मेरा नाम शालिनी है मैं भोपाल की रहने वाली हूं, मेरी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं, इन 10 वर्षों के बीच में मैंने कई बार अपनी जिंदगी में कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे है लेकिन उसके बावजूद भी मैंने हमेशा ही अपने पति का साथ दिया। कई बार उनकी गलती होने के बावजूद भी मैं हमेशा उनके साथ खड़ी रहती हूं। पिछले एक वर्ष से वह विदेश में नौकरी कर रहे हैं, वह मेरे भैया के साथ विदेश नौकरी करने के लिए चले गए, वह जिस कंपनी में नौकरी करते थे उस कंपनी में एक दिन उनका मैनेजर के साथ झगड़ा हो गया था इसलिए वह काफी समय तक घर पर ही बैठे रहे। मैंने जब यह बात अपने भैया को बताई तो भैया कहने लगे तुम अपने पति को मेरे साथ भेज दो।
उन्होंने ही मेरे पति सुरेश के सारे कागजात बनवाएं और उन्हें अपने साथ विदेश लेकर चले गए, वह हर महीने विदेश से मुझे पैसे भेज देते हैं जिससे कि अब हमारी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है और मैं भी अपने बच्चों का अच्छे से ध्यान रख पाती हूं। मेरे पास काफी समय बच जाता है इसलिए मैं छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती हूं जिससे कि थोड़े बहुत पैसे मैं भी कमा लेती हूं, मैं हमेशा ही अपने पति से फोन पर बात करती हूं यदि मैं कभी उन्हें फोन नहीं कर पाती तो वह मुझे फोन कर देते हैं। एक बार हमारे पड़ोस में एक परिवार रहने के लिए आया, उन्हें यहां रहते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था, वह लोग शुरू में तो अच्छे से रहते थे परंतु बाद में वह लोग कॉलोनी के लोगों को काफी परेशान करने लगे, जिस वजह से कॉलनी के लोगों ने निर्णय लिया की इनसे घर खाली करवा दिया जाए। एक दिन सब लोगों ने मीटिंग की और उस दिन घर के जो मालिक थे हमने उनसे भी बात की और उन्हें घर खाली करवाने के लिए कह दिया लेकिन जब वह लोग घर छोड़ रहे थे तो उससे कुछ दिनों पहले मेरे घर पर चोरी हो गई, मुझे उन लोगों पर पूरा शक था क्योंकि वह लोग देखने से ही गलत प्रवृत्ति के प्रतीत होते थे। मैंने यह बात अपने पति से छुपाई मुझे लगा कि मैं उन्हें यह बात बताऊंगी तो शायद वह चिंता करेंगे इसीलिए मैंने उनसे इस बारे में बात नहीं की लेकिन उसी वक्त मेरे देवर को कुछ पैसों की आवश्यकता पड़ गई और वह मेरे पास आ गए, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए क्योंकि मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी।
उन्होंने मेरे पति से फोन पर बात कर ली थी और उन्होंने भी मुझसे कहा कि तुम उसे कुछ पैसे दे देना, उन्हें अपना घर बनवाना है इसलिए उन्हें पैसों की आवश्यकता है। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, जब मेरे देवर घर पर आए तो मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मैं इन्हें क्या बोलूं, मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी, मैं सोचने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए। हमारे कॉलोनी में एक महिला हैं वह ब्याज में पैसे देती हैं, मुझे लगा की मुझे उनसे बात करनी चाहिए। मैं अपने घर के छत पर चली गई और मैंने उन्हें फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि तुम्हें पैसों की क्या आवश्यकता पड़ गई, मैंने उन्हें बताया कि मुझे पैसों की जरूरत है क्योंकि घर में कुछ काम है, वह मुझे अच्छी तरीके से जानती हैं और उन्हें मेरा नेचर भी पता है इसलिए उन्होंने मुझे मना नहीं किया और कहा कि कल तुम मुझसे पैसे ले लेना। मैं भी अब थोड़ा राहत महसूस कर रही थी और खुश भी थी, मैं जब नीचे आई तो मेरे देवर सोफे पर बैठे हुए थे और वह चाय पी रहे थे, मैं भी उनके साथ बैठ गई। मैने उनसे पूछा घर में आपकी पत्नी कैसी हैं, वह कहने लगे घर में तो सब अच्छे है, बस सोच रहा हूं कि अब घर बनवा लिया जाए इसलिए मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता थी तो मैंने भैया से मदद मांगी, उन्होंने कहा कि घर पर चले जाओ, तुम्हें तुम्हारी भाभी पैसे दे देंगे। मैंने अपने देवर से कहा कि आप कल शाम को घर पर आ जाना मैं आपको कल पैसे दे देती हूं, वह कहने लगे भाभी जी बस अपनों का ही सहारा होता है, मैंने तो अपने दोस्तों से भी कहा लेकिन उन्होंने तो हाथ खड़े कर दिए परंतु इस वक्त मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी इसलिए मैंने भैया को फोन किया तो भैया ने झट से हां कह दी।
मैंने उन्हें कहा हां आप यह बात तो सही कह रहे हैं, अपने ही मजबूरी के वक्त काम आते हैं। वह काफी देर तक मेरे साथ बैठे हुए थे, जब उन्होंने कहा कि मैं अब चलता हूं तो मैंने भी उनसे कहा ठीक है आप कल शाम को आ जाइएगा। मै अगले दिन ब्याज पर पैसे ले आई थी और शाम के वक्त मेरे देवर जी भी घर पर आ गए, मैंने उन्हें पैसे दे दिए और अपने पति से भी फोन पर बात करवा दी थी, अब वह भी खुश थे और मैं भी थोड़ा निश्चिंत थी लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह पैसे मैं वापस कैसे करूंगी, मेरे देवर जी तो अपने घर चले गए लेकिन मैं बहुत दुविधा में थी। उस दिन शाम के वक्त बच्चे ट्यूशन में पढ़ने आए तो मेरा उन्हें पढ़ाने का मन नहीं हो रहा था, मैंने उस दिन उन्हें जल्दी घर भेज दिया। सब बच्चे घर जा चुके थे लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था मुझे क्या करना चाहिए। उस रात में अकेली बैठी हुई थी, मैंने अपनी अलमारी से शराब की बोतल निकाली और उसमें से दो चार पैक मार लिए, जब मुझे थोड़ा नशा हो गया तो मुझे चूत मरवाने की तलब होने लगी मैंने सोच लिया था मै अपनी चूत किसी से तो मरवाऊंगी। मैंने अपनी सहेली से उसके बायफ्रेंड का नंबर मांग लिया, जब वह मेरे पास आया तो मैं उसकी कद काठी देखकर उस पर फिदा हो गई।
मैंने उसके कपड़े उतार दिए, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए अब हम दोनों ही एक दूसरे से सेक्स करने के लिए उतारू थे। वह मुझे कहने लगा मैंने तो पम्मी को बहुत बार चोदा है लेकिन आज तुम्हें मुझसे चुदना है जब मुझे पम्मी ने यह बात बताई तो मैं तुम्हें चोदने के लिए उतारू था। मैंने उससे कहा बात कर के तुम समय बर्बाद मत करो, मैंने उसके लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसके लंड को मैं चूसने लगी। उसका लंड मैंने इतनी देर तक चूसा की वह पूरी तरीके से गिला हो चुका था। मैंने उस से कहा आज तुम मेरी चूत मारकर मेरी टेंशन को दूर कर दो, उसने मेरे दोनों पैर चौडे किए और जैसे ही उसने अपने कड़क लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो मैं मचल रही थी। उसने धीरे धीरे मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया, उसका बड़ा लंड मेरी चूत के अंदर उतरा तो मुझे ऐसा लगा जैसे कोई कड़क चीज मेरी चूत में चली गई हो। मैंने काफी समय से अपनी चूत नहीं मरवाई थी लेकिन उसके साथ मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपने दोनों पैर इतने चौडे कर लिए की वह मुझे कहने लगा तुम अपने पैरों को और चौड़ा कर लो ताकि मेरा लंड तुम्हारी चूत में आसानी से जा सके। उसका लंड मेरी चूत में इतनी तेजी से जा रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी बहुत मजा आया। उसने मेरे साथ 10 मिनट तक संभोग किया, उसने मेरे पूरे बदन को लाल कर दिया था जिस प्रकार से उसने मुझे चोदा में संतुष्ट हो गई थी। जब उसका वीर्य मेरी योनि में गिरा तो मैं बड़े मजे ले रही थी, उसने मुझे कहा मुझे तुम्हारे साथ एक बार और सेक्स करना है। हम दोनों ने कुछ देर आराम किया, जब उसका लंड दोबारा से खड़ा हो गया तो उसने मुझे उल्टा लेटा दिया और मेरी योनि के अंदर जैसे ही उसका कड़क लंड गया तो मैं चिल्लाने लगी। उसका लंड उस वक्त बहुत ज्यादा कठोर हो चुका था और इतनी तेजी से वह मुझे झटके दे रहा था जैसे कि वह मेरी गांड और चूत को एक साथ मिलाना चाहता हो। उसने बड़ी तेजी से मुझे झटके दिए, मेरी चूतडे उससे टकरा रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत देर तक संभोग किया, जब उसका वीर्य पतन होने वाला था तो उसने मेरी बड़ी सी चूतड़ों के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया। उसका वीर्य इतना ज्यादा गर्म था कि मैंने उसे अपनी गांड पर मल लिया। उस दिन मेरी टेंशन काफी हद तक दूर हो गई थी।