मेरा नाम सुनीता है मैं दिल्ली में रहती हूं, मेरी शादी को 3 वर्ष हो चुके हैं और मेरे पति एक अच्छी कंपनी में नौकरी करते हैं। मेरी उम्र 27 वर्ष है। मेरे पति का नाम रोशन है, हम दोनों की शादी को 3 वर्ष हो चुके हैं लेकिन हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल भी खुश नहीं है। मेरा व्यवहार बिल्कुल ही शांत और साधारण है परंतु मेरे पति मुझ पर बहुत ही गुस्सा करते हैं। मेरी और उनकी मुलाकात एक शादी के दौरान हुई थी। मेरे पति बचपन से ही दिल्ली में रहे हैं और उनका परिवार भी पहले से ही दिल्ली में रहता है इसलिए वह गांव में बहुत कम आते हैं परंतु वह अपने एक रिश्तेदार की शादी में गांव आए हुए थे, मैं भी उस शादी में गई हुई थी क्योंकि वह शादी हमारे गांव में ही थी।
जब मेरे पति की मां ने मुझे देखा तो वह मुझे देखकर बहुत खुश हुई और उन्होंने मेरे रिश्ते के लिए मेरे पिताजी से बात की। मेरे पिताजी भी मना नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें एक बहुत अच्छा रिश्ता मिल रहा था इस वजह से उन्होंने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी और उसके बाद हम दोनों के परिवार वालों ने हमारा रिश्ता तय कर दिया। जब वह मुझसे मिलने के लिए आए तो मैं बहुत ही शर्मा रही थी लेकिन वह मुझसे खुलकर बात कर रहे थे और मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी उनसे बात करने की कोशिश करू लेकिन मैं बहुत शर्मा रही थी इसलिए मैंने उस वक्त उनसे बिल्कुल भी बात नहीं की और वह मुझसे कहने लगे कि तुम मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं कर रही हो, मैंने उन्हें कहा कि मेरी शर्माने की आदत है इस वजह से मैं आपसे बात नहीं कर पा रही हूं लेकिन मेरे पति मुझसे खुलकर बात कर रहे थे, उस दिन मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की और फिर वह वापस दिल्ली चले गए। जब वह दिल्ली गए तो वह वहां से भी मुझे फोन किया करते थे, मैं उनसे ज्यादा बात नहीं कर पाती थी लेकिन हम दोनों का रिश्ता हो चुका था। जब हम दोनों की सगाई हुई तो उस वक्त मैं बहुत खुश थी क्योंकि मुझे लग रहा था की मेरे पति मेरा बहुत ही ख्याल रखेंगे और अब हमारी शादी होने वाली थी।
जब हमारी शादी हुई तो उस वक्त हमारे सारे रिश्तेदार आए हुए थे। मेरे पिता जी से जितना हो सकता था उन्होंने शादी में खर्चा किया और शादी बहुत ही अच्छे से हुई। मेरी मां भी इस रिश्ते से बहुत ही खुश थी। मेरी दो छोटी बहनें हैं इसी वजह से मेरे पिताजी ने मेरी शादी करवा दी क्योंकि उनके ऊपर बहुत बोझ है और वह जितनी जल्दी हो सके मेरी दोनों बहनों की भी शादी करवाना चाहते हैं। मेरे पति का व्यवहार बिल्कुल बदल चुका है। पहले भी वह मुझसे अच्छे से बात नही करते थे लेकिन अब तो कुछ ज्यादा ही वह मुझसे झगड़ा करते हैं। मेरी सास में भी उन्हें कई बार समझाया लेकिन वह किसी की बात भी नहीं सुनते और सिर्फ मुझ पर गुस्सा करते हैं। जब मैं उनसे पूछती हूं कि आप मुझ पर इतना गुस्सा क्यों करते हैं, तो वह मुझे कहने लगते हैं कि तुम अभी तक बिल्कुल भी नहीं बदली हो, अब तुम शहर में आ चुकी हो तो शहर के तरीके से तुम्हें रहना चाहिए, अब भी तुम्हारे अंदर वही गांव वाली आदतें हैं। जब भी वह मुझे अपने दोस्तों से मिलाने लेकर जाते हैं तो मैं उनसे ज्यादा खुलकर बात नहीं कर सकती क्योंकि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता लेकिन मेरे पति चाहते हैं कि जैसे उनकी पत्नियां खुलकर बात करती हैं मैं भी उसी प्रकार से उनके दोस्तों से बात करूं, परंतु मुझसे उन लोगो से बिल्कुल भी बात नहीं हो पाती इसी वजह से वह मुझ पर बहुत गुस्सा होते हैं और कहते हैं कि तुम अपनी आदतों को बिल्कुल भी नहीं बदल रही हो, तुम अपनी आदतों को नहीं बदलोगी तो मुझे ही इसका कोई विकल्प देखना पड़ेगा। जब वह मुझसे इस प्रकार से बात करते हैं तो मुझे उनकी बात बहुत बुरी लगती है लेकिन मैं उन्हें ज्यादा कुछ नहीं कहती। वह मुझसे हमेशा ही उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं की मैं खुद को बदलूंगी लेकिन मैंने उन्हें कई बार कह दिया है कि मुझसे आप इतनी उम्मीद मत लगाइए क्योंकि मैं ज्यादा खुलकर नहीं बात कर सकती हूं, ना ही मैं इतनी ज्यादा पढ़ी लिखी हूं।
उनकी उम्मीदे मुझसे बहुत ज्यादा है लेकिन मैं उनकी उम्मीदों पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतर पा रही हूं, वह जिस प्रकार मुझसे बात करते हैं मुझे लगता है कि क्यों ना मैं उन्हें समझाने की कोशिश करूं। मैं अब तक उन्हें समझाने की कोशिश कर रही हूं परंतु उन्हें बिल्कुल भी किसी चीज का फर्क नहीं पड़ता और ना ही वह मुझसे अच्छे से बात करते हैं। एक बार हम मेरे पति के चाचा के यहां चले गए, वह लोग भी दिल्ली में ही रहते हैं लेकिन वह हमारे घर पर बहुत कम आते हैं लेकिन हम लोग काफी दिनों बाद उनके घर पर गए थे। जब हम उनके घर गए तो वह लोग हमसे मिलकर बहुत खुश हुए और कहने लगे कि तुम लोग इतने समय बाद हमारे घर पर आ रहे हो, यह तो बहुत खुशी की बात है। उन्होंने उस दिन हमारी बहुत खातिरदारी की और हम लोग उस दिन उनके घर पर रुक गए क्योंकि मेरे पति, मेरे चाचा की बहुत इज्जत करते हैं और जो भी वह कहते हैं वह उनकी बात तुरंत ही मान लेते हैं इसीलिए मेरे पति मुझे कहने लगे कि तुम उनके सामने मेरी बिल्कुल भी बेज्जती मत करवा देना। मैं कोशिश करती हूं कि मैं अपने आपको बदल पाऊं लेकिन उन्होंने कभी भी मुझे समझा नहीं और ना ही मुझसे अच्छे से बात की इसलिए मैं अपने आप को कभी बदल ही नहीं पाई। मैंने कई बार कोशिश की, कि मैं उनके दोस्तों की पत्नी की तरह बन पाऊँ जो उनके ऑफिस में काम करते हैं परंतु मैं अपने अंदर बिल्कुल भी बदलाव नहीं ला पाई।
मेरे अंदर जो संस्कार बचपन से हैं वही मेरे अंदर अब भी हैं, जब हम लोग उनके चाचा के यहां पर बैठे हुए थे तो उस दिन उनका लड़का भी घर आया हुआ था, उनके लड़के का नाम अमित है और वह बेंगलुरु में एक अच्छी कंपनी में नौकरी करता है। वह घर बहुत भी कम आता है लेकिन उस दिन वह घर आया हुआ था। जब अमित हम लोगों से मिला तो वह बहुत खुश हुआ और कहने लगा कि चलो आपने यह तो बहुत अच्छा किया कि आप इतने समय बाद हमारे घर आ गए और मैं अभी कुछ दिनों के लिए घर पर ही हूं। वह मेरे पति से मिला तो बहुत खुश हो गया। वह दोनों बैठकर बातें कर रहे थे और मैं उनकी बातें बैठकर सुन रही थी। चाचा जी भी अपने कमरे में जा चुके थे चाची भी उनके साथ ही उनके कमरे में बैठी हुई थी लेकिन मैं अमित और रोशन आपस में बहुत देर तक बात कर रहे थे। अमित मुझसे पूछने लगे की भाभी आपको रोशन खुश भी रखते हैं या नहीं। मैंने उन्हें मुस्कुराते हुए कहा कि रोशन मेरा बहुत ही ध्यान रखते हैं और मुझे बहुत प्रेम करते हैं लेकिन मैं दिल ही दिल जानती थी कि वह मुझसे कितना ज्यादा प्रेम करते हैं। अमित बहुत ही सुंदर और समझदार लड़का हैं इसलिए मैं उनकी बहुत इज्जत करती हूं। मैंने उनसे कहा कि आप भी कभी हमारे घर पर आइए, आप तो हमारे घर आते ही नहीं हैं। अमित कहने लगा कि मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता, मैं घर भी बहुत कम दिनों के लिए आता हूं इसी वजह से मैं ज्यादा किसी से संपर्क नहीं रख पाता। मेरे पति और मैं साथ में ही थे और अमित भी हमारे साथ में ही बैठा हुआ था। मेरे पति कहने लगे कि मैं अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूं, तुम लोग बैठ कर बात करो। मैंने उनसे कहा आप अभी कहां जा रहे हैं लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और वह अपने दोस्त के घर चले गए। अब मैं और अमित साथ में बैठ कर बात कर रहे थे और चाचा चाची कमरे में सो रहे थे। मैं और अमित साथ में बैठ कर बात कर रहे थे।
अमित मुझसे पूछने लगा क्या आप रोशन भैया के साथ खुश हैं। मैंने उसे बताया कि हम दोनों एक साथ बिल्कुल भी खुश नहीं है और ना तो वह मुझसे प्यार करते हैं तुमने तो देख ही लिया होगा वह इस प्रकार से अपने दोस्त के घर चले गए क्या यह उचित है। वह मुझे समझाने लगा और मेरे पास आकर बैठ गया। जब वह मेरे पास आकर बैठा तो मैंने उसे पकड़ लिया। अमित ने भी मुझे बहुत कस कर अपनी बाहों में ले लिया हम दोनों ही गर्म हो चुके थे। वह मुझे अपने रूम में ले गया जब वह मुझे अपने रूम में ले गया तो उसने मेरी साड़ी के ऊपर करते हुई मेरी योनि को चाटना शुरू कर दिया उसने मेरी योनि से पानी निकाल दिया। मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेना शुरू कर दिया और बहुत देर तक मैं उसके लंड को चूसती रही मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। अमित ने मुझे घोडी बना दिया जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत मे डाला तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। कितने समय बाद किसी ने मेरी चूत मे अपने डाला को डाला है। जब वह मुझे धक्के मारता तो मेरे मुंह से सिसकियां निकल जाती मैं उसका पूरा साथ देती। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मुझे चोदे जा रहा था और मैं उसका पूरा साथ दे रही थी। अमित भी बहुत खुश था वह कह रहा था कि आपकी चूत तो बहुत ही टाइट है मुझे आपकी चूत मारने में बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे भी उससे अपनी चूत मरवाने मे मजा आ रहा था। मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा जब मैं अपनी चूतडो को उस से मिलाती। हम दोनों की ही रगडन से जो गर्मी पैदा हो रही थी वह मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मैं अपनी गांड को अमित के लंड से मिला रही थी। अमित का लंड इतना मोटा था कि वह मेरे पेट के अंदर तक जा रहा था और मेरी योनि में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। मुझे बहुत अच्छा भी महसूस हो रहा था वह जिस प्रकार से मुझे धक्के दिया जा रहा था। जब हम दोनों की गर्मी बहुत बढ गई तो अमित का वीर्य मेरी योनि के अंदर ही गिर गया हम दोनों ही बहुत खुश हो गए। मैंने अपनी साड़ी को नीचे किया और उसके बाद हम दोनों बाहर हॉल में आकर बैठ गए तब तक रोशन भी वापस आ चुके थे। उसके बाद अमित ही मेरी इच्छाओं को पूरा करता है।