचे की तरफ गिरने लगा। मेरे कंधे पर भी चोट आ गई थी और मेरे सिर पर भी काफी तेज चोट आई जिससे कि मैं कुछ देर के लिए बेहोश हो गया। वहां पर किसी ने भी मुझे उस वक्त पानी नहीं पिलाया लेकिन एक लड़की ने उस वक्त मुझे पानी पिलाया और जब उसने मुझे अपनी बोतल से पानी दिया तो मैं अपने आप को थोड़ा बेहतर महसूस करने लगा। मैं जल्दी से खड़ा उठा लेकिन तब तक मेरे इंटरव्यू के लिए काफी देर हो चुकी थी मैं उस लड़की का चेहरा अच्छे से नहीं देख पाया था लेकिन उसके चेहरे का शेप मेरे दिमाग में बना हुआ था और उसके बाद मैं जहां इंटरव्यू देने के लिए गया वहां पर उस दिन मेरा सिलेक्शन हो गया।

अब मैं अपने काम पर जाने लगा था और मैंने वहीं पास में रूम भी ले लिया। मैं अकेला रहना ही पसंद करता हूं इसलिए मैंने किसी को भी अपने साथ में रूममेट नहीं रखा था। हमारे ऑफिस में ही एक दिन वही लड़की आ गई। मैं तो उसे देखकर एकदम से हैरान सा रह गया लेकिन मुझे यह लग रहा था कि कहीं यह कोई और लड़की ना हो। मैंने उससे उस दिन बात कर ली। वह मुझे कहने लगी कि क्या तुम इस ऑफिस में काम करते हो? मैंने उसे कहा उस दिन तो मैं आपका शुक्रिया भी नहीं कह पाया क्योंकि मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। पर उस दिन आपने मेरी मदद की उसके लिए मैं आज आपको शुक्रिया कहना चाहता हूं। अब हम दोनों बात कर रहे थे तभी हमारे ऑफिस का एक लड़का आ गया उसका नाम सुधांशु है। सुधांशु मुझे देखते ही कहने लगा कि तुम शीतल को कैसे पहचानते हो? मैंने उसे कहा शीतल की वजह से ही तो आज मैं ऑफिस में काम कर पा रहा हूं क्योंकि जिस दिन मैं अपना इंटरव्यू देने आ रहा था उस दिन सीढ़ियों से मेरा पैर स्लिप हो गया और मैं बडे जोरदार तरीके से गिरा। सारे लोग तो मेरे ऊपर से ही जा रहे थे लेकिन किसी ने भी मुझे पानी नहीं पिलाया परंतु शीतल ने उस दिन इंसानियत दिखाई और मुझे पानी पिलाया।

मैंने भी सुधांशु से पूछा कि तुम लोग एक दूसरे को कैसे पहचानते हो? वह कहने लगा कि शीतल मेरी बहन है। यह सुनकर तो मैं और भी ज्यादा चौक गया। मैंने शीतल से कहा तुम जब भी मुझे मिलती हो तो कुछ ना कुछ सरप्राइस जरूर हो जाता है। यह बात जब मैंने उससे कहीं तो वह बड़ी जोर से हंसने लगी और कहने लगी लगता है तुम्हें अब हमेशा ही ऐसे सरप्राइज देने पड़ेंगे। यह बात सुनकर हम तीनों ही हंसने लगे और उसके बाद सुधांशु से भी मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। जब भी शीतल सुधांशु से मिलने ऑफिस आती तो मैं हमेशा उससे मिलता और वह भी मुझसे मिले बिना नहीं जाती। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या शीतल की तरफ मेरा झुकाव होने लगा है या फिर शीतल के दिल में मेरे लिए कुछ चल रहा है। मैं इसी कशमकश में था। एक दिन जब शीतल ऑफिस आई तो उस दिन मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी। जब मैंने उसे अपने दिल की बात बताई तो वह भी अपने आप को ना रोक सकी और कहने लगी तुम एक अच्छे लड़के हो और तुम मुझे पसंद भी हो लेकिन मैं इन सब चक्कर में नहीं पड़ना चाहती। पहले भी मेरे साथ काफी बड़ा धोखा हो चुका है। जब उसने यह बात कही तो मैंने उस वक्त उस से यह सब पूछना उचित नहीं समझा कुछ दिनों बाद जब हम दोनों बाहर मिले तो मैंने उससे उस दिन सारी बात पूछ ली। उसने मुझे उस दिन बताया की एक लड़के के साथ उसका काफी समय तक रिलेशन चलता रहा लेकिन उसने शीतल के साथ बहुत बड़ा धोखा किया और अब उस लड़के का कहीं भी अता-पता नहीं है। शीतल ने मुझे कहा मैं पहले भी धोखा खा चुकी हूं। तुम एक अच्छे लड़के हो मैं यह नहीं कहती कि हर कोई लड़का एक जैसा होगा लेकिन अब मैं इन सब झमेले में नहीं पड़ना चाहती और अपने जीवन को मैं अब अकेले ही जीना चाहती हूं।

मैंने भी उस वक्त उससे ज्यादा बात नहीं की लेकिन धीरे-धीरे मैंने उसे अपनी और आकर्षित कर ही लिया और अपनी बातों में भी उसे पूरी तरीके से कन्वेंस कर लिया। अब वह भी मेरे बिना नहीं रह पा रही थी और हमेशा ही मुझसे मिलने का बहाना ढूंढती रहती पर ऑफिस की वजह से हम दोनों को कम समय मिल पाता था जिस दिन मेरी छुट्टी होती उस दिन मैं अपने रूम में शीतल को बुला लेता और उस दिन का खाना वही बनाती थी कभी तो हम लोग बाहर से ही कुछ आर्डर कर लिया करते हैं और कभी रूम में ही हम लोग खाना बनाया करते हैं। हमारे बीच में कभी भी सेक्स नहीं हुआ था। एक दिन मेरा बहुत ज्यादा मूड था शीतल भी उस दिन मेरे रूम में आई हुए थी मैंने सोचा शीतल से इस बारे में बात करता हूं। मैंने शीतल के हाथों को पकड़ लिया और उसके हाथों को मैं सहलाने लगा लेकिन वह अपने हाथ को मुझसे दूर कर लेते मैंने दोबारा से ऐसा उसके साथ किया वह समझ गई मैं उससे क्या चाहता हूं। वह मुझे कहने लगी देखो वरुण यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं है तुम ऐसा मत करो परंतु मैं अपनी सेक्स की आग को नहीं झेल पा रहा था।

मैंने शीतल को अपनी बाहों में भर लिया जब वह मेरी बाहों में आई तो मेरा लंड उसके बदन से टकराता तो मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। मैंने भी उसके नरम और गुलाबी होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू किया। जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था वह भी अपने आपको मेरी बाहों में अच्छा महसूस कर रही थी। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने शीतल को कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो। वह कहने लगी नहीं मैं अपने मुंह में नहीं ले सकती मुझे यह करना अच्छा नहीं लगता। मैंने उसे कहा तुमने क्या कभी कोई पोर्न मूवी नहीं देखी उसमें भी तो लंड को अपने मुंह में लेते हैं। वह मुझे कहने लगी वहां लेते होंगे लेकिन मुझे अपने मुंह में लंड लेना अच्छा नहीं लगता। मैंने भी उससे जीद करते हुए उसके मुंह के अंदर अपने लंड को डालने की कोशिश की वह मेरे लंड को अच्छे से सकिंग नहीं कर रही थी। मैंने सोचा शीतल की चूत के अंदर मैं अपने लंड को डाल देता हूं। मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डाला तो उसके मुंह से चीख निकल पडी। वह कहने लगी तुम्हारा लंड कितना मोटा है मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारता जाता जैसे ही मैं उसे धक्के मारता तो मेरे अंदर से गर्मी पैदा हो जाती मुझे बहुत अच्छा महसूस होता। मैंने उसे काफी देर तक धक्के मारे जब हम दोनों के बीच में गर्मी पैदा होने लगी तो मेरा वीर्य पतन हो गया। मैंने शीतल को अपनी बाहों में ले लिया उसके कुछ समय बाद वह प्रेग्नेंट हो गई लेकिन मैंने उसे डॉक्टर के पास दिखा दिया। वह मुझे कहने लगी अब तुम्हें मुझसे शादी करनी ही होगी। मैंने उसे कहा हां तो कौन सा मैं तुम्हें शादी करने से रोक रहा हूं मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूं। उसने भी अपने घर में इस बारे मे बात कर ली और मैंने भी अपने घर में इस बारे में बता दिया। हम दोनों के परिवार एक दूसरे से मिले उनकी सहमति से हमारी सगाई हो गई लेकिन हमारी शादी अभी दूर थी और मुझे यह टेंशन सता रही थी कि कहीं उसी वक्त बच्चा ना हो जाए। शीतल हमेशा मुझसे यही कहती है कि अगर बच्चा हो गया तो मेरा क्या होगा। मैंने उसे कहा अब तो हमारी सगाई हो चुकी है यदि बच्चा हो जाता है तो कोई चिंता की बात नहीं है वैसे भी अब तुम सिर्फ मेरी हो।