बॉस की खूबसूरत पत्नी को ऑफिस में चोदा

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मेरा नाम सोहन है मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूं,  मैं एक फाइनेंस कंपनी में काम करता हूं और मेरी उम्र 35 वर्ष है। मेरी शादी को 7 वर्ष हो चुके हैं। मेरी पत्नी का नाम आशा है, मेरी शादी को 7 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 7 वर्षों का मुझे पता नहीं चला की कैसे समय बीत गया। इस दौरान कई बार हमारे जिंदगी में उतार-चढ़ाव आये और कई ऐसे पल भी थे जब हम दोनों एक साथ में होते हुए भी खुश नहीं थे। कभी हम दोनों के बीच में बहुत प्यार उमड़ पड़ता और कभी छोटे मोटे झगड़े होते रहते थे, ऐसे ही जिंदगी के 7 वर्ष बीत गए। मुझे मालूम भी नहीं पड़ा और मैं अपने काम में ही व्यस्त रहता था परंतु मैं जिस कंपनी में नौकरी कर रहा था वहां से मुझे किसी कारणवश नौकरी छोड़नी पडी इसलिए मैं पिछले दो महीने से घर पर ही हूं। मुझे कहीं भी कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही थी इसीलिए मैं घर पर था। मेरी सेविंग से ही मैं घर का सारा खर्चा चला रहा था।

मैंने अपने जितने भी परिचित थे उन सब को अपने डिटेल भेज दी थी लेकिन अभी तक कहीं से भी कोई अच्छी कंपनी का मुझे ऑफर नहीं आया था। एक दिन मुझे कंपनी से नौकरी का ऑफर आया, मैं उस दिन वहां इंटरव्यू देने के लिए चला गया। जब मैं इंटरव्यू देने के लिए गया तो मुझे काफी वर्षों का तजुर्बा था इसलिए मुझे उम्मीद थी कि मेरा यहां पर सिलेक्शन जरूर हो जाएगा। मैं जब उस कंपनी के मालिक से मिला तो उनकी उम्र भी मेरे जितने ही थी, उनके साथ में उनकी पत्नी भी बैठी हुई थी, उन दोनों ने ही मेरा इंटरव्यू लिया और उसके बाद उन्होंने मुझे अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया। मैंने वह कंपनी ज्वाइन कर ली और मैं उनके साथ ही काम करने लगा। मुझे काम करते हुए काफी समय हो गया था और मैं उन्हें अच्छा रिजल्ट भी दे पा रहा था, जिस वजह से वह लोग बहुत खुश थे। हमारे बॉस का नाम ललित है और उनकी पत्नी का नाम पारुल है। वह दिनों नेचर में भी बहुत अच्छे हैं और बहुत ही शांत स्वभाव के हैं,  परन्तु कभी किसी से ऑफिस में यदि गलती हो जाती है तो वह दोनों ही उसे बहुत डांटते हैं क्योंकि वह काम को लेकर बहुत ही सीरियस हैं और काम में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं चाहते।

ललित सर और पारुल मैडम से मेरी ज्यादा बातचीत नहीं होती थी, सिर्फ काम को लेकर ही हमारी बात होती थी। मुझे जितना भी टारगेट दिया जाता था मैं वह पूरा कर दिया करता था इसलिए समय पर मुझे सैलरी मिल जाती थी। मैं अपने काम से ही ज्यादा मतलब रखता था और ऑफिस में मुझे ज्यादा किसी के साथ मतलब नहीं रहता था। एक दिन मैं ललित सर के केबिन में बैठा हुआ था और उनसे काम के बारे में ही डिस्कस कर रहा था, वह मुझे काफी सारी चीजें समझा रहे थे कि काम को किस प्रकार से आगे बढ़ाया जाए क्योंकि वह लोग सोच रहे थे कि हम लोग काम को और बढ़ाएं, उसी समय पारुल मैडम भी आ गई। जब मैडम आई तो मैं अपनी सीट से खड़ा हुआ और उन्होंने मुझे कहा कि आप बैठ जाइए। अब हम तीनों ही बैठकर बातें कर रहे थे, पारुल मैडम मुझे कहने लगे कि तुम बहुत ही अच्छे से काम कर रहे हो। हम लोग तुम्हारे काम से बहुत खुश हैं। उसके बाद हम लोगों ने आगे की प्लानिंग बनाई कि किस प्रकार से हमें काम को और ज्यादा बढ़ाना है क्योंकि वह लोग चाहते हैं कि हम दूसरी जगह भी अपने ऑफिस खोलें और यदि मैं वह टारगेट पूरा कर पाया तो उस ऑफिस में मैं ही मैनेजर बनकर जाने वाला था। यह बात उन्होंने मुझे कह दी थी इसीलिए मैं अपना सौ प्रतिशत दे रहा था। अब मैं अपने काम को और भी ज्यादा सीरियस होकर कर रहा था। मैंने और मेरी टीम ने उस पर बहुत मेहनत की और तब जाके हम लोग वह टारगेट अचीव कर पाए, जिससे की ललित सर और पारूल मैडम बहुत खुश हुए। उन्होंने मुझे एक अच्छा इंसेंटिव भी दिया और नया ऑफिस खोलने की बात भी कि। मैं बहुत खुश हो गया और मैं इस बात से भी खुश था कि अब मैं मैनेजर के पद पर काम करने वाला हूं।

उन्होंने नये ऑफिस के लिए जगह भी देख ली थी, वह मुझे अपने साथ ले गए और कहने लगे कि यह लोकेशन कैसी है, मैंने उन्हें कहा कि यहां पर अच्छा है और हम लोगों ने वह जगह फाइनल करने के बाद वहां पर ऑफिस का काम शुरू करवा दिया। मैं भी दो तीन बार उस ऑफिस का काम देखने के लिए गया और जब ऑफिस का काम पूरा हो गया तो उसके बाद वहां पर हम लोगों ने काम करना शुरू कर दिया। ललित सर और पारुल मैडम कहने लगे कि तुम लोगों ने बहुत ही अच्छे से काम किया है इसलिए हम लोग अपने नए ऑफिस खोलने की खुशी में और वह टारगेट पूरा करने की खुशी में एक पार्टी अरेंज करवा रहे थे, जिसमें कि हमारे ऑफिस के सारे लोगों को इनवाइट किया था। उन्होंने एक बड़े होटल में पार्टी रखवाई थी और जब हमारे ऑफिस के सब लोग वहां गए तो वह बहुत खुश थे। ललित सर ने सब को कुछ ना कुछ गिफ्ट दिया और कहने लगे कि यह आप लोगों की वजह से ही संभव हो पाया है कि हम लोग दूसरी जगह अपना ऑफिस खोल पाए हैं। उनके साथ जितने भी लोग काम करते हैं वह उनकी बहुत ही तारीफ करते हैं और कहते हैं कि वह दोनों ही बहुत मेहनती हैं और अपने काम के प्रति बहुत सीरियस हैं। मुझे भी ललित सर और पारुल मैडम के साथ काम कर के बहुत अच्छा लगा क्योंकि वह जिस प्रकार से अपने एंप्लॉय से बात करते है मुझे बहुत अच्छा लगता है।  मैं अपने प्रमोशन से भी बहुत खुश था और अब मैं अपना काम भी अच्छे से कर रहा था। उस दिन हम लोगों ने पार्टी में बहुत ही इंजॉय किया और सब लोग बहुत खुश थे। मेरे साथ ललित सर और पारुल मैडम भी बैठे हुए थे।

वह लोग उस दिन मेरे घर के बारे में भी पूछने लगे क्योंकि हमारी ऑफिस में कभी भी इस बारे में बात नहीं हुई थी। मैंने उन्हें बताया कि मेरी शादी को 7 वर्ष हो चुके हैं और मेरी पत्नी घर पर ही रहती हैं, वह घर का काम संभालती हैं। ललित सर का नेचर बहुत ही अच्छा है और मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है हालांकि उनकी उम्र मेरी जितनी है लेकिन उन्होने अपने जीवन में बहुत मेहनत की है जिसकी बदौलत वह सब कर पाए हैं। मैं उनसे कहने लगा कि सर आपने अपना काम कब शुरू किया था, वह कहने लगे कि मैंने 5 साल पहले जब मैंने कंपनी शुरू की थी तो उस वक्त मेरी कंपनी की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, मैं अकेले ही काम कर रहा था और उसके बाद मैंने धीरे धीरे काम को बढ़ाना शुरू किया। कई बार काम में उतार-चढ़ाव आए लेकिन फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैंने एक अच्छी कंपनी से रिजाइन दिया था यदि मैं उस वक्त रिजाइन नही देता तो शायद मैं कभी भी आगे काम नहीं कर पाता, उसके बाद पारुल ने भी मेरा बहुत साथ दिया और हम दोनों साथ मिलकर ही इस कंपनी को इतना आगे बड़ा पाए, उसके बाद धीरे-धीरे हमारे साथ सब लोग जुड़ते गए और आज कंपनी एक अच्छे मुकाम पर है। जब उस दिन पार्टी खत्म हो गई तो सब लोग अपने घर चले गए। मैं भी घर लौट रहा था तो मैं सोच रहा था कि उन दोनों ने बहुत ही मेहनत की है जिस वजह से वह लोग इतना आगे बढ़ पाए हैं, मैं भी अपने जीवन में इतनी मेहनत करू तो शायद मैं भी उनकी तरह बन पाऊंगा। मैं अब नए ऑफिस का काम संभाल रहा था और काम भी बहुत अच्छे से कर पा रहा था। हमें जितना भी टारगेट मिलता था, वह हम लोग पूरा कर लेते थे और कभी ललित सर हमारे ऑफिस में आते थे और कभी पारुल मेडम ऑफिस में आ जाती थी। वह हमसे काम की डिटेल लेती थी कि काम कितना आगे बढ़ा है। एक दिन हमारे ऑफिस में पारुल मैडम आई हुई थी और मैं अपने केबिन में ही बैठा हुआ था। वह भी मुझसे सारे काम की जानकारी ले रही थी और मैं भी उन्हें सारी जानकारी दे रहा था। हम दोनों ही साथ में बैठे हुए थे तभी मेरे हाथ से पैन गिर गया। जब मैंने पैन को उठाया तो उनकी स्कर्ट में से उनकी योनि दिखाई दे रही थी और मैंने पैन को उनकी गांड पर चुभा दिया और वह उछल पड़ी।

मैंने उन्हें कहा कि गलती से आपकी गांड पर पैन लग गया लेकिन वह समझ चुकी थी। उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और हिलाना शुरू कर दिया। उन्होंने वह फाइल साइड में रख दी और मेरे लंड को अपने मुंह में लेना शुरू कर दिया। वह बहुत अच्छे से मेरा लंड को अपने मुंह में ले रही थी जिससे कि मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और उन्हें भी बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। उन्होंने काफी देर तक मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने जारी रखा जिससे कि मेरा पानी बाहर आने लगा। मैंने भी उनकी स्कर्ट को उतार दिया उन्होंने  अंदर से कुछ भी नहीं पहनी हुई था उनकी योनि पर एक भी बाल नहीं था। वह अपने दोनों पैरों को खोल रही थी और मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी। मैंने उनकी योनि को बहुत अच्छे से चाटना शुरू किया जिससे कि उनकी योनि से पानी बाहर आने लगा था और मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि में घुसा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा और मैं पारुल मैडम को बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा। वह मुझे कहने लगी तुम तो बहुत ही अच्छे से मेरी चूत मार रहे हो। मैंने उनकी शर्ट को भी खोल दिया और उनके गोरे और मुलायम चूचो को अपने मुंह में ले लिया। उसके बाद मैंने  उन्हें घोड़ी बना दिया और मैंने अपने लंड को उनकी योनि में डाला तो उन्हें बहुत अच्छा महसूस होने लगा। वह भी अपनी चूतडो को मुझसे मिला रही थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी। उनकी चूतडे लाल हो चुकी थी मै उनकी चूत की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाया और वह झड गई मेरा भी वीर्य उनकी योनि में गिर गया। उसके बाद जब भी पारूल मैडम आती है तो मैं हमेशा ही उन्हें चोदता हूं।