मेरा नाम अमित है। मैं सूरत में रहता हूं मेरी उम्र 24 वर्ष की है। मेरा कॉलेज अभी भी कंप्लीट हुआ है। मैं नौकरी की तलाश में था। लेकिन मेरी कहीं नौकरी नहीं लग पा रही थी। मैं इसे काफी परेशान था। मेरे रिश्ते के मामा ने मुझे अपने पास बुला लिया और कहने लगे कि तुझे मेरे यहां पर नौकरी करनी है। तुम अपना रिज्यूम ले आना मैंने उन्हें अपना रिज्यूम दिया। उन्होंने मुझे अपने यहां काम पर रख लिया मुझे 2 महीने तक काम सिखाया। उनके यहां पर 2 महीने तक मैंने काम सीखा वहां पर फ्रिज, वाशिंग मशीन, आदि की रिपेयरिंग का काम होता था। मैंने काम सीखने के बाद फिल्ड में जाना शुरु कर दिया। मै लोगों के घर पर जाने लगा जिनकी कोई शिकायतें होती। ऐसा काम करते-करते मुझे 1 बरस हो चुका था। मुझे फील्ड का पूरा अनुभव हो चुका था। ज्यादातर कस्टमर मुझे पहचानने भी लगे थे। अब मेरा इस काम में हाथ एकदम परफेक्ट हो गया था।
मैं उन लड़कों को काम सिखाया करता था। जो वहां पर नए काम सीखने आते थे। मेरा काम अच्छा चल रहा था। मेरे घर वाले भी खुश थे और मैं भी अपने काम से खुश ही था। थोड़ा समय अपने लिए भी निकाल लेता था। तो अपने कुछ काम भी कर लेता था। कुछ मेरे शौक उन को में पूरा कर लेता था। मेरे पिताजी भी नौकरी से रिटायर होने वाले थे। तो कुछ समय बाद उनकी रिटायरमेंट भी हो गई। हम लोगों ने घर में छोटा सा प्रोग्राम रखा। जिसमें हमारे अगल-बगल के सारे लोग हमारे घर में आए। हमारे सारे रिश्तेदार घर में आए हुए थे। मेरे पिताजी को बधाइयां देने के लिए और उनके कुछ स्टाफ के लोग भी आए थे। हम लोगों ने पूरा अच्छे से बंदोबस्त करके रखा हुआ था। जो भी रिश्तेदार आते वह मुझ से मिलते और पूछते तुम्हारा काम कैसा चल रहा है। मैं सबको यही बोलता मेरा काम बहुत अच्छा चल रहा है। सब लोग यही बात पूछने लगते अब शादी कब कर रहे हो। मैं बोलता यह बात मेरे घर वालों से ही पूछना। मैं ऐसे करते-करते सबको टालता गया। मेरे बगल में एक लड़की रहती थी। वह भी हमारे पार्टी में आई क्योंकि वह हमारे पड़ोस में रहते थे। इसलिए मेरे घरवाले ने उन्हें भी इनवाइट किया हुआ था। सारा कुछ अच्छे से निपट जाने के बाद अब वह सब लोग चले गए।
मेरे पिताजी मुझे कहने लगे मै रिटायर हो गया हूं तो सोच रहा हूं अपने गांव ही चले जाऊं। मैंने उन्हें कहा आप देख लीजिए जैसा आपको उचित लगता है। यदि आप को गांव जाना है तो आप गांव में चले जाइए। जैसा आपको ठीक लगता है। आपने काफी सालों तक घर के लिए काम किया है अब आप आराम कीजिए। अपनी लाइफ को अपने हिसाब से चलाइए। उन्होंने मुझे कहा कि मैं अगले महीने तक गांव निकल जाऊंगा और हो सकता है कि तेरी मां भी कुछ दिन के लिए गांव में मेरे साथ चलें। मैंने अपने माता-पिता की टिकट करवा दी और वह कुछ समय के लिए गांव चले गए। मैं घर में अकेला ही था तो सारा काम खुद ही करना पड़ता था। कभी मैं बाहर से भी खाना खाकर आ जाता और ऐसे ही मेरी दिनचर्या चल रही थी। लेकिन ठीक था जैसा भी चल रहा था सब कुछ अच्छा ही था। अपने काम में ही ज्यादातर व्यस्त रहता था। इस वजह से मेरी मुलाकात मेरे दोस्तों से भी कम ही हो पाती थी। कभी कोई मुझे बाहर ही मिल जाता तो हम लोग बैठ कर बात कर लिया करते। हम लोग इस तरीके से मिल पाते थे क्योंकि वह लोग भी अब कहीं ना कहीं काम करने लगे थे। सब अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए थे इसलिए अब समय निकालना थोड़ा मुश्किल होने लगा था।
हम लोगों ने सोचा कि एक दिन हम लोग सब मिले कॉलेज के जितने भी दोस्त हैं। तो हम लोगों ने एक जगह पर मिलने का फैसला किया। अब हम लोग वहां पर मिले। सब अपनी-अपनी बातें शेयर कर रहे थे सब अपनी नौकरी का अनुभव बता रहे थे। किसी ने अपने पिताजी का बिजनेस शुरू कर दिया था। तो वह अपनी बातें हमारे सामने रख रहे थे। इस तरीके से सब लोग अपनी अपनी बातें करते रहे। हम लोगों को काफी अच्छा लगा एक दूसरे से मिलकर अब हम लोग सब अपने-अपने घर को चले गए।
मैं उस दिन रात को थोड़ा देर से आया तो छत में टहल रहा था। वहां मैंने देखा कि वह लड़की भी खड़ी है छत पर जो उस दिन हमारे घर पर भी आई थी। लेकिन मैं उसे इतना परिचित था नहीं तो इसलिए मुझसे बात भी नहीं कर सकता था।
कुछ दिनों बाद शायद उनके घर में कुछ खराब हो गया था। उन्हें कहीं से मालूम पड़ा होगा कि मैं रिपेयरिंग का काम करता हूं। तो उन्होंने मुझे घर पर बुला लिया और कहने लगे बेटा हमारे घर में फ्रिज खराब हो चुका है। तो क्या तुम उसे देख लोगे मैंने कहा हां जी अंटी मै देख लेता हूं। इसमें क्या खराबी आई है फिर मैंने उन्हें बताया। मैंने उनका फ्रिज ठीक कर दिया। अब वह मुझे कुछ पैसे देने लगे तो मैंने उनसे पैसे नहीं पकड़े। मैंने उन्हें कहा रहने दीजिए आप हमारे पड़ोसी हैं। कोई बात नहीं अब मैं उनके घर से चला गया।
कुछ दिन बाद वह लड़की मुझे हमारी दुकान पर मिली। मैंने उससे पूछा आप तो हमारे पड़ोस में रहते हैं। वह भी मुझे यही कहने लगी। उसने मेरा नाम पूछा मैंने उससे अपना नाम बताया। उसके बाद उसने भी अपना परिचय देते हुए अपना नाम बताया उसका नाम आशा था। वह कहने लगी मैं कॉलेज में पढ़ती हूं। अब आशा से मेरा परिचय हो चुका था। तो हम लोग जब भी दूसरों को मिलते तो देखते ही मुस्कुरा देते। हम लोगों इशारों इशारों में बात होने लगी थी। एक दिन वह मुझे बाहर मिली तो मैंने उससे कहा तुम मेरे घर पर आ जाना उसने कहा ठीक है। मैं तुम्हारे घर पर आ जाऊंगी।
वह रात को बहाना बना कर मेरे घर पर आ गई और जैसे ही वह मेरे घर पर आई। मैंने उसे कहा तुमने घर पर क्या बोला है। उसने मुझे बताया मैंने यह बहाना मारा है। इस वजह से मैं यहां पर आ गई हूं। वह लोअर और और टी-शर्ट में आई हुई थी। जिसमें बहुत ही सेक्सी लग रही थी। क्योंकि उसका लोअर बड़ा ही टाइट था। जिससे कि उसका भीतरी अंग पूरी तरीके से दिखाई दे रहा था। मैंने उसे कहा तुम्हारा फिगर बड़ा ही अच्छा है। वह यह सुनकर काफी खुश हो गई।
मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख दिया उसने मुझे कुछ नहीं कहा। अब मैं समझ चुका था कि इसको धीरे-धीरे अपने काबू में कर लूंगा। मैंने धीरे से उसके बूब्स पर अपने हाथ फेरने शुरू कर दिए। उसने मेरी टांगों पर अपना हाथ रख दिया। उसने मुझे जांघो को कसकर दबा दिया। जैसे ही उसने मेरी जांघों को दबाया। मैंने भी उसके बूब्स को बड़ी तेजी से दबा दिया। अब उसके अंदर से भी फीलिंग आने लगी थी। मैंने मौका देखते हुए उसको किस कर लिया। मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर मस्त होने लगा था। उसको भी अच्छा लग रहा था। तो वह भी मेरे होठों को अपने होठों से काट लेती। उसके बाद मैंने उसकी टीशर्ट को उतारा और साइड में रख दिया। उसने लाल कलर की ब्रा पहनी हुई थी। जिसमें कि वह एकदम सेक्सी लग रही थी। उसके स्तन भी ज्यादा बड़े तो नहीं थे। पर अच्छे थे उसकी ब्रा को मैंने धीरे से खोलते हुए। उसके चूचो को अंदर से निकालते हुए उसको मैं चूसने लगा। मुझे काफी अच्छा लग रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सेक्स की फीलिंग अंदर से जाग रही है। अब मैं उसके पूरे पेट से लेकर स्तन तक चुमने लगा। उसके बाद धीरे से मैंने उसकी टाइट लोअर को नीचे करना शुरू किया। जैसे जैसे उसको नीचे उतारता जाता। वैसे वैसे उसकी योनि मुझे दिखाई देने लगी।
जो कि काफी अच्छी थी वह पिंक कलर की बड़ी ही मुलायम सी योनि थी। मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू किया। उसके मुंह से आवाज निकल जाती। जैसे ही मैं उसकी योनि पर अपनी जीभ रगड़ता। अब वह यह सब करने के लिए तैयार हो चुकी थी। और मैंने उसकी योनि में अपने लंड को डाल दिया। जैसे जैसे मैं अंदर बाहर करता जाता। उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती। वह कहती मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। और बहुत धीरे से अपने होठों को भी दबा लेती। मुझे भी काफी अच्छा लगने लगा था। मैंने भी दो सौ शॉट लगाएं। उसके बाद मेरा गिरने वाला था। तो उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने मुंह में लेते हुए चुसने लगी और चूसते चूसते मेरा वीर्य पतन हो गया जो कि उसके मुंह में ही गिर गया था। उसका मुंह पूरा भर चुका था। उसने भी उसे अंदर लेते हुए निगल लिया।