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प्यारी शिला आंटी की चुदाई
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हेलो मेरे प्यारे दोस्तों में विक्रम आज फिर से एक बार आपके लिए अपनी एकदम नई कहानी लेकर आया हूं, मुझे अपनी पिछली कहानी के बहुत ही अच्छे मेंल मिले इसलिए मैं आप सबका अपने दिल से शुक्रिया करता हूं.

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आज मैं आपके लिए अपनी जिंदगी की एक और सच्ची घटना लेकर आया हूं, मुझे उम्मीद है आपको आज की मेरी कहानी बहुत पसंद आएगी. दोस्तों यह बात थोड़ी पुरानी हो गई है पर फिर भी यह एक बहुत ही मस्त घटना है, चलिए अब मैं आपका वक्त खराब ना करते हुए सीधे कहानी पर आता हूं.

दोस्तों आप सब को तो मेरे बारे में पता है, मेरा नाम विक्रम है और मेरी उम्र २४ साल है, मैं दीखने में ज्यादा हैंडसम नहीं हूं, पर मेरी बॉडी १७ साल की उम्र से काफी अच्छी बन गई थी क्योंकि मुझे शुरू से भी जिम का शौक लग गया था.

मेरे लंड का साइज ८ इंच है और मेरे लंड की मोटाई ३.५ इंच हे, इस वजह से मेरा लंड बहुत ही बड़ा और भयानक सा दिखता है. मैंने आज तक जितनी भी लड़कियों को चोदा है वह आज तक मेरे लंड की दीवानी है, आज की कहानी में भी कुछ ऐसा है. मैंने एक आंटी को सिर्फ एक बार अपनी मर्जी से चोदा था, और आज उस बात को ५ साल हो गए हैं और वह आंटी मुझसे आज भी चुदती है.

बात आज से ५ साल पुरानी है, जब मैं अपने घर गांव में अपने कॉलेज की दूसरी साल की एग्जाम दे कर आया था. कॉलेज से में अभी २ महीने के लिए बिल्कुल फ्री था इसलिए मैं घर में बिना टेंशन के आराम से सोता और खाता था.. मेरे रूम की विंडो के सामने शीला आंटी का घर था वह हमारी पड़ोसन है, मैं आज अपने घर २ साल बाद  आया था.

शिला आंटी की उम्र ३२ साल होगी और फिगर ३४-३४-३८ है, मुझे उनके मोटे-मोटे बूब्स काफी अच्छे लगते थे, मैं हमेशा से ही उनके बूब्स चुसना चाहता था क्योंकि मुझे बचपन से ही लगता था कि मैं आंटी के बूब्स चूस कर खाली कर दूंगा.

उस टाइम मैं बहुत ही शर्मीला किस्म का इंसान था, वैसे तो अपने कॉलेज में दो लड़कियों को चोद चुका था, पर फिर भी मुझे एक आंटी के सामने बहुत शर्म आती थी, एक दिन की बात है मैं सुबह उठा और बाथरूम में नहाने चला गया, जब मैं नहाकर अपने रूम टॉवेल पहन कर आया और अंडरवियर डालने लगा तभी मेरी नजर विंडो के सामने शीला आंटी पर पड़ी, वह अपने घर के बाहर झाडू लगा रही थी.

जैसे ही हम दोनों की नजर आपस में मिली तो मैं अपना अंडरवियर डाल रहा था, मुझे बहुत ही शर्म आ गई और मैं झट से पीछे हो गया, फिर मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े पहने और कुछ देर बाद बाहर गया.. मैं बाहर आया तो मैंने देखा कि आंटी मेरी मम्मी के पास बैठी थी, आंटी मुझे देखकर बोली.

आंटी – क्या बात है विक्रम? तू कब आया और इतना बड़ा कब हो गया??

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यह कहते ही आंटी जोर जोर से हंसने लगी मुझे बहुत ही शर्म आ रही थी, इसलिए मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप वहां से चला गया, अगले दिन में सुबह में जब नहा कर अपने कमरे में आया और अपना अंडरवियर डालने लगा तो पहले विंडो मै से देखा कि कहीं आंटी आज तो नहीं मुझे देख रही है, आंटी वहां नहीं थी, तो मैंने अपना टॉवेल भी उतार दिया.

और नंगा होकर अपना अंडरवियर डालने लगा, तभी मेरी नजर फिर से विंडो पर पड़ी तो देखा कि आंटी सामने खड़ी है. और मुझे ही देख रही है. अबकी बार में शर्माया नहीं बल्कि बड़े मजे से उनके आगे मैंने अपना अंडर वियर डाला.

अगले दिन मैंने फिर ऐसा ही किया. मैं जब नहा कर सिर्फ टॉवेल में ही बाहर आया तो मैंने देखा कि आंटी बाहर झाडू लगा रही है और उनके बूब्स साफ दिख रहे हैं, मैंने अपनी विंडो पूरी खोल दी और हम दोनों की आपस में एक बार नजर मिली और आंटी हंस पड़ी..

उनके हसने से मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उनके सामने ही अपना टॉवल निकाल दिया. मेरा टॉवल उतारा तो मेरा ८ इंच का लंड उनके सामने आ गया. आंटी मेरा लंड देखते ही अपने घर में घुस गई, यह देखते ही मैं बहुत खुश हुआ..

फिर मैं दिन में अपने घर की छत पर बैठा स्टडी कर रहा था. तभी मैंने देखा कि आंटी अपनी बाथरूम में कपड़े धो रही है.. उन के बाथरुम की छत नहीं थी उनका बाथरुम  ओपन था इसलिए मैं ऊपर बैठा आराम से सब कुछ देख रहा था.

मैंने देखा कि आंटी ने अपनी साड़ी घुटनों से भी ऊपर की हुई है, उनके गोरे गोरे पांव साफ दिख रहे थे, उनके चिकने पांव देखकर मेरा लंड बड़ा हो गया. कुछ देर में उन्हें ऐसे ही देखता रहा, उनकी बॉडी भी मस्त दिख रही थी.

उसके बाद नहाने की तैयारी करने के लिए उन्होंने मेरे सामने पहले अपनी साड़ी निकाली और उसके बाद पेटीकोट, फिर उनहोने अपना ब्लाउज भी निकाल दिया. आंटी ने नीचे ब्लैक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी.

आंटी ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी में बहुत ही कमाल की लग रही थी, उनको देखकर तो मेरा दिमाग खराब होने लगा. आंटी ने अपनी ब्रा और पैंटी दोनों उतार दी, अब वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, आंटी अंदर से इतनी क्यामत होगी मैंने सोचा भी नहीं था.. उनके नीचे की तरफ लटके हुए बोबे देख कर मेरा लंड पागल हो गया, मैं अपना लंड बाहर निकाल कर मुठ मारने लगा..

फिर मैं नीचे गया और अपने रूम में बैठकर आंटी को चोदने की सोच रहा था, अगले दिन जब मैं उठा तो मेरे घर वाले कहीं गए हुए थे, मैं रोज की तरह नहाने बाथरूम में गया और टॉवल में ही बाहर आ गया.

मैंने अपनी विंडो पूरी खोल दी और बाहर देखा तो आंटी पहले से ही मेरे आने का इंतजार कर रही थी. मैंने आंटी की आंखों में आंखें डालकर अपना टॉवेल निकाल दिया और उनके सामने पूरा नंगा हो गया, मैंने अपने हाथ में अपना लंड पकड़ा और उसे बड़े मस्त तरीके से मुठ मारने लगा.

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आंटी ने मेरा ८ इंच का लंड देखा तो वह डर कर गेट के पीछे छुप गई और धीरे से मेरे लंड को देखने लगी, मैंने अपने बोल्स को पीछे करके अपना पूरा लंड आंटी को दिखा रहा था. आंटी मेरे लंड को देखा तो उन की नजर मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.

मैंने आंटी को उनके बोल्स दिखाने के लिए कहा पर आंटी ने मुझे साफ मना कर दिया. फिर मैंने आंटी को दरवाजे से फ्लाइंग किस किया और उधर से आंटी ने भी मुझे किस दिया. फिर मैंने आंटी को मेरे घर आने का इशारा किया परंतु आंटी ने मुझे इसके लिए भी मना कर दिया..

और मैंने कुछ देर जिद करी और फिर आंटी मान गई, फिर १०  मिनट में आंटी मेरे घर में आ गइ.. मैं नंगा ही था और मैंने ऐसे ही दरवाजा खोल दिया, आंटी झट से अंदर आ गई और मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया, मैं कुछ नहीं बोला और आंटी को अपनी बाहों में भर लिया..

अपने होठों को आंटी के होंठो पर लगा दिया और जोर से उनके होठों को चूसने लगा. वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, फिर मैंने आंटी को पूरा नंगा कर दिया, अब हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे, मैंने आंटी को अपनी गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गया और अपने बेड पर लेटा दिया.

इससे पहले मैं कुछ करता वह खड़ी हुई और नीचे बैठ गई, आंटी मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर देखने लगी, और मेरे लंड की तारीफ करते हुए धीरे धीरे चूसने लगी, आंटी को मेरा लंड बहुत ही पसंद आया और मुझे मजा आ रहा था, आंटी ने अब धीरे धीरे मेरा लंड अपने गले में उतारना शुरू कर दिया.

उनके गले का थूक मेरे लंड पर लग रहा था, जिसकी वजह से मेरा लंड गिला हो गया और कुछ ही देर में मेरे लंड ने अपना सारा पानी उनके मुंह के अंदर ही निकाल दिया. आंटी ने मेरे लंड का सारा पानी पी लिया और मेरा लंड चूस कर अच्छे से साफ कर दिया.

अब मेरी बारी थी, मैंने आंटी को बेड पर सीधा लिटा दिया, पहले मैंने उनके बोबे चूसे और फिर अपना मुह उनकी चूत पर रख दिया, मैंने बहुत ही अच्छे से उनकी चूत को अपनी जीभ से अंदर और बाहर अच्छे से चाटा, जब मैं उनकी चूत को चाट रहा था तब उन्होंने मेरा सर अपनी चूत में अच्छे से दबा लिया था..

मेरी जीभ आंटी की चूत की बीच घुसी हुई थी और आंटी खुद ही अपनी गांड को ऊपर नीचे कर रही थी, आंटी के मुह से आह उऔ ओह हां इह उऔ हो हां ऐऊ निकल कर रही थी, जिसे सुनकर मैं बहुत मस्त हो जा रहा था. मेरा लंड फिर से पहले जैसा हो गया था वह आंटी को चोदने के लिए तैयार था.

करीब २ मिनट और आंटी की चूत चाटने के बाद आंटी की चूत ने मेरे मुह पर खूब सारा पानी छोड़ दिया, मेरा पूरा मुह गिला हो गया और फिर मैं आंटी के पैरों से अपना मुंह साफ़ किया, आंटी अभी तक थक चुकी थी. अबी वह लंबी लंबी सांसे ले रही थी कि इतने में मैंने उनकी दोनों टांगे खोल दी.

और अपना लंड उनकी चूत के ऊपर सेट करके एक जोरदार धक्का मार दिया, आंटी के मुह से एक जोर से चीख निकली, पर मैंने आंटी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और बस अपनी पूरी ताकत से  उनको चोदता रहा, मेरे हर धक्के पर बेड और आंटी पुरा हिल रहे थे.

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मैंने करीब ३० मिनट तक चोदा और फिर अपने लंड का सारा पानी उनकी चूत में ही निकल लिया, उस दिन मेरे घरवाले १२ बजे आए और मैंने आंटी को ११:३० बजे तक जमकर चोदा.

उस दिन से आंटी मेरे लंड की दीवानी हो गई, अब वह रोज किसी न किसी बहाने से मुझे चूदवाने लगी. उसे मेरे लंड का चस्का लग चुका था जिसे वह शायद कभी ना छोड़ पाए.

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मैं आज भी आंटी को चोदता हूं और दोस्तों यह कहानी लिखने के बाद भी मैं आंटी को चोदने के लिए जाऊंगा क्योंकि मैंने उसे ५  बजे का टाइम दिया था और अभी ४:४५  बज चुके हैं.

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