मेरा पहला संभोग बना शर्मनाक हादसा

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रे नाम समीरा है और अब मै शादीशुदा और सुखी इंसान हु | मेरी जिन्दगी का एक बहुत नाजुक हादसा है;

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जो, मैने अब अपने पति और बच्चो की वजह से भुला दिया है | लेकिन, जब भी मुझे वो हादसा याद आता है; तो, मुझे उस इंसान का चेहरा नज़र आता है; जिससे कभी मैने सबसे ज्यादा प्यार किया था | बात मेरे कॉलेज के दिनों की है | मै काफी शर्मीली लड़की थी और लडको से बात करने से डरती थी | मेरे कॉलेज मे एक लड़का था; जिसका नाम अनूप था | अनूप दिखने मे काफी अच्छा था और खेलकूद मे काफी आगे था | इसलिए, वो कॉलेज मे सारी लड़कियों के पसंदीदा था | मै भी उसे मन ही मन पसंद करती थी | लेकिन, मै उसको ये सब बोल नहीं सकती थी | उसके दो कारण थे; एक तो मेरे घर वाले लड़का-लड़की की दोस्ती के खिलाफ थे और दूसरा, मै ना सुनने से डरती थी |पर, पता नहीं उसको ये सब कैसे पता चल गया और एक दिन उसने मुझे क्लास के बाद कॉलेज के बाहर रोक लिया और अपने दिल का हाल बया कर दिया | मै तो धक् से अपने दिल पे हाथ रखकर रह गयी | मुझे नहीं मालूम था; कि, वो भी मुझ से बेपनाह मुहब्बत करता था | मै तो आसमान मे उडी जा रही थी | उस दिन, मेरे पाँव जमीन पर नहीं थे और मै पल-पल खयालो मे बादलो की सैर कर रही थी | अनूप के साथ मेरा दिन-पर-दिन प्यार परवान चढ़ रहा था और मैने उसके साथ काफी समय बिताना शुरू कर दिया | लेकिन, काफी दिनों बाद भी अनूप ने मुझे छुआ तक नहीं | मुझे उसके प्यार पर शक नहीं हुआ | मुझे लगा की वो मुझे से सच्चा प्यार करता है | एक दिन कॉलेज मे ३-४ दिन की पिकनिक का प्रोग्राम बना | अनूप मुझे ले जाने की जिद कर रहा था | लेकिन, मुझे मालूम था; घर से आज्ञा नहीं मिलेगी | तो, मेरी कुछ सहलियो ने मेरे माँ-पापा को झूठ बोला और मुझे जाने की आज्ञा मिल गयी |बस मे, अनूप के बराबर मे सबसे पीछे वाली सीट पर थे | उस दिन अनूप ने पहली बार मेरा हाथ पकड़ा था | मुझे उसकी पहली छुयन का अहसास गुदगुदा गया | मैने भी कोई विरोध नहीं किया; क्योकि, मुझे उसके इरादे नेक लगते थे | बस का सफ़र लम्बा था और उनके कई बार मेरे होठो को चूमने की कोशिश की | और मेरे चूचो को दबाने की कोशिश की | मेरे आँख दिखाने पर वो हंस दिया और माफ़ी मांग ली | शाम तक हम लोग पहुचे और जब रूम मिलने की बारी आयी; तो, मुझे रूम अनूप के साथ मिला | मैने एतराज़ किया, तो अनूप ने हाँ-हाँ करके चाबी ले ली | अब मुझे डर लगने लगा था; लेकिन, अनूप पर भरोसा था | हम दोनों ने कपडे बदले और थोडा आराम किया | अनूप ने अपना बिस्तर सोफे पर लगाया हुआ था | रात के खाने के बाद हमने होटल के मैदान मे आग जलाकर काफी नाच-गाना किया |फिर, हम सब अपने-अपने रूम मे आ गये और अनूप और मै अपने-अपने बिस्तर पे सो गये | ठंड काफी थी और हमारे कमरे मे आग जल रही थे | अचानक मैने अपने होठो पर कुछ गर्माहट महसूस की | आँख खुली तो देखा, अनूप मेरे होठो को चूस रहा था | पता नहीं क्यों? लेकिन, मैने विरोध नहीं किया | हम दोनों एक दुसरे की आँखों मे खोए थे और हमारे गरम होठ एक दुरसे ले जोड़े हुए थे | अनूप ने एक-एक करके मेरे सारे कपडे उतार डाले और अपने कपडे उतारने लगा | मुझेपे कुछ जादू सा हो गया था; जो, सब कुछ पता होने बावजूद मैने कोई विरोध नहीं किया | अनूप मेरे होटो को चोद कर मेरे चूचो को दबाने लगा और मेरे उभरे हुए निप्पल को चूस रहा था | मै मस्ती मे कामुक आवाज़े निकल रही थी और अनूप का पूरा साथ दे रही थी | उसने मेरे पुरे शरीर को अपनी जीभ से चाट डाला और मेरी चूत को चाटने मे लग गया | मै मस्ती मे अपने शरीर हिला रही थी और मैने अनूप के बाल पकडे हुए थे | अब मुझे से मेरी चूत का दर्द नहीं सहा जा रहा था |मैने अनूप को बोला, अनुओ बहुत दर्द हो रहा है, कुछ करो | अनूप ने सही वक़्त देखा और मेरी चूत पे अपना लंड रखकर धक्का मार दिया | उसका लंड मेरी चूत मे एकदम घुस गया और मै दर्द के मारे चिला रही थी | अनूप को मैने रोकने की कोशिश की; लेकिन, वो सुन ही नहीं रहा था | उसने और जोर से धक्के मरने शुरू कर दिये | जब मुझे थोडा सा दर्द कम हुआ; तो, मै भी अपने गांड मस्ती मै हिलाने लगी और कुछ देर मे, मै झड चुकी थी | मेरी चूत से रस रिसता देखकर अनूप ने अपना लंड निकला और मेरे मुह मै घुसा दिया | और मेरे बाल पकड़कर अपनी मुठ मारने लगा | दो-तीन झटको के बाद वो झड गया |मै बहुत ही तृप्त थी और मुझे अनूप के प्यार के सिवा कुछ नहीं चाहिए था | अगली, सुबह से अनूप कुछ बदला-बदला था | वो अचानक वापस चला गया | लौटते हुए, उसके दोस्त आपस मे, कुछ बात कर रहे थे और बोल रहे थे | यार, नुक्सान हो गया | अनूप ने तो उस लड़की का गेम बजा डाला | उन लोगो ने जो शब्द मेरे लिए प्रयोग किये | मुझे शर्म आ गयी और मैने अपनी पढाई छोड़ दी | मेरे माँ बाप ने मेरी शादी कर दी और मैने पति के साथ शहर ही नहीं ये देश भी छोड़ दिया |

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और अब मै अपनी पुरानी जिन्दगी भूलकर खुश हु |