स्टेशन का वह ट्रेन का इंतजार

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मेरा नाम अंकित है मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मैं जयपुर में अपने भैया के साथ रहता हूं। हम दोनों भाई जयपुर में रहते हैं, मेरे माता-पिता गांव में खेती बाड़ी करते हैं, वह लोग कभी कबार हमारे पास रहने के लिए आते हैं। वह मेरी भैया की शादी को लेकर बहुत चिंतित है लेकिन मेरे भैया है कि शादी का नाम ही नहीं ले रहे, मैंने भी उनसे कई बार कहा लेकिन वह हमेशा ही मुझे कहते हैं कि तुम यदि इस बारे में बात ना करो तो ज्यादा उचित रहेगा क्योंकि उनकी कॉलेज में एक गर्लफ्रेंड थी, उसे वह बड़े ही दिलो जान से प्यार करते थे और उसके लिए वह सब कुछ करने को तैयार थे लेकिन उनकी गर्लफ्रेंड के घर वाले बिल्कुल भी इस रिश्ते को मंजूरी देने के लिए तैयार नहीं थे, इस बारे में कई बार भैया ने भी उनसे बात की लेकिन वह लोग नहीं समझे और आखिरकार उस लड़की की शादी उन्होंने कहीं और करवा दी।

जब उसकी शादी कहीं और हुई तो भैया बहुत ही तनाव में रहने लगे वह किसी के साथ भी अच्छे से बात नहीं करते थे, कुछ समय तक तो उनका दिमाग भी बहुत डिस्टर्ब रहा लेकिन अब जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वह भी उन बातों को भूल रहे हैं, वह किसी के मुंह से भी अब उस लड़की का नाम नहीं सुनना चाहते। वह उससे बहुत ज्यादा नफरत करते हैं क्योंकि उसने भी भैया का बिल्कुल साथ नहीं दिया, यदि वह भैया का थोड़ा बहुत भी साथ दे देती तो शायद उन दोनों की शादी हो चुकी होती लेकिन जो भी हुआ अब वह काफी पुरानी बात हो चुकी है और भैया भी उस बात को पूरी तरीके से भूल चुके हैं लेकिन फिर भी वह अपनी जिंदगी में किसी भी महिला को नहीं आने देना चाहते है और ना ही वह शादी करना चाहते हैं। उनकी वजह से मेरी भी शादी नहीं हो पा रही है और मैं भी उनसे इस बारे में कुछ भी बात नहीं करता, उन्हें भी कई बार लगता है कि शायद वह शादी कर लेते तो मैं भी शादी कर पाता। एक बार तो मेरी शादी की बात हो चुकी थी लेकिन ना जाने एन मौके पर लड़की वालों को क्या हो गया कि उन्होंने रिश्ते के लिए ही मना कर दिया और उसके बाद से तो मेरे जीवन में भी पूरा वीराना पन पड़ा है और मुझे भी अब तक कोई लड़की नहीं मिली। मेरी जब नौकरी स्कूल में लगी तो मैं बहुत खुश हुआ, उस वक्त मेरी मम्मी और पापा गांव से कुछ दिनों के लिए जयपुर आ गए।

जब वह लोग जयपुर आए तो मैंने अपने मम्मी पापा से कहा अब आप लोग मेरे लिए भी रिश्ता देख लीजिए लेकिन मेरे भैया के वजह से ही मुझे लड़की नहीं मिल पा रही थी क्योंकि वह घर में बड़े हैं। उन्होंने तो जैसे शादी ना करने की कसम खा ली हो कि वह शादी करेंगे ही नहीं,  उनकी वजह से मेरी भी शादी नहीं हो पा रही थी। मैं भी स्कूल में नौकरी लग गया था तो मुझे भी अब रिश्ते आने लगे लेकिन मैं भी चाहता था कि पहले मेरे भैया की शादी हो जाए उसके बाद ही मैं अपनी शादी करूं। मेरे भैया को मनाना तो बड़ा ही मुश्किल हो गया था,  वह किसी की भी बात मानने को तैयार नहीं थे और ना ही वह शादी के मूड में थे लेकिन उन्हें मैंने जैसे कैसे मना ही लिया और वह शादी के लिए तैयार हो गए। उनके लिए जब लड़की देख रहे थे तो लड़की का मिलना मुश्किल हो गया परन्तु आखिर में एक लड़की मिल ही गई,  उसके बाद मैंने भी लड़की देखनी शुरू कर दी और अब तो वह दोनों खुश हैं और भाभी मेरा बहुत ध्यान रखती हैं लेकिन अभी मैं अपनी लाइफ पार्टनर की तलाश में था और मैंने फिलहाल तो शादी करने का निर्णय अपने दिमाग से निकाल दिया था और सोच रहा था कि चलो जब मुझे कोई अच्छी लड़की मिलेगी तो मैं शादी कर ही लूंगा। अब इसी दौरान मैं भी अपने काम में व्यस्त हो गया और मुझे भी ज्यादा समय नहीं मिल पा रहा था। मैं अपने मम्मी पापा से हमेशा बात करता हूं और उन्हें मैं कहता कि आप लोग अब हमारे पास ही रहने आ जाइए लेकिन हमारे गांव में बहुत ज्यादा खेती है इसलिए वह लोग आना नहीं चाहते थे। मैंने मम्मी से कहा कि अब आप मेरे पास आ ही जाइए तो उन्होंने कहा ठीक है हम लोग तुम्हारे पास ही आ जाते हैं। उन्होंने जो हमारे गांव के खेत थे वह किसी गांव के व्यक्ति को दे दिये और वही हमारे गांव का काम संभालने लगे। मेरे माता-पिता अब हमारे साथ ही रहने लगे थे इसलिए मुझे भी अच्छा लगने लगा।

एक दिन मुझे अपने काम के सिलसिले में अहमदाबाद जाना था मुझे लगा चलो इसी बहाने अहमदाबाद में घूम आऊंगा, मैंने ट्रेन का रिजर्वेशन करवा दिया था और जब मैं स्टेशन पहुंचा तो मैं वहां पर अपने ट्रेन का इंतजार करने लगा, मैंने स्टेशन से ही पानी की बोतल ले ली और कुछ देर तक मैं सीट पर बैठा हुआ था इतने में मेरे भैया का भी फोन आ गया और वह कहने लगे क्या तुम पहुंच चुके हो, मैंने भैया से कहा नहीं अभी तो मैं स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहा हूं देखो कितने समय बाद ट्रेन आती है। वह कहने लगे तुम अपना ध्यान रखना और पहुंचते ही हमें फोन कर देना, मैंने कहा ठीक है मैं आपको पहुंचते ही फोन कर दूंगा। मैंने जब फोन रखा तो मैंने देखा जहां पर मैंने अपने बैग को रखा था उसके बगल में ही एक शादीशुदा सुंदर सी महिला बैठी थी, मैं उसे देखकर पागल ही हो गया मै सोचने लगा कैसे मैं इसे बात करूं। मैं काफी देर तक उसके साथ बैठा रहा लेकिन मेरी बात करने की हिम्मत नहीं हुई उसने ही मुझसे बात की, जब हम दोनों का एक दूसरे से परिचय हो गया तो मैं उसके साथ बात करने में इतना मस्त हो गया कि मेरी ट्रेन मेरे सामने ही खड़ी थी परंतु मेरा जाने का मन नहीं हो रहा था।

मैंने सोच लिया था आज मैं सुहानी की चूत तो मारकर ही रहूंगा, मैं उसके साथ बैठा हुआ था। मेरी ट्रेन मेरे सामने से निकल गई मैं फिर भी बैठा ही हुआ था। मैंने सुहानी की जांघ पर हाथ रखा तो उसने आह की अपने मुह से आवाज निकाली। उसकी आह ने मुझे उसे चोदने पर मजबूर कर दिया, मैं जब सुहानी को अपने साथ वेटिंग रूम के बाथरूम में ले गया तो मैंने सुहानी के कपड़े उतारे तो उसके सॉलिड से बदन को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया, मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाया। जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू किया तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। मैंने जब उसकी योनि के अंदर उंगली डाली तो उसकी योनि पूरी गिली हो चुकी थी और वह मुझसे चुदने के लिए उतारू थी। उसने जब अपनी गांड को मेरी तरफ किया तो मैंने भी उसकी योनि के अंदर अपने लंड को सटाते हुए अंदर डालने की कोशिश की लेकिन उसकी चूत बहुत टाइट थी। मैंने धीरे से उसकी चूत के अंदर लंड को डाल दिया, मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जा चुका था। मैंने तेजी से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी मैं इतनी तेजी से उसे झटके दे रहा था वह बहुत चिल्ला रही थी और अपनी गोरी चूतड़ों को मुझसे मिलाने पर लगी हुई थी। वह मुझे कहने लगी जानू तुम्हारा लंड बड़ा मोटा है, मुझे अपनी चूत में लेकर बड़ा मजा आ रहा है। मैंने उसे कहा सुहानी तुम वाकई में कमाल की हो तुम्हारी जैसी टाइट हुस्न वाली महिला तो मैंने आज तक कभी नहीं देखी। तुम्हें चोद कर तो मुझे वाकई में आनंद आ गया और जिस प्रकार से तुम मेरा साथ दे रही हो, मैं बहुत खुश हूं। सुहानी ने भी अपनी चूतडो को मुझसे बड़ी तेजी से मिलाना शुरू कर दिया था और जिस प्रकार से वह अपनी बड़ी चूतडो को मुझसे टकराती मेरा लंड भी उतनी ही तेजी से उसकी योनि के अंदर जाता। जब मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होता तो वह भी पूरे मजे ले रही होती। मैंने काफी देर तक उसे धक्के मारे, जब मेरा वीर्य पतन होने वाला था तो मैंने झट से अपने लंड को बाहर निकाल लिया, जैसे ही मेरा सफेद और गाढ़ा वीर्य सुहानी की मुलायम गांड के ऊपर पड़ा तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारे साथ आज सेक्स करके मजा आ गया। मेरी चूत में भी खुजली थी इसलिए मैं  तुमसे अपनी खुजली मिटाना चाहती थी, मैंने उसका नंबर ले लिया। हम दोनों फोन पर अब भी अश्लील बातें करते हैं।