लंड के लिए पागलपन

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यह मेरे जीवन की बड़ी ही रोचक घटना है मैं एक बार जयपुर से दिल्ली के लिए निकल रहा था मैं उस वक्त बस में बैठा था तो ठीक सामने चंडीगढ़ की बस लगी हुई थी और बस भी बिल्कुल निकलने वाली थी लेकिन उसी वक्त मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी उसके सुनहरे भूरे बाल और उसकी बड़ी बड़ी आंखों ने जैसे मुझ पर कोई नशा कर दिया हो मैं उसको देखता रहा और बस जब स्टार्ट हो गई तो बस निकलने ही वाली थी कि मैंने कंडक्टर से रुकने के लिए कहा लेकिन वह रुक नहीं रहा था। मैं भी जबरदस्ती बस से नीचे उतर गया और उसी आगे वाली बस में जाकर में बैठ गया। मैं जब उस बस में बैठा तो मैं उसके बिल्कुल सामने वाली सीट में बैठ गया। मैं सिर्फ उसे देखे जा रहा था उस लड़की का नाम तो मुझे पता नही था और ना ही मुझे उसके बारे में कुछ जानकारी थी मैं भी सिर्फ पागलों की तरह उसके पीछे बस में बैठ गया। बस अब स्टार्ट हो चुकी थी और बस जैसे ही चलने लगी तो हवा भी चल रही थी और उस हवा में जैसे मुझे प्यार की खुशबू आ रही थी मैं उस लड़की को सिर्फ देखे जा रहा था उसने मुझे काफी देर तक तो नोटिस नहीं किया लेकिन जब उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो वह भी मेरी तरफ देखने लगी। उसे शायद यह तो समझ आ चुका था कि मैं उसे ही देख रहा हूं।

उसके बगल में एक आंटी और अंकल भी बैठे हुए थे। वह लडक़ी देखने में बहुत ज्यादा खूबसूरत थी और उसकी खूबसूरती का मैं कातल हो गया। वह मेरी नजरों से हट ही नहीं रही थी। जब बीच में बस रुकी तो वह बस से नीचे नहीं उतरी मैं भी बस में ही बैठा रहा मुझे लगा शायद वह नीचे उतरेगी तो मैं उससे बात कर लूंगा लेकिन वह बस में ही बैठी रही और मैं भी बस में ही बैठा हुआ था। मैं उसे सिर्फ देखे जाता और वह भी मुझसे नजरें छुपा कर मुझे देखी लेती। यह नैन मटक्का काफी देर तक चलता रहा। मैंने सोचा अब काफी देर हो चुकी है मुझे अब उससे बात कर लेनी चाहिए। मैंने उसे चिप्स के लिए ऑफर किया। वह कहने लगी नहीं मैं अपने साथ खाना लेकर आई थी। मैंने उससे कहा क्या आप जयपुर में रहती हैं? वह कहने लगी नहीं मैं चंडीगढ़ में रहती हूं जयपुर में मैं अपनी बहन के पास आई थी तो उसने ही मुझे खाना बना कर दिया।

मेरे लिए यह बड़ी खुशी की बात थी कि उसकी बहन जयपुर में रहती है इससे मैंने अंदाजा लगा लिया कि वह भी अब मुझसे मिलने जयपुर आ ही जाएगी। मैंने अपने मन में बहुत बड़े-बड़े सपने उसे देख कर बन लिए और उन सपनों में मैं खोने लगा लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी दाल उसके आगे बिल्कुल गलने वाली नहीं है और वह मुझसे अब कम बातें कर रही थी। अब धीरे-धीरे सब लोग बस में आने लगे थे पर मैंने उसका नाम ही नहीं पूछा था और उस वक्त मैं उससे बात भी नहीं कर सकता था। जब हम लोग चंडीगढ़ पहुंच गए तो मैंने उससे उसका नाम पूछ लिया उसका नाम सिमरन है। मेरे पास सिर्फ उसका नाम ही था और मैं चंडीगढ़  आ पहुंचा था। मै सोचने लगा कि आज मैं कहां रहूंगा। मैं स्टेशन से बाहर निकला तो वहां मुझे एक गेस्ट हाउस दिखाई दिया। मैं जब उस गेस्ट हाउस में गया तो वह मुझे कहने लगा भैया आपको तो रूम 700 का लगेगा। मैंने उसे कहा भाई मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं अगर तुम्हें 500 में देना हो तो मैं रहने को तैयार हूं। उसने कहा चलो ठीक है तुम यहां रह सकते हो। अब मैं उस दिन वहीं रुक गया। जब मेरे पिताजी ने मुझे फोन किया तो वह मुझे कहने लगे बेटा तुम दिल्ली पहुंच गए? मैंने उनसे कहा हां मैं दिल्ली पहुंच गया हूं लेकिन उन्हें नहीं पता था कि मैं तो चंडीगढ़ पहुंच गया हूं। मैं दिल्ली में नौकरी करता हूं और उस लड़की की वजह से शायद मेरी नौकरी भी छूटने वाली थी पर मैं उससे अपने दिल की बात कहे बिना चंडीगढ़ से जाने वाला नहीं था और इसीलिए मैं चंडीगढ़ में ही रुक गया। मैंने उसे चंडीगढ़ में ढूंढना शुरू किया तो वह मुझे मिल ही गई क्योंकि यदि कोई चीज दिल से ढूंढो तो वह जरूर मिली जाती है। जब वह मुझे मिली तो वह मुझसे बात नहीं कर रही थी परंतु मैंने उससे बात कर ही ली और उससे मैंने अपने दिल की बात कह दी। वह मुझे कहने लगी तुम्हारे अंदर तो बड़ी ही हिम्मत है तुमने तो बड़ी जल्दी मुझे अपने दिल की बात बता दीज़ मैंने उसे कहा की मैं तुम्हारे लिए ही यहां आया हूं और तुम्हारे चक्कर में मेरी नौकरी भी छूट गई है।  वह मुझे कहने लगी मैंने तो तुम्हें यह सब नहीं कहा था कि तुम मेरे पीछे आओ।

अब उसके भाव भी बिल्कुल बढ़ने लगे थे मैंने सोचा कहीं मैंने गलती तो नहीं कर दी लेकिन मेरे अंदर भी एक अच्छी आदत है कि जो चीज मैं एक बार अपने दिमाग में बैठा लेता हूं तो उसे अवश्य पूरा कर के ही छोड़ता हूं इसीलिए मैंने यह तो सोच ही लिया था कि मैं सिमरन को भी अपने पीछे पागल कर के ही छोडूंगा नहीं तो मैं भी अपने घर नहीं जाने वाला हूं। सिमरन मुझे कहने लगी मैं अब जा रही हूं। मैंने उसे कहा तुम्हें किसी ने रोका थोड़ी है तुम चली जाओ। वह जिस वक्त जा रही थी त मै ध्यान से देख रहा था। उसके बाल उसके कमर तक लंबे थे और उसकी गांड का शेप भी बिल्कुल बाहर की तरफ को निकला हुआ था मैं दौड़ता हुआ सिमरन के पास गया। मैने उसके हाथ को पकड़ते हुए उसे वहीं सड़क किनारे किस कर लिया। मैंने जब उसे किस किया तो वह जैसे मेरी हो गई। वह गर्म होने लगी। वह मुझे किस करने लगी मैं समझ गया यह मेरे पीछे पागल हो चुकी है। मैंने उसे ऑटो में बैठाया और जिस गेस्ट हाउस में मैं रुका था मैं उसे वही लेकर चला गया।

वह कमरा काफी छोटा था लेकिन वह कमरा हम दोनों की चुदाई के लिए पर्याप्त था। हम दोनों एकदम से गर्म हो गया मैंने सिमरन को कहा तुम अपने कपड़े उतार दो। वह शर्माने लगी लेकिन मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो उसका दूध जैसा गोरा बदन देखकर मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया। जब मैंने उसके नरम और गुलाबी होठों पर अपने होठों का स्पर्श किया तो हम दोनों पूरे तरीके से उत्तेजित हो गए। हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस करते रहे। मैंने सिमरन के बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटा जब मैंने उसकी योनि पर अपनी उंगली को लगाया तो वह मुझे कहने लगी तुम ऐसा मत करो मुझे बहुत तड़प हो रही है। मैंने भी अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डालते हुए अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। जब मेरा लंड अंदर बाहर होता तो उसके मुंह से गर्म सांसे बाहर निकल जाती मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारता। मैं उसे इतनी तेज गति से चोद रहा था कि उसके अंदर की गर्मी उसकी चूत से पानी के रूप में बाहर की तरफ निकल रही थी। मेरे अंदर की उत्तेजना भी उतनी ही ज्यादा बढ़ने लगी वह जोश में आने लगी उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मुझे अपनी और आकर्षित करने की कोशिश की। मैंने भी उसके दोनों पैरों को आपस में मिलाते हुए उसकी बड़ी चूतडो पर तेज प्रहार करना शुरू कर दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूतड़ों से टकराता तो मेरे अंदर गर्मी पैदा हो जाती है और कुछ ही समय बाद वह गर्मी मेरे वीर्य के रूप में सिमरन की योनि में जा गिरी। जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि से बाहर निकाला तो मेरा वीर्य उसकी योनि से बड़ी तेजी से बाहर निकल रहा था। सिमरन मुझसे गले लग कर कहने लगी तुमने तो मुझे आज अपना बना लिया मैं तुम्हारे पीछे पागल हो चुकी हूं। मैंने उसे कहा अब तो मुझे यही नौकरी करनी पड़ेगी। उसके बाद मैंने चंडीगढ़ में ही अपने लिए नौकरी ढूंढ ली मैंने जहां रूम लिया था वहां पर मैं हमेशा ही शाम के वक्त सिमरन को बुला लेता और उसके हुस्न का जाम पिया करता। मेरा मकान मालिक भी सोचता था कि इसने एक नंबर की माल पटा रखी है। एक दिन उसने मुझसे कहा यार तुम मुझे भी सिमरन के जैसी कोई लड़की दिलवा दो। मैंने उसे कहा आप मुझसे किराया नहीं लेंगे तो मैं आपको उसकी जैसी लड़की दिलवा दूंगा। वह मुझसे अब किराया नहीं लेता है। मैंने उनके लिए एक बड़ा ही सॉलिड माल पटा कर उन्हें दे दिया है वह मुझसे बहुत खुश रहते है और कई बार तो मेरा खर्चा मेरे मकान मालिक उठा लेते है।