मेरा नाम मनोज है। मैं महाराष्ट्रा के एक गाँव का रहने वाला हूँ। मैं पुणे से इन्जीनियरिंग कर रहा हूँ। मेरी उम्र 21 साल है व मेरा रंग हल्का साँवला है.. पर देखने में मैं बहुत ही आकर्षक हूँ।
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बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं में पढ़ता था। पास के एक गाँव की लड़की भी पढ़ने आती थी, उसका नाम सुनैना था।
सुनैना की उम्र 18 साल, उसका रंग गोरा.. पतला शरीर.. नागिन जैसे
बाल.. हिरनी जैसी चाल.. कोयल जैसी बोली.. मोर जैसी आँखें हैं और उसकी
चूचियों के बारे कहने के लिए तो मेरे पास शब्द ही नहीं हैं। कहने का मतलब
वो ऊपर से नीचे तक कयामत ही कयामत है। मेरी और उसकी कभी-कभार बातचीत हो
जाती थी।
एक दिन मैं और वो कालेज से आ रहे थे.. तो उसने बातों ही बातों में पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेन्ड है?
मैंने ‘न’ में जवाब दे दिया।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड है?
उसने भी मना कर दिया।
फिर कुछ दिनों बाद वैलेन्टाइन-डे आया। उस दिन मैं कालेज नहीं गया क्योंकि उन दिनों हमने काफी खेती बोई हुई थी.. उसमें मुझे पानी लगाना था।
हमारे खेत सुनैना के गाँव के पास ही हैं, मैं खेत में पानी लगा रहा था, तभी वहाँ से सुनैना निकली।
हम दोनों की थोड़ी बात भी हुई, फिर वो अपने खेत पर पापा को खाना देने चली गई।
उसके जाने के बाद मुझे याद आया कि आज वैलेन्टाइन डे है, मैंने सोचा आज इससे अपने प्यार का इजहार कर देता हूँ लेकिन मुझे डर था कि उसने मना कर दिया तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। फिर भी सोचा कि कह कर देखता हूँ। पास में ही गुलाब की बाड़ी थी, वहाँ से मैं अच्छा सा गुलाब का फूल लेकर आया और उसका इन्तजार करने लगा। आधा घन्टे बाद वो आई, उस वक्त मैं खेत पर बने एक कमरे के पास था।
मैंने उसे आवाज देकर रोका तो वो मेरे पास आ गई।
सुनैना- क्या है.. मुझे किसलिए बुलाया?
मैं- मैं एक बात बोलूँ?
सुनैना- हाँ कहो।
मैं- बुरा तो नहीं मानोगी?
सुनैना- नहीं..
मैं- अगर तुम्हें बुरा लगे तो नाराज मत होना प्लीज..
सुनैना- जल्दी कहो.. क्या कहना चाहते हो?
मैंने गुलाब उसकी तरफ करके ‘आई लव यू..’ कहा।
उसने मेरे गाल पर एक जोर से थप्पड़ जड़ दिया।
अब मजा देखिए उसने थप्पड़ तो मुझे मारा था.. और रोने खुद लगी।
मैंने अपना गाल सहलाते हुए पूछा- तुम क्यों रो रही हो?
तो वो बोली- इत्ती सी बात कहने में इतना समय लगा दिया.. आई लव यू
टू मनोज.. मैं भी तुम्हें बहुत चाहती हूँ.. लेकिन मैं कहने की हिम्मत नहीं
जुटा सकी। वो मेरे सीने से लग गई। दोस्तों आप ये कहानी न्यू हिंदी सेक्स
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मैंने उसे चुप कराया, मैंने ठोड़ी पर उंगली लगाकर उसका चेहरा ऊपर किया, वो मुझे एकटक देखने लगी। मैंने अपना चेहरा उसके चेहरे के बिलकुल नजदीक कर लिया और अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए.. वो सिहर उठी, वो मेरे बालों में उंगलियां फिराने लगी, करीब दस मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे को चूमते रहे।
फिर वो अलग हुई.. और जाने लगी। मैंने उसे हाथ पकड़ कर रोका और उसे कमरे में ले गया।
मैंने उसे समझाया- तुम्हें घर वाले पूछें.. तो कहना खेत पर थी। तुम्हारे पापा को पता है कि तुम घर गई हो।
मैं बोलता जा रहा था और वो मुझे एकटक देखे जा रही थी।
मैंने कहा- ऐसे क्या देख रही हो?
तो वो बोली- कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ।
‘मेरी जान ये हकीकत है..’
मैंने अन्दर से दरवाजे बंद कर लिए और खाट पर बैठ गए, थोड़ी देर
हमने बातें की.. फिर मैं उसके होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने
लगी।
मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था.. एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा।
क्या मुलायम चूचियां थीं यार.. मजा आ गया।
फिर मैंने उसका कमीज उतारा, उसने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसके
संगमरमरी बदन को देखकर पागल सा हो गया। दोस्तों आप ये कहानी न्यू हिंदी
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मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, क्या मस्त चूचियां थीं। मैंने एक चूची मुँह में भर ली और पीने लगा, वो मस्ती में ‘आहें..’ भरने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पजामी उतार दी, पैन्टी भी उसने लाल रंग की पहन रखी थी।
वो मुझसे बोली- क्या तुम अपने कपड़े नहीं निकालोगे?
मैंने कहा- तुम ही निकाल दो।
उसने मेरी शर्ट के बटन खोले फिर बनियान उतारी। उसके बाद मेरा लोअर भी उतार दिया.. और रुक गई।
मैंने कहा- इसे नहीं उतारोगी?
इस पर उसने शरमा कर नजरें नीची कर लीं।
मैंने कहा- जल्दी उतारो।
फिर उसने जैसे ही अंडरवियर नीचे किया तो झट से अपने कपड़े पहनने लगी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- इतना बड़ा.. मैं तो मर जाऊँगी।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. बस थोड़ा सा दर्द होगा।
मैंने उसे चारपाई पर लिटाया और उसे चूमने लगा। उसकी पैन्टी उतारी उसकी चूत एकदम फूली हुई थी। उस पर छोटे-छोटे बाल थे।
मैं उसके होंठों को चूमते हुआ एक चूची को मसलने लगा। वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी। अब वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।
मैं एक उंगली उसकी चूत में अन्दर करने लगा, वो सिसकारी लेने लगी
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… मनोज.. ज्यादा मत तड़पाओ.. जल्दी से अन्दर डाल दो।’
मैंने कहा- क्या अन्दर डाल दूँ?
बोली- ये..
मैंने कहा- ये क्या..?
बोली- अपना लंड..
और वो मेरा लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा। उसकी चूत ज्यादा टाइट थी सो मेरा लंड चूत के अन्दर नहीं गया।
वहाँ पर ग्रीस (मशीनों में चिकनाई के लिए लगाने वाला) का डिब्बा
रखा था। मैंने उसमें से ग्रीस ली और उसकी चूत और अपने पूरे लंड पर लगा ली।
अब एक बार फिर से मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा.. एक जोर का झटका लगाया।
एक चौथाई लंड उसकी चूत में चला गया।
वो दर्द से रोने लगी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी। मैं रुक गया और उसके होंठों को चूसने लगा। उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे। दोस्तों आप ये कहानी न्यू हिंदी सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है ।
फिर मैंने एक जोर का झटका लगाया.. इस बार आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में चला गया। वो बुरी तरह छटपटाने लगी। मैं फिर रुक गया.. मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर रखे थे। अब मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियां दबाने लगा। कुछ ही पलों बाद वो अपनी कमर उठाने लगी।
मैंने झटके लगाना चालू कर दिए तो वो मस्ती से ‘आहें..’ भरने लगी
‘आहहह.. जोर से चोदो मनोज.. आह्ह.. फक मी.. आहहह मुझे मसल के रख दो..’ वो
पता नहीं क्या-क्या कहे जा रही थी।
कुछ मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उसके ऊपर ढेर हो गया। थोड़ी देर बाद वो उठी और कपड़े पहन कर जाने लगी।
मैंने कहा- कैसा लगा?
वो बोली- बहुत मजा आया.. मैं बहुत प्यासी थी।
उसने मुझे एक किस किया और वो चली गई।
फिर हम घर से पढ़ने के बहाने कभी हाथरस.. कभी उसके आस-पास घूमने जाते रहे। वो अपने चेहरे को दुपट्टे से छुपा लेती थी ताकि किसी को पहचान ना हो। मैंने उसकी शादी होने तक उसे खूब चोदा।
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दोस्तो, तो कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी निचे दिए कमेंट बॉक्स में लिख मुझे बताये.