शहरी छमिया की गावं में चुदाई

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हैल्लो फ्रेंड्स.. आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है और आज में एक हॉट, सेक्सी और सच्ची कहानी लेकर आया हूँ. यह कहानी शायद 2004-05 के आप पास की होगी और जब में बीकॉम कर रहा था और गर्मियों की छुट्टियाँ लगने पर अपने मामा जी के घर पर उनके गावं चला गया.

दोस्तों मेरे सबसे प्यारे मेरे सबसे छोटे मामा जी है.. जो मेरे लिए एक रिश्तेदार से बड़कर मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त है. इस बार जब में अपने मामा के घर गया तो मामा बहुत ही खुश हुए और उनकी ख़ुशी का तो मानो कोई ठिकाना ही नहीं था और में तो जैसे इतना खुश कभी होता ही नहीं था.. जितना मामा के यहाँ पर होता था.

फिर एक दिन में और मामा सुबह सुबह फ्रेश होने के लिए खेत पर जा रहे थे तो रास्ते में एक लड़की मिली और उसका नाम रेशमा था और वो क्या गजब की बला थी. मेरी एक ख़ासियत थी कि में और मामा एक ही लोटा लेकर जाते थे और उस लोटे को मामा ही लेकर चलते थे.. में तो बस जैसे राजा साहब बनकर चलता था. उस लड़की को देखकर मेरे मुहं से लार निकल पड़ी और में किसी भूखे जानवर की तरह उसे ताकने लगा और धीरे से मामा से पूछा कि यार यह कौन सी बला है तो मामा ने कहा कि चुपकर.. यह भी तेरी तरह अपने चाचा के घर पर शहर से आई है तो मैंने कहा कि अब तो जोड़ी खूब जमेगी, यह भी शहर की और में भी शहर का, क्या बात है?

तो मामा ने कहा कि क्या कह रहे हो यार, में इतने दिन लाईन पर लाईन दे रहा हूँ और मुझे तो घास तक नहीं डाली.. चल शर्त लगाते है और अगर यह तुझसे पट गयी तो मेरी तरफ से टाकीज में फिल्म तो मैंने कहा कि ठीक है मामू और अगले दिन में सुबह जल्दी उठ गया और सुन्दर सा सूट पहनकर सुबह सुबह मामा के खेत पर अकेला जाने को तैयार हो गया.. या फिर यूँ कहिए कि मैंने रेशमा को उस तरफ जाते हुए देख लिया था.

में मामा को सोता हुआ छोड़कर उसके पीछे चला गया और थोड़ी दूरी पर ही जब मैंने सुनसान रास्ता देखा तो मैंने आवाज़ लगाई.. हाय हैल्लो तुम्हारा नाम क्या है? फिर पहले तो वो कुछ नहीं बोली और जब दोबारा मैंने कहा कि क्या कम सुनाई देता है तो उसने पलटकर कहा कि में गावं के लड़को से बात नहीं करती.

फिर उसका पलटना, क्या सूरत थी और उसका एकदम गोल चेहरा और एकदम गौरा रंग अगर धूल का एक कण भी चिपक जाए तो साफ साफ दिख जाए कि कुछ दाग लगा है और नाक में सानिया मिर्ज़ा जैसी वाली गजब की मस्त और बूब्स तो अब क्या बताऊँ कि बस सीने पर दो टेनिस की बॉल की तरह, जब चलती तो लगता था कि उछलकर कहीं बाहर ना निकल पड़े और कंधे तक कटे हुए बाल. फिर मैंने कहा कि जी तब तो आप मुझसे बात कर सकती है और में गावं का नहीं हूँ.. आपकी तरह शहर से छुट्टीयाँ मनाने के लिए आया हूँ तो उसने कहा कि ओह मैंने समझा आप भी शायद गावं के ही हो..

मैंने कहा कि कोई बात नहीं और क्या हम दोस्ती कर सकते है तो वो बोली कि हाँ क्यों नहीं और उसने अपना सीधा हाथ मेरी और बड़ा दिया और मुझे तो बस ऐसा लगा कि मैंने शर्त की पहली सीड़ी पार कर ली हो और फिर मैंने कहा कि क्या तुम मेरे साथ गावं घूमने चलोगी तो वो बोली कि क्या तुम मुझे यह पूरा गावं दिखाओगे तो मैंने भी थोड़ा सा अपना अच्छा व्यहवार दिखाते हुए अपने सर को थोड़ा झुककर कहा कि आप जैसा हुक्म करें, तो उसके दोनों होंठ गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खुल गये.. वाह क्या हंसी थी और मैंने तो बस मन ही मन सोचा कि लड़की हँसी तो समझो बस फंसी और मैंने उससे कहा कि आज शाम को मुझे यहीं पर मिलना और में तुम्हे अपने मामा के खेत दिखाने ले चलूँगा तो उसने हाँ में अपना सर हिला दिया और में बड़ा ही खुश था..

फिर वापस लौटकर मैंने मामा को सारी बातें बताई तो मामा ने कहा कि वाह यार तुमने तो पहली ही बॉल पर छक्का मार दिया. मैंने कहा कि अभी तो शतक बनना बाकी है.. बस तुम देखते जाओ और शाम को खेत पर बना हुआ कमरा थोड़ा साफ कर देना तो वो हंसकर बोले कि हाँ भांजे श्री और फिर हम दोनों नहाकर खाना खाकर दोपहर तक ताश खेलते रहे और जैसे ही चार बजे तो मैंने धीरे से मामू को इशारा किया और हम ताश खेलना छोड़कर खेत की और चल दिए.. फिर वहाँ पर पहुंचकर कमरे को अच्छी तरह से साफ किया और वापस आ गये.

फिर में रेशमा का इंतजार करने लगा.. जैसे ही 5 बजे तो मुझे रेशमा आती दिखाई दी तो मैंने मामू को इशारा कर दिया और वो मुझसे दूर चले गये. फिर जैसे ही रेशमा मेरे पास आई तो उसने अपना हाथ मेरी और बड़ाया और बोली कि चलें तो मैंने कहा कि हाँ बिल्कुल लेकिन आपने अपना नाम अभी तक नहीं बताया और फिर वो हंसकर बोली कि मेरा नाम रेशमा है और आपका क्या नाम है? तो मैंने कहा कि मेरा नाम रेनेश है और फिर हम दोनों मामा के खेत की और चल दिए और थोड़ी ही देर में हम वहाँ पर पहुँच गये और मैंने उसे अपने मामा के पूरे खेत दिखाए और जब में उसे खेत दिखा रहा था तो खेत के खड्डे में उसका पैर फिसल गया और उसके पैर में थोड़ी सी चोट भी आ गयी.

फिर मैंने उसे हाथ देकर उठाया तो वो उठ गयी लेकिन वो ठीक से चल नहीं पा रही थी तो मैंने कहा कि शायद आपको चोट ज़्यादा लग गयी और अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या में तुम्हे अपनी गोद में उठाकर ले चलूं और उस कमरे में पैर पर थोड़ा सा तेल मसल दूँगा तो ठीक लगेगा.

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फिर उसने दर्द से कराहते हुए हाँ में अपना सर हिला दिया और जब मैंने उसको अपनी बाहों में उठाया तो मुझे ऐसा एहसास हुआ कि जैसे उसने लोवर के अंदर अपनी पैंटी नहीं पहनी है और में उसको कमरे की और लेकर चल दिया और कमरे में ले जाकर उसको ज़मीन पर ही लेटा दिया और उसका लोवर थोड़ा सा ऊपर करके उसके पैर पर तेल से मालिश करने लगा.

तभी जैसे उसको करंट सा लगा हो और वो ज़ोर से कराह उठी तो मैंने पूछा कि क्या हुआ लेकिन मेरे इतनी बार पूछने पर भी उसने कुछ नहीं कहा और मैंने अपनी थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और उससे कहा कि तुम अपना लोवर ऊपर से थोड़ा नीचे कर दो तो में ठीक तरीके से मालिश कर सकता हूँ.

तो उसने एकदम से चकित होकर मना कर दिया और में समझ गया कि मेरा अनुमान बिल्कुल सही है.. उसने अंदर पेंटी नहीं पहनी हुई है तो मैंने कहा कि ठीक है कोई बात नहीं.. में तो केवल मालिश करने के लिए कह रहा था तो उसने थाड़ा सा शरमा कर जवाब दिया कि नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. वो अंदर मैंने पेंटी नहीं पहनी हुई है तो मैंने मुस्कुराकर कहा कि कोई बात नहीं.. में अपनी आँखें बंद कर लूँगा और वैसे भी अब तो धीरे धीरे अंधेरा होने वाला है तो उसने कहा कि ठीक है, तुम अब अपनी आँख बंद करो और में अपना लोवर उतार देती हूँ और मैंने अपना सर पलट लिया.

तभी उसने अपना लोवर पूरा नीचे उतार दिया और अपनी गांड को टी-शर्ट से छुपाते हुए बोली कि क्या अब ठीक है और अब क्या तुम मालिश कर सकते हो, तो मैंने अपना सर घुमाया तो वो पेट की तरफ से लेटी हुई थी और उसकी गांड तक टी-शर्ट थी लेकिन मेरा काम हो चुका था और मैंने धीरे से उसके पैर पर अपना हाथ घुमाना शुरू किया और उसके पैर को सहलाने लगा. तभी अचानक वो पलटी और उठकर मुझसे चिपक गयी तो मैंने कहा कि क्या हुआ तो उसने कहा कि शायद किसी ने काट लिया और मैंने तुरंत अपना मोबाईल ज़ेब से बाहर निकाला और उसकी टॉर्च में देखा तो वहाँ पर कुछ नहीं था लेकिन उसकी मस्त जवानी देखकर में तो निढाल हो गया और अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था..

मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठो को अपने दांतो में दबा लिया और पहले तो उसने बहुत ज़ोर लगाया मुझसे छुटने के लिए.. लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी और वो भी मुझे अपना समर्थन देने में जुट गई तो मैंने भी सही टाईम देखकर अपनी एक उंगली उसकी चूत की दरारों पर ले जाकर एकदम घुसा दी तो वो फिर से चीख पड़ी और बोली कि क्या करते हो?

फिर मैंने कहा कि प्यासे को कुए तक लाकर पानी नहीं पिलाया तो बहुत पाप लगता है और धीरे से उंगली उसकी दरार के अंदर कर दी तो वो मेरी बाहों में झूल गयी तो मुझसे नहीं रहा गया और मैंने उसको ज़मीन पर लेटा दिया और उसको माथे से लेकर धीरे धीरे उसके पैर के अंगूठे तक चूम लिया.. वो तो बस मस्त हो गयी थी और अब पूरी तरह जोश में आ चुकी थी तो उसने भी धीरे से मेरी ज़िप खोलकर मेरा हथियार बाहर निकाल लिया और धीरे धीरे उसे सहला रही थी और अब तो आलम यह था कि उससे भी रहा नहीं गया और वो धीरे से बोली कि अब तुम क्यों पाप कर रहे हो? मुझे अब शांत क्यों नहीं करते तो मैंने झट से अपना बैचेन लंड उसकी गीली बैताब योनि पर रखा और एक जोरदार धमाका किया.. बस एक ही धमाके में मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर और उसकी चीख बाहर.. उसकी तो मानो शायद दोनों आँखे ही बाहर निकल आई हो और उसने मुझे ज़ोर से एक थप्पड़ मारा और फिर जैसे ही होश आया तो मुझसे सॉरी बोलने लगी.

फिर मैंने कहा कि इसकी अभी कोई ज़रूरत नहीं और फिर मैंने अपने धक्को में धीरे धीरे से तेज़ी लानी शुरू की और अब शायद उसको भी मज़ा आने लगा था.. क्योंकि वो भी नीचे से अपनी गांड को उठा उठाकर सहयोग देने लगी और करीब 5 मिनट के बाद ही वो मुझसे ज़ोर से चिपक गई तो में समझ गया कि यह तो गई काम से लेकिन मैंने अपनी स्पीड कम नहीं की और में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाता रहा. 10 मिनट के बाद तो वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी तो मैंने उसके मुहं पर अपना मुहं रख दिया और करीब 10 मिनिट बाद में भी उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया और मैंने अपने गरम गरम वीर्य को उसकी चूत में डाल दिया लेकिन जैसे ही मैंने अपनी पकड़ उस पर से ढीली की तो वो मुझसे दूर जाकर खड़ी हो गयी.. उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने.

तभी मैंने देखा कि उसकी आँखे एकदम लाल हो गयी और फिर मैंने उसके पास जाकर सॉरी बोला लेकिन वो कुछ नहीं बोली और फिर वो आगे और में उसके पीछे हो गया.. जैसे ही गावं की सीमा शुरू हुई में रुक गया और वो अपने चाचा के घर निकल गयी और मेरी कभी भी उससे मुलाकात नहीं हो पाई और कुछ दिनों के बाद मुझे पता चला कि उसकी शादी हो गयी.