जयपुर घूमने आई लड़की

HOT Free XXX Hindi Kahani

मेरा नाम सौरव है मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं हैंडीक्राफ्ट का काम करता हूं। मेरी जयपुर में ही एक हैंडीक्राफ्ट की दुकान है, मुझे वह काम करते हुए 3 वर्ष हो चुके हैं। मेरे पिताजी और मैं साथ में ही काम करते हैं और हमारे पास से बहुत सारे कस्टमर सामान लेकर जाते हैं। मेरे पिताजी ने हीं यह काम शुरू किया था। पहले वह खुद ही सामान बनाते थे लेकिन अब हम लोग सामान खरीदते हैं और उसके बाद ही हम लोग कस्टमर्स को बेचते हैं। जब मेरे पिताजी को समय मिलता है तो वह कभी कभार खुद ही सामान बना लिया करते हैं। वह हैंडीक्राफ्ट के बहुत अच्छे कारीगर हैं और इसी वजह से उन्हें बहुत अच्छी जानकारी भी है। मैंने भी उनसे थोड़ा बहुत काम सिखा है लेकिन उनकी तरह मुझे पूरा काम नहीं आता, मैं सिर्फ कस्टमर को ही देखता हूं और उन्हें सामान बेचता हूं। जयपुर घूमने के लिए कई विदेशी कस्टमर भी आते हैं और वह भी हमारी दुकान से सामान लेकर जाते हैं।

मैं सब लोगों को अपना विजिटिंग कार्ड देता हूं ताकि वह कभी दोबारा आए तो मुझसे ही सामान लेकर जाएं। मैं सामान का रेट भी बहुत कम रखता हूं इसलिए मेरी दुकान पर काफी कस्टमर आते हैं। एक बार मेरी दुकान पर एक लड़की आई और उसने कुछ सामान खरीदा  तो जब वह मुझे सामना के पैसे दे रही थी तो वह पैसे देने के लिए अपने बैग में अपना पर्स देख रही थी लेकिन उसका पर्स घर ही छूट गया था। उसके पास काफी बड़ा बैग था और वह जिस होटल में रुकी थी उसका पर्स शायद वही छूट गया। वह मुझसे कहने लगे कि आप यह  सामान रख दीजिए क्योंकि मैं पैसे होटल में ही भूल आई हूं। मैंने उसे कहा कि आप यह सामान ले जाइए और जब आप होटल में जाएं तो मुझे आप पैसे देने आजायेगा। वह पहले मना कर रही थी लेकिन जब वह सामान ले गई तो मैंने उसे अपना विजिटिंग कार्ड उन्हें दे दिया और उसने मुझे अपना फोन नंबर दे दिया था। उसका नाम गीतिका है और जब वह अपने होटल में गई तो शाम के वक्त वह मेरी दुकान पर आई और उसने मुझे पैसे दे दिए। जब उसने मुझे पैसे दिए तो वह मुझे कहने लगी कि आपने  मुझ पर इतना भरोसा क्यों किया। मैंने उसे कहा कि आप एक अच्छे घर की लग रही हैं  इसीलिए मैंने आप पर भरोसा किया

उसके बाद वह मेरे साथ काफी देर तक बैठी रही और मैंने उससे उसके बारे में पूछा। वह कहने लगी कि मैं कॉलेज में पढ़ती हूं और दिल्ली की रहने वाली हूं, मैं कुछ दिनों के लिए यहां घूमने आई हुई हूं। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें कितने दिन हो गए जयपुर आए हुए, वह कहने लगी कि मुझे काफी टाइम हो चुका है। मैं अपने कॉलेज से पीएचडी कर रही हूं और मैं राजस्थान के ऊपर प्रोजेक्ट बना रही हूं, इसी वजह से मैं जयपुर आयी हूं क्योंकि जयपुर से सब जगह जाना आसान पड़ता है। मैंने उसे कहा कि यदि तुम्हें मेरी किसी भी प्रकार की मदद की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बेझिझक बता देना। वह कहने लगी ठीक है मुझे जब भी आप की जरूरत पड़ेगी तो मैं आपको जरूर बता दूंगी। उसके पास मेरा नंबर था। उसके बाद वह मेरी दुकान से चली गई और उसने मुझे सामान के पैसे भी दे दिए थे। कुछ दिनों बाद उसका मुझे फोन आया और मुझसे मिलने के लिए आ गई, मैं उस दिन दुकान पर ही था और जब वह मुझसे मिली तो वह मेरे साथ ही बैठी हुई थी। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा प्रोजेक्ट कैसा चल रहा है, वह कहने लगी प्रोजेक्ट तो अच्छा चल रहा है और अब कुछ दिनों बाद मेरा प्रोजेक्ट खत्म भी होने वाला है क्योंकि मैंने लगभग सारी जगह कवर कर चुकी हूं। मैंने गीतिका से कहा कि यदि तुम्हारा प्रोजेक्ट खत्म होने वाला है तो तुम मेरे साथ आज मेरे घर पर ही चलो, मैं तुम्हारे लिए घर पर ही खाना बनवा देता हूं। वह मेरे घर आने के लिए तैयार हो गई और जब वह मेरे साथ मेरे घर आई तो मैंने उसे सब लोगों से परिचय करवाया। वह मेरे घर वालों से मिलकर बहुत खुश हुई  और मेरे घरवालों के साथ उसने अच्छा समय बिताया। उसके बाद जब उसने हमारे घर पर खाना खाया तो वह मेरी मां की बहुत तारीफ करने लगी और कहने लगी कि तुम्हारी मां ने बहुत ही अच्छा और स्वादिष्ट खाना बनाया है।

हम लोग खाते खाते भी काफी बात कर रहे थे। खाना खाने के बाद हम लोग कुछ देर बैठे रहे हैं और उसके बाद गीतिका कहने लगी कि अब मुझे चलना चाहिए। मैं गीतिका को आधे रास्ते तक छोड़ने गया और उसके बाद वह अपने होटल चली गई। जब वह अपने होटल गई तो उसने मुझे होटल से फोन कर दिया और कहने लगी कि मैं होटल पहुंच चुकी हूं। मैंने उसे कहा था कि जब तुम होटल पहुंच जाओ तो मुझे एक बार सूचित कर देना। गीतिका जब दिल्ली वापस जा रही थी तो वह एक दिन पहले मुझसे मिलने आई और कहने लगी कि मैं कल दिल्ली वापस चली जाऊंगी। मैंने उसे कहा कि तुम्हारा प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है, वह कहने लगी हां मेरा प्रोजेक्टर पूरा हो चुका है इसलिए मैं दिल्ली जा रही हूं। उसने मुझे कहा कि तुमने मुझे अपने घर पर बुलाया था इसलिए मैं आज शाम को तुम्हें अपनी तरफ से एक छोटी सी पार्टी देना चाहती हूं। मैंने उसे कहा कि ठीक है मैं शाम को तुम्हें मिल जाऊंगा। जब शाम को मैंने दुकान बंद कर दी तो उसके बाद मैं गीतिका से मिलने के लिए चला गया। गितिका जिस होटल में रुकी थी हम लोग उसी होटल के रेस्टोरेंट में बैठ गए। उसके रेस्टोरेंट से जयपुर बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहा था। मैंने उसे कहा कि मैं आज पहली बार ही इस होटल में आया हूं, यहां से जयपुर बहुत ही अच्छा दिखाई दे रहा है। रात भी काफी हो चुकी थी और हम दोनों ने उसके बाद खाने का ऑर्डर दिया और जब तक कुछ आता तब तक हम दोनों ही बात कर रहे थे। मुझे गीतिका से मिलकर बहुत अच्छा लगा।

उससे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो चुकी थी और वह भी मेरे साथ अपने आप को बहुत कंफर्टेबल महसूस करने लगी। जब हम लोगों का ऑर्डर आ गया तो उसके बाद हम लोगों ने अपना डिनर किया और अब हम दोनों ऐसे ही बैठे हुए थे। काफी देर तक मैं गीतिका से बात करता रहा था। मैंने गीतिका से पूछा कि जब तुम्हारा प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तो उसके बाद आगे तुम क्या करने वाली हो, वह कहने लगी कि मैं विदेश चली जाऊंगी और वहीं पर जॉब करने की सोच रही हूं, मैं भी गीतिका के लिए अपने दुकान से कुछ गिफ्ट लाया हुआ था। वह मेरे पिता जी ने खुद अपने हाथों से बनाया था। जब मैंने वह गीतिका को दिया तो वह बहुत खुश हुई और कहने लगी यह बहुत ही अच्छा है। मैंने उसे बताया कि यह मेरे पिताजी ने खुद अपने हाथों से बनाया है। गीतिका बहुत ही खुश थी। हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे और आपस में बात कर रहे थे। हम दोनों को बात करते हुए काफी टाइम हो चुका था उसके बाद हम लोग गीतिका के रूम में आ गए। जब हम लोग रूम में आए तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था जब मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था। मैंने जैसे ही उसके हाथ पर अपने होठों से चुमा तो उसे बहुत अच्छा महसूस हुआ उसने मुझे किस कर लिया। वह मुझे बड़े अच्छे से किस कर रही थी मैंने भी अब उसे किस करना शुरू कर दिया। मैंने गीतिका के होठों को काट दिया था जिससे कि खून निकलने लगा था। मैं उसके स्तनों को दबा रहा था मैंने ऐसे ही उसके स्तनों को दबाया। उसके बाद वह पूरे मूड में आ चुकी थी और उसने अपने हाथों से मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसे हिलाने लगी वह मेरे लंड को चूस रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने काफी देर तक मेरे लंड को ऐसे ही सकिंग किया। उसने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया था और बड़े अच्छे से चूस रही थी मुझे  बहुत अच्छा महसूस होता जब वह अपने मुंह मे मेरे लंड को ले रही थी। मैंने उसके बदन को देखा तो मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा गया उसके गोल गोल चूचे थे और बहुत ही गोरे थे।

मैंने अपने मुंह मे चूचो को ले लिया और चूसने लगा। मैं जब उसकी चूत को चाट रहा था तो उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और वह कहने लगी तुम बहुत ही अच्छे से मेरी चूत को चाट रहे हो। उसके बाद मैंने उसकी चूत मे उंगली डाली तो उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा था मैंने उसकी योनि के अंदर जैसे ही अपने लंड को डाला तो वह मचलने लगी उसकी योनि से खून निकलने लगा। वह मुझे कहने लगी मैंने आज से पहले किसी के साथ सेक्स नहीं किया। मैं उसे बहुत तेज झटके दे रहा था उसने भी अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और बडे अच्छे से वह मेरा साथ देने पर लगी हुई थी वह मादक आवाज निकाल रही थी और मुझे अपनी तरफ आकर्षित करती जाती लेकिन मैं भी ज्यादा समय तक उसकी चूत की गर्मी को नहीं झेल पाया जैसे ही मेरा माल  गीतिका की चूत में गया तो उसे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। उसके बाद उसने अपनी चूत को साफ किया हम दोनों कुछ देर ऐसे ही बैठे हुए थे। उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया बहुत  अच्छे से हिलाने पर लगी हुई थी। मेरा लंड दोबारा से खड़ा हो गया और मैंने उसे घोड़ी बना दिया। जब मैंने उसे घोड़ी बनाया तो उसकी योनि में मैंने अपने लंड को डाल दिया और जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि में घुसा तो वह चिल्लाने लगी लेकिन मैं उसे बड़ी तेजी से झटके मार रहा था उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जब तुम मुझे चोद रहे हो। जब वह झड गई तो उसने अपनी योनि को टाइट कर लिया जैसे ही मेरा वीर्य उसकी चूत मे गिरा गया तो उसे बहुत अच्छा लगा। उसके बाद हम दोनों ही एक दूसरे को पकड़ कर सो गए अगले दिन वह दिल्ली निकल गई लेकिन मैं भी उसे दिल्ली मिलने के लिए गया और कई बार मैंने उसे वहां भी चोदा।