बीवी की अदला बदली का मजेदार खेल

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम किरन है और मेरे पति का नाम अजय है और वो एक केमिकल कंपनी में अच्छे पद पर काम करते है, हम लोग वैसे तो बिहार के रहने वाले है, लेकिन हम लोग अभी पिछले चार सालों से हरियाणा में रह रहे है। दोस्तों मेरे पति अजय की उम्र 36 साल है, लेकिन वो ज्यादा उम्र के नहीं दिखते, वो हल्के से मोटे है, बहुत गोरे और सुंदर भी है और मेरी उम्र 33 साल है, लेकिन में 30 साल की नजर आती हूँ। मेरे बदन का आकार 36-27-36 है। दोस्तों अब में आप सभी चाहने वालों को बताती हूँ कि हमने अपनी इस जिंदगी को कैसे शुरू किया? यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है, जिसने हमारा सोचने समझने का नजरिया ही बिल्कुल बदल दिया। अब हमारी सोच दूसरे लोगों की तरह नहीं उनसे बिल्कुल अलग हटकर है। दोस्तों मुझे लंबे समय से यह शक था कि मेरा पति अजय दूसरी औरतों को चोदने का बहुत इच्छुक है। यह बात मेरे मन में बहुत लंबे समय से थी और अभी एक साल पहले उसने मुझसे कहना शुरू किया कि किरण हम सभी की उम्र बहुत छोटी होती है, पता नहीं अगले पल में हमारे साथ क्या हो जाए? और इसलिए हमे हमारे इस छोटे से जीवन में यह भी अनुभव एक बार जरुर करके देखना चाहिए कि दूसरों के साथ चुदाई करने में कैसा मज़ा आता है? क्योंकि हम दोनों ने शादी के पहले किसी से चुदाई नहीं की थी। दोस्तों मुझे उसकी वो बातें सुनकर पता चला कि वो किसी दूसरी स्त्री के साथ चुदाई का मज़ा उठाना चाहता था और मुझे भी वो इस काम के लिए यह बातें करके उत्साहित करने लगा था कि में भी किसी दूसरे मर्द के साथ अपनी चुदाई का आनंद लूँ और इन बातों की वजह से हमारी चुदाई में आनंद और भी बढ़ गया।
फिर जब भी वो अपने दोस्तों को हमारे घर में बुलाता, तो अजय रसोई में आकर मुझसे आकर बताता कि आज उसको किस दोस्त की पत्नी को चोदने का मन कर रहा है और वो मुझसे भी पूछता कि मेरा मन किस दोस्त से चुदवाने का हो रहा है? यह सभी बातें करके हम दोनों को बड़ा मज़ा आने लगा था और फिर हम सभी के चले जाने के बाद उस दोस्त और उसकी पत्नी का मना लेकर एक दूसरे को चोदने लगते। फिर कुछ दिनों तक बिस्तर में चुदाई के मज़े लेते समय इस बारे में बातें करते हुए अब मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी और में दूसरे जोड़े के साथ काल्पनिक अदला बदली करके चुदाई करने के लिए तैयार हो गई। फिर हमने अपना शिकार ढूंडना शुरू किया और हमारी नज़र रंजन और मेनका पर पड़ी, जो हमारे ही पड़ोस में कुछ ही दूर पर रहते थे, क्योंकि इन कुछ सालों में हमारी उनसे दोस्ती बहुत गहरी हो चुकी थी, वो दोनों भी हमारी ही उम्र के थे, रंजन 38 साल का था और मेनका 32 की। मेनका का शरीर बहुत सुंदर और उसके बूब्स का आकार 32-26-38 था। वो थोड़ी पतली थी और नयन नक्श तीखे थे और हम दोनों उनके स्वभाव और सुंदरता से बहुत प्रभावित हुए थे।

अब अपनी चुदाई के समय हम रंजन और मेनका के बारे में सोचने लगे और उनके साथ चुदाई की कल्पना करने लगे थे। जब भी अजय मुझे चोदता तब वो मुझसे यही कहता कि मेरी चूत कितनी रसीली, सुंदर है और इसलिए में बड़ी आसानी से रंजन को अपने साथ चुदाई करने के लिए पटा सकती हूँ। फिर मैंने भी अजय से कहा कि आपका लंड भी इतना अच्छा है कि मेनका भी उसके लंड का स्वाद चखने के लिए बहुत आसानी से आतुर हो जाएगी। फिर वो मुझसे पूछता कि आज मुझे किसके लंड से अपनी चुदाई करवानी है, उसके या रंजन के? में भी अजय से पूछती कि आज उसको किसकी चूत को चोदने का मन कर रहा है, मेरी या मेनका की? अब अजय ने महसूस किया कि मुझे इन बातों से बहुत मज़ा आता है और में बड़ी उत्तेजित होकर अजय से चुदवाने लगी थी। फिर करीब आज से पांच साल पहले एक दिन अचानक अंजाने में ही रंजन और मेनका के साथ यह हमारी कल्पना उस दिन हक़ीकत में बदल गई। एक दिन रंजन और मेनका ने हम दोनों को अपने घर रात के खाने पर बुलाया, हम उनके घर चले गये और वहाँ अजय और रंजन ने साथ बैठकर थोड़ी सी व्हिस्की पी।
फिर मैंने और फिर मेनका ने भी थोड़ी सी ले ली। तभी अचानक से रंजन सेक्सी फिल्मो के बारे में बातें करने लगा, क्योंकि उसको भी पता था कि हम दोनों ऐसी फिल्मे अक्सर देखा करते थे। अब रंजन ने अजय से पूछा, क्या उसने कभी कोई इंडियन सेक्सी फिल्म देखी है? और उसने कहा कि ऐसी फिल्म देखने में बड़ा मज़ा आएगा। फिर अजय ने रंजन को बताया कि अब ऐसी फिल्मे धीरे धीरे सभी जगह पर मिलती है और हमने कुछ देखी भी है और यह ज़्यादा मज़ेदार होती है, क्योंकि साड़ी और पेटिकोट उठाकर उन औरतों को अलग अलग लोगों से अपनी चूत चुदवाते हुए देखने में कुछ अलग ही आनंद आता है। अब अजय ने रंजन को बताया कि उसकी कार में एक वीडियो सीडी पड़ी है, जो हम देखकर वापस लौटने वाले थे, उसने कहा कि अगर रंजन चाहे तो उस फिल्म को वापस करने के पहले एक बार देख सकता है, क्योंकि मेनका ने भी कभी ब्लूफिल्म नहीं देखी थी। अब रंजन ने सुझाव दिया कि वो दोनों आज ही उस फिल्म को अपने बेडरूम में जाकर देख लेंगे और हमारी घर वापसी पर वापस लौटा देंगे।
फिर अजय ने उन्हें उत्साहित करते हुए कहा कि हम दोनों तब तक कोई दूसरी हिन्दी फिल्म वही ड्रॉयिंग रूम में बैठकर देखेंगे, लेकिन उसी समय रंजन ने कहा कि यह तो बदतमीज़ी होगी और क्योंकि हम सब जवान शादीशुदा है, इसलिए हम सभी को ब्लूफिल्म का आनंद एक साथ उठाना चाहिए। दोस्तों अजय और मुझे इसमें कोई इतराज़ नहीं था, लेकिन मेनका को यह सब साथ में करना बड़ा अजीब सा लगा, इसलिए वो संकोच में लग रही थी। फिर कुछ देर बाद में मेनका के साथ रसोई में चली गई और मैंने उसको समझाकर हिम्मत देते हुए कहा कि नज़दीकी दोस्तों के साथ ऐसी फिल्म देखने में कोई हर्ज़ नहीं है। उसके बाद हम बाहर आ गए और कुछ देर बाद मेनका ने हल्के स्वर में कहा कि उसको भी वो फिल्म देखने में कोई ऐतराज़ नहीं है।
फिर अजय खुश होकर तुरंत बाहर जाकर कार से फिल्म को निकाल लाया और हम सभी उनके बेडरूम में चले गये। में और अजय सोफे पर बैठ गये और रंजन और मेनका अपने बिस्तर पर। अब रंजन ने लाईट को बंद करके उस फिल्म को चालू कर दिया और हम दोनों ने वो फिल्म पहले भी देखी हुई थी, इसलिए अब हम दोनों शान्ती से सोफे पर बैठकर रंजन और मेनका के भाव पढ़ने की कोशिश कर रहे थे। कमरे में टी.वी. की रोशनी के अलावा थोड़ा अंधेरा था। फिर कुछ देर में हमे लगा कि रंजन और मेनका अब गरम हो रहे थे और उन्होंने अपने बदन को कंबल से ढक लिया था और वो दोनों मस्ती करने लगे थे। फिर यह देखकर अजय भी गरम हो गया और वो मुझे चूमने लगा और मेरे बूब्स से खेलने लगा और अब रंजन, मेनका भी अपने काम में इतने व्यस्त थे कि उनका ध्यान बिल्कुल भी हमारी तरफ नहीं था और यह जानकर मैंने भी अजय के लंड को अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया और अजय ने भी अपना एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया और हम दोनों भी रंजन, मेनका के बीच चल रहे संभावित खेल में शामिल हो चुके थे। तभी अचानक से अजय ने देखा कि रंजन, मेनका के ऊपर से कंबल एक तरफ सरक गया और उसकी नजर रंजन के नंगे कूल्हों पर पड़ी, उस समय मेनका की साड़ी उतर चुकी थी और रंजन, मेनका के ऊपर चड़ा हुआ था और उस समय वो दोनों पूरी तरह से जोश में आकर चुदाई में लगे हुए थे।
फिर मैंने देखा कि रंजन अपना आठ इंच का खड़ा लंड मेनका की चूत में पूरा डाल चुका था और अब वो अपने दोनों हाथों से मेनका के बूब्स को मसल रहा था। अब यह सब देखकर अजय ने मुझसे कहा कि वो भी मुझे चोदना चाहता है और मुझसे यह बात कहकर अजय ने मेरे दोनों बूब्स को पकड़कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा, लेकिन में शरमा रही थी, क्योंकि रंजन, मेनका की तरह हमारे पास हमारे नंगे बदन को ढकने के लिए कुछ जुगाड़ नहीं था, लेकिन थोड़ी ही देर के बाद में भी चुदाई की चलती हुई फिल्म और रंजन, मेनका की खुली उसी चुदाई को देखकर में बहुत गरम हो गई और अजय से में भी अपनी चुदाई करवाने के लिए तैयार होकर तड़पने लगी।

अब रंजन, मेनका के ऊपर पड़ा हुआ था, वो उनका कंबल बस नाम मात्र का ही उनके नंगे बदन को ढक रहा था, मेनका के नंगे बूब्स और उसका गोरा पेट, चिकनी नंगी जांघे मुझे साफ साफ नजर आ रही थी। अब रंजन अपनी कमर को उठा उठाकर मेनका की चूत में अपना आठ इंच का लंड डाल रहा था और मेनका भी अपनी पतली कमर को उठा उठाकर रंजन के हर धक्के को अपनी चूत में ले रही थी और वो धीरे धीरे बड़बड़ा भी रही थी, आईईईईई हाँ और ज़ोर से चोदो, वाह बहुत मज़ा ऊऊईईईईईई आ रहा है। अब यह सब देखकर सुनकर मेरी चूत गीली हो गयी और में भी अजय से वहीं सोफे पर चुदवाने को तैयार हो गई, तब मेरी रज़ामंदी पाकर अजय मुझ पर टूट पड़ा और मेरे दोनों बूब्स को लेकर पागलों की तरह वो उन्हें मसलने और चूसने लगा। फिर में भी अपने हाथ को आगे ले जाकर अजय का तना हुआ लंड पकड़कर उसको सहलाने लगी और जब में अजय के लंड तो सहला रही थी, तब मुझे लगा कि आज अजय का लंड कुछ ज़्यादा ही अकड़ा हुआ है। फिर अजय ने बड़ी तेज़ी से अपने कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आते हुए मेरी भी साड़ी को वो तुरंत ही उतारने लगा।
फिर कुछ ही देर में हम दोनों सोफे पर रंजन और मेनका की तरह पूरे नंगे हो चुके थे और टी.वी. की धुंधली रोशनी में भी हमे इतना साफ दिख रहा था कि कंबल अब पूरी तरह से हट चुका था और रंजन खुले बिस्तर पर हमारे ही सामने मेनका को जमकर धक्के देकर चोद रहा था और मेनका भी अपने चारो तरफ से बेख़बर होकर अपनी कमर को उठा उठाकर अपनी चूत चुदवा रही थी और मेरे विचार से रंजन, मेनका की वो खुल्लम खुल्ला चुदाई देखकर में भी अब बहुत गरम हो चुकी थी और फिर में अजय से कहने लगी कि अब जल्दी से तुम मुझे भी रंजन की तरफ चोदो। में अपनी चूत की खुजली से मरी जा रही हूँ, लेकिन मेरी बात के खत्म होने से पहले ही अजय का तन्नाया हुआ लंड मेरी चूत में एक जोरदार धक्के के साथ दाखिल हो गया। दोस्तों अजय ने अपने लंड से इतने ज़ोर से मेरी चूत में वो धक्का मारा कि मेरे मुहं से एक ज़ोर की चीख निकल गयी। में तो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे कि उसका लंड मेरी चूत के अंदर पहली बार गया हो और अब पूरा माहौल ही बदल गया, क्योंकि अब मेरी उस चीख से रंजन, मेनका को भी पता लग चुका था कि हम दोनों भी उसी कमरे में है और अपनी चुदाई के काम में लग चुके है।
दोस्तों यह हमारे जीवन के एक नये अध्याय की शुरुआत थी, जिसने भी हमे अदला बदली करके चुदाई के आनंद का नया रास्ता दिखाया। अब मेरी चीख को सुनकर मेनका ने रंजन का लंड अपनी चूत में लेते हुए वो धीरे से कहने लगी कि लगता है कि अजय और किरण भी जोश में आकर अपनी चुदाई का काम शुरू कर दिया है। फिर यह सब सुनकर रंजन ने हंसते हुए आवाज़ देकर पूछा, क्यों अजय क्या कर रहा है? क्या तुम और किरण भी वही काम कर रहे हो, जो में और मेनका कर रहे है? अजय ने जवाब देकर कहा हाँ क्यों नहीं, तुम दोनों का यह खेल अपनी आखों से देखकर कौन अपने आप को रोक सकता है? इसलिए अब में और किरण भी वही कर रहे है, जो इस समय तुम और मेनका कर रहे हो।
अब रंजन बोला, अगर हम सभी लोग यह एक ही काम रहे है तो फिर एक दूसरे से क्या छुपाना और इसके लिए क्या परदा करना? अजय खुले मंच पर आ जाओ, आओ हम लोग एक ही पलंग पर एक साथ अपनी अपनी पत्नी को सीधा लेटा करके उनके पैरों को ऊपर उठाकर उनकी चूत की बखिया उधेड़ते है। फिर अजय ने उससे पूछा, तुम्हारा क्या मतलब है रंजन? और वो कहने लगा कि मेरा मतलब है कि तुम लोगों को सोफे पर चुदाई करने में मुश्किल हो रही होगी, क्यों ना तुम भी यही पलंग पर आ जाते, हमारे पास तुम्हें आराम रहेगा और ठीक तरीके से तुम किरण की चूत में अपना लंड डाल सकोगे, मतलब किरण की चुदाई करोगे। दोस्तों सच्ची बात तो यह थी कि हम उस सोफे पर बड़ी विचित्र स्थिति में थे। फिर अजय ने मुझसे पूछा कि क्या मुझे पलंग पर जाने में और मेनका के पास में लेटकर चुदाई करवाने में कोई आपत्ति तो नहीं है ना? अब मैंने कहा कि नहीं और वैसे भी में इतनी देर से उन दोनों की चुदाई को देखकर बहुत गरम कामुक हो चुकी थी और अब में उन दोनों की चुदाई को नज़दीक से देखना चाहती थी।

अब में टी.वी. की धीमी रोशनी में यह बात सोच रही थी कि एक ही पलंग पर लेटकर मेनका के साथ साथ अपनी चूत की चुदाई करवाने में मुझे कोई परेशानी नहीं बल्कि मस्त मज़ा आएगा और यह बात सोचकर में बड़ी उत्साहित थी, लेकिन मुझे आने वाली उस घटना का बिल्कुल भी अन्दाजा नहीं था, जिसके बाद मेरा पूरा जीवन बदलने वाला था। अब अजय ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और वो पलंग की तरफ चल पड़ा, जहाँ रंजन और मेनका चुदाई के काम में लगे हुए थे। हमें अपने पास आता देख रंजन अपनी चुदाई को रोककर हमारे बिस्तर पर आने का इंतज़ार करने लगा और उस समय रंजन ने मेनका की चुदाई को तो रोक लिया था, लेकिन उसने अपना लंड मेनका की चूत से बाहर नहीं निकाला था, इसलिए वो अभी भी मेनका की चूत में पूरा अंदर तक घुसा हुआ था और रंजन, मेनका की झांटे एक दूसरे से मिली हुई थी। फिर अजय ने पलंग के नज़दीक पहुँचकर मुझे मेनका के पास लेटने को कहा और जैसे ही में मेनका के पास में लेटी। तभी अचानक से रंजन पलंग को छोड़कर उठा और कमरे की लाईट को जलाकर वो वापस बिस्तर पर आ गया, जिसकी वजह हम सभी को अचानक से सारा का सारा माहौल पूरा बदला हुआ नज़र आने लगा और हम चारों एक ही पलंग पर चमकती रोशनी में सरेआम नंगधड़ंग चुदाई में लगे हुए थे।

अब मैंने देखा कि रंजन, मेनका बिना कपड़ों के बहुत ही सुंदर लग रहे थे, मेनका के बूब्स आकार में छोटे छोटे थे, लेकिन उसके कूल्हे बहुत बड़े थे और उसकी छोटी छोटी झाटे बड़ी सफाई से उसकी सुंदर चूत को ढके हुई थी और उस हल्की रोशनी में मेनका की चूत जो कि इस समय रंजन के लंड से चुद रही थी, वो बहुत ही खुली खुली सी लग रही थी और उस समय मैंने उस चमकती रोशनी में रंजन के खड़े लंड को मेनका की चूत के रस से चमचमाते हुए देखा, उसका लंड अजय से थोड़ा लंबा होगा, लेकिन अजय का लंड उससे कहीं ज़्यादा मोटा भी था और अजय भी मेनका को अपने सामने बिल्कुल पास ही पूरा नंगा देखकर मन ही मन बहुत खुश था। फिर मुझे अचानक से याद आया कि अजय को हमेशा बड़े बूब्स और बड़े आकार के कूल्हों वाली औरतें बड़ी पसंद थी और अब मैंने रंजन को अपने नंगे जिस्म को भरी नज़रों से ताकता हुआ पाया और शायद उसको मेरे भरे हुए बूब्स और गोल गोल बड़े कूल्हे भा गये थे। अब रंजन ने बिस्तर पर आकर मेनका की खुली हुई जांघो के बीच झुकते हुए अपना लंड उसकी गीली कामुक चूत में फिर से डाल दिया और मेनका ने भी जैसे ही रंजन का लंड अपनी चूत के मुँह में लिया तो वैसे ही झट से उसके अपने दोनों पैरों को ऊपर उठा लिया और घुटनों से अपने पैरों को पकड़ लिया।

अब मेनका की चूत बिल्कुल खुल चुकी थी और रंजन ने एक जोरदार झटके के साथ अपना लंड मेनका की चूत में डाल दिया। फिर यह देख अजय ने भी अपना लंड अपने हाथ से पकड़कर मेरी चूत के छेद से लगाया और एक झटके के साथ मेरी चूत के अंदर डालकर मुझे चोदने लगा। उस समय रंजन मेनका को बहुत ज़ोर से धक्के देकर चोद रहा था, लेकिन उसकी नज़र अब भी मेरी चूत पर टिकी हुई थी और अजय का भी यही हाल था, उसकी नज़र मेनका की चुदती हुई चूत पर से हट नहीं रही थी और मुझे ऐसे ही रंजन और अपने पति के साथ चुदाई करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था और अब में भी गरमाकर अपनी कमर को उठा उठाकर अजय का लंड अपनी चूत में डलवा रही थी और मेरे पास में लेटी हुई मेनका भी अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाकर रंजन का लंड अपनी चूत से खा रही थी और उस पलंग पर हम चार लोगों के लिए यह काम करने में जगह कम थी, इसलिए हमारे जिस्म एक दूसरे से टकरा रहे थे, मेनका का पैर मेरे पैर से और अजय की जाँघ रंजन के जाँघ से छू रही थी। फिर थोड़ी देर तक में अपनी चूत को चुदवाते हुए मेनका को देख रही थी और थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर मेनका का हाथ पकड़ लिया। फिर मेनका ने अपनी तरफ से खुशी का इज़हार करते हुए मेरे हाथ को दबाया और वो अपनी कमर को उठाते हुए मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। अब यह देखकर रंजन ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरे पेट पर मेरी चूत से थोड़ा ऊपर रख दिया, तब मुझे रंजन का हाथ अपने पेट पर बहुत अच्छा लगा और मैंने रंजन से कुछ नहीं कहा। फिर रंजन की इस हरकत को देखकर अजय ने भी अपना एक हाथ मेनका की जाँघ पर उसकी चूत के पास रख दिया और वो मेनका की जांघो को हल्के हल्के से सहलाने और दबाने लगा। दोस्तों रंजन और अजय की इन हरकतों से अब हम सभी में एक नई तरह की चुदास भर गयी और वो दोनों मर्द पूरी तरह जोश में आकर हम दोनों औरतों को ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने शुरू कर दिया। तभी अचानक से अजय को हमारी वो बात याद आ गई, जिसमें हम दोनों ने किसी दूसरे जोड़े के साथ चुदाई करने की कल्पना की थी और फिर अजय ने मुझसे पूछा “किरण क्या तुम आज किसी नये अनुभव का आनंद उठना चाहोगी? तो मैंने अजय से पूछा तुम्हारा क्या मतलब है अजय? तुम और किस नये आनंद की बात कर रहे हो? अभी तो मुझे मेनका के साथ उसके पलंग पर लेटकर तुमसे अपनी चूत चुदवाने में बहुत आनंद मिल रहा है। अब अजय मुस्कुराते हुए मेरे बूब्स को अपने हाथो से मसलते हुए पूरी तरह खुलकर बोला कि आज रंजन के साथ चुदवाने का मज़ा लेने के बारे में तुम्हारा क्या विचार है, क्या तुम्हें यह मज़े भी लेकर देखने है कि यह अनुभव कैसा होगा?
दोस्तों में और अजय कल्पना करते हुए रंजन और मेनका के साथ इतनी बार एक दूसरे को चोद चुके थे कि यह सब बातें मेरे लिए नई नहीं थी, इसलिए में तुरंत अजय से कहने लगी “अजय, आज मेरी चूत इतनी गरम हो चुकी है कि इसलिए मुझे अब इससे बिल्कुल भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आज मुझे कौन चोदता है तुम या रंजन? बस मुझे अपनी चूत में कोई ना कोई लंड की मस्त जोरदार ठोकर चाहिए और वो लंड मेरी इस चूत में इतनी जबरदस्त ठोकर मारे कि में जल्दी से झड़ जाऊं, क्योंकि इस समय में अपनी चूत की खुजली से बहुत परेशान हो चुकी हूँ। अब मेरे मुहं से यह बात सुनते ही अजय ने रंजन की तरफ मुड़कर उससे कहा कि रंजन, क्या आज तुम एक नये चुदाई के अनुभव उस आनंद के लिए किरण की चूत में अपना लंड डालना चाहोगे? क्या तुम आज किरण को चोदना चाहोगे? अजय के मुहं से यह बात सुनकर रंजन झटपट मेनका की चूत में कस कसकर धक्के मारे और वो ख़ुशी से बोला “हाँ ज़रूर अजय, लेकिन अगर मेनका भी इस एक नये आनंद के लिए अजय से अपनी चूत को चुदवाना चाहती है, तो हमे यह मज़ा मिलेगा।

फिर जब मैंने देखा कि रंजन और अजय अपनी अपनी पत्नी को एक दूसरे से चुदवाना चाहते है तो फिर मैंने हिम्मत करके मेनका से पूछा “मेनका, क्या तुम भी एक नया आनंद लेना चाहती हो, क्या तुम अजय का लंड अपनी चूत में डलवाकर उससे अपनी चुदाई करवाना चाहती हो? तो मेनका थोड़ी देर तक सोचने के बाद रंजन के गले में अपनी बाहों को डालकर उसकी छाती से अपने बूब्स को रगड़ते हुए बोली क्यों नहीं? अगर दूसरे मर्द के साथ किरण अपनी चूत चुदवा सकती है और यह किरण के लिए ठीक है तो मुझे क्यों फ़र्क पड़ना चाहिए? हाँ में भी अजय के लंड से अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ और में यह भी देखना चाहती हूँ कि रंजन का लंड कैसे किरण की चूत मे घुसता है और निकलता है और कैसे किरण अपनी चूत रंजन से चुदवाती है? आज में भी किरण की तरह छिनाल बनना चाहती हूँ और किसी दूसरे मर्द का लंड अपनी चूत में डलवाना चाहती हूँ और यही हम लोगों की अदला बदली चुदाई का आगाज़ था। फिर मेनका के मुहं से यह सभी बातों को सुनकर रंजन ने अपना लंड मेनका की चूत से बाहर खीँच लिया और वो अजय से कहने लगा, चल अब हम अपनी अपनी पत्नी को बदलकर उनकी चूत को चोदने का सबसे अद्भुत मज़ा लेते है। अब रंजन के मुहं से यह बात सुनकर अजय ने भी अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और वो मेनका की तरफ बढ़ गया और रंजन भी अपने हाथ से अपना लंड पकड़कर मेरे पास आ गया, रंजन मेरे पास आकर मेरी जांघो के बीच झुकते हुए उसने पहले मेरी चूत पर एक जोरदार चुम्मा दिया और फिर अपने लंड का टोपा मेरी कुलबुलाती हुई चूत के मुहं पर रख दिया और एक धक्के के साथ अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया। फिर मैंने भी जोश में आकर अपनी कमर को उठाकर रंजन का पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में डलवा लिया। उसके बाद अपनी चूत में रंजन का लंड लेते हुए मैंने अजय को भी मेनका की चूत में उसका लंड डालकर मेनका की चुदाई शुरू करते हुए देखा। उस समय अजय और मेनका दोनों ही बड़े जोश के साथ एक दूसरे को धक्के देकर चोद रहे थे, जितना तेज़ी से अजय अपना लंड मेनका की चूत में डालता उतनी ही तेज़ी से मेनका भी अपनी कमर को उठाकर अजय का लंड अपनी चूत में ले रही थी।
दोस्तों में आज पहली बार एक नया लंड अपनी चूत में लेकर बहुत खुश थी और में बड़े मज़े से रंजन का लंड अपनी चूत में डलवा रही थी, रंजन का लंबा लंड मेरी चूत के बहुत अंदर तक जा रहा था और मुझे रंजन की चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा था और रंजन भी मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए मुझे तेज गति में धक्के देकर चोद रहा था और उस समय में बार बार अजय के मोटे लंड को मेनका की चूत में आता जाता देख रही थी। अब अजय भी मेरी चूत को रंजन के लंड से चुदते हुए बिना किसी परेशानी के देख रहा था और मेनका भी रंजन के लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर होते हुए देख रही थी और रंजन सिर्फ़ मेरी बिना झांटो वाली चिकनी चूत को देखकर उसको मज़े से चोदने में अपना पूरा ध्यान लगाए हुए था। उस समय मुझे लगा कि में इस दुनिया में अपने पति को अपनी सबसे चहेती सहेली को चोदते हुए देखने का सुख बड़ा ही अलग हटकर है और तब जब में खुद भी उसी बिस्तर पर अपनी उस सहेली के पति से सबके सामने खुल्लमखुल्ला अपनी चुदाई करवा रही थी। अब उस कमरे में हमारी चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी और मेनका अपनी चूत में अजय का लंड डलवाते हुए हर एक धक्के के साथ आह्ह्ह्ह आह्ह्ह ऊफ्फ्फ कर रही थी और वो बोल रही थी, वाह अजय तुम क्या मस्त चोद रहे हो, हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे बहुत दिनों के बाद आज मेरी इच्छा से चुद रही हूँ, वाह क्या मस्त लंड है तुम्हारा, मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी चूत आज फट जाएगी, लेकिन तुम अब रुकना मत, तुम मुझे आज बहुत चोदो और चोद चोदकर मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।

अब अजय भी मेनका के बूब्स को दबाते हुए अपनी कमर को उठा उठाकर मस्त जोश में आकर मेनका को चोद रहा था और वो बोल रहा था, वाह मेरी चुदक्कड़ रानी आज तक तूने रंजन का लंड खाया है, आज तुझे में अपने लंड से चोद चोदकर तेरी चूत का सारा हुलिया आकार बदल दूँगा, आज तेरी चूत की खैर नहीं और इधर रंजन मेरी चूत को तेज धक्के देकर चोदते हुए बोल रहा था, वाह मेरी जान तुम इतने दिन पहले मुझसे अपनी चुदाई क्यों नहीं करवाई? आज तू देख में तेरी चूत को कैसे चोदता हूँ? यह तेरी चूत मेरे लंड के लिए ही बनी है और आज के बाद तू सिर्फ़ मुझसे ही अपनी चुदाई के मज़े लेना, यह ले मेरे लंड की रानी ले मेरे लंड की ठोकर खा अपनी चूत के अंदर, क्यों तुझे मज़ा आ रहा है कि नहीं मेरी जान बोल ना, बोल कुछ तो बोल तू चुप क्यों है? अब पूरे कमरे में बस पक पक फचक फच की आवाज़ गूँज रही थी, तभी अचानक से रंजन ने मुझे चोदते चोदते अचानक से चोदना बंद कर दिया और अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकालकर मुझे पलंग से उठने के लिए बोला और जैसे ही में पलंग से उठी तो रंजन झट से मेरी जगह पर लेट गया और मुझे अपने ऊपर खींचकर मुझसे उसके ऊपर आकर चुदने के लिए बोला। उस समय में तो पहले से ही बहुत गरम थी और इसलिए में तुरंत रंजन की कमर के दोनों तरफ अपने पैरों को रखकर रंजन के लंड को अपने हाथों से पकड़कर मैंने उसके टोपे पर एक चुम्मा दिया और फिर में रंजन के ऊपर चड़ गयी और अपने हाथों से रंजन का लंड पकड़कर अपनी चूत के छेद से मिला दिया।
फिर रंजन ने भी नीचे से मेरे दोनों बूब्स को अपने हाथों से पकड़कर उनको दबाते हुए नीचे से अपनी कमर को उठाकर उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया। फिर मैंने रंजन के ऊपर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए पीछे मुड़कर देखा कि अजय ने भी अब मेनका की चूत मारने का आसान बदल लिया है और वो अब मेनका को अपने सामने घोड़ी बनने के लिए कहा और उसके बाद अजय ने मेनका के बड़े आकार के कूल्हों को पकड़कर उसके पीछे से अपने लंड को एक जोरदार धक्के के साथ पूरा अंदर डालकर चुदाई करना शुरू किया। अब मेनका घोड़ी बनकर अजय के धक्कों का जवाब देने लगी थी और वो अपने कूल्हों को हर एक धक्के के साथ साथ आगे पीछे करने लगी और इधर में भी रंजन के ऊपर तेज़ी से ऊपर नीचे होकर रंजन को चुदाई का मज़ा देने लगी। थोड़ी ही देर के बाद हम चारों एक साथ झड़ गये और झड़ते समय रंजन ने मुझे अपने से चिपका लिया और अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में डालकर अपना पूरा का पूरा वीर्य उसने मेरी चूत की गहराइयों में छोड़ दिया और उधर अजय ने भी मेनका को अपने से चिपकाकर मेनका की चूत को अपने लंड के गरम वीर्य से भर दिया। दोस्तों झड़ते समय में और मेनका ने अपने हाथों से रंजन और अजय को अपने से सटा लिया था और जैसे ही चूत के अंदर लंड का वो सेलाब आया तो हमारी चूत ने भी अपना अपना पानी छोड़ दिया। फिर कुछ देर बाद हमारा जोश ठंडा होता चला गया, जिसके बाद जाकर हमें होश आया और हम सभी एक ही पलंग पर वैसे ही लेटे हुए कुछ देर पहले चले और उस काम के बारे में सोच सोचकर मन ही मन खुश होने लगे ।।
धन्यवाद