घर की शिफ्टिंग के दौरान

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मेरा नाम प्रिया है मैं पानीपत की रहने वाली हूं, मेरी उम्र 27 वर्ष है और मैं दिल्ली में जॉब करती हूं। मैं एक कंपनी में नौकरी करती हूं, उस कंपनी में मुझे काम करते हुए दो वर्ष हो चुके हैं। मुझे दिल्ली आए हुए 3 वर्ष हो चुके हैं और मैंने इन 3 वर्षों में दो कंपनियां बदल ली हैं और यहां पर मुझे अच्छी तनख्वाह मिल रही है इसलिए मैं यहीं पर काम कर रही हूं। यब कंपनी मेरे घर के पास ही है। मैंने जहां पर अपना घर लिया हुआ है उससे कुछ दूरी पर ही मेरा ऑफिस है इसलिए मुझे आने जाने में कोई भी दिक्कत नहीं होती। मेरे साथ मेरी रूम पार्टनर रहती है, उसका नाम रंजना है। उसका व्यवहार भी अच्छा है परंतु कुछ दिनों से वह मुझसे बहुत ही गलत तरीके से बात कर रही है। मैं फिर भी कोशिश करती हूं कि मैं अर्जेस्ट करूं लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि शायद मुझसे उसके साथ एडजेस्ट नहीं हो पाएगा।

मेरी मुलाकात रंजना से दिल्ली में ही हुई थी, हम दोनों साथ में अच्छे से रहते थे परंतु अब धीरे-धीरे उसका व्यवहार मेरे प्रति बदलने लगा है। मैंने उससे इस बारे में बात भी की लेकिन वह मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं करती और हमेशा ही मुझे उल्टा जवाब दे देती है, इसीलिए मैं जब भी घर जाती हूं तो मैं अपने कमरे में ही बैठी रहती हूं और अपने कमरे से ही काम करती हूं, यदि मुझे ऑफिस का कोई काम करना होता है तो मैं अपने रूम से ही काम करती हूं। रंजना और मेरी बात बहुत कम होती है लेकिन जिस दिन छुट्टी होती है उस दिन वह भी घर पर ही रहती है और उस दिन वह अपना सारा काम करती है इसीलिए उस दिन उससे मेरी मुलाकात हो जाती है। उसके और मेरे बीच में पहले बहुत अच्छा रिलेशन था परंतु अब वह बिल्कुल बदल चुकी है क्योंकि उसने एक बार मुझसे कुछ पैसों को लेकर मदद मांगी थी, मैंने उसे कुछ पैसे दिए थे और उसने मुझे कहा था कि मैं कुछ समय बाद तुम्हें पैसे लौटा दूंगी लेकिन उसने अभी तक मुझे वह पैसे नहीं लौटाए हैं इसी वजह से मैंने उसे एक दो बार कहा भी कि मुझे पैसों की आवश्यकता है यदि तुम मुझे वह पैसे लौटा दो तो मैं अपने घर पर कुछ पैसे भिजवा दूंगी।

वह मुझे कहती रही कि मैं कुछ दिनों बाद तुम्हारे पैसे तुम्हें दे दूंगी लेकिन उसने अभी तक मुझे मेरे पैसे नहीं दिये। एक दिन मैंने उसे कह दिया कि मुझे पैसो की बहुत आवश्यकता है, उस दिन उसे मेरी बात का बुरा लग गया और उसके बाद से उसका व्यवहार मेरे प्रति बिल्कुल बदल गया है इसीलिए मैं अब सोचने लगी हूं कि मैं कहीं और शिफ्ट कर लूंगी। मेरे ऑफिस में ही एक लड़का है उसका नाम महेश है,  वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है और हमेशा ही मेरी मदद करता है। ऑफिस में सबसे ज्यादा मेरी उसी के साथ बात होती है और वह मुझे हमेशा ही समझाता है कि तुम लोगों पर इतनी जल्दी भरोसा मत कर लिया करो क्योंकि उसे यह बात पता है कि मैंने रंजना को पैसे दिए थे लेकिन उसने मुझे अभी तक वह पैसे नहीं लौटाए हैं। वह भी कभी कबार मेरे घर पर आ जाता है इसीलिए उसे हम दोनों के बारे में सारी जानकारी है। उसने भी इस बारे में कई बार रंजना से बात की लेकिन उसके बावजूद भी रंजना ने वह पैसे मुझे नहीं लौटाए। महेश हमेशा ही मुझे बहुत समझाता रहता है और कहता है कि तुम ऐसे ही किसी पर भी भरोसा मत कर लिया करो। मैंने उससे जब इस बारे में बात की,  कि मेरी और रंजना कि अब बिल्कुल भी बन नहीं रही है इसीलिए मैं सोच रही हूं कि मैं कहीं और शिफ्ट हो जाऊं। महेश मुझे कहने लगा तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे लिए कहीं अच्छी जगह देख लेता हूं। महेश दिल्ली का ही रहने वाला है, उसने मुझे कहा कि मैं अपने घर के आस पास नहीं पर तुम्हारे लिए रहने के लिए अच्छी जगह देख लेता हूं। मैंने उसे कहा ठीक है तुम मेरे लिए कोई ऐसी जगह देख लेना जहां पर मैं कंफर्टेबल हो कर रह सकू, क्योंकि अब मैं अकेले ही रहना चाहती हूं। मैं नहीं चाहती कि मैं अब किसी के साथ में रहा हूं इसीलिए यदि तुम मेरे लिए वन रूम किचन देख लो तो मैं उस में एडजस्ट कर लूंगी। उसने मुझे कहा ठीक है मैं तुम्हारे लिए ऐसी कोई जगह देख लेता हूं। महेश मुझे हमेशा ही ऑफिस में भी सपोर्ट करता है और मैं उसे पिछले दो सालों से जानती हूं। जब से मैंने यह ऑफिस ज्वाइन किया है, तब से ही मेरी बातचीत महेश से है और वह दिल का बहुत अच्छा है। आज तक उसने कभी भी मुझे किसी चीज के लिए मना नहीं किया और मुझे जब भी उसकी आवश्यकता होती है तो वह तुरंत ही मेरी हेल्प कर देता है।

कुछ दिनों बाद महेश ने मुझे कहा कि मेरे घर के पास में ही एक वन रूम किचन खाली है। वह लोग मेरे परिचित हैं और तुम्हें वहां पर कोई भी दिक्कत नहीं होगी। मैंने उसे कहा कि तुम मुझे वहां घर दिखा दो, मैं जब महेश के साथ गई तो उसने मुझे वह रूम दिखा दिया। मुझे वह घर बहुत अच्छा लगा क्योंकि वह काफी बड़ा था और मेरे लिए सही भी था। महेश ने मुझे मकान मालिक से भी मिलवा दिया और वह लोग कहने लगे आपको यहां किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि महेश के परिवार से मैं बहुत ही पहले से परिचित हूं। अब मैं और महेश वहां से लौट आए। महेश उस दिन मुझे अपने घर ले गया, मैं उसके घर में सब लोगों को पहले से ही जानती हूं इसीलिए वह लोग मुझसे पूछने लगे कि चलो तुम्हारे रहने का प्रबंध हो गया, यह बहुत अच्छी बात है और अब तुम हमारे पड़ोस में आ गई हो तो तुम्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत होगी तो तुम हमें बता सकती हो। मैंने उसी दिन वहां पर शिफ्ट कर लिया और रंजना से कह दिया कि मैं दूसरी जगह रह रही हूं। उसने मुझे कुछ भी नहीं कहा, उसके बाद मैंने भी उससे ज्यादा बात नहीं की और अपना सामान नए रूम पर शिफ्ट कर दिया।

महेश ने भी मेरी बहुत मदद की। हम दोनों ने उस घर पर शिफ्ट कर दिया और हम दोनों ही उस दिन बहुत थक गए थे। महेश ने मुझे कहा कि तुम मेरे घर चलो और वहां पर ही आज खाना खा लेना। महेश ने मेरे लिए अपने घर पर खाना बनवा दिया और हम लोगों ने साथ में ही खाना खाया। उसके बाद हम लोग वहां से वापस लौट आए, महेश भी मेरे साथ मेरे कमरे में ही बैठा हुआ था। हम लोग घर की सफाई कर रहे थे और अभी भी काफी सामान मेरा बिखरा हुआ था और महेश मेरे साथ बहुत मदद कर रहा था। हम दोनों ही काफी थक गए थे इसलिए हम लोग कुछ देर बैठ गए और बैठकर हम लोग बातें करने लगे। मैं महेश से रंजना के बारे में कह रही थी और मैंने उसे कहा कि रंजना ने आते वक्त भी मुझसे अच्छे से बात नहीं की। महेश मुझे कहने लगा कि कोई बात नहीं यदि वह तुम से बात नहीं करना चाहती तो तुम भी अब उससे बात मत करना और उसके बाद जब हम दोनों ने पूरे घर की साफ-सफाई अच्छे से कर दी तो उसके कुछ देर तक महेश बैठा हुआ था। मैंने उसे कहा कि हम लोग चाय बनाते हैं। मैंने उसके लिए चाय बनाई, फिर हम दोनों बैठ कर चाय पी रहे थे और आपस में बात कर रहे थे। मैंने महेश से कहा कि तुमने मेरी बहुत मदद की, मुझे बहुत अच्छा लगा। वह कहने लगा दोस्ती में इस प्रकार की बातें अच्छी नहीं है। तुमने भी मेरी कई बार मदद की है  लेकिन महेश ने मेरी वाकई में बहुत मदद की थी क्योंकि मुझे जब भी जरूरत पड़ती है तो महेश ही सही समय पर मेरे साथ खड़ा रहता है इसलिए महेश कि मैं बहुत इज्जत करती हूं। महेश और मै बहुत ज्यादा थक चुके थे हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। महेश का शरीर पसीना पसीना हो गया था और मैं भी पूरे पसीने में लथपथ थी इसलिए मेरे स्तन मेरी टी शर्ट से साफ दिखाई दे रहे थे। महेश ने जैसे ही मेरे चूचो पर अपना हाथ रखा तो मैं मचलने लगी और मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैंने भी महेश को कसकर पकड़ लिया और मेरा मूड उस दिन ना जाने क्यों इतना खराब हो गया। उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और काफी देर तक उसने मेरे स्तनों को दबाया।

उसके बाद उसने जैसे ही मेरे होठों को अपने होठों में लेकर चूसा तो मुझे बड़ा आनंद आने लगा मैं उसका पूरा साथ देने लगी। काफी देर ऐसा करने के बाद जब उसने मुझे नंगा किया तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा और मैंने भी महेश की निकर से उसके लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह में समा लिया और बहुत देर तक उसके लंड को चुसती रही। मुझे उसके लंड को चूसने में मजा आ रहा था। कुछ देर मैंने ऐसे ही उसके लंड को सकिंग किया और उसके बाद उसने भी मेरे दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मेरी योनि को चाटना शुरू कर दिया। जब वह मेरी योनि का रसपान कर रहा था तो मेरे अंदर से गर्मी बाहर आ रही थी और मेरी योनि से पूरा पानी बाहर निकलने लगा। काफी देर तक उसने ऐसा ही किया उसके बाद जैसे ही उसने मेरी नरम और मुलायम योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो मैं चिल्ला उठी और मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मेरी चूत से खून निकलने लगा था और उसे भी मजा आने लगा। उसने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मुझे बड़ी तीव्र गति से धक्के देना शुरू कर दिया। वह इतनी तेजी से मुझे झटके दे रहा था मेरा शरीर हिलने लगा और वह मेरे बड़े बड़े स्तनों को मुंह में लेकर चूस रहा था। काफी देर तक उसने ऐसा ही किया उसके बाद उसने मुझे घोड़ी बना दिया। घोड़ी बनाते ही जब उसने अपने लंड को मेरी योनि में डाला तो मुझे बहुत दर्द महसूस होने लगा लेकिन कुछ देर बाद मेरी योनि से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा और मुझे मजा आने लगा। मैं भी अपनी चूतड़ों को महेश से मिलाने लगी और कुछ देर बाद ही उसका वीर्य मेरी योनि के अंदर गिर गया। उसके बाद से महेश और मै हमेशा ही सेक्स करते हैं।