कोलेज का लास्ट इयर था, और एक्जाम खत्म होते ही, में अपने मामा के गाँव चली गई. मेरे मामा सातारा के पास एक छोटे से गाँव में रहते थे. वहा उनके बहुत सारे खेत थे.
मेरे मामा का लड़का मुझे ले जाने के लिए अपनी स्कोर्पियो लेके आया था. हम दोनों कच्चे पक्के रास्तो से होकर गाँव में पहुचने वाले ही थे.
गाँव के बहार एक छोटी सी नदी है. नदी के पास से जब हमारी स्कोर्पियो गुजर रही थी तो, मेने देखा नदी में नहाकर एक लम्बा चौड़ा, गोरा मुंडा पानी से बहार निकला|
करीब ६ फिट का था वो, उसका गोरा गोरा गीला बदन, सर के गीले बाल. उपर से नंगा था. उसका लंड एक लंगोट से ढका हुआ था.
वैसे तो में बहुत सारे लडको के साथ सो चुकी हु. मेने बहुत सारे लंड भी चुसे हुए है. पर इस लडके की बात ही अलग थी, उसे देखते ही मेरी चूत में खुजली होने लगी थी. ऐसा पहली बार हुआ था, किसी लडके को देखकर मेरे चूत में तुरंत ही खुजली हो गयी.
मेरे मामा के लडके आर्यन ने स्कोर्पियो लडके के पास रोक दिया, और मेरा परिचय करवा दिया. उसका नाम रूद्र था, गाँव के पाटिल, मतलब जमीनदार का लड़का था वो, में उसके पास खड़ी उसके बदन को और खास तोर से उसके लंड को जो लंगोट के पीछे छुपा था.
उसे ही देख रही थी. उसका जिस्म मुझे इतना आकर्षित कर रहा था, एक पल के लिए ऐसा लगा की उस अपने बिस्तर पर ले जाऊ.
उसी समय हवा के कारन मेरा दुपटा थोडा सा सरक गया. दुपटे के पीछे छुपे मेरे मम्मो को, और क्लीवेज को एक्सपोज कर दिया. रूद्र को मेरे क्लीवेज और मेरे ड्रेस के उपर से नजर आ रहे, मेरे गोल गोल बूब्स को निहारता ही रह गया.
वो उन्हें ऐसे निहार रहा था, उसी समय उन्हें चुसना चाह रहा हो, उसकी आँखों में में अपने बदन को पाने की हवस को पहचान लिया था. मन ही मन में मेरे लडू फुट रहे थे.
आर्यन और में मामा के घर पहुचे, फिर पूरा दिन मेने आराम किया, और मामी के साथ खूब गुपसुप, रात के खाने में रूद्र भी हमारे साथ था. उसकी नजर मेरे बूब्स पर टिकी थी. लगातार घुर रहा था मुझे, भूखे बिले की तरह.
दुसरे दिन में सुबह ब्रेकफास्ट करके खेतो में अकेली घुमने चली गयी. चारो तरफ सूर्यमुखी के हरे भरे खेत, और मुस्कुराते हुए सूरजमुखी के फुल, ऐसा दृश्य शेहरो में कहा देखने को मिलता है.
में खेतो में टहल ही रही थी की, अचानक से रूद्र मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया. उफ्फ्फ्फ़ आज वो कमाल का लग रहा था. वाइट ट्रांसपेरेंट खादी की शर्ट और ब्लू जीन्स, गाँव का मुंडा किसी हीरो से कम न था.
मुझे अकेला पाकर वो मुझे खेतो के बहुत अंदर ले गया. उसने मेरे दुपटे को सरका कर मेरे ममे को कुर्ती के उपर से दबाने लगा, दुपटे को गिराकर उसके हाथ मेरे कुर्ती के ज़िप पर पहुचे, ज़िप को खोलकर धीरे धीरे वो कुर्ती को हटाने लगा.
में तो यही चाहती थी. इसलिए मेने रूद्र को रोका नही.
में अब रूद्र के सामने बिना कुर्ती के सिर्फ ब्रा पहने खड़ी थी. रूद्र ने तुरंत ही मेरे सलवार का नाडा खोला, नाडा खुलते ही सलवार नीचे गिर गयी.
अब में ब्रा ओर पेंटी पहने उसके सामने थी, में उसके सामने नंगी होना चाहती थी. में चाहती थी, रूद्र मेरे नंगे जिस्म का जी भरके रसपान करे, और ठीक वैसे ही हुआ.
रूद्र ने मेरे ब्रा की हुक खोली और मेरी पेंटी को नीचे खीच लिया. मेरे मम्मे बिना ब्रा के और मेरी क्लीन शेव चूत बिना पेंटी के खुले पड़ गये.
रूद्र ने अपने कपड़े उतार कर फेक दिए. और फिर मुझे खेतो में लेटाकर मेरे होठो का चुंबन लेने लगा.
वो अब मेरे उपर चड गया था. उसकी छाती के तले मेरे मम्मे दब गये थे, उसका पेट मेरे पेट से चिपका हुआ था.
उसका ९ इंच लंड मेरी क्लीन शेव चूत को छू रहा था. मेरे होटों से जैम को ली लेने के बाद उसने मेरे बूब्स को दबाना शुरू कर दिया, फिर एक एक कर के मेरे निपल को मुह में लेकर चूसने लगा. में गर्म हो रही थी, निचे मेरी चूत भी गीली हो रही थी, बूब्स को चूसकर और दबाकर उसने लाल कर दिया था.
फिर मेरे पेट और नाभि को चूमकर रूद्र अपना मुह मेरे चूत पर ले गया. उसने अपनी जीभ को चूत के अंदर घुसा दिया. अपनी जीभ को चूत के अंदर वो फिराने लगा, फिर मेरे क्लिट को सक करने लगा. क्लिट पर उसके जीभ का स्पर्श होते ही में तडपने लगी. आआआ हाहाहा की सिस्कारिया भरने लगी. मुझे यु तडपता और बेचेन देख रूद्र मेरे क्लिट को चूसते ही जा रहा था.
रूद्र मानो क्लिट और चूत चूसने में शातीर खिलाडी था, वो मुझे बहुत ही मजा दे रहा था. वो रुक रुक के अपनी जीभ से मेरी चूत को चाट रहा था. और मेरे छेद के पास अपनी जीभ ले जा रहा था. इस कारन में ओर ज्यादा गरम हो रही थी. में रूद्र के सर को पकड़ कर उसे अपनी चूत पर दबा रही थी.
रूद्र ने फिर अपने खड़े लंड को मेरी चूत के छेद पर सेट किया और अंदर डालने लगा. मेरी चूत ने बहुत सारे लंड का भोग किया था, इसलिए रूद्र का ९ इंच मोटा लंड आराम से मेने छेद में घुस गया.
रूद्र बड़े ही जोश में था. अपने लंड को बड़े ही जोश में वो अंदर बहार अंदर बहार कर रहा था. उसके जटके मुझे बहुत ही ज्यादा मजा दे रहे थे.
में भी कमर उठा उठा कर उसके लंड को अपने छेद में बहुत ही अंदर तक ले रही थी. देखते ही देखते मेरे चूत में काम रस छोड दिया. रूद्र का लंड जब चूत से बहार निकला तो उसका लंड काम रस से चिपचिपा हो गया था. रूद्र ने फिर अपने लंड को मेरे मुह में डाल दिया.
मेने उसके मोटे लंड को इतना चूसा इतना चूसा की उसके लंड ने रस की पिचकारी छोड़ दी, मेने उसके कम को अपने पुरे जिस्म पर लगा दिया. रूद्र का स्टैमिना जबरजस्त था, उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
उसने मुझे घुटने के बल खड़ा किया, और पीछे से मेरे चूत के छेद में अपना लंड घुसा दिया. और २०-२५ जोर के जटके दे दिए. में पूरी तरह से जड चुकी थी. मुजमे अब ओर स्टैमिना न था.
मुझे लिटा कर रूद्र मेरे नंगे जिस्म से काफी समय तक लिपटा रहा, मनो मेरे जिस्म से वो अलग ही नही होना चाहता था.
बस मेरे जिस्म का रसपान करते रहेने चाहता हो. और एक बार मेरी चुदाई कर ने का उसका मन था. शायद और मेरा भी, फिर से चोद जाने की इच्छा थी. फिर क्या, एक बार फिर से उसका लंड मेरी छेद में घुस ग